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नाभिकीय प्रायिकता क्षेत्र

सूची नाभिकीय प्रायिकता क्षेत्र

किसी नाभिक के नाभिकीय प्रायिकता क्षेत्र (nuclear cross section) से आशय किसी नाभिकीय अभिक्रिया के होने की प्रायिकता से है। नाभिकीय प्रायिकता क्षेत्र का मान अधिक होने का मतलब है कि नाभिकीय अभिक्रिया के घटित होने की प्रायिकता अधिक है। नाभिकीय प्रायिकता क्षेत्र को σ से निरुपित किया जाता है। इसकी ईकाई बार्न (barn) है जो 10−28 m² के बराबर होती है। श्रेणी:नाभिकीय भौतिकी.

3 संबंधों: नाभिकीय अभिक्रिया, परमाणु नाभिक, प्रायिकता

नाभिकीय अभिक्रिया

लिथियम-६ एवं ड्युटिरियम के नाभिकों की अभिक्रिया नाभिकीय अभिक्रिया वह प्रक्रम है जिसमें में दो नाभिक या नाभिकीय कण आपस में टक्कर करने के बाद नये उत्पाद बनाते हैं। सिद्धांततः नाभिकीय अभिक्रिया में दो से अधिक नाभिक भी भाग ले सकते हैं किन्तु दो से अधिक नाभिकों के एक ही समय पर टकराने की प्रायिकता बहुत कम होती है, इसलिये ऐसी अभिक्रियाएं अत्यन्त कम होती हैं। Li-6 + H-2 -> n + He .

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परमाणु नाभिक

नाभिक, परमाणु के मध्य स्थित धनात्मक वैद्युत आवेश युक्त अत्यन्त ठोस क्षेत्र होता है। नाभिक, नाभिकीय कणों प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन से बने होते है। इस कण को नूक्लियान्स कहते है। प्रोटॉन व न्यूट्रॉन दोनो का द्रव्यमान लगभग बराबर होता है और दोनों का आंतरिक कोणीय संवेग (स्पिन) १/२ होता है। प्रोटॉन इकाई विद्युत आवेशयुक्त होता है जबकि न्यूट्रॉन अनावेशित होता है। प्रोटॉन और न्यूट्रॉन दोनो न्यूक्लिऑन कहलाते है। नाभिक का व्यास (10−15 मीटर)(हाइड्रोजन-नाभिक) से (10−14 मीटर)(युरेनियम) के दायरे में होता है। परमाणु का लगभग सारा द्रव्यमान नाभिक के कारण ही होता है, इलेक्ट्रान का योगदान लगभग नगण्य होता है। सामान्यतः नाभिक की पहचान परमाणु संख्या Z (प्रोटॉन की संख्या), न्यूट्रॉन संख्या N और द्रव्यमान संख्या A(प्रोटॉन की संख्या + न्यूट्रॉन संख्या) से होती है जहाँ A .

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प्रायिकता

किसी घटना के होने की सम्भावना (likelihood or chance) को प्रायिकता या संभाव्यता (Probability) कहते हैं। सांख्यिकी, गणित, विज्ञान, दर्शनशास्त्र आदि क्षेत्रों में इसका बहुतायत से प्रयोग होता है। .

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