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धूप

सूची धूप

धूप सूर्यकिरणों से सीधे प्रकाश और गरमी को कहते हैं। इसके अंतर्गत विकिरण के दृश्य अंश (visible parts) ही नहीं आते, वरन् अदृश्य नीललोहित (blue and red) और अवरक्त किरणें (infrared) भी आती हैं। इसमें सूर्य की परावर्तित और प्रकीर्णित किरणें सम्मिलित नहीं हैं। .

7 संबंधों: पृथ्वी, सूर्य, विकिरण, वेधशाला, आतपन, कोहरा, अवरक्त

पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

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सूर्य

सूर्य अथवा सूरज सौरमंडल के केन्द्र में स्थित एक तारा जिसके चारों तरफ पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य अवयव घूमते हैं। सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा पिंड है और उसका व्यास लगभग १३ लाख ९० हज़ार किलोमीटर है जो पृथ्वी से लगभग १०९ गुना अधिक है। ऊर्जा का यह शक्तिशाली भंडार मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का एक विशाल गोला है। परमाणु विलय की प्रक्रिया द्वारा सूर्य अपने केंद्र में ऊर्जा पैदा करता है। सूर्य से निकली ऊर्जा का छोटा सा भाग ही पृथ्वी पर पहुँचता है जिसमें से १५ प्रतिशत अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाता है, ३० प्रतिशत पानी को भाप बनाने में काम आता है और बहुत सी ऊर्जा पेड़-पौधे समुद्र सोख लेते हैं। इसकी मजबूत गुरुत्वाकर्षण शक्ति विभिन्न कक्षाओं में घूमते हुए पृथ्वी और अन्य ग्रहों को इसकी तरफ खींच कर रखती है। सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या ९,२९,६०,००० मील है तथा सूर्य से पृथ्वी पर प्रकाश को आने में ८.३ मिनट का समय लगता है। इसी प्रकाशीय ऊर्जा से प्रकाश-संश्लेषण नामक एक महत्वपूर्ण जैव-रासायनिक अभिक्रिया होती है जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है। यह पृथ्वी के जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है। सूर्य की सतह का निर्माण हाइड्रोजन, हिलियम, लोहा, निकेल, ऑक्सीजन, सिलिकन, सल्फर, मैग्निसियम, कार्बन, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम तत्वों से हुआ है। इनमें से हाइड्रोजन सूर्य के सतह की मात्रा का ७४ % तथा हिलियम २४ % है। इस जलते हुए गैसीय पिंड को दूरदर्शी यंत्र से देखने पर इसकी सतह पर छोटे-बड़े धब्बे दिखलाई पड़ते हैं। इन्हें सौर कलंक कहा जाता है। ये कलंक अपने स्थान से सरकते हुए दिखाई पड़ते हैं। इससे वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि सूर्य पूरब से पश्चिम की ओर २७ दिनों में अपने अक्ष पर एक परिक्रमा करता है। जिस प्रकार पृथ्वी और अन्य ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं उसी प्रकार सूरज भी आकाश गंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है। इसको परिक्रमा करनें में २२ से २५ करोड़ वर्ष लगते हैं, इसे एक निहारिका वर्ष भी कहते हैं। इसके परिक्रमा करने की गति २५१ किलोमीटर प्रति सेकेंड है। Barnhart, Robert K. (1995) The Barnhart Concise Dictionary of Etymology, page 776.

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विकिरण

भौतिकी में प्रयुक्त विकिरण ऊर्जा का एक रूप है जो तरंगों या किसी परमाणु या अन्य निकाय द्वारा उत्सर्जित गतिशील उपपरमाणुविक कणों के रूप में उच्च से निम्न ऊर्जा अवस्था की ओर चलती है। विकिरण को परमाणु पदार्थ पर उसके प्रभाव के आधार पर या विआयनीकारक के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। विकिरण जो अणु या परमाणु का आयनीकरण करने मे सक्षम होता है उसमे उर्जा का स्तर विआयनीकारक विकिरण से अधिक होता है। रेडियोधर्मी पदार्थ वो भौतिक पदार्थ है जो कि आयनीकारक विकिरण उत्सर्जित करती है। तीन भिन्न प्रकार के विकिरण और उनका भेदन .

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वेधशाला

ऐल्प्स की पहाड़ियो पर स्थित स्फ़िंक्स् वेधशाला ऐसी एक या एकाधिक बेलनाकार संरचनाओं को आधुनिक वेधशाला (Observatory) कहते हैं जिनके ऊपरी सिर पर घूमने वाला अर्धगोल गुंबद स्थित होता है। इन संरचनाओं में आवश्यकतानुसार अपवर्तक या परावर्तक दूरदर्शक रहता है। दूरदर्शक वस्तुत: वेधशाला की आँख होता है। खगोलीय पिंडों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए आँकड़े एकत्रित करके उनका अध्ययन और विश्लेषण करने में इनका उपयोग होता है। कई वेधशालाएँ ऋतु की पूर्व सूचनाएँ भी देती हैं। कुछ वेधशालाओं में भूकंपविज्ञान और पार्थिव चुंबकत्व के संबंध में भी कार्य होता है। .

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आतपन

उपर वाला चित्र वायुमण्डल के सबसे उपरी भाग का माध्य वार्षिक आतपन दर्शा रहा है। नीचे वाले चित्र में धरती के सतह पर वार्षिक माध्य आतपना दिखाया गया है। आतपन या सूर्यताप (Insolation या solar irradiation) किसी कालावधि में किसी क्षेत्रफल पर पड़ने वाले सौर विकिरण की माप है। विश्व मापन संगठन ने इसे मापने के लिए MJ/m2 (मेगाजूल प्रति वर्ग मीटर) या J/mm2 (जूल प्रति वर्ग मिलीमीटर) संस्तुत किया है। .

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कोहरा

कोहरा या फ़ॉग (fog) प्रायः ठंडी आर्द्र हवा में बनता है और इसके अस्तित्व में आने की प्रक्रिया बादलों जैसी ही होती है। गर्म हवा की अपेक्षा ठंडी हवा अधिक नमी लेने में सक्षम होती है और वाष्पन के द्वारा यह नमी ग्रहण करती है।। हिन्दुस्तान लाइव। ४ जनवरी २००९ ये वह बादल होता है जो भूमि के निकट बनता है। यानि एक बादल का वह भाग जो भूमि के ऊपर हवा में ठहरा हुआ हो कोहरा नहीं होता बल्कि बादल का वह भाग जो ऊपरी भूमि के संपर्क में आता है, कोहरा कहलाता है। इसके अतिरिक्त कोहरा कई अन्य तरीकों से भी बनता है। लेकिन अधिकांश कोहरे दो श्रेणियों, एडवेक्शन फॉग और रेडिएशन फॉग में बदल जाते हैं। दोनों ही प्रकार में कोहरा आम हवा से अधिक ठंडा महसूस होता है। ऐसा उसमें भरी हुई नमी के कणों के कारण होता है। सड़क पर हल्का कोहरा दृश्यता का ह्रास करता है। साइकिल चालक २००मी/(२१९ गज) पर बहुत ही धुंधला दिख रहा है। यहां की कुल दृश्यता ४००मी.(४३७ गज) है, जो सड़क के दूसरे छोर से बहुत पहले है।सैन फ्रांसिस्को के गोल्डन गेट सेतु पर सड़क एक चिह्न भी दिखने मुश्किल हैं एडवेक्शन फॉग तब बनता है जब गर्म हवा का एक विशेष हिस्सा किसी नम प्रदेश के ऊपर पहुंचता है। कई बार कोहरा काफी घना भी होता है जिससे दूर देखने में परेशानी महसूस होती है। समुद्र किनारे रहने वाले लोग एडवेक्शन फॉग से परिचित होते हैं। रेडिएशन फॉग तब बनता है जब धरती की ऊपरी परत ठंडी होती है। ऐसा प्रायः शाम के समय होता है। धरती की ऊपरी परत ठंडी होने के साथ ही हवा भी ठंडी हो जाती है, जिस कारण कोहरा उपजता है। कोहरा कई पहाड़ी घाटियों में भी छाता है। वहां ऊपरी गर्म हवा ठंडी हवा को जमीन के निकट रखती है। ऐसा कोहरा प्रायः सुबह के समय होता है। सूरज निकलने के बाद ठंडी हवा गर्म होती है और ऊपर उठती है। इसके बाद से कोहरा छंटना शुरू हो जाता है। .

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अवरक्त

दो व्यक्तियों की मध्य अधोरक्त (तापीय) प्रकाश में छाया चित्र अवरक्त किरणें, अधोरक्त किरणें या इन्फ़्रारेड वह विद्युत चुम्बकीय विकिरण है जिसका तरंग दैर्घ्य (वेवलेन्थ) प्रत्यक्ष प्रकाश से बड़ा हो एवं सूक्ष्म तरंग से कम हो। इसका नाम 'अधोरक्त' इसलिए है क्योंकि विद्युत चुम्बकीय तरंग के वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) में यह मानव द्वारा दर्शन योग्य लाल वर्ण से नीचे (या अध) होती है। इसका तरंग दैर्घ्य 750 nm and 1 mm के बीच होता है। सामान्य शारिरिक तापमान पर मानव शरीर 10 माइक्रॉन की अधोरक्त तरंग प्रकाशित कर सकता है। .

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