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पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव, 2016

सूची पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव, 2016

पश्चिम बंगाल में 4 अप्रैल 2016 से 5 मई 2016 तक छह चरणों में विधान सभा चुनाव हुए। इनमें ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस को जीत मिली। चुनावों का परिणाम इस प्रकार रहा: .

3 संबंधों: पश्चिम बंगाल, सर्वभारतीय तृणमूल कांग्रेस, विधान सभा

पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल (भारतीय बंगाल) (बंगाली: পশ্চিমবঙ্গ) भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक राज्य है। इसके पड़ोस में नेपाल, सिक्किम, भूटान, असम, बांग्लादेश, ओडिशा, झारखंड और बिहार हैं। इसकी राजधानी कोलकाता है। इस राज्य मे 23 ज़िले है। यहां की मुख्य भाषा बांग्ला है। .

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सर्वभारतीय तृणमूल कांग्रेस

सर्वभारतीय तृणमूल कांग्रेस सर्वभारतीय तृणमूल कांग्रेस (সর্বভারতীয় তৃণমূল কংগ্রেস) मुख्यतः पश्चिम बंगाल में सक्रीय एक क्षेत्रीय राजनैतिक दल है। इस दल का जन्म भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से विघटन होकर हुआ। इस दल की नेता ममता बनर्जी है। यह दल तृणमूल का प्रकाशन करता है। इस दल का युवा संगठन तृणमूल यूथ कांग्रेस है। २००४ के संसदीय चुनाव में इस दल को ८ ०४७ ७७१ मत (२.१%, २ सीटें) मिले। श्रेणी:भारत के राजनीतिक दल.

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विधान सभा

विधान सभा या वैधानिक सभा जिसे भारत के विभिन्न राज्यों में निचला सदन(द्विसदनीय राज्यों में) या सोल हाउस (एक सदनीय राज्यों में) भी कहा जाता है। दिल्ली व पुडुचेरी नामक दो केंद्र शासित राज्यों में भी इसी नाम का प्रयोग निचले सदन के लिए किया जाता है। 7 द्विसदनीय राज्यों में ऊपरी सदन को विधान परिषद कहा जाता है। विधान सभा के सदस्य राज्यों के लोगों के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि होते हैं क्योंकि उन्हें किसी एक राज्य के 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के नागरिकों द्वारा सीधे तौर पर चुना जाता है। इसके अधिकतम आकार को भारत के संविधान के द्वारा निर्धारित किया गया है जिसमें 500 से अधिक व् 60 से कम सदस्य नहीं हो सकते। हालाँकि विधान सभा का आकार 60 सदस्यों से कम हो सकता है संसद के एक अधिनियम के द्वारा: जैसे गोवा, सिक्किम, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी। कुछ राज्यों में राज्यपाल 1 सदस्य को अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त कर सकता है, उदा० ऐंग्लो इंडियन समुदाय अगर उसे लगता है कि सदन में अल्पसंख्यकों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। राज्यपाल के द्वारा चुने गए या नियुक्त को विधान सभा सदस्य या MLA कहा जाता है। प्रत्येक विधान सभा का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है जिसके बाद पुनः चुनाव होता है। आपातकाल के दौरान, इसके सत्र को बढ़ाया जा सकता है या इसे भंग किया जा सकता है। विधान सभा का एक सत्र वैसे तो पाँच वर्षों का होता है पर लेकिन मुख्यमंत्री के अनुरोध पर राज्यपाल द्वारा इसे पाँच साल से पहले भी भंग किया जा सकता है। विधानसभा का सत्र आपातकाल के दौरान बढ़ाया जा सकता है लेकिन एक समय में केवल छः महीनों के लिए। विधान सभा को बहुमत प्राप्त या गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने पर भी भंग किया जा सकता है। .

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