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जलगैस

सूची जलगैस

जलगैस प्रतिक्रिया का समीकरण। मोटे अक्षरजलगैस (Water gas) एक कृत्रिम गैस (synthesis gas) है। इसमें कार्बन मोनोआक्साइड और हाइड्रोजन मिश्रित होती है। कोयला गैस के साथ मिलाकर जलगैस ईंधन में काम आती है। इससे बड़ी मात्रा में हाइड्रोजन तैयार होती है और पेट्रोलियम तथा मेथिल ऐलकोहल का संश्लेषण भी होता है। यह बहुत उपयोगी है किन्तु इसके प्रयोग में विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है क्योंकि जलगैस कार्बन मोनोक्साइड के कारण प्रबल विषाक्त होती है। कोई गंध न हेने के कारण विष की भयंकरता बढ़ जाती है। इसकी ज्वाला बड़ी गरम होती है। ताप 1,600 डिग्री सें.

9 संबंधों: नाइट्रोजन, भाप, हाइड्रोजन, गंधक, गैसनिर्माण, कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, कोयला गैस, उत्पादक गैस

नाइट्रोजन

नाइट्रोजन (Nitrogen), भूयाति या नत्रजन एक रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक N है। इसका परमाणु क्रमांक 7 है। सामान्य ताप और दाब पर यह गैस है तथा पृथ्वी के वायुमण्डल का लगभग 78% नाइट्रोजन ही है। यह सर्वाधिक मात्रा में तत्व के रूप में उपलब्ब्ध पदार्थ भी है। यह एक रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन और प्रायः अक्रिय गैस है। इसकी खोज 1772 में स्कॉटलैण्ड के वैज्ञनिक डेनियल रदरफोर्ड ने की थी। आवर्त सारणी के १५ वें समूह का प्रथम तत्व है। नाइट्रोजन का रसायन अत्यंत मनोरंजक विषय है, क्योंकि समस्त जैव पदार्थों में इस तत्व का आवश्यक स्थान है। इसके दो स्थायी समस्थानिक, द्रव्यमान संख्या 14, 15 ज्ञात हैं तथा तीन अस्थायी समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 13, 16, 17) भी बनाए गए हैं। नाइट्रोजन तत्व की पहचान सर्वप्रथम 1772 ई. में रदरफोर्ड और शेले ने स्वतंत्र रूप से की। शेले ने उसी वर्ष यह स्थापित किया कि वायु में मुख्यत: दो गैसें उपस्थित हैं, जिसमें एक सक्रिय तथा दूसरी निष्क्रिय है। तभी प्रसिद्ध फ्रांसीसी वैज्ञानिक लाव्वाज़्ये ने नाइट्रोजन गैस को ऑक्सीजन (सक्रिय अंश) से अलग कर इसका नाम 'ऐजोट' रखा। 1790 में शाप्टाल (Chaptal) ने इसे नाइट्रोजन नाम दिया। .

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भाप

सौ डिग्री सेंट्रिग्रेड से अधिक गरम किसी वस्तु पर जल डालने से अचानक भाप पैदा होता है। पानी की गैसीय अवस्था या जलवाष्प को भाप (steam) कहते हैं। शुष्क भाप अदृश्य होती है, परंतु जब भाप में जल की छोटी-छोटी बूँदें मिली होती हैं तब उसका रंग सफेद होता है, जैसा रेल के इंजन से निकलती भाप में स्पष्ट दिखाई देता है। जब भाप में जल की बूँदे उपस्थित होती हैं, तो इसे 'आर्द्र भाप' (wet steam) कहते हैं। यदि जल की बूँदों का सर्वथा अभाव हो तो यह 'शुष्क भाप' (dry steam) कहलाती है। .

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हाइड्रोजन

हाइड्रोजन पानी का एक महत्वपूर्ण अंग है शुद्ध हाइड्रोजन से भरी गैस डिस्चार्ज ट्यूब हाइड्रोजन (उदजन) (अंग्रेज़ी:Hydrogen) एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्त सारणी का सबसे पहला तत्व है जो सबसे हल्का भी है। ब्रह्मांड में (पृथ्वी पर नहीं) यह सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। तारों तथा सूर्य का अधिकांश द्रव्यमान हाइड्रोजन से बना है। इसके एक परमाणु में एक प्रोट्रॉन, एक इलेक्ट्रॉन होता है। इस प्रकार यह सबसे सरल परमाणु भी है। प्रकृति में यह द्विआण्विक गैस के रूप में पाया जाता है जो वायुमण्डल के बाह्य परत का मुख्य संघटक है। हाल में इसको वाहनों के ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर सकने के लिए शोध कार्य हो रहे हैं। यह एक गैसीय पदार्थ है जिसमें कोई गंध, स्वाद और रंग नहीं होता है। यह सबसे हल्का तत्व है (घनत्व 0.09 ग्राम प्रति लिटर)। इसकी परमाणु संख्या 1, संकेत (H) और परमाणु भार 1.008 है। यह आवर्त सारणी में प्रथम स्थान पर है। साधारणतया इससे दो परमाणु मिलकर एक अणु (H2) बनाते है। हाइड्रोजन बहुत निम्न ताप पर द्रव और ठोस होता है।।इण्डिया वॉटर पोर्टल।०८-३०-२०११।अभिगमन तिथि: १७-०६-२०१७ द्रव हाइड्रोजन - 253° से.

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गंधक

हल्के पीले रंग के गंधक के क्रिस्टल गंधक (Sulfur) एक रासायनिक अधातुक तत्त्व है। .

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गैसनिर्माण

गैसनिर्माण दो उद्देश्यों से होता है। कुछ गैसें प्रकाश उत्पन्न करने के लिये बनाई जाती हैं। ऐसी गैसों को "प्रदीपक गैस" कहते हैं। कुछ गैसें ईंधन के लिये बनाई जाती हैं। ऐसी गैसों को "तापन गैस" कहते हैं। दोनों किस्म की गैसें "दाह्म गैस" हैं। इन्हें "औद्योगिक गैस" भी कहते हैं। गैसनिर्माण के एक संयंत्र की रूपरेखा (IGCC .

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कार्बन डाईऑक्साइड

कार्बन डाइआक्साइड (Carbon dioxide) (रासायनिक सूत्र CO2) एक रंगहीन तथा गन्धहीन गैस है जो पृथ्वी पर जीवन के लिये अत्यावश्यक है। धरती पर यह प्राकृतिक रूप से पायी जाती है। धरती के वायुमण्डल में यह गैस आयतन के हिसाब से लगभग 0.03 प्रतिशत होती है। कार्बन डाईऑक्साइड कार्बन डाइआक्साइड का निर्माण आक्सीजन के दो परमाणु तथा कार्बन के एक परमाणु से मिलकर हुआ है। सामान्य तापमान तथा दबाव पर यह गैसीय अवस्था में रहती है। वायुमंडल में यह गैस 0.03% 0.04% तक पाई जाती है, परन्तु मौसम में परिवर्तन के साथ वायु में इसकी सान्द्रता भी थोड़ी परिवर्तित होती रहती है। यह एक ग्रीनहाउस गैस है, क्योंकि सूर्य से आने वाली किरणों को तो यह पृथ्वी के धरातल पर पहुंचने देती है परन्तु पृथ्वी की गर्मी जब वापस अंतरिक्ष में जाना चाहती है तो यह उसे रोकती है। पृथ्वी के सभी सजीव अपनी श्वसन की क्रिया में कार्बन डाइआक्साइड का त्याग करते है। जबकि हरे पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते समय इस गैस को ग्रहण करके कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं। इस प्रकार कार्बन डाइआक्साइड कार्बन चक्र का प्रमुख अवयव है। कार्बन के रासायनिक यौगिकों को कार्बनिक यौगिक कहते हैं। प्रकृति में इनकी संख्या 10 लाख से भी अधिक है। जीवन पद्धति में कार्बनिक यौगिकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। इनमें कार्बन के साथ-साथ हाइड्रोजन भी रहता है। ऐतिहासिक तथा परंपरा गत कारणों से कुछ कार्बन के यौगकों को कार्बनिक यौगिकों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इनमें कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड प्रमुख हैं। सभी जैव अणु जैसे कार्बोहाइड्रेट, अमीनो अम्ल, प्रोटीन, आरएनए तथा डीएनए कार्बनिक यौगिक ही हैं। कार्बन और हाइड्रोजन के यौगिको को हाइड्रोकार्बन कहते हैं। मेथेन (CH4) सबसे छोटे अणुसूत्र का हाइड्रोकार्बन है। ईथेन (C2H6), प्रोपेन (C3H8) आदि इसके बाद आते हैं, जिनमें क्रमश: एक एक कार्बन जुड़ता जाता है। हाइड्रोकार्बन तीन श्रेणियों में विभाजित किए जा सकते हैं: ईथेन श्रेणी, एथिलीन श्रेणी और ऐसीटिलीन श्रेणी। ईथेन श्रेणी के हाइड्रोकार्बन संतृप्त हैं, अर्थात्‌ इनमें हाइड्रोजन की मात्रा और बढ़ाई नहीं जा सकती। एथिलीन में दो कार्बनों के बीच में एक द्विबंध (.

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कार्बन मोनोआक्साइड

कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) (अंग्रेजी:Carbon monoxide) एक रंगहीन गैस है। यह गैस हवा से थोड़ी हल्की होती है। ऊँची सांद्रता में यह मनुष्यों और जानवरों के लिए विषाक्त होती है, हालाँकि कम मात्रा में यह कुछ सामान्य जैविक कार्यों के लिए उपयोगी साबित होती है। .

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कोयला गैस

प्रदीपक गैसों में पहली गैस "कोयला गैस" थी। कोयला गैस कोयले के भंजक आसवन या कार्बनीकरण से प्राप्त होती है। एक समय कोक बनाने में उपजात के रूप में यह प्राप्त होती थी। पीछे केवल गैस की प्राप्ति के लिये ही कोयले का कार्बनीकरण होता है। आज भी केवल गैस की प्राप्ति के लिये कोयले का कार्बनीकरण होता है। कोयले का कार्बनीकरण पहले पहल ढालवाँ लोहे के भमके में लगभग 600 डिग्री सें.

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उत्पादक गैस

प्रगती उत्पाद्क गैस् उत्पादक गैस उत्पादक गैस (Producer gas) का उपयोग उद्योग धंधों में दिन दिन बढ़ रहा है। भट्ठे और भट्ठियों, विशेषत: लोहे और इस्पात तथा काँच की भट्ठियों, भभकों और गैस इंजनों को गरम करने में उत्पादक गैस का ही आजकल व्यवहार होता है। कोयले के उत्तापदीप्त तल पर भाप और वायु के मिश्रण के प्रवाह से उत्पादक गैस बनती है। इसमें कार्बन मोनोक्साइड, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइ-आक्साइड और मेथेन रहते हैं। गैस में थोड़ा, आयतन में 0.10 से 0.15 प्रति शत तक, हाइड्रोजन सल्फाइड रहता है। प्रति टन कोयले से प्राप्त होनेवाली गैस की मात्रा कोयले की राख और जल पर निर्भर करती है। ऐंथ्रेसाइट से अधिक गैस प्राप्त होती है, पर उसका कलरीमान कम होता है। गैस जनित्र में बनती है। जनित्र अचल अयांत्रिक, अचल अर्धयांत्रिक अथवा यांत्रिक होते हैं। भाप बायलर में अथवा अन्य प्रकार के वाष्पकों आदि में बनती है। अच्छी गैस के लिय ईंधन का ताप कम से कम 1000 डिग्री सें.

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