लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

नालन्दा महाविहार

सूची नालन्दा महाविहार

नालंदा के प्राचीन विश्वविद्यालय के अवशेष। यह प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केन्द्र था। महायान बौद्ध धर्म के इस शिक्षा-केन्द्र में हीनयान बौद्ध-धर्म के साथ ही अन्य धर्मों के तथा अनेक देशों के छात्र पढ़ते थे। वर्तमान बिहार राज्य में पटना से ८८.५ किलोमीटर दक्षिण-पूर्व और राजगीर से ११.५ किलोमीटर उत्तर में एक गाँव के पास अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा खोजे गए इस महान बौद्ध विश्वविद्यालय के भग्नावशेष इसके प्राचीन वैभव का बहुत कुछ अंदाज़ करा देते हैं। अनेक पुराभिलेखों और सातवीं शताब्दी में भारत भ्रमण के लिए आये चीनी यात्री ह्वेनसांग तथा इत्सिंग के यात्रा विवरणों से इस विश्वविद्यालय के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। यहाँ १०,००० छात्रों को पढ़ाने के लिए २,००० शिक्षक थे। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने ७ वीं शताब्दी में यहाँ जीवन का महत्त्वपूर्ण एक वर्ष एक विद्यार्थी और एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किया था। प्रसिद्ध 'बौद्ध सारिपुत्र' का जन्म यहीं पर हुआ था। .

60 संबंधों: चावल, चीन, डेली न्यूज़ एण्ड एनालिसिस, तिब्बत, तुर्क, तुर्की, द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया, दशगीतिका, धोलावीरा, नालन्दा महाविहार, नालन्दा विश्वविद्यालय, नव नालन्दा महाविहार, नोबेल पुरस्कार, पटना, पाल वंश, पालि भाषा का साहित्य, पावापुरी, फ़ारस, बिहार, बिहारशरीफ, बौद्ध धर्म, बोधगया, भारत, भारत के सात आश्चर्य, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, महायान, मिहिरकुल, मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर, युनेस्को, राजगीर, रेलवे स्टेशन, लाल क़िला, लोकनायक जयप्रकाश विमानक्षेत्र, हर्षवर्धन, ह्वेन त्सांग, हीनयान, जापान, जैसलमेर दुर्ग, वास्तुकला, विश्व धरोहर, विश्वविद्यालय, खजुराहो, गया, गुप्त राजवंश, आर्यभट, आर्यभट्ट सिद्धान्त, आर्यभटीय, इत्सिंग, इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी, इंडोनेशिया, ..., कुमारगुप्त प्रथम, कोणार्क सूर्य मंदिर, कोरिया, अमर्त्य सेन, अंकोरवाट मंदिर, ११९९, १९ अगस्त, २००८, ४५०, ४७० सूचकांक विस्तार (10 अधिक) »

चावल

मिश्रित चावल: सफेद चावल, भूरा चावल, लाल चावल और जंगली चावल चावल विभिन्न आकार, रंग, रूप में आते हैं। धान से लेकर सफेद चावल बनाने की प्रक्रिया धान के बीज को चावल कहते हैं। यह धान से ऊपर का छिलका हटाने से प्राप्त होता है। चावल सम्पूर्ण पूर्वी जगत में प्रमुख रूप से खाए जाने वाला अनाज है। भारत में भात, खिचड़ी सहित काफी सारे पक्वान्न बनते हैं। चावल का चलन दक्षिण भारत और पूर्वी-दक्षिणी भारत में उत्तर भारत से अधिक है। इसे संस्कृत में 'तण्डुल' कहा जाता है और तमिल में 'अरिसि' कहा जाता है। इसे कभी-कभार 'षड्रस' भी कहा जाता है, क्योंकि में स्वाद के छहों प्रमुख रस मौजूद हैं। सांस्कृतिक हिंदी में पके हुए चावल को भात कहा जाता है, किन्तु अधिकतर हिन्दी भाषी 'भात' शब्द का प्रयोग कम ही करते हैं। चावल की फ़सल को धान कहते हैं। बासमती चावल भारत का प्रसिद्ध चावल जो विदेशों को निर्यात भी किया जाता है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और चावल · और देखें »

चीन

---- right चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पू‍र्व में स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं:- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशों में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं। अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में ३,००,००० से ५,००,००० वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये - (१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है। (२) चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों में से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव २२ लाख से २५ लाख वर्ष पहले आये थे। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और चीन · और देखें »

डेली न्यूज़ एण्ड एनालिसिस

डेली न्यूज एंड एनालिसिस (Daily News and Analysis) (डीएनए) एक भारतीय व्यापकपर्ण अंरेज़ी भाषा समाचार पत्र है इसकी संस्थापना 2005 में मुम्बई, अहमदाबाद, पुणे, जयपुर, बंगलोर और इन्दौर से आरम्भ हुई। यह अंग्रेज़ी में प्रकशित भारतीय अखबारों में प्रथम है जिसके सभी पृष्ठ रंगीन होते हैं। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और डेली न्यूज़ एण्ड एनालिसिस · और देखें »

तिब्बत

तिब्बत का भूक्षेत्र (पीले व नारंगी रंगों में) तिब्बत के खम प्रदेश में बच्चे तिब्बत का पठार तिब्बत (Tibet) एशिया का एक क्षेत्र है जिसकी भूमि मुख्यतः उच्च पठारी है। इसे पारम्परिक रूप से बोड या भोट भी कहा जाता है। इसके प्रायः सम्पूर्ण भाग पर चीनी जनवादी गणराज्य का अधिकार है जबकि तिब्बत सदियों से एक पृथक देश के रूप में रहा है। यहाँ के लोगों का धर्म बौद्ध धर्म की तिब्बती बौद्ध शाखा है तथा इनकी भाषा तिब्बती है। चीन द्वारा तिब्बत पर चढ़ाई के समय (1955) वहाँ के राजनैतिक व धार्मिक नेता दलाई लामा ने भारत में आकर शरण ली और वे अब तक भारत में सुरक्षित हैं। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और तिब्बत · और देखें »

तुर्क

तुर्क का अर्थ इनमें से कुछ हो सकता है -.

नई!!: नालन्दा महाविहार और तुर्क · और देखें »

तुर्की

तुर्की (तुर्क भाषा: Türkiye उच्चारण: तुर्किया) यूरेशिया में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी अंकारा है। इसकी मुख्य- और राजभाषा तुर्की भाषा है। ये दुनिया का अकेला मुस्लिम बहुमत वाला देश है जो कि धर्मनिर्पेक्ष है। ये एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है। इसके एशियाई हिस्से को अनातोलिया और यूरोपीय हिस्से को थ्रेस कहते हैं। स्थिति: 39 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 36 डिग्री पूर्वी देशान्तर। इसका कुछ भाग यूरोप में तथा अधिकांश भाग एशिया में पड़ता है अत: इसे यूरोप एवं एशिया के बीच का 'पुल' कहा जाता है। इजीयन सागर (Aegean sea) के पतले जलखंड के बीच में आ जाने से इस पुल के दो भाग हो जाते हैं, जिन्हें साधारणतया यूरोपीय टर्की तथा एशियाई टर्की कहते हैं। टर्की के ये दोनों भाग बॉसपोरस के जलडमरूमध्य, मारमारा सागर तथा डारडनेल्ज द्वारा एक दूसरे से अलग होते हैं। टर्की गणतंत्र का कुल क्षेत्रफल 2,96,185 वर्ग मील है जिसमें यूरोपीय टर्की (पूर्वी थ्रैस) का क्षेत्रफल 9,068 वर्ग मील तथा एशियाई टर्की (ऐनाटोलिआ) का क्षेत्रफल 2,87,117 वर्ग मील है। इसके अंतर्गत 451 दलदली स्थल तथा 3,256 खारे पानी की झीलें हैं। पूर्व में रूस और ईरान, दक्षिण की ओर इराक, सीरिया तथा भूमध्यसागर, पश्चिम में ग्रीस और बुल्गारिया और उत्तर में कालासागर इसकी राजनीतिक सीमा निर्धारित करते हैं। यूरोपीय टर्की - त्रिभुजाकर प्रायद्वीपी प्रदेश है जिसका शीर्षक पूर्व में बॉसपोरस के मुहाने पर है। उसके उत्तर तथा दक्षिण दोनों ओर पर्वतश्रेणियाँ फैली हुई हैं। मध्य में निचला मैदान मिलता है जिसमें होकर मारीत्सा और इरजिन नदियाँ बहती हैं। इसी भाग से होकर इस्तैस्म्यूल का संबंध पश्चिमी देशों से है। एशियाई टर्की - इसको हम तीन प्राकृतिक भागों में विभाजित कर सकते हैं: 1.

नई!!: नालन्दा महाविहार और तुर्की · और देखें »

द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया

द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया (The Times of India, TOI के रूप में संक्षेपाक्षरित) भारत में प्रकाशित एक अंग्रेज़ी भाषा का दैनिक समाचार पत्र है। इसका प्रबन्धन और स्वामित्व बेनेट कोलेमन एंड कम्पनी लिमिटेड के द्वारा किया जाता है। दुनिया में सभी अंग्रेजी भाषा के व्यापक पत्रों में इस अखबार की प्रसार संख्या सर्वाधिक है। 2005 में, अखबार ने रिपोर्ट दी कि (24 लाख से अधिक प्रसार के साथ) इसे ऑडिट बुरो ऑफ़ सर्क्युलेशन के द्वारा दुनिया के सबसे ज्यादा बिकने वाले अंग्रेजी भाषा के सामान्य समाचार पत्र के रूप में प्रमाणित किया गया है। इसके वावजूद भारत के भाषायी समाचार पत्रों (विशेषत: हिन्दी के अखबारों) की तुलना में इसका प्रसार बहुत कम है। टाइम्स ऑफ इंडिया को मीडिया समूह बेनेट, कोलेमन एंड कम्पनी लिमिटेड के द्वारा प्रकाशित किया जाता है, इसे टाइम्स समूह के रूप में जाना जाता है, यह समूह इकॉनॉमिक टाइम्स, मुंबई मिरर, नवभारत टाइम्स (एक हिंदी भाषा का दैनिक), दी महाराष्ट्र टाइम्स (एक मराठी भाषा का दैनिक) का भी प्रकाशन करता है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया · और देखें »

दशगीतिका

दशगीतिका प्रसिद्ध भारतीय खगोलज्ञ आर्यभट्ट रचित एक ग्रंथ है। श्रेणी:भारतीय गणित श्रेणी:खगोलशास्त्र श्रेणी:गणित श्रेणी:भारतीय ग्रंथ.

नई!!: नालन्दा महाविहार और दशगीतिका · और देखें »

धोलावीरा

धोलावीरा का परिष्कृत जल रिज़रवायर। गुजरात में कच्छ प्रदेश के उतरीय विभाग खडीर में धोलावीरा गांव के पास पांच हजार साल पहले विश्व का यह प्राचीन महानगर था। उस जमाने में लगभग ५०,००० लोग यहाँ रहते थे। ४,००० साल पहले इस महानगर के पतन की शुरुआत हुई। सन १४५० में वापस यहां मानव बसाहट शुरु हुई। पुरातत्त्व विभाग का यह एक अति महत्त्व का स्थान २३.५२ उत्तर अक्षांश और ७०.१३ पूर्व देशांतर पर स्थित है। यहाँ उत्तर से मनसर और दक्षिण से मनहर छोटी नदी से पानी जमा होता था। हड़प्पा संस्कृति के इस नगर की जानकारी १९६० में हुई और १९९० तक इसकी खुदाई चलती रही। हड़प्पा, मोहन जोदडो, गनेरीवाला, राखीगढ, धोलावीरा तथा लोथल ये छः पुराने महानगर पुरातन संस्कृति के नगर है। जिसमें धोलावीरा और लोथल भारत में स्थित है। इस जगह का खनन पुरातत्त्व विभाग के डॉ॰ आर.

नई!!: नालन्दा महाविहार और धोलावीरा · और देखें »

नालन्दा महाविहार

नालंदा के प्राचीन विश्वविद्यालय के अवशेष। यह प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केन्द्र था। महायान बौद्ध धर्म के इस शिक्षा-केन्द्र में हीनयान बौद्ध-धर्म के साथ ही अन्य धर्मों के तथा अनेक देशों के छात्र पढ़ते थे। वर्तमान बिहार राज्य में पटना से ८८.५ किलोमीटर दक्षिण-पूर्व और राजगीर से ११.५ किलोमीटर उत्तर में एक गाँव के पास अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा खोजे गए इस महान बौद्ध विश्वविद्यालय के भग्नावशेष इसके प्राचीन वैभव का बहुत कुछ अंदाज़ करा देते हैं। अनेक पुराभिलेखों और सातवीं शताब्दी में भारत भ्रमण के लिए आये चीनी यात्री ह्वेनसांग तथा इत्सिंग के यात्रा विवरणों से इस विश्वविद्यालय के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। यहाँ १०,००० छात्रों को पढ़ाने के लिए २,००० शिक्षक थे। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने ७ वीं शताब्दी में यहाँ जीवन का महत्त्वपूर्ण एक वर्ष एक विद्यार्थी और एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किया था। प्रसिद्ध 'बौद्ध सारिपुत्र' का जन्म यहीं पर हुआ था। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और नालन्दा महाविहार · और देखें »

नालन्दा विश्वविद्यालय

नालन्दा विश्वविद्यालय, राजगृह में स्थित एक विश्वविद्यालय है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और नालन्दा विश्वविद्यालय · और देखें »

नव नालन्दा महाविहार

नव नालन्दा महाविहार एक मानित विश्वविद्यालय है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और नव नालन्दा महाविहार · और देखें »

नोबेल पुरस्कार

नोबेल फाउंडेशन द्वारा स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में वर्ष १९०१ में शुरू किया गया यह शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार है। इस पुरस्कार के रूप में प्रशस्ति-पत्र के साथ 14 लाख डालर की राशि प्रदान की जाती है। अल्फ्रेड नोबेल ने कुल ३५५ आविष्कार किए जिनमें १८६७ में किया गया डायनामाइट का आविष्कार भी था। नोबेल को डायनामाइट तथा इस तरह के विज्ञान के अनेक आविष्कारों की विध्वंसक शक्ति की बखूबी समझ थी। साथ ही विकास के लिए निरंतर नए अनुसंधान की जरूरत का भी भरपूर अहसास था। दिसंबर १८९६ में मृत्यु के पूर्व अपनी विपुल संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा उन्होंने एक ट्रस्ट के लिए सुरक्षित रख दिया। उनकी इच्छा थी कि इस पैसे के ब्याज से हर साल उन लोगों को सम्मानित किया जाए जिनका काम मानव जाति के लिए सबसे कल्याणकारी पाया जाए। स्वीडिश बैंक में जमा इसी राशि के ब्याज से नोबेल फाउँडेशन द्वारा हर वर्ष शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र में सर्वोत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है। नोबेल फ़ाउंडेशन की स्थापना २९ जून १९०० को हुई तथा 1901 से नोबेल पुरस्कार दिया जाने लगा। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की शुरुआत 1968 से की गई। पहला नोबेल शांति पुरस्कार १९०१ में रेड क्रॉस के संस्थापक ज्यां हैरी दुनांत और फ़्रेंच पीस सोसाइटी के संस्थापक अध्यक्ष फ्रेडरिक पैसी को संयुक्त रूप से दिया गया। अल्फ्रेड नोबेल .

नई!!: नालन्दा महाविहार और नोबेल पुरस्कार · और देखें »

पटना

पटना (पटनम्) या पाटलिपुत्र भारत के बिहार राज्य की राजधानी एवं सबसे बड़ा नगर है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्राचीन नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है। अपने आप में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है। ईसा पूर्व मेगास्थनीज(350 ईपू-290 ईपू) ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है। पलिबोथ्रा (पाटलिपुत्र) जो गंगा और अरेन्नोवास (सोनभद्र-हिरण्यवाह) के संगम पर बसा था। उस पुस्तक के आकलनों के हिसाब से प्राचीन पटना (पलिबोथा) 9 मील (14.5 कि॰मी॰) लम्बा तथा 1.75 मील (2.8 कि॰मी॰) चौड़ा था। पटना बिहार राज्य की राजधानी है और गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है। जहां पर गंगा घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है। सोलह लाख (2011 की जनगणना के अनुसार 1,683,200) से भी अधिक आबादी वाला यह शहर, लगभग 15 कि॰मी॰ लम्बा और 7 कि॰मी॰ चौड़ा है। प्राचीन बौद्ध और जैन तीर्थस्थल वैशाली, राजगीर या राजगृह, नालन्दा, बोधगया और पावापुरी पटना शहर के आस पास ही अवस्थित हैं। पटना सिक्खों के लिये एक अत्यंत ही पवित्र स्थल है। सिक्खों के १०वें तथा अंतिम गुरु गुरू गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हीं हुआ था। प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं। पटना एवं इसके आसपास के प्राचीन भग्नावशेष/खंडहर नगर के ऐतिहासिक गौरव के मौन गवाह हैं तथा नगर की प्राचीन गरिमा को आज भी प्रदर्शित करते हैं। एतिहासिक और प्रशासनिक महत्व के अतिरिक्त, पटना शिक्षा और चिकित्सा का भी एक प्रमुख केंद्र है। दीवालों से घिरा नगर का पुराना क्षेत्र, जिसे पटना सिटी के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और पटना · और देखें »

पाल वंश

पाल राज्य का क्षेत्र पाल राज्य के बुद्ध और बोधिसत्त्व धर्मपाल का राज्य पाल साम्राज्य मध्यकालीन भारत का एक महत्वपूर्ण शासन था जो कि ७५० - ११७४ इसवी तक चला। पाल राजवंश ने भारत के पूर्वी भाग में एक साम्राज्य बनाया। इस राज्य में वास्तु कला को बहुत बढावा मिला। पाल राजा बौद्ध थे। यह पूर्व मध्यकालीन राजवंश था। जब हर्षवर्धन काल के बाद समस्त उत्तरी भारत में राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक गहरा संकट उत्पन६न हो गया, तब बिहार, बंगाल और उड़ीसा के सम्पूर्ण क्षेत्र में पूरी तरह अराजकत फैली थी। इसी समय गोपाल ने बंगाल में एक स्वतन्त्र राज्य घोषित किया। जनता द्वारा गोपाल को सिंहासन पर आसीन किया गया था। वह योग्य और कुशल शासक था, जिसने ७५० ई. से ७७० ई. तक शासन किया। इस दौरान उसने औदंतपुरी (बिहार शरीफ) में एक मठ तथा विश्‍वविद्यालय का निर्माण करवाया। पाल शासक बौद्ध धर्म को मानते थे। आठवीं सदी के मध्य में पूर्वी भारत में पाल वंश का उदय हुआ। गोपाल को पाल वंश का संस्थापक माना जाता है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और पाल वंश · और देखें »

पालि भाषा का साहित्य

पालि साहित्य में मुख्यत: बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान् बुद्ध के उपदेशों का संग्रह है। किंतु इसका कोई भाग बुद्ध के जीवनकाल में व्यवस्थित या लिखित रूप धारण कर चुका था, यह कहना कठिन है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और पालि भाषा का साहित्य · और देखें »

पावापुरी

पावापुरी में स्थित "जल मंदिर" राजगीर और बोधगया के समीप पावापुरी भारत के बिहार प्रान्त के नालंदा जिले मे स्थित एक शहर है। यह जैन धर्म के मतावलंबियो के लिये एक अत्यंत पवित्र शहर है क्यूंकि माना जाता है कि भगवान महावीर को यहीं मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। यहाँ के जलमंदिर की शोभा देखते ही बनती है। संपूर्ण शहर कैमूर की पहाड़ी पर बसा हुआ है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और पावापुरी · और देखें »

फ़ारस

फ़ारस (فارس; Persia) प्राचीन काल के कई साम्राज्यों के केन्द्र रहे प्रदेशों को कहते हैं जो आधुनिक ईरान से तथा उससे संलग्न क्षेत्रों में फैला था। फ़ारस का साम्राज्य कई बार विशाल बन गया और फिर ढह गया। एक समय इसका विस्तार मध्य यूरोप से लेकर भारत के पश्चिमी छोर तक तथा मध्य एशिया से लेकप मिस्र तक था। १९३५ में रजाशाह पहलवी ने तत्कालीन फारस का नाम बदलकर ईरान कर दिया। इसके निवासियों के संयुक्त रूप से फारसी कहते हैं, यद्यपि इसके निवासियों में जातीय विविधता है। श्रेणी:इतिहास श्रेणी:ईरान en:History of Iran.

नई!!: नालन्दा महाविहार और फ़ारस · और देखें »

बिहार

बिहार भारत का एक राज्य है। बिहार की राजधानी पटना है। बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड स्थित है। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ, जिसे विहार के स्थान पर इसके अपभ्रंश रूप बिहार से संबोधित किया जाता है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश, वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक बनकर रह गया है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और बिहार · और देखें »

बिहारशरीफ

बिहारशरीफ बिहार के नालंदा जिले का मुख्यालय है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और बिहारशरीफ · और देखें »

बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और महान दर्शन है। इसा पूर्व 6 वी शताब्धी में बौद्ध धर्म की स्थापना हुई है। बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध है। भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी, नेपाल और महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व कुशीनगर, भारत में हुआ था। उनके महापरिनिर्वाण के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला और अगले दो हजार वर्षों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फैल गया। आज, हालाँकि बौद्ध धर्म में चार प्रमुख सम्प्रदाय हैं: हीनयान/ थेरवाद, महायान, वज्रयान और नवयान, परन्तु बौद्ध धर्म एक ही है किन्तु सभी बौद्ध सम्प्रदाय बुद्ध के सिद्धान्त ही मानते है। बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है।आज पूरे विश्व में लगभग ५४ करोड़ लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है, जो दुनिया की आबादी का ७वाँ हिस्सा है। आज चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैण्ड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, तिब्बत, लाओस, हांगकांग, ताइवान, मकाउ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 18 देशों में बौद्ध धर्म 'प्रमुख धर्म' धर्म है। भारत, नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, रूस, ब्रुनेई, मलेशिया आदि देशों में भी लाखों और करोडों बौद्ध हैं। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और बौद्ध धर्म · और देखें »

बोधगया

बिहार की राजधानी पटना के दक्षिणपूर्व में लगभग १०० किलोमीटर दूर स्थित बोधगया गया जिले से सटा एक छोटा शहर है। बोधगया में बोधि पेड़़ के नीचे तपस्या कर रहे भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। तभी से यह स्थल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। वर्ष २००२ में यूनेस्को द्वारा इस शहर को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और बोधगया · और देखें »

भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और भारत · और देखें »

भारत के सात आश्चर्य

विश्व की सबसे शानदार मानव-निर्मित और प्राकृतिक चीजों को सूचीबद्ध करने के लिए विश्व के सात आश्चर्य की कई सूचियां बनाई गयी हैं। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) समाचार पत्र ने के पहचाने गए 20 प्राचीन तथा मध्यकालीन स्थलों में से सात महान आश्चर्यों के चुनाव के लिए 21 से 31 जुलाई 2007 के बीच एक Simple Mobile Massage मतदान करवाया.

नई!!: नालन्दा महाविहार और भारत के सात आश्चर्य · और देखें »

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण

भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण (भा.पु.स.) भारत की सांस्‍कृतिक विरासतों के पुरातत्‍वीय अनुसंधान तथा संरक्षण के लिए एक प्रमुख संगठन है। भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण का प्रमुख कार्य राष्‍ट्रीय महत्‍व के प्राचीन स्‍मारकों तथा पुरातत्‍वीय स्‍थलों और अवशेषों का रखरखाव करना है। इसके अतिरिक्‍त, प्राचीन संस्‍मारक तथा पुरातत्‍वीय स्‍थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार यह देश में सभी पुरातत्‍वीय गतिविधियों को विनियमित करता है। यह पुरावशेष तथा बहुमूल्‍य कलाकृति अधिनियम, 1972 को भी विनियमित करता है। यह संस्‍कृति मंत्रालय के अधीन है। राष्‍ट्रीय महत्‍व के प्राचीन स्‍मारकों तथा पुरातत्‍वीय स्‍थलों तथा अवशेषों के रखरखाव के लिए सम्‍पूर्ण देश को 24 मंडलों में विभाजित किया गया है। संगठन के पास मंडलों, संग्रहालयों, उत्‍खनन शाखाओं, प्रागैतिहासिक शाखा, पुरालेख शाखाओं, विज्ञान शाखा, उद्यान शाखा, भवन सर्वेक्षण परियोजना, मंदिर सर्वेक्षण परियोजनाओं तथा अन्‍तरजलीय पुरातत्‍व स्‍कन्‍ध के माध्‍यम से पुरातत्‍वीय अनुसंधान परियोजनाओं के संचालन के लिए बड़ी संख्‍या में प्रशिक्षित पुरातत्‍वविदों, संरक्षकों, पुरालेखविदों, वास्तुकारों तथा वैज्ञानिकों का कार्य दल है। परिचय .

नई!!: नालन्दा महाविहार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण · और देखें »

महायान

गन्धार से पहली सदी ईसवी में बनी महात्मा बुद्ध की मूर्ति महायान, वर्तमान काल में बौद्ध धर्म की दो प्रमुख शाखाओं में से एक है। दूसरी शाखा का नाम थेरवाद है। महायान बुद्ध धर्म भारत से आरम्भ होकर उत्तर की ओर बहुत से अन्य एशियाई देशों में फैल गया, जैसे कि चीन, जापान, कोरिया, ताइवान, तिब्बत, भूटान, मंगोलिया और सिंगापुर। महायान सम्प्रदाय कि आगे और उपशाखाएँ हैं, जैसे ज़ेन/चान, पवित्र भूमि, तियानताई, निचिरेन, शिन्गोन, तेन्दाई और तिब्बती बौद्ध धर्म।, Stuart Chandler, University of Hawaii Press, 2004, ISBN 978-0-8248-2746-5,...

नई!!: नालन्दा महाविहार और महायान · और देखें »

मिहिरकुल

पांचवी शताब्दी के मध्य में, ४५० इसवी के लगभग, हूण गांधार इलाके के शासक थे, जब उन्होंने वहा से सारे सिन्धु घाटी प्रदेश को जीत लिया| कुछ समय बाद ही उन्होंने मारवाड और पश्चिमी राजस्थान के इलाके भी जीत लिए| ४९५ इसवी के लगभग हूणों ने तोरमाण के नेतृत्व में गुप्तो से पूर्वी मालवा छीन लिया| एरण, सागर जिले में वराह मूर्ति पर मिले तोरमाण के अभिलेख से इस बात की पुष्टि होती हैं| जैन ग्रन्थ कुवयमाल के अनुसार तोरमाण चंद्रभागा नदी के किनारे स्थित पवैय्या नगरी से भारत पर शासन करता था। यह पवैय्या नगरी ग्वालियर के पास स्थित थी| तोरमाण के बाद उसका पुत्र मिहिरकुल हूणों का राजा बना| मिहिरकुल तोरमाण के सभी विजय अभियानों हमेशा उसके साथ रहता था। उसके शासन काल के पंद्रहवे वर्ष का एक अभिलेख ग्वालियर एक सूर्य मंदिर से प्राप्त हुआ हैं| इस प्रकार हूणों ने मालवा इलाके में अपनी स्थति मज़बूत कर ली थी| उसने उत्तर भारत की विजय को पूर्ण किया और गुप्तो सी भी नजराना वसूल किया| मिहिरकुल ने पंजाब स्थित स्यालकोट को अपनी राजधानी बनाया|मिहिकुल हूण एक कट्टर शैव था। उसने अपने शासन काल में हजारों शिव मंदिर बनवाये| मंदसोर अभिलेख के अनुसार यशोधर्मन से युद्ध होने से पूर्व उसने भगवान स्थाणु (शिव) के अलावा किसी अन्य के सामने अपना सर नहीं झुकाया था। मिहिरकुल ने ग्वालियर अभिलेख में भी अपने को शिव भक्त कहा हैं| मिहिरकुल के सिक्कों पर जयतु वृष लिखा हैं जिसका अर्थ हैं- जय नंदी| वृष शिव कि सवारी हैं जिसका मिथकीय नाम नंदी हैं| कास्मोस इन्दिकप्लेस्तेस नामक एक यूनानी ने मिहिरकुल के समय भारत की यात्रा की थी, उसने “क्रिस्टचिँन टोपोग्राफी” नामक अपने ग्रन्थ में लिखा हैं की हूण भारत के उत्तरी पहाड़ी इलाको में रहते हैं, उनका राजा मिहिरकुल एक विशाल घुड़सवार सेना और कम से कम दो हज़ार हाथियों के साथ चलता हैं, वह भारत का स्वामी हैं|मिहिरकुल के लगभग सौ वर्ष बाद चीनी बौद्ध तीर्थ यात्री हेन् सांग ६२९ इसवी में भारत आया, वह अपने ग्रन्थ “सी-यू-की” में लिखता हैं की सैंकडो वर्ष पहले मिहिरकुल नाम का राजा हुआ करता था जो स्यालकोट से भारत पर राज करता था। वह कहता हैं कि मिहिरकुल नैसर्गिक रूप से प्रतिभाशाली और बहादुर था। हेन् सांग बताता हैं कि मिहिरकुल ने भारत में बौद्ध धर्म को बहुत भारी नुकसान पहुँचाया| वह कहता हैं कि एक बार मिहिरकुल ने बौद्ध भिक्षुओं से बौद्ध धर्म के बारे में जानने कि इच्छा व्यक्त की| परन्तु बौद्ध भिक्षुओं ने उसका अपमान किया, उन्होंने उसके पास, किसी वरिष्ठ बौद्ध भिक्षु को भेजने की जगह एक सेवक को बौद्ध गुरु के रूप में भेज दिया| मिहिरकुल को जब इस बात का पता चला तो वह गुस्से में आग-बबूला हो गया और उसने बौद्ध धर्म के विनाश कि राजाज्ञा जारी कर दी| उसने उत्तर भारत के सभी बौद्ध बौद्ध मठो को तुडवा दिया और भिक्षुओं का कत्ले-आम करा दिया| हेन् सांग कि अनुसार मिहिरकुल ने उत्तर भारत से बौधों का नामो-निशान मिटा दिया| गांधार क्षेत्र में मिहिरकुल के भाई के विद्रोह के कारण, उत्तर भारत का साम्राज्य उसके हाथ से निकल कर, उसके विद्रोही भाई के हाथ में चला गया| किन्तु वह शीघ्र ही कश्मीर का राजा बन बैठा| कल्हण ने बारहवी शताब्दी में “राजतरंगिणी” नामक ग्रन्थ में कश्मीर का इतिहास लिखा हैं| उसने मिहिरकुल का, एक शक्तिशाली विजेता के रूप में,चित्रण किया हैं| वह कहता हैं कि मिहिरकुल काल का दूसरा नाम था, वह पहाड से गिरते है हुए हाथी कि चिंघाड से आनंदित होता था। उसके अनुसार मिहिरकुल ने हिमालय से लेकर लंका तक के इलाके जीत लिए थे| उसने कश्मीर में मिहिरपुर नामक नगर बसाया| कल्हण के अनुसार मिहिरकुल ने कश्मीर में श्रीनगर के पास मिहिरेशवर नामक भव्य शिव मंदिर बनवाया था। उसने गांधार इलाके में ७०० ब्राह्मणों को अग्रहार (ग्राम) दान में दिए थे| कल्हण मिहिरकुल हूण को ब्राह्मणों के समर्थक शिव भक्त के रूप में प्रस्तुत करता हैं| मिहिरकुल ही नहीं वरन सभी हूण शिव भक्त थे| हनोल,जौनसार –बावर, उत्तराखंड में स्थित महासु देवता (महादेव) का मंदिर हूण स्थापत्य शैली का शानदार नमूना हैं, कहा जाता हैं कि इसे हूण भट ने बनवाया था। यहाँ यह उल्लेखनीय हैं कि भट का अर्थ योद्धा होता हैं | हर हर महादेव का जय घोष भी हूणों से जुडा प्रतीत होता है क्योकि हूणों कि दक्षिणी शाखा को हारा-हूण कहते थे, संभवत हारा-हूण से ही हारा/हाडा गोत्र कि उत्पत्ति हुई हैं| हाडा लोगों के आधिपत्य के कारण ही कोटा-बूंदी इलाका हाडौती कहलाता हैं राजस्थान का यह हाडौती सम्भाग कभी हूण प्रदेश कहलाता था। आज भी इस इलाके में हूणों गोत्र के गुर्जरों के अनेक गांव हैं| यहाँ यह उल्लेखनीय है कि प्रसिद्ध इतिहासकार वी.

नई!!: नालन्दा महाविहार और मिहिरकुल · और देखें »

मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर

मीनाक्षी सुन्दरेश्वरर मन्दिर या मीनाक्षी अम्मां मन्दिर या केवल मीनाक्षी मन्दिर (மீனாக்ஷி அம்மன் கோவில்) भारत के तमिल नाडु राज्य के मदुरई नगर, में स्थित एक ऐतिहासिक मन्दिर है। यह हिन्दू देवता शिव (“‘सुन्दरेश्वरर”’ या सुन्दर ईश्वर के रूप में) एवं उनकी भार्या देवी पार्वती (मीनाक्षी या मछली के आकार की आंख वाली देवी के रूप में) दोनो को समर्पित है। यह ध्यान योग्य है कि मछली पांड्य राजाओं को राजचिह्न है। यह मन्दिर तमिल भाषा के गृहस्थान 2500 वर्ष पुराने मदुरई नगर, की जीवनरेखा है। हिन्दु पौराणिक कथानुसार भगवान शिव सुन्दरेश्वरर रूप में अपने गणों के साथ पांड्य राजा मलयध्वज की पुत्री राजकुमारी मीनाक्षी से विवाह रचाने मदुरई नगर में आये थे। मीनाक्षी को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। इस मन्दिर को देवी पार्वती के सर्वाधिक पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। अन्य स्थानों में कांचीपुरम का कामाक्षी मन्दिर, तिरुवनैकवल का अकिलन्देश्वरी मन्दिर एवं वाराणसी का विशालाक्षी मन्दिर प्रमुख हैं। इस मन्दिर का स्थापत्य एवं वास्तु आश्चर्यचकित कर देने वाला है, जिस कारण यह आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों की सूची में प्रथम स्थान पर स्थित है, एवं इसका कारण इसका विस्मयकारक स्थापत्य ही है। इस इमारत समूह में 12 भव्य गोपुरम हैं, जो अतीव विस्तृत रूप से शिल्पित हैं। इन पर बडी़ महीनता एवं कुशलतापूर्वक रंग एवं चित्रकारी की गई है, जो देखते ही बनती है। यह मन्दिर तमिल लोगों का एक अति महत्वपूर्ण द्योतक है, एवं इसका वर्णन तमिल साहित्य में पुरातन काल से ही होता रहा है। हालांकि वर्तमान निर्माण आरम्भिक सत्रहवीं शताब्दी का बताया जाता है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर · और देखें »

युनेस्को

यूनेस्को (UNESCO) 'संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational Scientific and Cultural Organization)' का लघुरूप है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) संयुक्त राष्ट्र का एक घटक निकाय है। इसका कार्य शिक्षा, प्रकृति तथा समाज विज्ञान, संस्कृति तथा संचार के माध्यम से अंतराष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देना है। संयुक्त राष्ट्र की इस विशेष संस्था का गठन १६ नवम्बर १९४५ को हुआ था। इसका उद्देश्य शिक्षा एवं संस्कृति के अंतरराष्ट्रीय सहयोग से शांति एवं सुरक्षा की स्थापना करना है, ताकि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में वर्णित न्याय, कानून का राज, मानवाधिकार एवं मौलिक स्वतंत्रता हेतु वैश्विक सहमति बन पाए। इसका मुख्यालय पैरिस, फ्रांस में स्थित है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और युनेस्को · और देखें »

राजगीर

राजगीर, बिहार प्रांत में नालंदा जिले में स्थित एक शहर एवं अधिसूचीत क्षेत्र है। यह कभी मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी, जिससे बाद में मौर्य साम्राज्य का उदय हुआ। राजगृह का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। वसुमतिपुर, वृहद्रथपुर, गिरिब्रज और कुशग्रपुर के नाम से भी प्रसिद्ध रहे राजगृह को आजकल राजगीर के नाम से जाना जाता है। पौराणिक साहित्य के अनुसार राजगीर बह्मा की पवित्र यज्ञ भूमि, संस्कृति और वैभव का केन्द्र तथा जैन धर्म के 20 वे तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ स्वामी के गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान कल्याणक एवं 24 वे तीर्थंकर महावीर स्वामी के प्रथम देशना स्थली भी रहा है साथ ही भगवान बुद्ध की साधनाभूमि राजगीर में ही है। इसका ज़िक्र ऋगवेद, अथर्ववेद, तैत्तिरीय उपनिषद, वायु पुराण, महाभारत, वाल्मीकि रामायण आदि में आता है। जैनग्रंथ विविध तीर्थकल्प के अनुसार राजगीर जरासंध, श्रेणिक, बिम्बसार, कनिक आदि प्रसिद्ध शासकों का निवास स्थान था। जरासंध ने यहीं श्रीकृष्ण को हराकर मथुरा से द्वारिका जाने को विवश किया था। पटना से 100 किमी दक्षिन-पूर्व में पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच बसा राजगीर न केवल एक प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थस्थल है बल्कि एक सुन्दर हेल्थ रेसॉर्ट के रूप में भी लोकप्रिय है। यहां हिन्दु, जैन और बौद्ध तीनों धर्मों के धार्मिक स्थल हैं। खासकर बौद्ध धर्म से इसका बहुत प्राचीन संबंध है। बुद्ध न केवल कई वर्षों तक यहां ठहरे थे बल्कि कई महत्वपूर्ण उपदेश भी यहाँ की धरती पर दिये थे। बुद्ध के उपदेशों को यहीं लिपिबद्ध किया गया गया था और पहली बौद्ध संगीति भी यहीं हुई थी। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और राजगीर · और देखें »

रेलवे स्टेशन

रेलवे स्टेशन रेलगाड़ियों के रुकने का एवं यात्रियों के लिए ट्रैन या रेल पर चढ़ने उतरने का स्थान होता है।। श्रेणी:रेलवे.

नई!!: नालन्दा महाविहार और रेलवे स्टेशन · और देखें »

लाल क़िला

लाल किला या लाल क़िला, दिल्ली के ऐतिहासिक, क़िलेबंद, पुरानी दिल्ली के इलाके में स्थित, लाल रेत-पत्थर से निर्मित है। इस किले को पाँचवे मुग़ल बाद्शाह शाहजहाँ ने बनवाया था। इस के किले को "लाल किला", इसकी दीवारों के लाल रंग के कारण कहा जाता है। इस ऐतिहासिक किले को वर्ष २००७ में युनेस्को द्वारा एक विश्व धरोहर स्थल चयनित किया गया था। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और लाल क़िला · और देखें »

लोकनायक जयप्रकाश विमानक्षेत्र

पटना विमानक्षेत्र (पटना एयरपोर्ट) पटना में संजय गाँधी जैविक उद्यान के पास स्थित है। इसका ICAO कोड है VEPT और IATA कोड है PAT। यह एक नागरिक हवाई अड्डा है। यहां सीमा शुल्क विभाग मौजूद है। इसके कंक्रीट पेव्ड उड़ान पट्टी की लंबाई 6900 फीट है। है। इसकी प्रणाली यांत्रिक है। टर्मिनल भवन का क्षेत्र मौजूदा 7,200 वर्ग मीटर से बढ़ाकर 57,000 वर्ग मीटर हो जाएगा। पटना हवाई अड्डे संजय गांधी जैविक उद्यान और फूलवारी शरीफ रेलवे स्टेशन के बीच है। पटना हवाई अड्डे का नया टर्मिनल भवन किसी भी समय 14 विमान पार्क करने के लिए छह एरोब्रिज और एक एप्रन क्षेत्र से लैस एक दो मंजिला ढांचा होगा। वर्तमान में, हवाई अड्डे में केवल चार विमानों को पार्क करने की क्षमता है। हवाईअड्डा कॉलोनी और आईएएस भवन सहित हवाईअड्डा परिसर में और आसपास के कई मौजूदा भवनों को विस्तार कार्य के लिए रास्ता देने के लिए ध्वस्त कर दिया जाएगा। इसके अलावा, मौसम विज्ञान केंद्र और बिहार फ्लाइंग क्लब सहित कई उपयोगिता वाली इमारतों को स्थानांतरित कर दिया जाएगा और बीआईटी-पटना परिसर के निकट एक नया एटीसी टावर बनाया जाएगा। जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भारत में बिहार राज्य की राजधानी पटना से 5 किमी दक्षिण-पश्चिम स्थित है। यह भारत का 16 वां सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है और 2015-16 में सालाना यात्री यातायात में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पटना हवाई अड्डे के पास 13 एकड़ जमीन का इस्तेमाल विश्व स्तरीय दो मंजिला टर्मिनल भवन के निर्माण के लिए किया जाएगा, और अनिसबाद्, पटना में उस 11.35 एकड़ जमीन के बदले बिहार सरकार को हवाईअड्डा प्राधिकरण द्वारा स्थानांतरित किया जाएगा। यह पटना में स्थित हवाई अड्डा है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और लोकनायक जयप्रकाश विमानक्षेत्र · और देखें »

हर्षवर्धन

हर्षवर्धन का साम्राज्य हर्ष का टीला हर्षवर्धन (590-647 ई.) प्राचीन भारत में एक राजा था जिसने उत्तरी भारत में अपना एक सुदृढ़ साम्राज्य स्थापित किया था। वह हिंदू सम्राट् था जिसने पंजाब छोड़कर शेष समस्त उत्तरी भारत पर राज्य किया। शशांक की मृत्यु के उपरांत वह बंगाल को भी जीतने में समर्थ हुआ। हर्षवर्धन के शासनकाल का इतिहास मगध से प्राप्त दो ताम्रपत्रों, राजतरंगिणी, चीनी यात्री युवान् च्वांग के विवरण और हर्ष एवं बाणभट्टरचित संस्कृत काव्य ग्रंथों में प्राप्त है। शासनकाल ६०६ से ६४७ ई.। वंश - थानेश्वर का पुष्यभूति वंश। उसके पिता का नाम 'प्रभाकरवर्धन' था। राजवर्धन उसका बड़ा भाई और राज्यश्री उसकी बड़ी बहन थी। ६०५ ई. में प्रभाकरवर्धन की मृत्यु के पश्चात् राजवर्धन राजा हुआ पर मालव नरेश देवगुप्त और गौड़ नरेश शंशांक की दुरभिसंधि वश मारा गया। हर्षवर्धन 606 में गद्दी पर बैठा। हर्षवर्धन ने बहन राज्यश्री का विंध्याटवी से उद्धार किया, थानेश्वर और कन्नौज राज्यों का एकीकरण किया। देवगुप्त से मालवा छीन लिया। शंशाक को गौड़ भगा दिया। दक्षिण पर अभियान किया पर आंध्र पुलकैशिन द्वितीय द्वारा रोक दिया गया। उसने साम्राज्य को सुंदर शासन दिया। धर्मों के विषय में उदार नीति बरती। विदेशी यात्रियों का सम्मान किया। चीनी यात्री युवेन संग ने उसकी बड़ी प्रशंसा की है। प्रति पाँचवें वर्ष वह सर्वस्व दान करता था। इसके लिए बहुत बड़ा धार्मिक समारोह करता था। कन्नौज और प्रयाग के समारोहों में युवेन संग उपस्थित था। हर्ष साहित्य और कला का पोषक था। कादंबरीकार बाणभट्ट उसका अनन्य मित्र था। हर्ष स्वयं पंडित था। वह वीणा बजाता था। उसकी लिखी तीन नाटिकाएँ नागानंद, रत्नावली और प्रियदर्शिका संस्कृत साहित्य की अमूल्य निधियाँ हैं। हर्षवर्धन का हस्ताक्षर मिला है जिससे उसका कलाप्रेम प्रगट होता है। गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद भारत में (मुख्यतः उत्तरी भाग में) अराजकता की स्थिति बना हुई थी। ऐसी स्थिति में हर्ष के शासन ने राजनैतिक स्थिरता प्रदान की। कवि बाणभट्ट ने उसकी जीवनी हर्षचरित में उसे चतुःसमुद्राधिपति एवं सर्वचक्रवर्तिनाम धीरयेः आदि उपाधियों से अलंकृत किया। हर्ष कवि और नाटककार भी था। उसके लिखे गए दो नाटक प्रियदर्शिका और रत्नावली प्राप्त होते हैं। हर्ष का जन्म थानेसर (वर्तमान में हरियाणा) में हुआ था। थानेसर, प्राचीन हिन्दुओं के तीर्थ केन्द्रों में से एक है तथा ५१ शक्तिपीठों में एक है। यह अब एक छोटा नगर है जो दिल्ली के उत्तर में हरियाणा राज्य में बने नये कुरुक्षेत्र के आस-पडोस में स्थित है। हर्ष के मूल और उत्पत्ति के संर्दभ में एक शिलालेख प्राप्त हुई है जो कि गुजरात राज्य के गुन्डा जिले में खोजी गयी है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और हर्षवर्धन · और देखें »

ह्वेन त्सांग

ह्वेन त्सांग का एक चित्र ह्वेन त्सांग एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु था। वह हर्षवर्द्धन के शासन काल में भारत आया था। वह भारत में 15 वर्षों तक रहा। उसने अपनी पुस्तक सी-यू-की में अपनी यात्रा तथा तत्कालीन भारत का विवरण दिया है। उसके वर्णनों से हर्षकालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक अवस्था का परिचय मिलता है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और ह्वेन त्सांग · और देखें »

हीनयान

हीनयान थेरवाद अथवा 'स्थविरवाद' रूढिवादी बौद्ध परम्परा है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और हीनयान · और देखें »

जापान

जापान, एशिया महाद्वीप में स्थित देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप एशिया के पूर्व समुद्रतट, यानि प्रशांत महासागर में स्थित हैं। इसके निकटतम पड़ोसी चीन, कोरिया तथा रूस हैं। जापान में वहाँ का मूल निवासियों की जनसंख्या ९८.५% है। बाकी 0.5% कोरियाई, 0.4 % चाइनीज़ तथा 0.6% अन्य लोग है। जापानी अपने देश को निप्पॉन कहते हैं, जिसका मतलब सूर्योदय है। जापान की राजधानी टोक्यो है और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका और क्योटो हैं। बौद्ध धर्म देश का प्रमुख धर्म है और जापान की जनसंख्या में 96% बौद्ध अनुयायी है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और जापान · और देखें »

जैसलमेर दुर्ग

जैसलमेर दुर्ग स्थापत्य कला की दृष्टि से उच्चकोटि की विशुद्ध स्थानीय दुर्ग रचना है। ये दुर्ग २५० फीट तिकोनाकार पहाडी पर स्थित है। इस पहाडी की लंबाई १५० फीट व चौडाई ७५० फीट है। रावल जैसल ने अपनी स्वतंत्र राजधानी स्थापित की थी। स्थानीय स्रोतों के अनुसार इस दुर्ग का निर्माण ११५६ ई. में प्रारंभ हुआ था। परंतु समकालीन साक्ष्यों के अध्ययन से पता चलता है कि इसका निर्माण कार्य ११७८ ई. के लगभग प्रारंभ हुआ था। ५ वर्ष के अल्प निर्माण कार्य के उपरांत रावल जैसल की मृत्यु हो गयी, इसके द्वारा प्रारंभ कराए गए निमार्ण कार्य को उसके उत्तराधिकारी शालीवाहन द्वारा जारी रखकर दुर्ग को मूर्त रूप दिया गया। रावल जैसल व शालीवाहन द्वारा कराए गए कार्यो का कोई अभिलेखीय साक्ष्य नहीं मिलता है। मात्र ख्यातों व तवारीखों से वर्णन मिलता है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और जैसलमेर दुर्ग · और देखें »

वास्तुकला

'''अंकोरवाट मंदिर''' विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक संरचना है भवनों के विन्यास, आकल्पन और रचना की, तथा परिवर्तनशील समय, तकनीक और रुचि के अनुसार मानव की आवश्यकताओं को संतुष्ट करने योग्य सभी प्रकार के स्थानों के तर्कसंगत एवं बुद्धिसंगत निर्माण की कला, विज्ञान तथा तकनीक का संमिश्रण वास्तुकला (आर्किटेक्चर) की परिभाषा में आता है। इसका और भी स्पष्टकीण किया जा सकता है। वास्तुकला ललितकला की वह शाखा रही है और है, जिसका उद्देश्य औद्योगिकी का सहयोग लेते हुए उपयोगिता की दृष्टि से उत्तम भवननिर्माण करना है, जिनके पर्यावरण सुसंस्कृत एवं कलात्मक रुचि के लिए अत्यंत प्रिय, सौंदर्य-भावना के पोषक तथा आनंदकर एवं आनंदवर्धक हों। प्रकृति, बुद्धि एवं रुचि द्वारा निर्धारित और नियमित कतिपय सिद्धांतों और अनुपातों के अनुसार रचना करना इस कला का संबद्ध अंग है। नक्शों और पिंडों का ऐसा विन्यास करना और संरचना को अत्यंत उपयुक्त ढंग से समृद्ध करना, जिससे अधिकतम सुविधाओं के साथ रोचकता, सौंदर्य, महानता, एकता और शक्ति की सृष्टि हो से यही वास्तुकौशल है। प्रारंभिक अवस्थाओं में, अथवा स्वल्पसिद्धि के साथ, वास्तुकला का स्थान मानव के सीमित प्रयोजनों के लिए आवश्यक पेशों, या व्यवसायों में-प्राय: मनुष्य के लिए किसी प्रकार का रक्षास्थान प्रदान करने के लिए होता है। किसी जाति के इतिहास में वास्तुकृतियाँ महत्वपूर्ण तब होती हैं, जब उनमें किसी अंश तक सभ्यता, समृद्धि और विलासिता आ जाती है और उनमें जाति के गर्व, प्रतिष्ठा, महत्वाकांक्षा और आध्यात्मिकता की प्रकृति पूर्णतया अभिव्यक्त होती है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और वास्तुकला · और देखें »

विश्व धरोहर

यूनेस्को की विश्व विरासत समिति का लोगो युनेस्को विश्व विरासत स्थल ऐसे खास स्थानों (जैसे वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन, या शहर इत्यादि) को कहा जाता है, जो विश्व विरासत स्थल समिति द्वारा चयनित होते हैं; और यही समिति इन स्थलों की देखरेख युनेस्को के तत्वाधान में करती है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुछ खास परिस्थितियों में ऐसे स्थलों को इस समिति द्वारा आर्थिक सहायता भी दी जाती है। अब तक (2006 तक) पूरी दुनिया में लगभग 830 स्थलों को विश्व विरासत स्थल घोषित किया जा चुका है जिसमें 644 सांस्कृतिक, 24 मिले-जुले और 138 अन्य स्थल हैं। प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह स्थल स्थित हो; परंतु अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में होता है कि वे आनेवाली पीढियों के लिए और मानवता के हित के लिए इनका संरक्षण करें। बल्कि पूरे विश्व समुदाय को इसके संरक्षण की जिम्मेवारी होती है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और विश्व धरोहर · और देखें »

विश्वविद्यालय

विश्वविद्यालय (युनिवर्सिटी) वह संस्था है जिसमें सभी प्रकार की विद्याओं की उच्च कोटि की शिक्षा दी जाती हो, परीक्षा ली जाती हो तथा लोगों को विद्या संबंधी उपाधियाँ आदि प्रदान की जाती हों। इसके अंतर्गत विश्वविद्यालय के मैदान, भवन, प्रभाग, तथा विद्यार्थियों का संगठन आदि भी सम्मिलित हैं। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और विश्वविद्यालय · और देखें »

खजुराहो

खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है। यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। खजुराहो को प्राचीन काल में खजूरपुरा और खजूर वाहिका के नाम से भी जाना जाता था। यहां बहुत बड़ी संख्या में प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं। मंदिरों का शहर खजुराहो पूरे विश्व में मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है जो कि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मारक हैं। भारत के अलावा दुनिया भर के आगन्तुक और पर्यटक प्रेम के इस अप्रतिम सौंदर्य के प्रतीक को देखने के लिए निरंतर आते रहते है। हिन्दू कला और संस्कृति को शिल्पियों ने इस शहर के पत्थरों पर मध्यकाल में उत्कीर्ण किया था। संभोग की विभिन्न कलाओं को इन मंदिरों में बेहद खूबसूरती के उभारा गया है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और खजुराहो · और देखें »

गया

बोधगया का महाबोधि मन्दिर गया, झारखंड और बिहार की सीमा और फल्गु नदी के तट पर बसा भारत प्रान्त के बिहार राज्य का दूसरा बड़ा शहर है। वाराणसी की तरह गया की प्रसिद्धि मुख्य रूप से एक धार्मिक नगरी के रूप में है। पितृपक्ष के अवसर पर यहाँ हजारों श्रद्धालु पिंडदान के लिये जुटते हैं। गया सड़क, रेल और वायु मार्ग द्वारा पूरे भारत से जुड़ा है। नवनिर्मित गया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा द्वारा यह थाइलैंड से भी सीधे जुड़ा हुआ है। गया से 17 किलोमीटर की दूरी पर बोधगया स्थित है जो बौद्ध तीर्थ स्थल है और यहीं बोधि वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। गया बिहार के महत्वपूर्ण तीर्थस्थानों में से एक है। यह शहर खासकर हिन्दू तीर्थयात्रियों के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां का विष्णुपद मंदिर पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। दंतकथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के पांव के निशान पर इस मंदिर का निर्माण कराया गया है। हिन्दू धर्म में इस मंदिर को अहम स्थान प्राप्त है। गया पितृदान के लिए भी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से मृत व्यक्ति को बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है। गया, मध्य बिहार का एक महत्वपूर्ण शहर है, जो गंगा की सहायक नदी फल्गु के पश्चिमी तट पर स्थित है। यह बोधगया से 13 किलोमीटर उत्तर तथा राजधानी पटना से 100 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। यहां का मौसम मिलाजुला है। गर्मी के दिनों में यहां काफी गर्मी पड़ती है और ठंड के दिनों में औसत सर्दी होती है। मानसून का भी यहां के मौसम पर व्यापक असर होता है। लेकिन वर्षा ऋतु में यहां का दृश्य काफी रोचक होता है। कहा जाता है कि गयासुर नामक दैत्य का बध करते समय भगवान विष्णु के पद चिह्न यहां पड़े थे जो आज भी विष्णुपद मंदिर में देखे जा सकते है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और गया · और देखें »

गुप्त राजवंश

गुप्त राज्य लगभग ५०० ई इस काल की अजन्ता चित्रकला गुप्त राजवंश या गुप्त वंश प्राचीन भारत के प्रमुख राजवंशों में से एक था। मौर्य वंश के पतन के बाद दीर्घकाल तक भारत में राजनीतिक एकता स्थापित नहीं रही। कुषाण एवं सातवाहनों ने राजनीतिक एकता लाने का प्रयास किया। मौर्योत्तर काल के उपरान्त तीसरी शताब्दी इ. में तीन राजवंशो का उदय हुआ जिसमें मध्य भारत में नाग शक्‍ति, दक्षिण में बाकाटक तथा पूर्वी में गुप्त वंश प्रमुख हैं। मौर्य वंश के पतन के पश्चात नष्ट हुई राजनीतिक एकता को पुनस्थापित करने का श्रेय गुप्त वंश को है। गुप्त साम्राज्य की नींव तीसरी शताब्दी के चौथे दशक में तथा उत्थान चौथी शताब्दी की शुरुआत में हुआ। गुप्त वंश का प्रारम्भिक राज्य आधुनिक उत्तर प्रदेश और बिहार में था। गुप्त वंश पर सबसे ज्यादा रिसर्च करने वाले इतिहासकार डॉ जयसवाल ने इन्हें जाट बताया है।इसके अलावा तेजराम शर्माhttps://books.google.co.in/books?id.

नई!!: नालन्दा महाविहार और गुप्त राजवंश · और देखें »

आर्यभट

आर्यभट (४७६-५५०) प्राचीन भारत के एक महान ज्योतिषविद् और गणितज्ञ थे। इन्होंने आर्यभटीय ग्रंथ की रचना की जिसमें ज्योतिषशास्त्र के अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन है। इसी ग्रंथ में इन्होंने अपना जन्मस्थान कुसुमपुर और जन्मकाल शक संवत् 398 लिखा है। बिहार में वर्तमान पटना का प्राचीन नाम कुसुमपुर था लेकिन आर्यभट का कुसुमपुर दक्षिण में था, यह अब लगभग सिद्ध हो चुका है। एक अन्य मान्यता के अनुसार उनका जन्म महाराष्ट्र के अश्मक देश में हुआ था। उनके वैज्ञानिक कार्यों का समादर राजधानी में ही हो सकता था। अतः उन्होंने लम्बी यात्रा करके आधुनिक पटना के समीप कुसुमपुर में अवस्थित होकर राजसान्निध्य में अपनी रचनाएँ पूर्ण की। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और आर्यभट · और देखें »

आर्यभट्ट सिद्धान्त

आर्यभट्ट सिद्धांत प्रसिद्ध भारतीत गणितज्ञ आर्यभट्ट की लिखि पुस्तक थी। आज इसके मात्र ३४ श्लोक ही उपलब्ध हैं। अपनी वृद्धावस्था में आर्यभट्ट ने आर्यभट्ट सिद्धांत के नाम से लिखी। यह दैनिक खगोलीय गणना और अनुष्ठानों के लिए शुभ मुहूर्त निश्चित करने के काम आती थी। आज भी पंचांग बनाने के लिए आर्यभट्ट की खगोलीय गणनाओं का उपयोग किया जाता है। श्रेणी:भारतीय गणित श्रेणी:खगोलशास्त्र श्रेणी:गणित श्रेणी:भारतीय ग्रंथ.

नई!!: नालन्दा महाविहार और आर्यभट्ट सिद्धान्त · और देखें »

आर्यभटीय

आर्यभटीय नामक ग्रन्थ की रचना आर्यभट प्रथम (४७६-५५०) ने की थी। यह संस्कृत भाषा में आर्या छंद में काव्यरूप में रचित गणित तथा खगोलशास्त्र का ग्रंथ है। इसकी रचनापद्धति बहुत ही वैज्ञानिक और भाषा बहुत ही संक्षिप्त तथा मंजी हुई है। इसमें चार अध्यायों में १२३ श्लोक हैं। आर्यभटीय, दसगीतिका पाद से आरम्भ होती है। इसके चार अध्याय इस प्रकार हैं: 1.

नई!!: नालन्दा महाविहार और आर्यभटीय · और देखें »

इत्सिंग

इत्सिंग का यात्रा-पथ इत्सिंग एक चीनी यात्री एवं बौद्ध भिक्षु था, जो ६७१-६९५ ई. में भारत आया था। वह ६७५ ई में सुमात्रा के रास्ते समुद्री मार्ग से भारत आया था और 10 वर्षों तक 'नालन्दा विश्वविद्यालय' में रहा था। उसने वहाँ के प्रसिद्ध आचार्यों से संस्कृत तथा बौद्ध धर्म के ग्रन्थों को पढ़ा। 691 ई. में इत्सिंग ने अपना प्रसिद्ध ग्रन्थ 'भारत तथा मलय द्वीपपुंज में प्रचलित बौद्ध धर्म का विवरण' लिखा। उसने 'नालन्दा' एवं 'विक्रमशिला विश्वविद्यालय' तथा उस समय के भारत पर प्रकाश डाला है। इस ग्रन्थ से हमें उस काल के भारत के राजनीतिक इतिहास के बारे में तो अधिक जानकारी नहीं मिलती, परन्तु यह ग्रन्थ बौद्ध धर्म और 'संस्कृत साहित्य' के इतिहास का अमूल्य स्रोत माना जाता है।.

नई!!: नालन्दा महाविहार और इत्सिंग · और देखें »

इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी

इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी (बांग्ला:ইখতিয়ার উদ্দিন মুহম্মদ বখতিয়ার খলজী, फारसी: اختيار الدين محمد بن بختيار الخلجي), जिसे बख्तियार खिलजी भी कहते हैं, कुतुबुद्दीन एबक का एक सैन्य सिपहसालार था। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी · और देखें »

इंडोनेशिया

इंडोनेशिया गणराज्य (दीपान्तर गणराज्य) दक्षिण पूर्व एशिया और ओशिनिया में स्थित एक देश है। १७५०८ द्वीपों वाले इस देश की जनसंख्या लगभग 26 करोड़ है, यह दुनिया का तीसरा सबसे अधिक आबादी और दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी बौद्ध आबादी वाला देश है। देश की राजधानी जकार्ता है। देश की जमीनी सीमा पापुआ न्यू गिनी, पूर्वी तिमोर और मलेशिया के साथ मिलती है, जबकि अन्य पड़ोसी देशों सिंगापुर, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया और भारत का अंडमान और निकोबार द्वीप समूह क्षेत्र शामिल है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और इंडोनेशिया · और देखें »

कुमारगुप्त प्रथम

यह प्राचीन भारत में तीसरी से पाँचवीं सदी तक शासन करने वाले गुप्त राजवंश का राजा था। इनकी राजधानी पाटलीपुत्र थी जो वर्तमान समय में पटना के रूप में बिहार की राजधानी है। श्रेणी:गुप्त राजवंश.

नई!!: नालन्दा महाविहार और कुमारगुप्त प्रथम · और देखें »

कोणार्क सूर्य मंदिर

कोणार्क सूर्य मन्दिर भारत में उड़ीसा राज्य के पुरी जिले के अन्तर्गत पुरी नामक शहर में प्रतिष्ठित है। यह भारतवर्ष के चुनिन्दा सूर्य मन्दिरों में से एक है। सन् १९८४ में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और कोणार्क सूर्य मंदिर · और देखें »

कोरिया

कोरिया (कोरियाई: 한국 या 조선) एक सभ्यता और पूर्व में एकीकृत राष्ट्र जो वर्तमान में दो राज्यों में विभाजित है। कोरियाई प्रायद्वीप पर स्थित, इसकी सीमाएं पश्चिमोत्तर में चीन, पूर्वोत्तर में रूस और जापान से कोरिया जलसन्धि द्वारा पूर्व में अलग है। कोरिया 1948 तक संयुक्त था; उस समय इसे दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया में विभाजित कर दिया गया। दक्षिण कोरिया, आधिकारिक तौर पर कोरिया गणराज्य, एक पूंजीवादी, लोकतांत्रिक और विकसित देश है, जिसकी संयुक्त राष्ट्र संघ, WTO, OECD और G-20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सदस्यता है। उत्तर कोरिया, आधिकारिक तौर पर लोकतांत्रिक जनवादी कोरिया गणराज्य, किम इल-सुंग द्वारा स्थापित एक एकल पार्टी कम्युनिस्ट देश है और सम्प्रति उनके बेटे किम जोंग-इल के दूसरे बेटे किम जोंग-उन द्वारा शासित है। उत्तर कोरिया की वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ में सदस्यता है। पुरातत्व और भाषाई सबूत यह सुझाते हैं कि कोरियाई लोगों की उत्पत्ति दक्षिण-मध्य साइबेरिया के अल्टायाक भाषा बोलने वाले प्रवासियों में हुई थी, जो नवपाषाण युग से कांस्य युग तक लगातार बहाव में प्राचीन कोरिया में बसते गए। 2 शताब्दी ई.पू.

नई!!: नालन्दा महाविहार और कोरिया · और देखें »

अमर्त्य सेन

(बी.ए.)ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज,(बी.ए., एम.ए., पी.एच.डी.) | field .

नई!!: नालन्दा महाविहार और अमर्त्य सेन · और देखें »

अंकोरवाट मंदिर

अंकोरवाट (खमेर भाषा: អង្គរវត្ត) कंबोडिया में एक मंदिर परिसर और दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है, 162.6 हेक्टेयर (1,626,000 एम 2; 402 एकड़) को मापने वाले एक साइट पर। यह मूल रूप से खमेर साम्राज्य के लिए भगवान विष्णु के एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था, जो धीरे-धीरे 12 वीं शताब्दी के अंत में बौद्ध मंदिर में परिवर्तित हो गया था। यह कंबोडिया के अंकोर में है जिसका पुराना नाम 'यशोधरपुर' था। इसका निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय (१११२-५३ई.) के शासनकाल में हुआ था। यह विष्णु मन्दिर है जबकि इसके पूर्ववर्ती शासकों ने प्रायः शिवमंदिरों का निर्माण किया था। मीकांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में बना यह मंदिर आज भी संसार का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है जो सैकड़ों वर्ग मील में फैला हुआ है। राष्ट्र के लिए सम्मान के प्रतीक इस मंदिर को १९८३ से कंबोडिया के राष्ट्रध्वज में भी स्थान दिया गया है। यह मन्दिर मेरु पर्वत का भी प्रतीक है। इसकी दीवारों पर भारतीय धर्म ग्रंथों के प्रसंगों का चित्रण है। इन प्रसंगों में अप्सराएं बहुत सुंदर चित्रित की गई हैं, असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मन्थन का दृश्य भी दिखाया गया है। विश्व के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थानों में से एक होने के साथ ही यह मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में से एक है। पर्यटक यहाँ केवल वास्तुशास्त्र का अनुपम सौंदर्य देखने ही नहीं आते बल्कि यहाँ का सूर्योदय और सूर्यास्त देखने भी आते हैं। सनातनी लोग इसे पवित्र तीर्थस्थान मानते हैं। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और अंकोरवाट मंदिर · और देखें »

११९९

११९९ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और ११९९ · और देखें »

१९ अगस्त

19 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 231वॉ (लीप वर्ष मे 232 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 134 दिन बाकी है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और १९ अगस्त · और देखें »

२००८

२००८ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और २००८ · और देखें »

४५०

450 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और ४५० · और देखें »

४७०

470 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

नई!!: नालन्दा महाविहार और ४७० · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

नालन्दा, नालन्‍दा, नालंदा

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »