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परिधान

सूची परिधान

परिधान जिसे पहनावा भी कहते है ऐसे वस्त्र होते हैं जिन्हें शरीर पर पहना जाता है। कपड़ों का पहनना ज्यादातर मनुष्यों तक ही सीमित हैं और लगभग सभी मानव समाजों की विशेषता है। परिधान की मात्रा और प्रकार शरीर के प्रकार, सामाजिक और भौगोलिक विचारों पर निर्भर करते हैं। कुछ कपड़े लिंग-विशिष्ट हो सकते हैं। कपड़े ठंड या गर्म परिस्थितियों के खिलाफ इस्तेमाल किये जा सकते हैं। इसके अलावा वे शरीर से संक्रामक और विषाक्त पदार्थों को दूर रखने के लिए एक स्वच्छ बाधा प्रदान करते हैं। कपड़े पहनना सामाजिक नियम भी है। दूसरों के सामने कपड़ों से वंचित होना शर्मनाक हो सकता है। सार्वजनिक जगहों में इतने कम कपड़े पहनना कि जननांग, स्तन या नितंब दिखाई दे, तो उसे अश्लील प्रदर्शन के रूप में देखा जा सकता है। .

7 संबंधों: नितम्ब, प्राणिऊष्मा, यौन अंग, स्तन, स्वास्थ्य विज्ञान, वस्त्र, अभद्र प्रदर्शन

नितम्ब

स्त्री के नितम्ब पुरुष के नितम्ब शरीर के मध्य भाग में कमर के नीचे गुदा के आसपास का गोल उभरा हुआ भाग नितम्ब (Buttocks) कहलाता है। Studio Jean Jacques Lequeu.jpg|Jean-Jacques Lequeu (c. 1785)। Étude de fesses.jpg|Félix Valloton (c. 1884)। .

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प्राणिऊष्मा

नर शेर के शरीर का तापलेखी (थर्मोग्राफिक) चित्र जंतुओं के शारीरिक क्रियाएँ, शारीरिक ऊष्मा के ह्रास के मार्ग तथा शरीर का ताप बनाए रखने के लिए आवश्यक ऊष्मोत्पादन की रीति, ये सभी प्रस्तुत विषय के अंतर्गत आते हैं। विविध प्रकार के तापमापियों के आविष्कार ने उपर्युक्त बातों के अध्ययन में बड़ी सहायता पहुँचाई है। जंतु दो प्रकार के होते हैं: प्रथम समतापी (homeothermic), अर्थात्‌ वे जिनके शरीर का ताप लगभग एक सा बना रहता हे। इस वर्ग में स्तनधारी, साधारणत: पालतू जानवर तथा पक्षी, आते हैं, जो उष्ण रक्तवाले भी कहे जाते हैं। द्वितीय असमतापी (poikilothermic), अर्थात्‌ वे जिनके शरीर का ताप बाह्य वातावरण के अनुसार बदला करता है। इस वर्ग में कीड़े, साँप, छिपकली, कछुआ, मेढक, मछली आदि हैं, जो शीतरक्त वाले कहे जाते हैं। कुछ ऐसे भी जंतु हैं जो उष्ण ऋतु में उष्ण रक्त के, किंतु शीत ऋतु में, जब वे शीत निद्रा में रहते हैं, शीत रक्तवाले हो जाते हैं, जैसे हिममूष (marmot)। इस अवस्था में हिममूष का शारीरिक ताप ३७ डिग्री फा.

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यौन अंग

यौन अंग, शरीर के वह अंग होते हैं, जो किसी जीव की प्रजनन प्रकिया में सम्मिलित होने के साथ साथ उसके प्रजनन तंत्र का रचना भी करते हैं। स्तनधारियों के प्रमुख यौन अंग हैं: -.

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स्तन

स्तन रूपांतरित स्वेद ग्रंथियां है, जो दुग्ध उत्पन्न करती हैं और यह दुग्ध नवजात और छोटे बच्चों के पीने के काम आता है। प्रत्येक स्तन में एक चूचुक और स्तनमण्डल (एरिओला) होता है। स्तनमण्डल का रंग गुलाबी से लेकर गहरा भूरा तक हो सकता है साथ ही इस क्षेत्र में बहुत सी स्वेदजनक ग्रंथियां भी उपस्थित होती हैं। स्त्री और पुरुष दोनों में स्तन का विकास समान भ्रूणीय ऊतकों से होता है परन्तु यौवनारम्भ पर स्त्रियों के अंडाशय से स्रावित हार्मोन ईस्ट्रोजन स्त्रियों में स्तन के विकास के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी है, जबकि पुरुषों में इस हार्मोन की उपस्थिति बहुत कम मात्रा में होने के कारण स्तनों का विकास नहीं होता, हालांकि बाल्यवस्था में चूचुक और मण्डल स्त्री-पुरूष दोनों में एक समान होते हैं। बच्चे के जन्म के समय में उसके वक्षस्थल हल्के उभरे हुए हो सकते हैं। यदि इन उभरे हुए स्तनों को दबाया जाए तो 1-2 बूंदे दूध की भी निकलती है। यह दूध मां के इस्ट्रोजन हार्मोन के प्रभाव के कारण होता है और जिसे आम भाषा में जादूगरनी का दूध कहकर पुकारा जाता है। स्त्रियों के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन दूध का निर्माण करता है। वैसे दूध बनाने का प्रमुख कार्य प्रोलेक्टीन का है जो पिट्यूटी ग्रंथि से प्रसव के बाद निकलता है। स्तनों के अंदर कुछ फाइबर्स कोशिकाओं के कारण स्तन छोटे-छोटे हिस्सों में बंटा रहता है जिसमें दूध बनाने वाली ग्रंथियां होती है। यह ग्रंथियां आपस में मिलकर एक नलिका बनाती है जो निप्पल में जाकर खुलती है तथा जहां से दूध रिस्ता है। यह नलिका निप्पल के पास आकर कुछ चौड़ी हो जाती है जहां दूध भी इकट्ठा हो सकता है। स्तनों में मांसपेशियां नहीं होती। केवल एक तरह का लिंगामेंट इसे बांधे रहता है, जिसको कूपरलिगामेंट कहते हैं। इसलिए अधिक वजन के कारण या अच्छा सहारा न मिलने के कारण स्तन नीचे की ओर लटक जाते हैं। बच्चे के जन्म के बाद स्तनपान कराना अमृत के समान होता है। बच्चे के शरीर का विकास तथा समय के अनुसार शरीर में परिवर्तन आना यह गुण मां के दूध में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। गर्भावस्था की अवधि के दौरान मां के शरीर में अधिक चर्बी जम जाती है। परन्तु मां के शरीर की चर्बी स्तनपान के साथ-साथ कम होती चली जाती है। मां अपने पहले जैसे सामान्य वजन पर आ जाती है। .

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स्वास्थ्य विज्ञान

thumb स्वास्थ्यविज्ञान (Hygiene) का ध्येय है कि प्रत्येक मनुष्य की शारीरिक वृद्धि और विकास और भी अधिक पूर्ण हो, जीवन और भी अधिक तेजपूर्ण हो, शारीरिक ह्रास और भी अधिक धीमा हो और मृत्यु और भी अधिक देर से हो। वास्तव में स्वास्थ्य का अर्थ केवल रोगरहित और दु:खरहित जीवन नहीं है। केवल जीवित रहना ही स्वास्थ्य नहीं है। यह तो पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक हृष्टता पुष्टता की दशा है। अधिकतम सुखमय जीवन और अधिकतम मानवसेवा का अवसर पूर्ण स्वस्थता से ही संभव हैं। .

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वस्त्र

पाकिस्तान के कराची में रविवार को फुटपाथ पर वस्त्रों की बिक्री वस्त्र या कपड़ा एक मानव-निर्मित चीज है जो प्राकृतिक या कृत्रिम तंतुओं के नेटवर्क से निर्मित होती है। इन तंतुओं को सूत या धागा कहते हैं। धागे का निर्माण कच्चे ऊन, कपास (रूई) या किसी अन्य पदार्थ को करघे की सहायता से ऐंठकर किया जाता है। .

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अभद्र प्रदर्शन

अभद्र प्रदर्शन किसी सार्वजनिक जगह पर या सार्वजनिक रूप से किसी व्यक्ति द्वारा शरीर का कुछ भाग को दिखाना, जो सामाजिक रूप से भद्र नहीं होता अभद्र प्रदर्शन कहलाता है। इस पर बहुत कम अंतर से अन्य देशों में बदलाव है। लेकिन इस पर कानून केवल कुछ ही देशों में बना है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

पहनावा, कपड़े

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