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परमनिरपेक्ष

सूची परमनिरपेक्ष

पाश्चात्य दर्शन में सर्वस्वतंत्र, सर्वस्वाधीन, सर्वोपरि, तथ्यात्मक, स्वयंभू, आत्मनिर्भर, आत्मपूर्ण और वैयक्तिक विचार एवं खोज पर न निर्भर एकमात्र परमनिरपेक्ष सत्य अथवा, मूल्य अर्थात् अर्थ की धारणा प्रचलित रही है। परमनिरपेक्ष को प्राय: समस्त वास्तवता का अंतिम आधारभूत अनन्त पदार्थ और विश्व तथा ईश्वर से अभिन्न माना गया है। इसके स्वरूप की व्याख्या में इसे कभी तथ्यात्मक जगत् से पूर्णतया समन्वित द्वंद्वात्मक तर्क बुद्धि, कभी संकल्प, कभी सर्जनात्मक एवं विकासशील जीवनशक्ति, कभी चेतना, कभी अनुभव और कभी स्वप्रकाश व्यक्तित्व कहा गया है। श्रेणी:पाश्चात्य दर्शन.

2 संबंधों: पाश्चात्य दर्शन, ईश्वर

पाश्चात्य दर्शन

अध्ययन की दृष्टि से पश्चिमी दर्शन तीन भागों में विभक्त कर सकते हैं- 1.

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ईश्वर

यह लेख पारलौकिक शक्ति ईश्वर के विषय में है। ईश्वर फ़िल्म के लिए ईश्वर (1989 फ़िल्म) देखें। यह लेख देवताओं के बारे में नहीं है। ---- परमेश्वर वह सर्वोच्च परालौकिक शक्ति है जिसे इस संसार का स्रष्टा और शासक माना जाता है। हिन्दी में परमेश्वर को भगवान, परमात्मा या परमेश्वर भी कहते हैं। अधिकतर धर्मों में परमेश्वर की परिकल्पना ब्रह्माण्ड की संरचना से जुडी हुई है। संस्कृत की ईश् धातु का अर्थ है- नियंत्रित करना और इस पर वरच् प्रत्यय लगाकर यह शब्द बना है। इस प्रकार मूल रूप में यह शब्द नियंता के रूप में प्रयुक्त हुआ है। इसी धातु से समानार्थी शब्द ईश व ईशिता बने हैं। .

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