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नकुल

सूची नकुल

नकुल महान हिन्दू काव्य महाभारत में पाँच पांडवो में से एक था। नकुल और सहदेव, दोनों माता माद्री के असमान जुड़वा पुत्र थे, जिनका जन्म दैवीय चिकित्सकों अश्विन के वरदान स्वरूप हुआ था, जो स्वयं भी समान जुड़वा बंधु थे। नकुल, का अर्थ है, परम विद्वता। महाभारत में नकुल का चित्रण एक बहुत ही रूपवान, प्रेम युक्त और बहुत सुंदर व्यक्ति के रूप में की गई है। अपनी सुंदरता के कारण नकुल की तुलना काम और प्रेम के देवता, "कामदेव" से की गई है। पांडवो के अंतिम और तेरहवें वर्ष के अज्ञातवास में नकुल ने अपने रूप को कौरवों से छिपाने के लिए अपने शरीर पर धूल लीप कर छिपाया। श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर का वध करने के पश्चात नकुल द्वारा घुड़ प्रजनन और प्रशिक्षण में निपुण होने का महाभारत में अभिलेखाकरण है। वह एक योग्य पशु शल्य चिकित्सक था, जिसे घुड़ चिकित्सा में महारथ प्राप्त था। अज्ञातवास के समय में नकुल भेष बदल कर और अरिष्ठनेमि नाम के छद्मनाम से महाराज विराट की राजधानी उपपलव्य की घुड़शाला में शाही घोड़ों की देखभाल करने वाले सेवक के रूप में रहा था। वह अपनी तलवारबाज़ी और घुड़सवारी की कला के लिए भी विख्यात था। अनुश्रुति के अनुसार, वह बारिश में बिना जल को छुए घुड़सवारी कर सकता था। नकुल का विवाह द्रौपदी के अतिरिक्त जरासंध की पुत्री से भी हुआ था। नकुल नाम का अर्थ होता है जो प्रेम से परिपूर्ण हो और इस नाम की नौ पुरुष विशेषताएँ हैं: बुद्धिमत्ता, सकेन्द्रित, परिश्रमी, रूपवान, स्वास्थ्य, आकर्षकता, सफ़लता, आदर और शर्त रहित प्रेम। .

7 संबंधों: महाभारत, माद्री, सहदेव, जरासन्ध, आश्विन, कामदेव, कृष्ण

महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

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माद्री

माद्री राजा पाण्डु की दूसरी रानी थी। उसके बेटे नकुल और सहदेव थे। माद्री पारस में माद्रा राज्य की राजकुमारी राजा शल्य की बहिन थी। पुरानी पारसी में माद्रा को मादा कहा गया है। ये मेड साम्राज्य का नाम था। पाण्डव श्रेणी:महाभारत के पात्र.

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सहदेव

सहदेव महाभारत में पाँच पांडवों में से एक और सबसे छोटा था। वह माता माद्री के असमान जुड़वा पुत्रों में से एक थे, जिनका जन्म देव चिकित्सक अश्विनों के वरदान स्वरूप हुआ था। जब नकुल और सहदेव का जन्म हुआ था तब यह आकाशवाणी हुई की, ‘शक्ति और रूप में ये जुड़वा बंधु स्वयं जुड़वा अश्विनों से भी बढ़कर होंगे।’ .

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जरासन्ध

A painting from the Mahabharata Balabhadra fighting Jarasandha जरासंध महाभारत कालीन मगध राज्य का नरेश था। वह बहुत ही शक्तिशाली राजा था और उसका सपना चक्रवती सम्राट बनने का था। यद्यपि वह एक शक्तिशाली राजा तो था, लेकिन वह था बहुत क्रूर। अजेय हो क अपना सपना पूरा करने के लिए उसने बहुत से राजाओं को अपने कारागार में बंदी बनाकर रखा था। वह मथुरा के यदुवँशी नरेश कंस का ससुर एवं परम मित्र था उसकी दोनो पुत्रियो आसित एव्म प्रापित का विवाह कंस से हुआ था। श्रीकृष्ण से कंस वध का प्रतिशोध लेने के लिए उसने १७ बार मथुरा पर चढ़ाई की लेकिन हर बार उसे असफल होना पड़ा। जरासंध श्री कृष्ण का परम शत्रु और एक योद्धा था। .

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आश्विन

आशविन दो देवता थे। पहिले का नाम नासतय था और दूसरे का नाम दरसा था। नासतय दवाई का देवता था। दरसा जड़ी-बूटियों का देवता था। हिन्दू पंचांग के अनुसार साल के सातवें माह का नाम *.

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कामदेव

कामदेव को हिंदू शास्त्रों में प्रेम और काम का देवता माना गया है। उनका स्वरूप युवा और आकर्षक है। वे विवाहित हैं और रति उनकी पत्नी हैं। वे इतने शक्तिशाली हैं कि उनके लिए किसी प्रकार के कवच की कल्पना नहीं की गई है। उनके अन्य नामों में रागवृंत, अनंग, कंदर्प, मनमथ, मनसिजा, मदन, रतिकांत, पुष्पवान, पुष्पधंव आदि प्रसिद्ध हैं। कामदेव, हिंदू देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु के पुत्र और कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न, कामदेव का अवतार है। कामदेव के आध्यात्मिक रूप को हिंदू धर्म में वैष्णव अनुयायियों द्वारा कृष्ण भी माना जाता है। .

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कृष्ण

बाल कृष्ण का लड्डू गोपाल रूप, जिनकी घर घर में पूजा सदियों से की जाती रही है। कृष्ण भारत में अवतरित हुये भगवान विष्णु के ८वें अवतार और हिन्दू धर्म के ईश्वर हैं। कन्हैया, श्याम, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता हैं। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, एक आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्ज महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तुत रूप से लिखा गया है। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है। इस कृति के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है। कृष्ण वसुदेव और देवकी की ८वीं संतान थे। मथुरा के कारावास में उनका जन्म हुआ था और गोकुल में उनका लालन पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक माता पिता थे। उनका बचपन गोकुल में व्यतित हुआ। बाल्य अवस्था में ही उन्होंने बड़े बड़े कार्य किये जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। मथुरा में मामा कंस का वध किया। सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहाँ अपना राज्य बसाया। पांडवों की मदद की और विभिन्न आपत्तियों में उनकी रक्षा की। महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई और भगवद्गीता का ज्ञान दिया जो उनके जीवन की सर्वश्रेष्ठ रचना मानी जाती है। १२५ वर्षों के जीवनकाल के बाद उन्होंने अपनी लीला समाप्त की। उनकी मृत्यु के तुरंत बाद ही कलियुग का आरंभ माना जाता है। .

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