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पद्मानंद साहित्य सम्मान

सूची पद्मानंद साहित्य सम्मान

पद्मानंद साहित्य सम्मान की स्थापना कथा यू॰के॰ के द्वारा वर्ष २००० में की गई। यह सम्मान इंग्लैंड में रह कर हिन्दी साहित्य रचने वाले साहित्यकारों को सम्मानित करने हेतु दिया जाता है। इस योजना के अंतर्गत डॉ॰ सत्येन्द्र श्रीवास्तव, दिव्या माथुर, नरेश भारतीय, अचला सचदेव तथा भारतेन्दु विमल आदि को सम्मानित किया जा चुका है। श्रेणी:साहित्य पुरस्कार.

5 संबंधों: दिव्या माथुर, नरेश भारतीय, भारतेन्दु विमल, सत्येन्द्र श्रीवास्तव, अचला सचदेव

दिव्या माथुर

दिव्या माथुर ब्रिटेन मे बसी भारतीय मूल की हिंदी लेखक है। कविता और कहानी समान रूप से लिखती रही हैं। उनके कहानी संग्रह `आक्रोश' के लिए उन्हें वर्ष 2001 का पद्मानंद साहित्य सम्मान प्राप्त हो चुका है। उनकी कविताओं में जहां तीखा क्षोभ है, वहीं मार्मिकता भी है, संवेदनशील बुनावट है तो भावात्मक कसावट भी है। उनके कहानी संग्रह में संग्रहित अधिकतर रिश्तों और स्थितियों में पिस रही औरत की कहानियां हैं। उनके रचना संसार में सास और पति आमतौर पर ज़ुल्म का प्रतीक बनकर उभरते हैं। उनकी कहानियों का अनुवाद कई भाषाओं में हुआ है। उनकी कहानियों एवं कविताओं को भी कई संकलनों में शामिल किया गया है। उनके अब तक चार कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। भारत में उनके रचना संसार पर एम.

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नरेश भारतीय

नरेश भारतीय (नरेश अरोड़ा) ब्रिटेन में बसे भारतीय मूल के हिंदी लेखक है। एक लम्बे अर्से से बी.बी.सी. रेडिया हिन्दी सेवा से जुड़े रहे। उनके लेख भारत की प्रमुख पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। पुस्तक रूप में उनके लेख संग्रह `उस पार इस पार' के लिए उन्हें पद्मानंद साहित्य सम्मान (2002) प्राप्त हो चुका है। उनके इस संकलन की विशेषता यह है कि उनके जो लेख पहले पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके थे उन्होंने संकलन में आवश्यक बदलाव करने में कोई गुरेज़ नहीं किया। हिन्दी लेखकों के लिए यह एक अनुकरणीय कदम है। वर्ष 2003 में आतंकवाद पर उनकी पुस्तक `आतंकवाद' प्रकाशित हुई है। नरेश भारतीय कविता भी लिखते हैं किन्तु लेख उनकी प्रिय विधा है। नरेशजी किसी भी प्रकार की साहित्यिक राजनीति से दूर निरंतर लेखन में व्यस्त रहते हैं। उनके पहले उपन्यास दिशाए बदल गई का विमोचन भारत की राजधानी दिल्ली में किया गया। .

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भारतेन्दु विमल

भारतेन्दु विमल ब्रिटेन मे बसे भारतीय मूल के हिंदी लेखक है। उपन्यास `सोन मछली' के लेखक भारतेन्दु विमल बी.बी.सी. रेडियो से जुड़े हैं। कमलेश्वरजी ने इस उपन्यास को गटर गंगा की संज्ञा देते हुए इस उपन्यास की भूमिका में इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की है। भारतेन्दु विमल ग़ज़ल एवं कविता भी लिखते हैं। मुंबई के फिल्म जगत से जुड़े विमलजी को वर्ष 2003 के लिए अपने उपन्यास `सोन मछली' के लिए पद्मानंद साहित्य सम्मान प्राप्त हो चुका है। वे किसी भी गुटबाज़ी या वाद-विवाद का हिस्सा नहीं बनते और किसी शांत कोने में आराम से अपना काम करते रहते हैं। विमलजी ब्रिटेन भर के बहुत से कवि सम्मेलनों का कुशल संचालन भी कर चुके हैं। .

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सत्येन्द्र श्रीवास्तव

एक लेखक क सबसे बडा आयुध है उसका किताब और कलम सत्येन्द्र श्रीवास्तव ब्रिटेन मे बसे भारतीय मूल के हिंदी लेखक है। युनाइटेड किंगडम में हिन्दी के वरिष्ठतम लेखक हैं। कविता, नाटक एवं लेख उनकी प्रिय विधाएं हैं। हिन्दी के अतिरिक्त उनके तीन कविता संग्रह अंग्रेजी भाषा में भी प्रकाशित हो चुके हैं। सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने टोरोंटो एवं लंदन विश्वविद्यालयों में अध्यापन के बाद पच्चीस वर्षों तक केम्ब्रिज विश्वविद्यालय में हिन्दी साहित्य पढ़ाया है। केम्ब्रिज विश्वविद्यालय से सेवा निवृत्ति के पश्र्चात सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने दक्षिण अफ्रीका, जापान, केन्या, जाम्बिया आदि देशों की यात्रा करते हुए वहां व्याख्यान दिये हैं व कविता पाठ किये हैं। सत्येन्द्र श्रीवास्तव के लेखन की एक विशेषता यह भी है कि उनका लेखन केवल नॉस्टेलजिक साहित्य नहीं है। वे केवल भारत के साथ भावनात्मक रिश्तों को ही नहीं भुनाते, वे युनाइटेड किंगडम की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं पर भी गहरी नज़र रखते हैं। उन्हें अपनी पुस्तक टेम्स में बहती गंगा की धार के लिए पहले पद्मानंद साहित्य सम्मान से अलंकृत किया गया। सत्येन्द्र श्रीवास्तव की कविताओं में गहराई है तो लेखों में विषय की पकड़ एवं भाषा का निर्वाह। मिसेज जोन्स और वह गली एवं विन्सटन चर्चिल मेरी मां को जानते थे जैसे उदाहरण इस बात का सबूत है कि सत्येन्द्र श्रीवास्तव सही मायने में ब्रिटिश हिन्दी साहित्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। .

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अचला सचदेव

अचला सचदेव (३ मई १९२० – ३० अप्रैल २०१२) हिंदी चलचित्र की मशहूर अभिनेत्री जिन्होंने लगभग २५० फिल्मों में अभिनय किया था। .

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