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पटलक्लोमी

सूची पटलक्लोमी

द्विकपाटी प्राणी द्विकपाटी, या पटलक्लोमी (Lamellibranchia/लैमेलिब्रैंकिया या Bivalvia) अकशेरुकी तथा जलीय प्राणी हैं। यह मोलस्का (Molausca) संघ का एक वर्ग (class) है। इसे लैमेलिब्रैंकियाटा, द्विकपाटी (Bivalve), या पेलेसिपोडा (Pelecypoda) भी कहते हैं। चूँकि इनके पाद चपटे होने के बजाय नवतलित अधरीय होते हैं, इसलिए ये 'पैलेसिपोडा' कहलाते हैं। इस वर्ग के प्राणियों में सिर नहीं होता, अत: यह वर्ग मोलस्का के अन्य वर्गों से भिन्न है। इनमें लेबियल स्पर्शकों (labial palp) के द्वारा सिर का प्रतिनिधित्व होता है। ये द्विपार्श्व सममित प्राणी है। इनके सभी अंश जोड़े में अथवा मध्यस्थ होते हैं। लैमेलिब्रैंकिया स्थानबद्ध प्राणी हैं। कुछ द्विकपाटी चट्टानों से बद्ध रहते हैं, जब कि अन्य धागे सदृश पुलिंदे से जमीन से संलग्न रहते हैं। इस पुलिंदे को सूत्रगुच्छ (Byssus) कहते हैं। यह सूत्रगुच्छ पाद की एक गुहिका से स्रवित होता है। अधिकांश द्विकपाटियों के पाद बिल बनाने, या गमन के लिए व्यवहृत होते हैं। कुछ द्विकपाटी अपने कवचों को एकाएक बंद कर, पानी को बाहर निकालने के द्वारा तैरते हैं। लैमेलिब्रैंकिया के १०० से अधिक कुल एवं ७,००० स्पीशीज ज्ञात हैं। .

3 संबंधों: परजीवी, मोती, मोलस्का

परजीवी

परजीवी का मतलब होता है दूसरे जीवो पर आश्रित जीव.

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मोती

विभिन्न प्रकार के मोती श्वेत मुक्ता की माला ताहिती के मोती मोती या 'मुक्ता' एक कठोर पदार्थ है जो मुलायम ऊतकों वाले जीवों द्वारा पैदा किया जता है। रासायनिक रूप से मोती सूक्ष्म क्रिटलीय रूप में कैल्सियम कार्बोनेट है जो जीवों द्वारा संकेन्द्रीय स्तरों (concentric layers) में निक्षेप (डिपॉजिट) करके बनाया जाता है। आदर्श मोती उसे मानते हैं जो पूर्णतः गोल और चिकना हो, किन्तु अन्य आकार के मोती भी पाये जाते हैं। अच्छी गुणवत्ता वाले प्राकृतिक मोती प्राचीन काल से ही बहुत मूल्यवान रहे हैं। इनका रत्न के रूप में या सौन्दर्य प्रसाधन के रूप में उपयोग होता रहा है। .

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मोलस्का

मोलस्का या चूर्णप्रावार प्रजातियों की संख्या में अकशेरूकीय की दूसरी सबसे बड़ी जाति है। ८०,००० जीवित प्रजातियां हैं और ३५,००० जीवाश्म प्रजातियां मौजूद हैं। कठिन खोल की मौजूदगी के कारण संरक्षण का मौका बढ़ जाता है। वे अव्वलन द्विदेशीय सममित हैं।इस संघ के अधिकांश जंतु विभिन्न रूपों के समुद्री प्राणी होते हैं, पर कुछ ताजे पानी और स्थल पर भी पाए जाते हैं। इनका शरीर कोमल और प्राय: आकारहीन होता है। वे कोई विभाजन नहीं दिखाते और द्विपक्षीय सममिति कुछ में खो जाता है। शरीर एक पूर्वकाल सिर, एक पृष्ठीय आंत कूबड़, रेंगने बुरोइंग या तैराकी के लिए संशोधित एक उदर पेशी पैर है। शरीर एक कैल्शियम युक्त खोल स्रावित करता है जो एक मांसल विरासत है चारों ओर यह आंतरिक हो सकता है, हालांकि खोल कम या अनुपस्थित है, आमतौर पर बाहरी है। जाति आम तौर पर ९ या १० वर्गीकरण वर्गों में बांटा गया है, जिनमें से दो पूरी तरह से विलुप्त हैं। मोलस्क का वैज्ञानिक अध्ययन 'मालाकोलोजी' कहा जाता है।ये प्रवर में बंद रहते हैं। साधारणतया स्त्राव द्वारा कड़े कवच का निर्माण करते हैं। कवच कई प्रकार के होते हैं। कवच के तीन स्तर होते हैं। पतला बाह्यस्तर कैलसियम कार्बोनेट का बना होता है और मध्यस्तर तथा सबसे निचलास्तर मुक्ता सीप का बना होता है। मोलस्क की मुख्य विशेषता यह है कि कई कार्यों के लिए एक ही अंग का इस्तेमाल होता है। उदाहरण के लिए, दिल और गुर्दे प्रजनन प्रणाली है, साथ ही संचार और मल त्यागने प्रणालियों के महत्वपूर्ण हिस्से हैं बाइवाल्वस में, गहरे नाले दोनों "साँस" और उत्सर्जन और प्रजनन के लिए महत्वपूर्ण है जो विरासत गुहा, में एक पानी की वर्तमान उत्पादन। प्रजनन में, मोलस्क अन्य प्रजनन साथी को समायोजित करने के लिए लिंग बदल सकते हैं। ये स्क्विड और ऑक्टोपोडा से मिलते जुलते हैं पर उनसे कई लक्षणों में भिन्न होते हैं। इनमें खंडीभवन नहीं होता। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

द्विकपाटी, लैमेलिब्रैंकिया

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