4 संबंधों: तारणपंथ, निसई जी सेमरखेड़ी, निसईजी मल्हारगढ़, पुष्पावति बिल्हेरी।
तारणपंथ
तारण पंथ, दिगंबर जैन धर्म का एक पंथ है। इसकी स्थापना संत तारण ने की थी। .
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निसई जी सेमरखेड़ी
यह तारणपंथ का तीर्थ क्षेत्र है।यह सिरोंज से सात व बासोदा से ४५ किलोमीटर दूर है।यह श्री गुरु तारण तरण मंडलाचार्य महाराज की दीक्षा स्थली साधना भूमि है।यहाँ प्रतिवर्ष बसंत पंचमी पर मेला महोत्सव होता है।यहाँ १५० सामान्य कमरे व ३० सर्वसुविधा युक्त कमरे हैं।यहाँ ५ अतिथिगृह भी हैं।यहाँ इन्हें जहर दिया जो अमृत बन गया।यहाँ मामा की हवेली,गुफाएं दर्शनीय हैं।यहाँ तारण पंथ का पहले बहुत प्रचार था।यहाँ इनको जहर दिया जो अमृत बन गया।.
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निसईजी मल्हारगढ़
बीना गुना लाइन पर मुंगावली तहसील से १४किलोमीटर दूर ग्राम मल्हारगढ़ में विशाल मंदिर व सर्वसुविधा युक्त धर्मशाला है।यहाँ स्वर्ण जड़ित वेदी पर मां जिनवाणी विराजमान हैं।यहाँ अभी तक कुल २५ मेले भरा चुके हैं।यह संत तारण का समाधि स्थल है। यहाँ प्रति वर्ष हजारों श्रद्धालु आते हैं।यहाँ से कुछ ही दूर बेतबा में टापू स्थित हैं। .
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पुष्पावति बिल्हेरी
कटनी से २० किलोमीटर दूर बिल्हेरी में विशाल मंदिर व धर्मशाला है। यह तारण स्वामी की जन्म भूमि है।यहां १५० कोठों की विशाल धर्मशाला है। .