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नीनवा प्रान्त

सूची नीनवा प्रान्त

नीनवा प्रान्त, जिसे अरबी में मुहाफ़ज़ात​ नीनवा कहते हैं, इराक़ का एक प्रान्त है। इस प्रान्त की राजधानी मोसुल शहर है। प्राचीन अश्शूर (असीरिया) संस्कृति का नीनवा शहर (Nineveh) इसी प्रान्त में स्थित है और मोसूल से दजला नदी (टिगरिस) के पार इसके खँडहर आज भी मिलते हैं। सन् १९७६ से पहले इस प्रान्त को 'मोसूल प्रान्त' कहा जाता था और आधुनिक दोहूक प्रान्त भी इसमें सम्मिलित था। .

17 संबंधों: दजला नदी, दोहूक प्रान्त, मुसलमान, मोसुल, यज़ीदी, लहजा (भाषाविज्ञान), शिया इस्लाम, सिंजार, सुन्नी इस्लाम, ईसाई, आशूरी भाषा, इराक़, इराक़ के प्रान्त, कुर्द लोग, कुर्दी भाषा, अरबी भाषा, अश्शूर

दजला नदी

टाइग्रिस-यूरोफ्रेटस नदी-घाटी दजला नदी, जिसे टाइग्रिस नदी भी कहते हैं, तुर्की के तोरोस पर्वतों के दक्षिणपूर्वी भाग से निकलकर तुर्की तथा इराक़ में दक्षिण दक्षिण-पूर्व की ओर १,८४० किमी तक बहने के पश्चात् फ़ुरात नदी में कुराना नामक स्थान पर मिलती है। इस संगमस्थल से ये दोनों नदियाँ शौतिल अरब नाम से १९२ किमी दक्षिण पूर्व में बहकर फ़ारस की खाड़ी में गिरती हैं। दजला नदी अपने ऊपरी भाग में तीव्रगामी है, अत: इसे यहाँ केवल हलकी नावों द्वारा पार किया जाता है। इसके तट पर बसरा, बगदाद और मोसुल प्रमुख नगर स्थित हैं। .

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दोहूक प्रान्त

दोहूक प्रान्त (अरबी) या दिहोक प्रान्त (कुर्दी) या दुहोक प्रान्त इराक़ का एक प्रान्त है। अरबील प्रान्त और सुलयमानियाह प्रान्त के साथ यह प्रान्त भी इराक़ के स्वशासित कुर्दिस्तान क्षेत्र में आता है जहाँ कुर्दी लोगों की अपनी कुर्दिस्तान क्षेत्रीय सरकार चलती है। सन् १९७६ से पहले दोहूक प्रान्त और नीनवा प्रान्त दोनों एक साथ भूतपूर्व 'मोसुल प्रान्त' का हिस्सा थे। दोहूक प्रान्त की तुर्की के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा है और इराक़-तुर्की सरहद पर स्थित ज़ाख़ो शहर इसी प्रान्त में आता है। .

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मुसलमान

मिसरी (ईजिप्ट) मुस्लिमान नमाज़ पढ रहे हैं, एक तस्वीर। मुसलमान (अरबी: مسلم، مسلمة फ़ारसी: مسلمان،, अंग्रेजी: Muslim) का मतलब वह व्यक्ति है जो इस्लाम में विश्वास रखता हो। हालाँकि मुसलमानों के आस्था के अनुसार इस्लाम ईश्वर का धर्म है और धर्म हज़रत मुहम्मद से पहले मौजूद था और जो लोग अल्लाह के धर्म का पालन करते रहे वह मुसलमान हैं। जैसे कुरान के अनुसार हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम भी मुसलमान थे। मगर आजकल मुसलमान का मतलब उसे लिया जाता है जो हज़रत मुहम्मद लाए हुए दीन का पालन करता हो और विश्वास रखता हो। मध्यकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने भारत को हिन्द अथवा हिन्दुस्तान कहा है । .

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मोसुल

मोसुल में दजला नदी पर एक पुल मोसुल (अरबी:, अल-मोसुल; अंग्रेज़ी: Mosul) उत्तरी इराक़ का एक शहर है और उस देश के नीनवा प्रान्त की राजधानी है। बग़दाद से ४०० किमी पश्चिमोत्तर में स्थित यह शहर दजला नदी के किनारे बसा हुआ है। नदी की पश्चिमी तरफ़ प्राचीन असीरियाई साम्राज्य के नीनवा शहर के खँडहर मौजूद हैं। आधुनिक मोसुल शहर नदी के दोनों तरफ़ विस्तृत है और पाँच पुलों से जुड़ा हुआ है। आबादी के हिसाब से बग़दाद के बाद यह इराक़ का दूसरा सबसे बड़ा नगर है।, Ali Aldosari, pp.

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यज़ीदी

लालिश स्थित शेख आदि इब्न मुसाफिर की दरगाह यज़ीदी या येज़ीदी (कुर्दी: या Êzidî, अंग्रेज़ी: Yazidi) कुर्दी लोगों का एक उपसमुदाय है जिनका अपना अलग यज़ीदी धर्म है। इस धर्म में वह पारसी धर्म के बहुत से तत्व, इस्लामी सूफ़ी मान्यताओं और कुछ ईसाई विश्वासों के मिश्रण को मानते हैं। इस धर्म की शुरुआत १२वीं सदी ईसवी में शेख़ अदी इब्न मुसाफ़िर ने की और इसके अनुसार ईश्वर ने दुनिया का सृजन करने के बाद इसके देख-रेख सात फरिश्तों के सुपुर्द करी जिनमें से प्रमुख को 'मेलेक ताऊस', यानि 'मोर (पक्षी) फ़रिश्ता' है। अधिकतर यज़ीदी लोग पश्चिमोत्तरी इराक़ के नीनवा प्रान्त में बसते हैं, विशेषकर इसके सिंजार क्षेत्र में। इसके अलावा यज़ीदी समुदाय दक्षिणी कॉकस, आर्मेनिया, तुर्की और सीरिया में भी मिलते हैं। .

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लहजा (भाषाविज्ञान)

भाषाविज्ञान में लहजा (अंग्रेज़ी: accent, एक्सेंट) बोलचाल में उच्चारण के उस तरीक़े को कहते हैं जिसका किसी व्यक्ति, स्थान, समुदाय या देश से विशेष सम्बन्ध हो। उदहारण के तौर पर कुछ दक्षिण-पूर्वी हिंदी क्षेत्र के ग्रामीण स्थानों में लोग 'श' की जगह पर 'स' बोलते हैं, जिसकी वजह से वह 'शहर' और 'अशोक' की जगह 'सहर' और 'असोक' बोलतें हैं - इसे उस क्षेत्र का देहाती लहजा कहा जा सकता है। व्यक्तिगत स्तर पर तुतलाने को भी एक बोलने का लहजा कहा जा सकता है।, Anne Betten et al (editors), pp.

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शिया इस्लाम

अरबी लिपि में लिखा शब्द-युग्म "मुहम्मद अली" इस शिया विश्वास को दिखाता है कि मुहम्मद और अली में निष्ठा दिखाना एक समान ही है। इसको उलटा घुमा देने पर यह "अली मुहम्मद" बन जाता है। शिया एक मुसलमान सम्प्रदाय है। सुन्नी सम्प्रदाय के बाद यह इस्लाम का दूसरा सबसे बड़ा सम्प्रदाय है जो पूरी मुस्लिम आबादी का केवल १५% है। सन् ६३२ में हजरत मुहम्मद की मृत्यु के पश्चात जिन लोगों ने अपनी भावना से हज़रत अली को अपना इमाम (धर्मगुरु) और ख़लीफा (नेता) चुना वो लोग शियाने अली (अली की टोली वाले) कहलाए जो आज शिया कहलाते हैं। लेकिन बहोत से सुन्नी इन्हें "शिया" या "शियाने अली" नहीं बल्कि "राफज़ी" (अस्वीकृत लोग) नाम से बुलाते हैं ! इस धार्मिक विचारधारा के अनुसार हज़रत अली, जो मुहम्मद साहब के चचेरे भाई और दामाद दोनों थे, ही हजरत मुहम्मद साहब के असली उत्तराधिकारी थे और उन्हें ही पहला ख़लीफ़ा (राजनैतिक प्रमुख) बनना चाहिए था। यद्यपि ऐसा हुआ नहीं और उनको तीन और लोगों के बाद ख़लीफ़ा, यानि प्रधान नेता, बनाया गया। अली और उनके बाद उनके वंशजों को इस्लाम का प्रमुख बनना चाहिए था, ऐसा विशवास रखने वाले शिया हैं। सुन्नी मुसलमान मानते हैं कि हज़रत अली सहित पहले चार खलीफ़ा (अबु बक़र, उमर, उस्मान तथा हज़रत अली) सतपथी (राशिदुन) थे जबकि शिया मुसलमानों का मानना है कि पहले तीन खलीफ़ा इस्लाम के गैर-वाजिब प्रधान थे और वे हज़रत अली से ही इमामों की गिनती आरंभ करते हैं और इस गिनती में ख़लीफ़ा शब्द का प्रयोग नहीं करते। सुन्नी मुस्लिम अली को (चौथा) ख़लीफ़ा भी मानते है और उनके पुत्र हुसैन को मरवाने वाले ख़लीफ़ा याजिद को कई जगहों पर पथभ्रष्ट मुस्लिम कहते हैं। इस सम्प्रदाय के अनुयायियों का बहुमत मुख्य रूप से इरान,इराक़,बहरीन और अज़रबैजान में रहते हैं। इसके अलावा सीरिया, कुवैत, तुर्की, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, ओमान, यमन तथा भारत में भी शिया आबादी एक प्रमुख अल्पसंख्यक के रूप में है। शिया इस्लाम के विश्वास के तीन उपखंड हैं - बारहवारी, इस्माइली और ज़ैदी। एक मशहूर हदीस मन्कुनतो मौला फ़ हा जा अली उन मौला, जो मुहम्मद साहब ने गदीर नामक जगह पर अपने आखरी हज पर खुत्बा दिया था, में स्पष्ट कह दिया था कि मुसलमान समुदाय को समुदाय अली के कहे का अनुसरण करना है। .

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सिंजार

सिंजार (अरबी:, कुर्दी: Şengal, सीरियाई: ܫܝܓܪ, अंग्रेज़ी: Sinjar) पश्चिमोत्तरी इराक़ के नीनवा प्रान्त का एक शहर है। यह सीरिया की सरहद के बहुत पास स्थित है। सिंजार में अधिकतर यज़ीदी लोग रहते हैं, हालांकि कुछ कुर्द, अरब और असीरियाई लोग भी हैं। इस शहर के आसपास के क्षेत्र को 'सिंजार मैदान' बुलाया जाता है और यहाँ के नज़दीक स्थित पहाड़ों को भी 'सिंजार पहाड़', या अरबी भाषा में 'जबल सिंजार', कहा जाता है। आधुनिक काल में सिंजार का इलाक़ा ही यज़ीदी समुदाय का प्रमुख केंद्र है।, Gabor Agoston, Bruce Alan Masters, pp.

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सुन्नी इस्लाम

सुन्नी मुस्लिम इस्लाम के सबसे बड़े सम्प्रदाय सुन्नी इस्लाम को मानने वाले मुस्लिम हैं। सुन्नी इस्लाम को अहले सुन्नत व'ल जमाअत (अरबी: أهل السنة والجماعة‎ "(मुहम्म्द के) आदर्श लोग और समुदाय") या संक्षिप्त में अहल अस- सुन्नाह (अरबी: أهل السنة‎) भी कहते हैं। सुन्नी शब्द अरबी के सुन्नाह (अरबी: سنة) से आया है, जिसका अर्थ (पैगम्बर मोहम्मद) की बातें और कर्म या उनके आदर्श है। सामान्य अर्थों में सुन्नी -पवित्र ईशसन्देश्टा मुहम्मद स० के निधन के पश्चात जिन लोगों ने मुहम्मद स० द्वारा बताये गये नियमों का पालन किया सुन्नी कहलाऐ। सुन्नी दुनिया में 80% हैं ये आंकड़ा 5 गिरोह को मिलाकर बनता हैं।.

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ईसाई

ईसाई वो व्यक्ति है जो ईसाई धर्म को मानता है। ईसाइयों कई साम्प्रदायों में बटे हैं, जैसे रोमन कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स। देखिये: ईसाई धर्म। श्रेणी:ईसाई धर्म.

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आशूरी भाषा

आशूरी (आशूरी: ܣܘܪܝܬ ܣܘܪܝܝܐ, सूरत-आशूरी) या असीरियाई नव-आरामाई (Assyrian Neo-Aramaic) पश्चिमोत्तरी ईरान, उत्तरी इराक़, पूर्वोत्तरी सीरिया और दक्षिणपूर्वी तुर्की में बसने वाले आशूरी (Assyrian) समुदाय के सदस्यों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। यह प्राचीन आरामाई भाषा की एक आधुनिक वंशज है। आशूरी लोग अब दुनिया भर में फैल चुके हैं इसलिए आशूरी भाषा बोलने वाले अब विश्वभर में मिलते हैं। इसे लिखने के लिए सीरियाई लिपि का एक रूप प्रयोग किया जाता है। .

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इराक़

इराक़ पश्चिमी एशिया में स्थित एक जनतांत्रिक देश है जहाँ के लोग मुख्यतः मुस्लिम हैं। इसके दक्षिण में सउदी अरब और कुवैत, पश्चिम में जोर्डन और सीरिया, उत्तर में तुर्की और पूर्व में ईरान अवस्थित है। दक्षिण पश्चिम की दिशा में यह फ़ारस की खाड़ी से भी जुड़ा है। दजला नदी और फरात इसकी दो प्रमुख नदियाँ हैं जो इसके इतिहास को ५००० साल पीछे ले जाती हैं। इसके दोआबे में ही मेसोपोटामिया की सभ्यता का उदय हुआ था। इराक़ के इतिहास में असीरिया के पतन के बाद विदेशी शक्तियों का प्रभुत्व रहा है। ईसापूर्व छठी सदी के बाद से फ़ारसी शासन में रहने के बाद (सातवीं सदी तक) इसपर अरबों का प्रभुत्व बना। अरब शासन के समय यहाँ इस्लाम धर्म आया और बगदाद अब्बासी खिलाफत की राजधानी रहा। तेरहवीं सदी में मंगोल आक्रमण से बगदाद का पतन हो गया और उसके बाद की अराजकता के सालों बाद तुर्कों (उस्मानी साम्राज्य) का प्रभुत्व यहाँ पर बन गया २००३ से दिसम्बर २०११ तक अमेरिका के नेतृत्व में नैटो की सेना की यहाँ उपस्थिति बनी हुई थी जिसके बाद से यहाँ एक जनतांत्रिक सरकार का शासन है। राजधानी बगदाद के अलावा करबला, बसरा, किर्कुक तथा नजफ़ अन्य प्रमुख शहर हैं। यहाँ की मुख्य बोलचाल की भाषा अरबी और कुर्दी भाषा है और दोनों को सांवैधानिक दर्जा मिला है। .

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इराक़ के प्रान्त

इराक़ में १८ प्रांत हैं जिन्हें मुहाफ़ज़ाह (अरबी:, अंग्रेज़ी: governorate) कहा जाता है, यानि वह क्षेत्र जो किसी राज्यपाल (governor) या हाफ़िज़ की निगरानी में रखे गए हों। इन प्रान्तों का ब्यौरा नीचे के विभाग दिया गया है और इनमें से तीन (अरबील, दोहूक, सुलयमानियाह) इराक़ी कुर्दिस्तान का हिस्सा माने जाते हैं और यहाँ पर क्षेत्रीय कुर्दी सरकार का स्वशासन है।, Kenneth Katzman, pp.

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कुर्द लोग

कुर्द लोग मुख्य रूप से उत्तरी इराक़, दक्षिणपूर्वी तुर्की तथा उत्तरी सीरिया में पाए जाते हैं। कुर्द लोगों से सम्बन्धित चीज़ों को भी कुर्द कहा जाता है। इनकी भाषा को कुर्द भाषा कहा जाता है। से लोग शिया बाहुल्य हैं किंतु अंकुर आनंद मिश्रा के अनुसार यें अब आधुनिक हो रहे हैं और सूफी शाखा का भी प्रवेश हो रहा है !!! .

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कुर्दी भाषा

कुर्दी भाषा का फैलाव (लाल रंग में, बाएं तरफ़) कुर्दी (Kurdî,, Kurdish) ईरान, तुर्की, ईराक़, सीरिया और दक्षिणी कॉकस क्षेत्र में रहने वाले कुर्दी लोगों की भाषा है। यह हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की हिन्द-ईरानी शाखा की ईरानी उपशाखा की एक सदस्य है। यह आधुनिक फ़ारसी भाषा से काफ़ी मिलती-जुलती है। दुनिया भर में कुर्दी बोलने वालों की संख्या १.६ करोड़ अनुमानित की गई है। तुर्की में इसे मातृभाषा या दूसरी भाषा बोलने वाले उस देश की कुल आबादी के लगभग १२% अनुमानित किये गए हैं। वास्तव में कुर्दी एक भाषा नहीं बल्कि बहुत सी कुर्दी उपभाषाओं का गुट है।, Stavroula Chrisdoulaki, GRIN Verlag, 2010, ISBN 978-3-640-76700-7,...

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अरबी भाषा

अरबी भाषा सामी भाषा परिवार की एक भाषा है। ये हिन्द यूरोपीय परिवार की भाषाओं से मुख़्तलिफ़ है, यहाँ तक कि फ़ारसी से भी। ये इब्रानी भाषा से सम्बन्धित है। अरबी इस्लाम धर्म की धर्मभाषा है, जिसमें क़ुरान-ए-शरीफ़ लिखी गयी है। .

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अश्शूर

अश्शूर प्राचीन मेसोपोटामिया में नव असीरियाई साम्राज्य की राजधानी थी। इस शहर के अवशेष इराक़ में दजला नदी के उपरी हिस्से में स्थित हैं। यह बीसवी सदी ईसापूर्व से लेकर सातवीं सदी ईसापूर्व तक अस्तित्व में था। इसके बाद फ़ारस के हख़ामनी वंश के शासकों के अधीन आ गया। यह शहर लगभग २६००-२५०० ईपू से १४०० ईसवी तक हराभरा व समृद्ध रहा। लेकिन जब तैमूरलंग ने अपने ही लोगों का नरसंहार शुरू करवा दिया तब से इस शहर का अस्तित्व खत्म होता रहा। अश्शूर इस शहर के प्रमुख देवता का भी नाम था। वह असीरिया में सबसे प्रमुख व शक्तिशाली देवता और असीरियाई साम्राज्य के संरक्षक माने जाते थे। वर्तमान में इस जगह को यूनेस्को विश्व धरोहर माना जाता है। २००३ में खाड़ी युद्ध शुरु होने के बाद इस जगह को खतरे में पडे विश्व धरोहरों में गिना जाने लगा। .

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निवर्तमानआने वाली
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