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पत्तदकल

सूची पत्तदकल

पत्तदकल (कन्नड़ - ಪಟ್ಟದಕಲ್ಲು) भारत के कर्नाटक राज्य में एक कस्बा है, जो भारतीय स्थापत्यकला की वेसर शैली के आरम्भिक प्रयोगों वाले स्मारक समूह के लिये प्रसिद्ध है। ये मंदिर आठवीं शताब्दी में बनवाये गये थे। यहाँ द्रविड़ (दक्षिण भारतीय) तथा नागर (उत्तर भारतीय या आर्य) दोनों ही शैलियों के मंदिर हैं। पत्तदकल दक्षिण भारत के चालुक्य वंश की राजधानी बादामी से २२ कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित हैं। चालुक्य वंश के राजाओं ने सातवीं और आठवीं शताब्दी में यहाँ कई मंदिर बनवाए। एहोल को स्थापत्यकला का विद्यालय माना जाता है, बादामी को महाविद्यालय तो पत्तदकल को विश्वविद्यालय कहा जाता है। पत्तदकल शहर उत्तरी कर्नाटक राज्य में बागलकोट जिले में मलयप्रभा नदी के तट पर बसा हुआ है। यह बादामी शहर से २२ कि.मि.

27 संबंधों: चालुक्य, चालुक्य राजवंश, ऐहोल, द्रविड़ स्थापत्य शैली, नागर शैली, पत्तदकल स्मारक परिसर, बलुआ पत्थर, बादामी, बागलकोट जिला, भारत, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग, भारतीय स्थापत्यकला, मलयप्रभा नदी, युनेस्को, सातवीं शताब्दी, विश्व धरोहर, वेसर शैली, आठवीं शताब्दी, कन्नड़, कन्नड़ भाषा, कर्नाटक, १० जुलाई, १९८७, २००९, ५ मार्च, ६ मार्च, ९ मार्च

चालुक्य

कोई विवरण नहीं।

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चालुक्य राजवंश

चालुक्य प्राचीन भारत का एक प्रसिद्ध क्षत्रिय राजवंश है। इनकी राजधानी बादामी (वातापि) थी। अपने महत्तम विस्तार के समय (सातवीं सदी) यह वर्तमान समय के संपूर्ण कर्नाटक, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिणी मध्य प्रदेश, तटीय दक्षिणी गुजरात तथा पश्चिमी आंध्र प्रदेश में फैला हुआ था। .

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ऐहोल

ऐहोल (कन्नड़ ಐಹೊಳೆ) कर्नाटक राज्य के बागलकोट जिला में एक प्राचीन मंदिर समूह के लिए प्रसिद्ध स्थल है। यह पत्तदकल के पूर्व में मलयप्रभा नदी के तट पर स्थित है। बादामी इसके पश्चिम में स्थित है। ऐहोल के प्राचीन स्मारकों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया हुआ है, एवं इनके युनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित करने के प्रयास जारी हैं। ---- पुलकेसि २ के काल के चालुक्य क्षेत्र, ६४० ई. लाद खान मंदिर रावण पहाड़ी गुफ़ा रावण पहाड़ी गुफ़ा के भीतर .

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द्रविड़ स्थापत्य शैली

'''द्रविड़ शैली''' दक्षिण भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की तीन में से एक शैली है। यह शैली दक्षिण भारत में विकसित होने के कारण द्रविड़ शैली कहलाती है। तमिलनाडु व निकटवर्ती क्षेत्रों के अधिकांश मंदिर इसी श्रेणी के होते हैं। .

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नागर शैली

नागर शैली उत्तर भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की तीन में से एक शैली है। इस नागर शैली के अंग खजुराहो के मन्दिर नागर शैली में निर्मित हैं।शैली का प्रसार हिमालय से लेकर विंध्य पर्वत माला तक देखा जा सकता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार नागर शैली के मंदिरों की पहचान आधार से लेकर सर्वोच्च अंश तक इसका चतुष्कोण होना है। विकसित नागर मंदिर में गर्भगृह, उसके समक्ष क्रमशः अन्तराल, मण्डप तथा अर्द्धमण्डप प्राप्त होते हैं। एक ही अक्ष पर एक दूसरे से संलग्न इन भागों का निर्माण किया जाता है। .

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पत्तदकल स्मारक परिसर

पत्तदकल स्मारक परिसर भारत के कर्नाटक राज्य में एक पत्तदकल नामक कस्बे में स्थित है। यह अपने पुरातात्विक महत्व के कारण प्रसिद्ध है। चालुक्य वंश के राजाओं ने सातवीं और आठवीं शताब्दी में यहाँ कई मंदिर बनवाए। एहोल को स्थापत्यकला का विद्यालय माना जाता है, बादामी को महाविद्यालय तो पत्तदकल को विश्वविद्यालय कहा जाता है। यहाँ कुल दस मंदिर हैं, जिनमें एक जैन धर्मशाला भी शामिल है। इन्हें घेरे हुए ढेरों चैत्य, पूजा स्थल एवं कई अपूर्ण आधारशिलाएं हैं। यहाँ चार मंदिर द्रविड़ शैली के हैं, चार नागर शैली के हैं एवं पापनाथ मंदिर मिश्रित शैली का है। पत्तदकल को १९८७ में युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। विरुपाक्ष मंदिर यहाँ का सर्वश्रेष्ठ मंदिर है। इसे महाराज विक्रमादित्य द्वितीय की पत्नी लोकमहादेवी ने ७४५ ई. में अपने पति की कांची के पल्लव वंश पर विजय के स्मारक रूप में बनवाया था। यह मंदिर कांची के कैलाशनाथ मंदिर से बहुत मिलता जुलता है। वही मंदिर इस मंदिर की प्रेरणा है। यही विरुपाक्ष मंदिर एल्लोरा में राष्ट्रकूट वंश द्वारा बनवाये गये कैलाशनाथ मंदिर की प्रेरणा बना। इस मंदिर की शिल्पाकृतियों में कुछ प्रमुख हैं लिंगोद्भव, नटराज, रावाणानुग्रह, उग्रनृसिंह, आदि। इसके अलावा संगमेश्वर मंदिर भी काफी आकर्षक है। यह मंदिर अधूरा है। इसे महाराज विजयादित्य सत्याश्रय ने बनवाया था। यहाँ के काशी विश्वनाथ मंदिर को राष्ट्रकूट वंश ने आठवीं शताब्दी में बनवाया था। निकटस्थ ही मल्लिकार्जुन मंदिर है। इसे विक्रमादित्य की द्वितीय रानी त्रिलोकमहादेवी द्वारा ७४५ ई. में बनवाया गया था। यह विरुपाक्ष मंदिर का एक छोटा प्रतिरूप है। गल्गनाथ मंदिर में भगवान शिव को अंधकासुर का मर्दन करते हुए दिखाया गया है। कदासिद्धेश्वर मंदिर में शिव की त्रिशूल धारी मूर्ति है। जम्बुलिंग मंदिर में शिवलिंग स्थापित है। ये सभी नागर शैली में निर्मित हैं। यहां के जैन मंदिर पत्तदकल-बादामी मार्ग पर स्थित है। ये मयनाखेत के राष्ट्रकूटों द्वारा द्रविड़ शैली में निर्मित हैं। यहां नौवीं शताब्दी के कुछ बहुत ही सुंदर शिल्प के नमूने हैं। इन्हे अमोघवर्षा प्रथम या उसके पुत्र कृष्ण द्वितीय ने बनवाया था। यहां का पापनाथ मंदिर वेसारा शैली में निर्मित है। ६८० ई. में निर्मित यह मंदिर पहले नागर शैली में आरम्भ हुआ था, पर बाद में द्रविड़ शैली में बदला गया। यहां के शिल्प रामायण एवं महाभारत की घटनाओं के बारे में बताते हैं। इस मंदिर में आलमपुर, आंध्र प्रदेश के नवब्रह्म मंदिर की झलक दिखाई देती है। यह मंदिर भी इसी वंश ने बनवाया था। यहाँ के बहुत से शिल्प अवशेष यहाँ बने प्लेन्स के संग्रहालय तथा शिल्प दीर्घा में सुरक्षित रखे हैं। इन संग्रहालयों का अनुरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग करता है। ये भूतनाथ मंदिर मार्ग पर स्थित हैं। इनके अलावा अन्य महत्त्वपूर्ण स्मारकों में, अखण्ड एकाश्म स्तंभ, नागनाथ मंदिर, चंद्रशेखर मंदिर एवं महाकुटेश्वर मंदिर भी हैं, जिनमें अनेक शिलालेख हैं। File:Kasivisvanatha_temple_at_Pattadakal.jpg|काशीविश्वनाथ मंदिर File:Temple_Pattadakal.JPG|पापनाथ मंदिर चित्र:Mallikarjuna_and_Kasivisvanatha_temples_at_Pattadakal.jpg|मल्लिकार्जुन एवं काशीविश्वनाथ मंदिर File:Jain_Narayana_temple_at_Pattadakal.JPG|जैन नारायण मंदिर .

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बलुआ पत्थर

बलुआ पत्थर का शैल बालुकाश्म या बलुआ पत्थर (सैण्डस्टोन) ऐसी दृढ़ शिला है जो मुख्यतया बालू के कणों का दबाव पाकर जम जाने से बनती है और किसी योजक पदार्थ से जुड़ी होती है। बालू के समान इसकी रचना में भी अनेक पदार्थ विभिन्न मात्रा में हो सकते हैं, किंतु इसमें अधिकांश स्फटिक ही होता है। जिस शिला में बालू के बहुत बड़े बड़े दाने मिलते हैं, उसे मिश्रपिंडाश्म और जिसमें छोटे छोटे दाने होते हैं उसे बालुमय शैल या मृण्मय शैल कहते हैं। .

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बादामी

बादामी शब्द के कई अर्थ हैं.

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बागलकोट जिला

बागलकोट भारतीय राज्य कर्नाटक का एक जिला है। जिले का मुख्यालय है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, भारत सरकार के संस्कृति विभाग के अन्तर्गत एक सरकारी एजेंसी है, जो कि पुरातत्व अध्ययन और सांस्कृतिक स्मारकों के अनुरक्षण के लिये उत्तरदायी होती है। इसकी वेबसाइट के अनुसार, ए.एस.

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भारतीय स्थापत्यकला

सांची का स्तूप अजन्ता गुफा २६ का चैत्य भारत के स्थापत्य की जड़ें यहाँ के इतिहास, दर्शन एवं संस्कृति में निहित हैं। भारत की वास्तुकला यहाँ की परम्परागत एवं बाहरी प्रभावों का मिश्रण है। भारतीय वास्तु की विशेषता यहाँ की दीवारों के उत्कृष्ट और प्रचुर अलंकरण में है। भित्तिचित्रों और मूर्तियों की योजना, जिसमें अलंकरण के अतिरिक्त अपने विषय के गंभीर भाव भी व्यक्त होते हैं, भवन को बाहर से कभी कभी पूर्णतया लपेट लेती है। इनमें वास्तु का जीवन से संबंध क्या, वास्तव में आध्यात्मिक जीवन ही अंकित है। न्यूनाधिक उभार में उत्कीर्ण अपने अलौकिक कृत्यों में लगे हुए देश भर के देवी देवता, तथा युगों पुराना पौराणिक गाथाएँ, मूर्तिकला को प्रतीक बनाकर दर्शकों के सम्मुख अत्यंत रोचक कथाओं और मनोहर चित्रों की एक पुस्तक सी खोल देती हैं। 'वास्तु' शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत के 'वस्' धातु से हुई है जिसका अर्थ 'बसना' होता है। चूंकि बसने के लिये भवन की आवश्यकता होती है अतः 'वास्तु' का अर्थ 'रहने हेतु भवन' है। 'वस्' धातु से ही वास, आवास, निवास, बसति, बस्ती आदि शब्द बने हैं। .

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मलयप्रभा नदी

मलयप्रभा नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है। .

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युनेस्को

यूनेस्को (UNESCO) 'संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational Scientific and Cultural Organization)' का लघुरूप है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) संयुक्त राष्ट्र का एक घटक निकाय है। इसका कार्य शिक्षा, प्रकृति तथा समाज विज्ञान, संस्कृति तथा संचार के माध्यम से अंतराष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देना है। संयुक्त राष्ट्र की इस विशेष संस्था का गठन १६ नवम्बर १९४५ को हुआ था। इसका उद्देश्य शिक्षा एवं संस्कृति के अंतरराष्ट्रीय सहयोग से शांति एवं सुरक्षा की स्थापना करना है, ताकि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में वर्णित न्याय, कानून का राज, मानवाधिकार एवं मौलिक स्वतंत्रता हेतु वैश्विक सहमति बन पाए। इसका मुख्यालय पैरिस, फ्रांस में स्थित है। .

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सातवीं शताब्दी

सातवीं शताब्दी एक ईसवीं शताब्दी है। श्रेणी:शताब्दी.

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विश्व धरोहर

यूनेस्को की विश्व विरासत समिति का लोगो युनेस्को विश्व विरासत स्थल ऐसे खास स्थानों (जैसे वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन, या शहर इत्यादि) को कहा जाता है, जो विश्व विरासत स्थल समिति द्वारा चयनित होते हैं; और यही समिति इन स्थलों की देखरेख युनेस्को के तत्वाधान में करती है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुछ खास परिस्थितियों में ऐसे स्थलों को इस समिति द्वारा आर्थिक सहायता भी दी जाती है। अब तक (2006 तक) पूरी दुनिया में लगभग 830 स्थलों को विश्व विरासत स्थल घोषित किया जा चुका है जिसमें 644 सांस्कृतिक, 24 मिले-जुले और 138 अन्य स्थल हैं। प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह स्थल स्थित हो; परंतु अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में होता है कि वे आनेवाली पीढियों के लिए और मानवता के हित के लिए इनका संरक्षण करें। बल्कि पूरे विश्व समुदाय को इसके संरक्षण की जिम्मेवारी होती है। .

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वेसर शैली

बेलूर का चेन्नकेशव मन्दिर वेसर शैली भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की तीन में से एक शैली है। नागर और द्रविड़ शैली के मिश्रित रूप को वेसर या बेसर शैली की संज्ञा दी गई है। यह विन्यास में द्रविड़ शैली का तथा रूप में नागर जैसा होता है। इस शैली के मंदिर विन्ध्य पर्वतमाला से कृष्णा नदी के बीच निर्मित हैं। मध्य भारत तथा कर्णाटक के की मन्दिरों में प्रायः उत्तरी तथा द्रविड दोनों ही शैलियों का सम्मिलित स्वरूप मिलता है। कर्णाटक के चालुक्य मन्दिर वेसर शैली के माने जा सकते हैं। चालुक्यों ने मिश्रित वेसर शैली को प्रोत्साहन दिया था। इन मन्दिरों का रूप कुछ विशिष्ट ही होता है। विमान शिखर छोटा, फ़ैले कलश, मूर्तियों का आधिक्य, अलंकरण परम्परा का बाहुल्य ही इनकी विशेषता है। अधिकांशतः दक्खिन में मिलने वाले इन मन्दिरों के शिल्प को उन्नति के शिखर पर पहुंचाने का प्रयास चालुक्यों और होयसालों ने सर्वाधिक किया है। .

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आठवीं शताब्दी

यह ईसवीं की आठवीं शताब्दी को कहा जाता है। यानि ७००-७९९ ई. वर्षों के समूह को कहते हैं। श्रेणी:शताब्दी.

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कन्नड़

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कन्नड़ भाषा

कन्नड़ (ಕನ್ನಡ) भारत के कर्नाटक राज्य में बोली जानेवाली भाषा तथा कर्नाटक की राजभाषा है। यह भारत की उन २२ भाषाओं में से एक है जो भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में साम्मिलित हैं। name.

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कर्नाटक

कर्नाटक, जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का गठन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अधीन किया गया था। पहले यह मैसूर राज्य कहलाता था। १९७३ में पुनर्नामकरण कर इसका नाम कर्नाटक कर दिया गया। इसकी सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। इसका कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। २९ जिलों के साथ यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई व्याख्याओं में से सर्वाधिक स्वीकृत व्याख्या यह है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्कन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द का प्रयोग किया जाता था, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयुक्त है और मूलतः कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन साम्राज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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१० जुलाई

१० जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १९१वॉ (लीप वर्ष मे १९२ वॉ) दिन है। साल मे अभी और १७४ दिन बाकी है। .

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१९८७

1987 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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२००९

२००९ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। वर्ष २००९ बृहस्पतिवार से प्रारम्भ होने वाला वर्ष है। संयुक्त राष्ट्र संघ, यूनेस्को एवं आइएयू ने १६०९ में गैलीलियो गैलिली द्वारा खगोलीय प्रेक्षण आरंभ करने की घटना की ४००वीं जयंती के उपलक्ष्य में इसे अंतर्राष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष घोषित किया है। .

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५ मार्च

5 मार्च ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 64वॉ (लीप वर्ष में 65 वॉ) दिन है। साल में अभी और 301 दिन बाकी है। .

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६ मार्च

6 मार्च ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 65वॉ (लीप वर्ष में 66 वॉ) दिन है। साल में अभी और 300 दिन बाकी है। इस दिन घाना में स्वतंत्रता दिवस मानाया जाता है। .

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९ मार्च

९ मार्च ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ६८वॉ (लीप वर्ष मे ६९वॉ) दिन है। साल मे अभी और २९७ दिन बाकी है। .

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