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निर्वात नली

सूची निर्वात नली

आधुनिक निर्वात नलियाँ (अधिकांशतः लघु आकार वाली) इलेक्ट्रॉनिकी में निर्वात नली एक ऐसी युक्ति है जिसका कार्य निर्वात में विद्युत धारा के प्रवाह पर आधारित है। इसे एलेक्ट्रॉन नली (उत्तरी अमेरिका), तापायनिक वॉल्व (यूके में) या केवल 'ट्यूब' या 'वॉल्व' भी कहते हैं। इनमें एक तप्त फिलामेण्ट (कैथोड) से निकलने वाले एलेक्ट्रॉन निर्वात में गति करके एनोड पर पहुंचते हैं जो कैथोड की अपेक्षा अधिक वोल्टता पर रखा गया होता है। निर्वात नलियों के प्रादुर्भाव ने एलेक्ट्रॉनिकी के जन्म और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। .

11 संबंधों: एलेक्ट्रॉन नलिका, तापायनिक उत्सर्जन, निर्वात, निर्वात नली, निर्वात नली डायोड, प्रगामी तरंग नलिका, मैग्नेट्रॉन, विद्युत धारा, गैस नली, इलैक्ट्रॉनिक्स, क्लाइस्ट्रॉन

एलेक्ट्रॉन नलिका

एलेक्ट्रॉन नलिका (Electron tube) काँच या अन्य पदार्थ का नली से मिलता-जुलता संरचना है। इसमें एक एलेक्ट्रॉन का कोई स्रोत होता है जिससे निकलकर एलेक्ट्रॉन दूसरे प्लेट पर जाते हैं। इन एलेक्ट्रॉनों की संख्या, इनके वेग, इनकी उर्जा आदि को तरह-तरह से नियंत्रित किया जाता है। इस प्रकार बहुत सी युक्तियाँ एलेक्ट्रॉन नलिका का प्रयोग करके बनती हैं। उदाहरण के लिये, टेलिविजन मॉनिटर, कैथोड-किरण नलिका, निर्वात डायोड, ट्रायोड, थाइरेट्रॉन, मैग्नेट्रॉन, क्लाइस्ट्रॉन आदि। कुछ प्रकार की नलियों का उपयोग रेडियो-आवृत्ति-शक्ति (रेडियो फ्ऱीक्वेंसी पावर) उतपन्न करने में किया जाता है जिसका उपयोग रेडियो संग्राही (रिसीवर) तथा रेडियो प्रेषी (ट्रैंसमिटर) में किया जाता है। इन नलियों का उपयोग क्षीण संकेतों के प्रवर्धन (ऐंप्लिफ़िकेशन), ऋजुकरण (रेक्टिफ़िकेशन) तथा परिचयप्राप्तकरण (डिटेक्शन) में होता है। यह कहा जा सकता है कि साधारण इलेक्ट्रान नली की खोज ने ही रेडियो टेलीफोन, ध्वनिचित्र (बोलता सिनेमा), दूरवीक्षण (टेलिविज्हन), रेडियो आदि को जन्म दिया है। .

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तापायनिक उत्सर्जन

कम दाब वाले मर्करी गैस डिस्चार्ज लैम्प के तंतु (फिलामेंट) का पास से दृष्य; इसके केंद्रीय भाग पर तापायनिक उत्सर्जन में सहायता करने वाली सफेद रंग की लेप (कोटिंग) दिख रही है। '''डायोड ट्यूब में एडिशन प्रभाव''': डायोड नलिका को दो अलग-अलग प्रकार से जोड़ा गया है। द्रष्टव्य है कि एक स्थिति में तो प्लेट में धारा बह रही है जबकि दूसरी स्थिति में नहीं। इस चित्र में तीर का निशान एलेक्ट्रॉन-धारा की दिशा बता रहे हैं, न कि पारम्परिक धारा की दिशा अधिक ताप के कारण उत्पन्न आवेश-वाहकों (जैसे एलेक्ट्रॉन) का किसी सतह से या किसी स्थितिज-ऊर्जा बैरियर के विरुद्ध प्रवाह तापायनिक उत्सर्जन (Thermionic emission) कहलाता है। .

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निर्वात

निर्वात को प्रदर्शित करने हेतु एक पम्प जब आकाश (स्पेस) के किसी आयतन में कोई पदार्थ नहीं होता तो कहा जाता है कि वह आयतन निर्वात (वैक्युम्) है। निर्वात की स्थिति में गैसीय दाब, वायुमण्डलीय दाब की तुलना में बहुत कम होता है। किन्तु स्पेस का कोई भी आयतन पूर्णतः निर्वात हो ही नहीं सकता। .

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निर्वात नली

आधुनिक निर्वात नलियाँ (अधिकांशतः लघु आकार वाली) इलेक्ट्रॉनिकी में निर्वात नली एक ऐसी युक्ति है जिसका कार्य निर्वात में विद्युत धारा के प्रवाह पर आधारित है। इसे एलेक्ट्रॉन नली (उत्तरी अमेरिका), तापायनिक वॉल्व (यूके में) या केवल 'ट्यूब' या 'वॉल्व' भी कहते हैं। इनमें एक तप्त फिलामेण्ट (कैथोड) से निकलने वाले एलेक्ट्रॉन निर्वात में गति करके एनोड पर पहुंचते हैं जो कैथोड की अपेक्षा अधिक वोल्टता पर रखा गया होता है। निर्वात नलियों के प्रादुर्भाव ने एलेक्ट्रॉनिकी के जन्म और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। .

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निर्वात नली डायोड

डबल डायोड 5Y3 डायरेक्ट हीटेड डायोड का योजनामूलक चित्र और उसके मुख्य अवयव निर्वात नली डायोड (Vacuum tube diode) तापायनिक उत्सर्जन के आधार पर काम करने वाली निर्वात नली है। डायोड का परिपथ में कुछ इस प्रकार जोड़ते हैं। .

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प्रगामी तरंग नलिका

हेलिक्स TWT का कट-वे दृष्य (1) इलेक्ट्रॉन गन; (2) RF इनपुट; (3) चुम्बक; (4) अटेन्युएटर (Attenuator); (5) हेलिक्स कुण्डली (Helix coil); (6) RF ऑउटपुट; (7) निर्वात नलिका; (8) कलेक्टर १९८० के दशक की रूसी TWT जो संचार उपग्रह में प्रयुक्त हुई थी। प्रगामी तरंग नलिका (traveling-wave tube (TWT)) एक विशिष्ट निर्वात नलिका होती है जिसका उपयोग माइक्रोवेव परास वाले रेडियो आवृत्ति के संकेतों को प्रवर्धित करने के लिये किया जाता है। इस नलिका में चल रहे इलेक्ट्रानों के पुंज से ऊर्जा अवशोशिष कर रेडियो संकेत प्रवर्धित होता है। प्रगामी तरंग नलिका कैइ तरह की होती हैं, जिनमें से दो प्रमुख हैं-.

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मैग्नेट्रॉन

सूक्ष्मतरंग भट्ठी (माइक्रोवेव ओवेन) में लगने वाला मैग्नेट्रॉन; इसमें हीटसिंक एवं असेम्ब्ली के अन्य साधन भी जुड़े हुए हैं। मैग्नेट्रॉन का कटा हुआ चित्र; इसमें चुम्बक को नहीं दिखाया गया है (निकाल दिया गया है)। मैग्नेट्रॉन अधिक शक्ति की सूक्ष्मतरंगें पैदा करने वाली एक निर्वात नलिका (वैक्युम ट्यूब) है। इसमें एलेक्ट्रॉनों की धारा (स्ट्रीम) पर चुम्बकीय क्षेत्र की संक्रिया से सूक्ष्मतरंगें उत्पन्न की जातीं हैं। आजकल इनका उपयोग माइक्रोवेव ओवेन, एवं रडार के विभिन्न रूपों में प्रयुक्त होती है। .

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विद्युत धारा

आवेशों के प्रवाह की दिशा से धारा की दिशा निर्धारित होती है। विद्युत आवेश के गति या प्रवाह में होने पर उसे विद्युत धारा (इलेक्ट्रिक करेण्ट) कहते हैं। इसकी SI इकाई एम्पीयर है। एक कूलांम प्रति सेकेण्ड की दर से प्रवाहित विद्युत आवेश को एक एम्पीयर धारा कहेंगे। .

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गैस नली

गैस नली या 'गैसयुक्त नली' (gas-filled tube) एकप्रकार की एलेक्ट्रॉन नली है जिसमें विद्युत का प्रचालन मूलतः नलिका में भरी गैस या वाष्प के द्वारा होता है। इसको गैस विसर्जन नलिका (gas discharge tube) भी कहते हैं। इसमें किसी कुचालक ताप-रोधी पात्र (इनवेलप) के अन्दर कोई समुचित गैस भरी होती है और उसके भीतर एलेक्ट्रोडों का समुचित विन्यास (arrangement) किया गया होता है। प्राय: पात्र कांच की बनी होती है किन्तु कुछ नलिकाओं (विशेषतः शक्तिनलिकों के) के पात्र सिरैमिक के भी बनाये जाते हैं। सैनिक उपयोग की नलिकाओं के पात्र धातु के बने होते हैं जिनकी भीतरी सतह काँच की परत होती है। गैस नलिकाओं के वैद्युत गुणधर्म (electrical characteristics) इन नलिकाओं में भरी गैसों की प्रकृति और उनके दाब पर बहुत सीमा तक निर्भर करते हैं। .

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इलैक्ट्रॉनिक्स

तल पर जुड़ने वाले (सरफेस माउंट) एलेक्ट्रानिक अवयव विज्ञान के अन्तर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स या इलेक्ट्रॉनिकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी का वह क्षेत्र है जो विभिन्न प्रकार के माध्यमों (निर्वात, गैस, धातु, अर्धचालक, नैनो-संरचना आदि) से होकर आवेश (मुख्यतः इलेक्ट्रॉन) के प्रवाह एवं उन पर आधारित युक्तिओं का अध्ययन करता है। प्रौद्योगिकी के रूप में इलेक्ट्रॉनिकी वह क्षेत्र है जो विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों (प्रतिरोध, संधारित्र, इन्डक्टर, इलेक्ट्रॉन ट्यूब, डायोड, ट्रान्जिस्टर, एकीकृत परिपथ (IC) आदि) का प्रयोग करके उपयुक्त विद्युत परिपथ का निर्माण करने एवं उनके द्वारा विद्युत संकेतों को वांछित तरीके से बदलने (manipulation) से संबंधित है। इसमें तरह-तरह की युक्तियों का अध्ययन, उनमें सुधार तथा नयी युक्तियों का निर्माण आदि भी शामिल है। ऐतिहासिक रूप से इलेक्ट्रॉनिकी एवं वैद्युत प्रौद्योगिकी का क्षेत्र समान रहा है और दोनो को एक दूसरे से अलग नही माना जाता था। किन्तु अब नयी-नयी युक्तियों, परिपथों एवं उनके द्वारा सम्पादित कार्यों में अत्यधिक विस्तार हो जाने से एलेक्ट्रानिक्स को वैद्युत प्रौद्योगिकी से अलग शाखा के रूप में पढाया जाने लगा है। इस दृष्टि से अधिक विद्युत-शक्ति से सम्बन्धित क्षेत्रों (पावर सिस्टम, विद्युत मशीनरी, पावर इलेक्ट्रॉनिकी आदि) को विद्युत प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत माना जाता है जबकि कम विद्युत शक्ति एवं विद्युत संकेतों के भांति-भातिं के परिवर्तनों (प्रवर्धन, फिल्टरिंग, मॉड्युलेश, एनालाग से डिजिटल कन्वर्शन आदि) से सम्बन्धित क्षेत्र को इलेक्ट्रॉनिकी कहा जाता है। .

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क्लाइस्ट्रॉन

उच्च-शक्ति का क्लाइस्ट्रॉन क्लाइस्ट्रॉन (Klystron) एक प्रकार की निर्वातित एलेक्ट्रॉन-नलिका है जिसके अन्दर सूक्ष्मतरंग क्षेत्र में विद्युतचुम्बकीय उर्जा उत्पन्न करने अथवा इसका प्रवर्धन करने के लिये इलेक्ट्रान-किरणपुंज का वेग-मॉडुलेशन किया जाता है। यह वेग-मॉडुलित एलेक्ट्रान-किरणपुंज एक कोटर अनुनादी (resonant cavity) में प्रवेश करके कोटर के अन्दर इष्ट सूक्ष्म तरंगावृत्ति पर दोलन कायम करता है। क्लाइस्ट्रॉन का उपयोग सूक्ष्मतरंग रिले जैसी अति-उच्च आवृत्ति वाली डिवाइसेस में, रेडार प्रेषित्र (RADAR transmitter) तथा रेडार अभिग्रहियों (RADAR receiver) में किया जाता है। .

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