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न्यूट्रॉन विमन्दक

सूची न्यूट्रॉन विमन्दक

नाभिकीय इंजीनियरी में उन पदार्थों को न्यूट्रॉन विमन्दक कहते हैं जो द्रुत न्यूट्रॉनों के वेग को कम करके उन्हें मन्द न्यूट्रॉन में बदल देते हैं। ध्यान देने योग्य बात है कि यूरेनियम-२३५ आदि फिसाइल पदार्थ, द्रुत न्यूट्रानों की अपेक्षा मन्द न्यूट्रानों से अधिक तेजी से नाभिकीय अभिक्रिया करते हैं। साधारण जल, भारी जल, ग्रेफाइट आदि प्रमुख विमन्दक हैं। श्रेणी:नाभिकीय ऊर्जा.

4 संबंधों: नाभिकीय अभियांत्रिकी, नाभिकीय अभिक्रिया, भारी जल, ग्रेफाइट

नाभिकीय अभियांत्रिकी

नाभिकीय ऊर्जा संयन्त्र B-61 bomb नाभिकीय अभियांत्रिकी (Nuclear engineering), इंजिनियरी की वह शाखा है जो नाभिक के विखण्डन (fission) एवं संलयन (fusion) के उपयोगों से सम्बन्धित है। नाभिकीय विखण्दन के अन्तर्गत परमाणु रिएक्टर, नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र, तथा/या परमाणु हथियार आदि आते हैं। इसी के अन्तर्गत आयनकारी विकिरण के चिकित्सीय एवं अन्य उपयोग, नाभिकीय सुरक्षा, ऊष्मा का संचरण, नाभिकीय ईंधन, रेडियोसक्रिय कचरे का निपटान (radioactive waste disposal), तथा नाभिकीय प्रचुरोद्भवन से संबन्धित खतरे आते हैं। .

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नाभिकीय अभिक्रिया

लिथियम-६ एवं ड्युटिरियम के नाभिकों की अभिक्रिया नाभिकीय अभिक्रिया वह प्रक्रम है जिसमें में दो नाभिक या नाभिकीय कण आपस में टक्कर करने के बाद नये उत्पाद बनाते हैं। सिद्धांततः नाभिकीय अभिक्रिया में दो से अधिक नाभिक भी भाग ले सकते हैं किन्तु दो से अधिक नाभिकों के एक ही समय पर टकराने की प्रायिकता बहुत कम होती है, इसलिये ऐसी अभिक्रियाएं अत्यन्त कम होती हैं। Li-6 + H-2 -> n + He .

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भारी जल

भारी जल, हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यूटीरियम का आक्साइड हैं। इसमे ०.०१४ % साधारण जल होता हैं। रसायन की भाषा में हाइड्रोजन ऑक्साइड (H2O, अणुभार 18) है। इस के एक अणु में ऑक्सीजन का एक परमाणु हाइड्रोजन के दो परमाणुओं से सह संयोजी बन्ध से जुड़ा रहता है। हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक (आइसोटोप) पाये जाते हैं, अन्य दो ड्यूटीरियम और ट्रिटियम कहलाते हैं, जिनका परमाणु भार क्रमशः 2 और 3 होता है। सामान्यत: प्राकृतिक जल में जल के ऐसे अणुओं की संख्या चार करोड़ दस लाख और एक के अनुपात में होती है जिसमे हाइड्रोजन का दूसरा समस्थानिक पाया जाता है। इस प्रकार के जल के अणु को D2O (अणुभार 20) से निरूपित किया जाता है। ऐसा जल जिसमे 99 प्रतिशत से अधिक अणु D2O के होते हैं उसको भारी जल के नाम से जाना जाता है, इसका घनत्व (1.1044) सामान्य जल (1.0) से अधिक होता है। भारी जल का व्यावसायिक उत्पादन मुख्यतः रासायनिक विधि से किया जाता है जिसमे गतिज समस्थानिक प्रभाव (Kinetic Isotope Effect) तकनीक का प्रयोग होता है। भारी जल का मुख्य उपयोग नाभिकीय संयन्त्रों में होने वाली नाभिकीय विघटन क्रियाओं के दौरान उत्पन्न न्यूट्रॉन को अवशोषित करने के लिये मंदक के रूप में होता है। जिससे की नाभिकीय ऊर्जा का नियन्त्रित उत्पादन और शान्तिपूर्ण उपयोग किया जा सके। यहाँ भारी जल के स्थान पर साधारण जल का भी प्रयोग किया जा सकता है लेकिन उस परिदृश्य में संयन्त्र में यूरेनियम 235 का ही प्रयोग किया जा सकता है, क्योंकि साधारण जल भारी जल की अपेक्षा अधिक न्यूट्रॉन अवशोषित कर लेता है। श्रेणी:रसायन शास्त्र श्रेणी:रसायन शब्दावली श्रेणी:हाइड्रोजन के समस्थानिक.

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ग्रेफाइट

ग्रेफाइट ग्रेफाइट कार्बन का एक बहुरूप है। काले भूरे रंग का यह अधातु सिंहल, साइबेरिया, अमेरिका के केलिफोर्निया, कोरिया, न्यूजीलैण्ड तथा इटली में पाया जाता है। इसमें एक विशेष प्रकार की चमक पायी जाती है एवं यह विद्युत तथा ताप का सुचालक होता है। इसका आपेक्षिक घनत्व 2.25 है। यह 7000C पर जलकर कार्बन डाई-आक्साइड बनाता है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

मन्दक, मंदक (मॉडरेटर), विमंदक

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