लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

नैदानिक परीक्षण

सूची नैदानिक परीक्षण

अनुसन्धान के माध्यम से विकसित नई चिकित्सा पद्धतियों के सामान्य प्रयोग से पूर्व इनके प्रभाव व कुप्रभावों का अध्ययन करने के लिये किया गया शोध नैदानिक परीक्षण (क्लिनिकल ट्रायल) कहलाता है। चिकित्सा पद्धतियों के अन्तर्गत टीका, दवा, आहार संबंधी विकल्प, आहार की खुराक, चिकित्सीय उपकरण, जैव चिकित्सा आदि आते हैं। नैदानिक परीक्षण, नई पद्धतियों की सुरक्षा व दक्षता के संबंध में बेहतर आंकड़े प्रदान करता है। प्रत्येक अध्ययन वैज्ञानिक प्रश्नों का जवाब देता है और बीमारी को रोकने के, इसके परीक्षण के लिए, निदान, या उपचार के लिए बेहतर तरीके खोजने का प्रयास करता है। क्लीनिकल ट्रायल नए उपचार की पहले से उपलब्ध उपचार के साथ तुलना भी कर सकता है। हर क्लीनिकल ट्रायल में परीक्षण करने के लिए एक नियम (कार्य योजना) होती है। योजना बताती है कि अध्ययन में क्या-क्या किया जायेगा, यह कैसे पूरा होगा, और अध्ययन का प्रत्येक भाग आवश्यक क्यों है। प्रत्येक अध्ययन में हिस्सा लेने वाले लोगों के लिए इसके अपने नियम होते हैं। कुछ अध्ययनों के लिए किसी बीमारी से ग्रस्त स्वयंसेवकों की जरुरत होती है। कुछ के लिए स्वस्थ लोगों की आवश्यकता होती है। अन्य के लिए केवल पुरुष या केवल महिलाओं की जरुरत होती है। किसी देश या क्षेत्र विशेष में नैदानिक परीक्षण के लिये स्वास्थ्य एजेंसियों तथा अन्य सक्षम एजेंसियों की अनुमति लेना आवश्यक है। ये एजेंसियाँ परीक्षण के जोखिम/लाभ अनुपात का अध्ययन करने के लिये उत्तरदायी होती हैं। चिकित्सीय उत्पाद या पद्धति के प्रकार और उसके विकास के स्तर के अनुरूप ये एजेंसियाँ प्रारंभ में स्वयंप्रस्तुत व्यक्तियों (वालंटियर) या रोगियों के छोटे-छोटे समूहों पर पायलट प्रयोग के रूप में अध्ययन की अनुमति देती हैं और आगे उत्तरोत्तर बड़े पैमाने पर तुलनात्मक अध्ययन की अनुमति देती हैं। यूएसए में संस्थागत समीक्षा बोर्ड (आई.आर.बी.) कई क्लीनिकल ट्रायलों की समीक्षा, निरीक्षण करता है और उन्हें स्वीकार करता है। यह चिकित्सकों, सांख्यिकीविदों, और समुदाय के सदस्यों की एक स्वतंत्र समिति है। इसकी निम्न भूमिकाएं हैं-.

11 संबंधों: चिकित्सकीय परीक्षण, टीका, भारत, महात्मा गांधी, शल्यचिकित्सा, विटामिन, विकिरण चिकित्सा, औषधि, अनुसंधान, अफ़्रीका, उपयोगितावाद

चिकित्सकीय परीक्षण

विल्हेल्म रोएन्टजन द्वारा लिया गया अल्बर्ट फॉन कोल्लिकर के हाथ का एक्स-रे आयुर्विज्ञान में मानव शरीर का स्वास्थ्य और उपचार मुख्यतः देखा जाता है। इसके लिये शरीर के कई परीक्षण किये जाते हैं। इन्हें चिकित्सकीय परीक्षण (Medical test) कहा जाता है। ये कई प्रकार के होते हैं.

नई!!: नैदानिक परीक्षण और चिकित्सकीय परीक्षण · और देखें »

टीका

टीका का हिन्दी में दो अर्थों में प्रयोग किया जाता है- १) भाष्य (commentary) २) टीकाकरण (vaccination) श्रेणी:बहुविकल्पी शब्द.

नई!!: नैदानिक परीक्षण और टीका · और देखें »

भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

नई!!: नैदानिक परीक्षण और भारत · और देखें »

महात्मा गांधी

मोहनदास करमचन्द गांधी (२ अक्टूबर १८६९ - ३० जनवरी १९४८) भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले १९१५ में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था।। उन्हें बापू (गुजराती भाषा में બાપુ बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने ६ जुलाई १९४४ को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष २ अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। सबसे पहले गान्धी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना शुरू किया। १९१५ में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्‍यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में १९३० में नमक सत्याग्रह और इसके बाद १९४२ में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रखे। .

नई!!: नैदानिक परीक्षण और महात्मा गांधी · और देखें »

शल्यचिकित्सा

अति प्राचीन काल से ही चिकित्सा के दो प्रमुख विभाग चले आ रहे हैं - कायचिकित्सा (Medicine) एवं शल्यचिकित्सा (Surgery)। इस आधार पर चिकित्सकों में भी दो परंपराएँ चलती हैं। एक कायचिकित्सक (Physician) और दूसरा शल्यचिकित्सक (Surgeon)। यद्यपि दोनों में ही औषधो पचार का न्यूनाधिक सामान्यरूपेण महत्व होने पर भी शल्यचिकित्सा में चिकित्सक के हस्तकौशल का महत्व प्रमुख होता है, जबकि कायचिकित्सा का प्रमुख स्वरूप औषधोपचार ही होता है। .

नई!!: नैदानिक परीक्षण और शल्यचिकित्सा · और देखें »

विटामिन

फल एवं शब्जियाँ विटामिन के अच्छे स्रोत हैं। विटामिन (vitamin) या जीवन सत्व भोजन के अवयव हैं जिनकी सभी जीवों को अल्प मात्रा में आवश्यकता होती है। रासायनिक रूप से ये कार्बनिक यौगिक होते हैं। उस यौगिक को विटामिन कहा जाता है जो शरीर द्वारा पर्याप्त मात्रा में स्वयं उत्पन्न नहीं किया जा सकता बल्कि भोजन के रूप में लेना आवश्यक हो।विटामिन और उनकी कमी से होने वाले रोग – Vitamins and Their Deficiency Diseases |Sr No |विटामिन |कमी से होन वाले रोग |- |1 |विटामिन – ए |रतौंधी, संक्रमणों का खतरा, जीरोप्‍थैलमिया |- |2 |विटामिन – बी 1 |बेरी-बेरी |- |3 |विटामिन – बी 2 |त्‍वचा का फटना, आखों का लाल होना |- |4 |विटामिन – बी 3 |त्‍वचा पर दाद होना |- |5 |विटामिन – बी 5 |बाल सफेद होना, मंदबुद्धि होना |- |6 |विटामिन – बी 6 |एनिमिया, त्‍वचा रोग |- |7 |विटा‍मिन – बी 7 |लकवा, शरीर में दर्द, बालों का गिरना |- |8 |विटामिन – बी 11 |एनिमिया, पेचिश रोग |- |9 |विटामिन – सी |एनिमिया, पांडुरोग |- |10 |विटामिन – डी |रिकेट्स, ऑस्टियोमलेशिया |- |11 |विटामिन – ई |जनन शक्ति का कम होना |- |12 |विटामिन – के |रक्‍त का थक्‍का न जमना | .

नई!!: नैदानिक परीक्षण और विटामिन · और देखें »

विकिरण चिकित्सा

आयनकारी विकिरण का उपयोग करके की जाने वाली चिकित्सा विकिरण चिकित्सा (Radiation therapy या radiation oncology, या radiotherapy) कहलाती है। यह प्रायः कैंसर के उपचार में खराब (malignant) कोशिकाओं को मारने के काम आती है। .

नई!!: नैदानिक परीक्षण और विकिरण चिकित्सा · और देखें »

औषधि

thumb औषधि वह पदार्थ है जिन की निश्चित मात्रा शरीर में निश्चित प्रकार का असर दिखाती है। इनका प्रयोजन चिकित्सा में होता है। किसी भी पदार्थ को औषधि के रूप में प्रयोग करके के लिए उस पदार्थ का गुण, मात्रा अनुसार व्यवहार, शरीर पर विभिन्न मात्राओं में होने वाला प्रभाव आदि की जानकारी अपरिहार्य है। औषधियाँ रोगों के इलाज में काम आती हैं। प्रारंभ में औषधियाँ पेड़-पौधों, जीव जंतुओं से आयुर्वेद के अनुसार प्राप्त की जाती थीं, लेकिन जैसे-जैसे रसायन विज्ञान का विस्तार होता गया, नए-नए तत्वों की खोज हुई तथा उनसे नई-नई औषधियाँ कृत्रिम विधि से तैयार की गईं। .

नई!!: नैदानिक परीक्षण और औषधि · और देखें »

अनुसंधान

जर्मनी का 'सोन' (Sonne) नामक अनुसन्धान-जलयान व्यापक अर्थ में अनुसंधान (Research) किसी भी क्षेत्र में 'ज्ञान की खोज करना' या 'विधिवत गवेषणा' करना होता है। वैज्ञानिक अनुसंधान में वैज्ञानिक विधि का सहारा लेते हुए जिज्ञासा का समाधान करने की कोशिश की जाती है। नवीन वस्तुओं कि खोज और पुराने वस्तुओं एवं सिद्धान्तों का पुन: परीक्षण करना, जिससे की नए तथ्य प्राप्त हो सके, उसे शोध कहते हैं। गुणात्मक तथा मात्रात्मक शोध इसके प्रमुख प्रकारों में से एक है। वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में उच्च शिक्षा की सहज उपलब्धता और उच्च शिक्षा संस्थानों को शोध से अनिवार्य रूप से जोड़ने की नीति ने शोध की महत्ता को बढ़ा दिया है। आज शैक्षिक शोध का क्षेत्र विस्तृत और सघन हुआ है। .

नई!!: नैदानिक परीक्षण और अनुसंधान · और देखें »

अफ़्रीका

अफ़्रीका वा कालद्वीप, एशिया के बाद विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह 37°14' उत्तरी अक्षांश से 34°50' दक्षिणी अक्षांश एवं 17°33' पश्चिमी देशान्तर से 51°23' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। अफ्रीका के उत्तर में भूमध्यसागर एवं यूरोप महाद्वीप, पश्चिम में अंध महासागर, दक्षिण में दक्षिण महासागर तथा पूर्व में अरब सागर एवं हिन्द महासागर हैं। पूर्व में स्वेज भूडमरूमध्य इसे एशिया से जोड़ता है तथा स्वेज नहर इसे एशिया से अलग करती है। जिब्राल्टर जलडमरूमध्य इसे उत्तर में यूरोप महाद्वीप से अलग करता है। इस महाद्वीप में विशाल मरुस्थल, अत्यन्त घने वन, विस्तृत घास के मैदान, बड़ी-बड़ी नदियाँ व झीलें तथा विचित्र जंगली जानवर हैं। मुख्य मध्याह्न रेखा (0°) अफ्रीका महाद्वीप के घाना देश की राजधानी अक्रा शहर से होकर गुजरती है। यहाँ सेरेनगेती और क्रुजर राष्‍ट्रीय उद्यान है तो जलप्रपात और वर्षावन भी हैं। एक ओर सहारा मरुस्‍थल है तो दूसरी ओर किलिमंजारो पर्वत भी है और सुषुप्‍त ज्वालामुखी भी है। युगांडा, तंजानिया और केन्या की सीमा पर स्थित विक्टोरिया झील अफ्रीका की सबसे बड़ी तथा सम्पूर्ण पृथ्वी पर मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झीलहै। यह झील दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील के पानी का स्रोत भी है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी महाद्वीप में सबसे पहले मानव का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्‍यता की जन्‍मभूमि माना जाता है। यहाँ विश्व की दो प्राचीन सभ्यताओं (मिस्र एवं कार्थेज) का भी विकास हुआ था। अफ्रीका के बहुत से देश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए हैं एवं सभी अपने आर्थिक विकास में लगे हुए हैं। अफ़्रीका अपनी बहुरंगी संस्कृति और जमीन से जुड़े साहित्य के कारण भी विश्व में जाना जाता है। .

नई!!: नैदानिक परीक्षण और अफ़्रीका · और देखें »

उपयोगितावाद

उपयोगितावाद (Utilitarianism) एक आचार सिद्धांत है जिसकी एकांतिक मान्यता है कि आचरण (action) एकमात्र तभी नैतिक है जब वह अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम सुख की अभिवृद्धि करता है। राजनीतिक तथा अन्य क्षेत्रों में इसका संबंध मुख्यत: बेंथम (1748-1832) तथा जान स्टुअर्ट मिल (1806-73) से रहा है। परंतु इसका इतिहास और प्राचीन है, ह्यूम जैसे दार्शनिकों के विचारों से प्रभावित, जो उदारता को ही सबसे महान गुण मानते थे तथा व्यक्तिविशेष के व्यवहार से दूसरों के सुख में वृद्धि ही उदारता का मापदंड समझते थे। उपयोगितावाद के संबंध में प्राय: कुछ अस्पष्ट ओछी धारणाएँ हैं। इसके आलोचकों का कहना है कि यह सिद्धांत, सुंदरता, शालीनता एवं विशिष्टता की उपेक्षा कर केवल उपयोगिता को महत्व देता है। पूर्वपक्ष का इसपर यह आरोप है कि यह केवल लौकिक स्वार्थ को महत्व देता है। किंतु ऐसी आलोचना सर्वथा समुचित नहीं कही जा सकती। ड .

नई!!: नैदानिक परीक्षण और उपयोगितावाद · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »