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परमाणु भट्ठी

सूची परमाणु भट्ठी

'''परमाणु भट्ठी''' का योजनामूलक (स्कीमैटिक) चित्र1 — नियन्त्रण छड़ें (कन्ट्रोल रॉड); 2 — शिल्डिंग; 3 — उष्मा अवरोधक (इंसुलेटर); 4 — मंदक (मॉडरेटर); 5 — नाभिकीय ईंधन; 6 — शीतलक (कूलैंट) परमाणु भट्ठी या 'न्यूक्लियर रिएक्टर' (nuclear reactor) वह युक्ति है जिसके अन्दर नाभिकीय शृंखला अभिक्रियाएँ आरम्भ की जाती हैं तथा उन्हें नियंत्रित करते हुए जारी रखा जाता है। .

15 संबंधों: नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र, नाभिकीय शृंखला अभिक्रिया, नाभिकीय ईन्धन, न्यूट्रॉन विमन्दक, न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, पनडुब्बी, भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, भारत, भारत में परमाणु ऊर्जा, भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड, शीतलक (कूलैंट), जलयान, विखण्डन, विकिरण सुरक्षा, अनुसंधान

नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र

दाबित भारी जल रिएक्टर का योजनामूलक चित्र खौलता जल रिएक्टर का योजनामूलक चित्र नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र (nuclear power plant (NPP)) वे ताप ऊर्जा संयंत्र (thermal power station) होते हैं जिनमें ऊष्मा एक या कई नाभिकीय भट्ठियों से प्राप्त होती है। नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र प्रायः आधार लोड संयंत्र (base load stations) के रूप में काम करते हैं क्योंकि ये नियत शक्ति देने के लिये सबसे अधिक उपयुक्त हैं। .

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नाभिकीय शृंखला अभिक्रिया

नाभिकीय विखण्डन का एक सम्भावित चित्र जब कोई नाभिकीय अभिक्रिया औसतन उसी तरह की एक या एक से अधिक अन्य नाभिकीय अभिक्रियाओं को सम्भव करती है तो इसे नाभिकीय शृंखला अभिक्रिया (nuclear chain reaction) कहते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि यह अभिक्रिया स्वयंचालित (self-propagating) या स्वावलम्बी (self sustaining) हो जाती है। 235U आदि भारी नाभिकों का विखण्डन (fission) नाभिकीय शृंखला अभिक्रिया का प्रमुख उदाहरण है। परमाणु बम एवं परमाणु भट्ठी इसी अभिक्रिया के परिणामस्वरूप कार्य करते हैं। इसी प्रकार दो हल्के नाभिकों जैसे 2H एवं 3H के संलयन (fusion) की अभिक्रिया भी एक नाभिकीय शृंखला अभिक्रिया है। यही शृंखला अभिक्रिया सूर्य की गर्मी एवं उर्जा का कारण है। .

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नाभिकीय ईन्धन

नाभिकीय ईधन (nuclear fuel) या परमाणु ईधन (atomic fuel) उस सामग्री को कहते हैं जिसे विखण्डन (फिज़न) या नाभिकीय संलयन (फ़्युज़न) की प्रक्रियाओं द्वारा नाभिकीय ऊर्जा बनाने के लिये प्रयोग किया जाता है। यूरेनियम-२३५ और प्लूटोनियम-२३९ सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले नाभिकीय ईधन हैं। .

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न्यूट्रॉन विमन्दक

नाभिकीय इंजीनियरी में उन पदार्थों को न्यूट्रॉन विमन्दक कहते हैं जो द्रुत न्यूट्रॉनों के वेग को कम करके उन्हें मन्द न्यूट्रॉन में बदल देते हैं। ध्यान देने योग्य बात है कि यूरेनियम-२३५ आदि फिसाइल पदार्थ, द्रुत न्यूट्रानों की अपेक्षा मन्द न्यूट्रानों से अधिक तेजी से नाभिकीय अभिक्रिया करते हैं। साधारण जल, भारी जल, ग्रेफाइट आदि प्रमुख विमन्दक हैं। श्रेणी:नाभिकीय ऊर्जा.

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न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड

न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (अंग्रेजी: Nuclear Power Corporation of India Limited (NPCIL)), भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। सितंबर 1987 में कंपनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत इस कंपनी को सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के तौर पर पंजीकृत किया गया था। इस कंपनी का उद्देश्य परमाणु ऊर्जा अधिनियम-1962 के तहत भारत सरकार की योजनाएं और कार्यक्रमों के अनुसरण में बिजली का उत्पादन करने हेतु परमाणु बिजली घर का परिचालन तथा नाभिकीय शक्ति परियोजनाएं कार्यान्वित करना है। एनपीसीआईएल, परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के साथ ज्ञापन पत्र हस्ताक्षरित करनेवाली कंपनी है। वर्तमान में एनपीसीआईएल 4120 एमडब्ल्युई की कुल संस्थापित क्षमता के साथ 17 नाभिकीय उर्जा संयंत्र का प्रचालन कर रहा है जिसमें 5 रिएक्टर निर्माणाधीन है; दोनों की कुल क्षमता 2660 एमडब्ल्युई है। एनपीसीएल को 285 रिएक्टर वर्ष से अधिक वर्ष सुरक्षित तरीके से न्युक्लियर पावर प्लांट का प्रचालन करने का अनुभव प्राप्त है। “पहले संरक्षा फिर उत्पादन” के आदर्श के साथ एनपीसीआईएल अपने प्लांट का परिचालन करता है। एनपीसीआईएल ने एक्स योजना (2002 - 2007) में करीबन 90 अरब युनिट बिज़ली का उत्पादन किया है जोकि तय किये गये लक्ष्य से 10% अधिक था और 1300 एमडब्ल्युई क्षमता के लक्ष्य के समक्ष 1180 एमडब्ल्युई का लक्ष्य प्राप्त किया जिससे जाहिर है कि तय किये गये क्षमता से 91% अधिक बढोत्तरी की है। सरकार द्वारा निजी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में आने की अनुमति देने के फैसले के बाद से निगम अपने कर्मचारियों को निजी कंपनियों द्वारा प्रलोभन दिये जाने की समस्या से जूझ रहा है। .

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पनडुब्बी

सन् १९७८ में ''एल्विन'' प्रथम विश्व युद्ध में प्रयुक्त जर्मनी की यूसी-१ श्रेणी की पनडुब्बी पनडुब्बी(अंग्रेज़ी:सबमैरीन) एक प्रकार का जलयान (वॉटरक्राफ़्ट) है जो पानी के अन्दर रहकर काम कर सकता है। यह एक बहुत बड़ा, मानव-सहित, आत्मनिर्भर डिब्बा होता है। पनडुब्बियों के उपयोग ने विश्व का राजनैतिक मानचित्र बदलने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। पनडुब्बियों का सर्वाधिक उपयोग सेना में किया जाता रहा है और ये किसी भी देश की नौसेना का विशिष्ट हथियार बन गई हैं। यद्यपि पनडुब्बियाँ पहले भी बनायी गयीं थीं, किन्तु ये उन्नीसवीं शताब्दी में लोकप्रिय हुईं तथा सबसे पहले प्रथम विश्व युद्ध में इनका जमकर प्रयोग हुआ। विश्व की पहली पनडुब्बी एक डच वैज्ञानिक द्वारा सन १६०२ में और पहली सैनिक पनडुब्बी टर्टल १७७५ में बनाई गई। यह पानी के भीतर रहते हुए समस्त सैनिक कार्य करने में सक्षम थी और इसलिए इसके बनने के १ वर्ष बाद ही इसे अमेरिकी क्रान्ति में प्रयोग में लाया गया था। सन १६२० से लेकर अब तक पनडुब्बियों की तकनीक और निर्माण में आमूलचूल बदलाव आया। १९५० में परमाणु शक्ति से चलने वाली पनडुब्बियों ने डीज़ल चलित पनडुब्बियों का स्थान ले लिया। इसके बाद समुद्री जल से आक्सीजन ग्रहण करने वाली पनडुब्बियों का भी निर्माण कर लिया गया। इन दो महत्वपूर्ण आविष्कारों से पनडुब्बी निर्माण क्षेत्र में क्रांति सी आ गई। आधुनिक पनडुब्बियाँ कई सप्ताह या महिनों तक पानी के भीतर रहने में सक्षम हो गई है। द्वितीय विश्व युद्ध के समय भी पनडुब्बियों का उपयोग परिवहन के लिये सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए किया जाता था। आजकल इनका प्रयोग पर्यटन के लिये भी किया जाने लगा है। कालपनिक साहित्य संसार और फंतासी चलचित्रों के लिये पनडुब्बियों का कच्चे माल के रूप मे प्रयोग किया गया है। पनडुब्बियों पर कई लेखकों ने पुस्तकें भी लिखी हैं। इन पर कई उपन्यास भी लिखे जा चुके हैं। पनडुब्बियों की दुनिया को छोटे परदे पर कई धारावाहिको में दिखाया गया है। हॉलीवुड के कुछ चलचित्रों जैसे आक्टोपस १, आक्टोपस २, द कोर में समुद्री दुनिया के मिथकों को दिखाने के लिये भी पनडुब्बियो को दिखाया गया है। .

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भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र

भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र मुम्बई में स्थित है। यह भारत सरकार के परमाणु उर्जा विभाग के अन्तर्गत नाभिकिय विज्ञान एवं अभियांत्रिकी एवं अन्य संबन्धित क्षेत्रों का बहु-विषयी नाभीकीय अनुसंधान केन्द्र है। भारत का परमाणु कार्यक्रम डा॰ होमी जहांगीर भाभा के नेतृत्व में आरम्भ हुआ। ३ जनवरी सन् १९५३ को परमाणु उर्जा आयोग के द्वारा परमाणु उर्जा संस्थान (ए ई ई टी) के नाम से आरम्भ हुआ और तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा २० जनवरी सन् १९५७ को राष्ट्र को समर्पित किया गया। इसके बाद परमाणु उर्जा संस्थान को पुनर्निर्मित कर १२ जनवरी सन् १९६७ को इसका नया नाम भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र किया गया, जो कि २४ जनवरी सन् १९६६ में डा॰ भाभा की विमान दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु के लिये एक विनम्र श्रद्धांजलि थी। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत में परमाणु ऊर्जा

भारतीय विद्युत उत्पादन एवं आपूर्ति के क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा एक निश्चित एवं निर्णायक भूमिका है। किसी भी राष्ट्र के सम्पूर्ण विकास के लिए विद्युत की पर्याप्त तथा अबाधित आपूर्ति का होना आवश्यक है। विकासशील देश होने के कारण भारत की सम्पूर्ण विद्युत आवश्यकताओं का एक बड़ा भाग गैर पारम्परिक स्रोतों से पूरा किया जाता है क्योंकि पारम्परिक स्रोतों द्वारा बढ़ती हुई आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया जा सकता। भारत ने नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त की है। इसका श्रेय डॉ॰ होमी भाभा द्वारा प्रारंभ किए गए महत्वपूर्ण प्रयासों को जाता है जिन्होंने भारतीय नाभिकीय कार्यक्रम की कल्पना करते हुए इसकी आधारशिला रखी। तब से ही परमाणु ऊर्जा विभाग परिवार के समर्पित वेज्ञानिकों तथा इंजीनियरों द्वारा बड़ी सतर्कता के साथ इसे आगे बढ़ाया गया है। भारत में गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में परमाणु बिजली केंद्र है। ये केंद्र केंद्र सरकार के अधीन हैं।वर्तमान में (अप्रैल 2015 से जेनुअरी 2016 तक) कुल बिजली उत्पादन में नाभिकीय ऊर्जा का भाग 30869 मिलियन यूनिट है जो कि लगभग 3.3% है। वर्तमान में कुल स्थापित क्षमता 5780 मेगावाट है, तथा 2022 तक 13480 मेगावाट बिजली के उत्पादन की संभावना है, यदि वर्तमान में सभी निर्माणाधीन और कुछ नए प्रोजेक्ट को समयबद्ध तरीके से पूरा कर लिया जाता है। 1983 में गठित परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड (एईआरबी) भारत में परमाणु ऊर्जा के लिए नियामक संस्था है। नाभिकीय विज्ञान अनुसंधान बोर्ड (बीआरएनएस) के द्वारा अनुसंधान और विकास संबंधी गतिविधियां की जाती हैं। .

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भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड

भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड (भाविनि), परमाणु ऊर्जा विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण मे आनेवाला, भारत सरकार का पूर्णत: स्वामित्वाधीन उद्यम है। कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत दिनाकं 22 अक्टूबर 2003 को निगमित एक सार्वजनिक कंपनी है जिसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा अधिनियम, १९६२ के प्रावधान के अंर्तगत भारत सरकार के योजनाएं एवं कार्यक्रमों के अनुसरण मे तमिलनाडु स्थित कल्पाक्कम में पहला 500 मेगवाट द्रुत प्रजनन रिएक्टर (फास्ट ब्रीडर रिएक्टर) का निर्माण एवं प्रवर्तन करना एवं ऊर्जा उत्पादन हेतु उत्तरवर्ती द्रुत प्रजनन रिएक्टरों के निर्माण, प्रवर्तन, प्रचालन एवं अनुरक्षण मे लगे रहना है।http://www.bhavini.nic.in/hindi/company-profile-hindi.htm .

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शीतलक (कूलैंट)

नाभिकीय रिएक्टर मे अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है जिसे हटाए जाने की प्रक्रिया शीतलक कहलाती है। इसके लिए वायू जल तथा co2 उपयोग मे लाया जाता है। इस ऊष्मा को भाप बनाने के काम मे लिया जाता है जिसे टरबाइन चलाकर बिजली उत्पन्न की जाती है।.

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जलयान

न्यूयॉर्क पत्तन पर इटली का जलयान ''' अमेरिगो वेस्पुक्की''' (१९७६) जलयान या पानी का जहाज (ship), पानी पर तैरते हुए गति करने में सक्षम एक बहुत बडा डिब्बा होता है। जलयान, नाव (बोट) से इस मामले में भिन्न भिन्न है कि जलयान, नाव की तुलना में बहुत बडे होते हैं। जलयान झीलों, समुद्रों एवं नदियों में चलते हैं। इन्हें अनेक प्रकार से उपयोग में लाया जाता है; जैसे - लोगों को लाने-लेजाने के लिये, सामान ढोने के लिये, मछली पकडने के लिये, मनोरंजन के लिये, तटों की देखरेख एवं सुरक्षा के लिये तथा युद्ध के लिये। जहाज समुद्र के आवागमन तथा दूर देशों की यात्रा के लिये जिन बृहद् नौकाओं का उपयोग प्राचीनकाल से होता आया है उन्हें जहाज कहते है। पहले जहाज अपेक्षाकृत छोटे होते थे तथा लकड़ी के बनते थे। प्राविधिक तथा वैज्ञानिक उन्नति के आधुनिक काल में बहुत बड़े, मुख्यत: लोहे से बने तथा इंजनों से चलनेवाले जहाज बनते हैं। .

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विखण्डन

नाभिकीय विखंडन का चलित चित्रण (एनिमेशन) वह प्रक्रिया जिसमे एक भारी नाभिक दो लगभग बराबर नाभिकों में टूट जाता हैं विखण्डन (fission) कहलाती हैं। इसी अभिक्रिया के आधार पर बहुत से परमाणु रिएक्टर या परमाणु भट्ठियाँ बनायी गयीं हैं जो विद्युत उर्जा का उत्पादन करतीं हैं। यूरेनियम-२३५ नाभिक का न्यूट्रॉन द्वारा विखण्डन .

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विकिरण सुरक्षा

परिरक्षण (शिल्डिंग) के लिये प्रयोग किये गये सीसा के ब्लॉक आयनकारी विकिरण के हानिकारक प्रभावों से व्यक्तियों एवं पर्यावरण को सुरक्षित रखने वाले विज्ञान एवं व्यवहार का नाम विकिरण संरक्षा या विकिरण सुरक्षा (Radiation protection या radiological protection) है। उद्योग एवं चिकित्सा में आयनकारी विकिरण का बहुतायत से उपयोग होता है। इस कारण यह स्वास्थ्य के लिये बहुत बड़ा खतरा पैदा कर सकता है यदि इससे बचने एवं इसकी मात्रा को सीमित रखने से समुचित प्रबन्ध न किये जाँय। आयनकारी विकिरण जीवित ऊतकों का सूक्ष्मस्तरीय नुकसान पहुँचाता है जिससे त्वचा जल सकती है। इसके अलावा इस विकिरण के उच्च मात्रा में सम्पर्क में आने से 'विकिरण बिमारी' (radiation sickness) हो सकती है। कम मात्रा में लेने पर भी कैंसर होने की सम्भावना बढ जाती है। विकिरण से सुरक्षा का मूलभूत तरीका है कि विकिरण के प्रभाव में कम से कम आयें (reduction of expected dose) तथा मानव द्वारा लिये गये विकिरण डोज का सतत मापन करते रहना। .

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अनुसंधान

जर्मनी का 'सोन' (Sonne) नामक अनुसन्धान-जलयान व्यापक अर्थ में अनुसंधान (Research) किसी भी क्षेत्र में 'ज्ञान की खोज करना' या 'विधिवत गवेषणा' करना होता है। वैज्ञानिक अनुसंधान में वैज्ञानिक विधि का सहारा लेते हुए जिज्ञासा का समाधान करने की कोशिश की जाती है। नवीन वस्तुओं कि खोज और पुराने वस्तुओं एवं सिद्धान्तों का पुन: परीक्षण करना, जिससे की नए तथ्य प्राप्त हो सके, उसे शोध कहते हैं। गुणात्मक तथा मात्रात्मक शोध इसके प्रमुख प्रकारों में से एक है। वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में उच्च शिक्षा की सहज उपलब्धता और उच्च शिक्षा संस्थानों को शोध से अनिवार्य रूप से जोड़ने की नीति ने शोध की महत्ता को बढ़ा दिया है। आज शैक्षिक शोध का क्षेत्र विस्तृत और सघन हुआ है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

नाभिकीय रिएक्टर, न्युक्लियर रिएक्टर, परमाणु रिएक्टर, परमाणु संयंत्र

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