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नीला थोथा

सूची नीला थोथा

नीला थोथा या तूतिया या कॉपर सल्फेट अकार्बनिक यौगिक है जिसका रासायनिक सूत्र CuSO4 है। इसे 'क्युप्रिक सल्फेट' भी कहते हैं। कॉपर सल्फेट कई यौगिकों के रूप में पाया जाता है जिनमें क्रिस्टलन जल की मात्रा अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिये इसका सूखा (अजलीय) क्रिस्टल सफेद या हल्के पीले-हरे रंग का होता है जबकि पेंटाहाइड्रेट (CuSO4·5H2O) चमकीले नीले रंग का होता है। इसका पेन्टाहाइड्रेट रूप ही सर्वाधिक पाया जाने वाला रूप है। कॉपर सल्फेट, कॉपर का सबसे अधिक पाया जाने वाला यौगिक है। .

6 संबंधों: ताम्र, नीला थोथा, प्रयोगशाला, रासायनिक यौगिक, गन्धकाम्ल, क्रिस्टलन जल

ताम्र

तांबा (ताम्र) एक भौतिक तत्त्व है। इसका संकेत Cu (अंग्रेज़ी - Copper) है। इसकी परमाणु संख्या 29 और परमाणु भार 63.5 है। यह एक तन्य धातु है जिसका प्रयोग विद्युत के चालक के रूप में प्रधानता से किया जाता है। मानव सभ्यता के इतिहास में तांबे का एक प्रमुख स्थान है क्योंकि प्राचीन काल में मानव द्वारा सबसे पहले प्रयुक्त धातुओं और मिश्रधातुओं में तांबा और कांसे (जो कि तांबे और टिन से मिलकर बनता है) का नाम आता है। .

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नीला थोथा

नीला थोथा या तूतिया या कॉपर सल्फेट अकार्बनिक यौगिक है जिसका रासायनिक सूत्र CuSO4 है। इसे 'क्युप्रिक सल्फेट' भी कहते हैं। कॉपर सल्फेट कई यौगिकों के रूप में पाया जाता है जिनमें क्रिस्टलन जल की मात्रा अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिये इसका सूखा (अजलीय) क्रिस्टल सफेद या हल्के पीले-हरे रंग का होता है जबकि पेंटाहाइड्रेट (CuSO4·5H2O) चमकीले नीले रंग का होता है। इसका पेन्टाहाइड्रेट रूप ही सर्वाधिक पाया जाने वाला रूप है। कॉपर सल्फेट, कॉपर का सबसे अधिक पाया जाने वाला यौगिक है। .

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प्रयोगशाला

उन्नीसवीं शताब्दी के भौतिकशास्त्री एवं रसायनज्ञ माइकल फैराडे अपनी प्रयोगशाला में जैव रसायन प्रयोगशाला प्रयोगशाला एक ऐसी सुविधा (कक्ष, भवन या स्थान) को कहते हैं, जो वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रयोग एवं मापन के लिए आवश्यक माहौल प्रदान करता है। .

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रासायनिक यौगिक

दो या अधिक तत्व जब भार के अनुसार एक निश्चित अनुपात में रासायनिक बन्ध द्वारा जुड़कर जो पदार्थ बनाते हैं उसे रासायनिक यौगिक (chemical compound) कहते हैं। उदाहरण के लिये जल, साधारण नमक, गंधक का अम्ल आदि रासायनिक यौगिक हैं। .

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गन्धकाम्ल

गन्धकाम्ल (सल्फ्युरिक एसिड) एक तीव्र अकार्बनिक अम्ल है। प्राय: सभी आधुनिक उद्योगों में गन्धकाम्ल अत्यावश्यक होता है। अत: ऐसा माना जाता है कि किसी देश द्वारा गन्धकाम्ल का उपभोग उस देश के औद्योगीकरण का सूचक है। गन्धकाम्ल के विपुल उपभोगवाले देश अधिक समृद्ध माने जाते हैं। शुद्ध गन्धकाम्ल रंगहीन, गंधहीन, तेल जैसा भारी तरल पदार्थ है जो जल में हर परिमाण में विलेय है। इसका उपयोग प्रयोगशाला में प्रतिकारक के रूप में तथा अनेक रासायनिक उद्योगों में विभिन्न रासायनिक पदार्थों के संश्लेषण में होता है। बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन करने के लिए सम्पर्क विधि का प्रयोग किया जाता है जिसमें गन्धक को वायु की उपस्थिति में जलाकर विभिन्न प्रतिकारकों से क्रिया कराई जाती है। खनिज अम्लों में सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला यह महत्त्वपूर्ण अम्ल है। प्राचीन काल में हराकसीस (फेरस सल्फेट) के द्वारा तैयार गन्धक द्विजारकिक गैस को जल में घोलकर इसे तैयार किया गया। यह तेल जैसा चिपचिपा होता है। इन्ही कारणों से प्राचीन काल में इसका नाम 'आयँल ऑफ विट्रिआँल' रखा गया था। हाइड्रोजन, गन्धक तथा जारक तीन तत्वों के परमाणुओं द्वारा गन्धकाम्ल के अणु का संश्लेषण होता है। आक्सीजन युक्ति होने के कारण इस अम्ल को 'आक्सी अम्ल' कहा जाता है। इसका अणुसूत्र H2SO4 है तथा अणु भार ९८ है। गन्धकाम्ल प्राचीनकाल के कीमियागर एवं रसविद् आचार्यों को गन्धकाम्ल के संबंध में बहुत समय से पता था। उस समय हरे कसीस को गरम करने से यह अम्ल प्राप्त होता था। बाद में फिटकरी को तेज आँच पर गरम करने से भी यह अम्ल प्राप्त होने लगा। प्रारंभ में गन्धकाम्ल चूँकि हरे कसीस से प्राप्त होता था, अत: इसे "कसीस का तेल' कहा जाता था। तेल शब्द का प्रयोग इसलिए हुआ कि इस अम्ल का प्रकृत स्वरूप तेल सा है। .

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क्रिस्टलन जल

क्रिस्टल के अन्दर विद्यमान जल को क्रिस्टलन जल (water of crystallization या water of hydration या crystallization water) कहते हैं। क्रिस्टल बनने के लिये जल प्रायः आवश्यक होता है। कुछ सन्दर्भों में, किसी दिये हुए ताप पर, किसी पदार्थ में उपस्थित जल की कुल मात्रा को क्रिस्टलन जल कहते हैं। जल की यह मात्रा एक निश्चित अनुपात में होती है।;उदाहरण.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

तूतिया, नीलाथोथा, कापर(II) सल्फेट, कॉपर सल्फेट

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