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बीजेटी

सूची बीजेटी

बीजेटी के प्रतीक SOT-23 बाईपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर या बीजेटी (BJT), वे ट्रांजिस्टर हैं जिनमें इलेक्ट्रान और होल (hole) दोनों आवेश संवाहक का कार्य करते हैं। .

6 संबंधों: ट्रांजिस्टर, प्रवर्धक, रिले, लॉजिक गेट, स्विच, स्विच मोड पॉवर सप्लाई

ट्रांजिस्टर

अलग-अलग रेटिंग के कुछ प्रथनक ट्रान्जिस्टर (प्रथनक) एक अर्धचालक युक्ति है जिसे मुख्यतः प्रवर्धक (Amplifier) के रूप में प्रयोग किया जाता है। कुछ लोग इसे बीसवीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण खोज मानते हैं। ट्रान्जिस्टर का उपयोग अनेक प्रकार से होता है। इसे प्रवर्धक, स्विच, वोल्टेज नियामक (रेगुलेटर), संकेत न्यूनाधिक (सिग्नल माडुलेटर), थरथरानवाला (आसिलेटर) आदि के रूप में काम में लाया जाता है। पहले जो कार्य ट्रायोड या त्रयाग्र से किये जाते थे वे अधिकांशत: अब ट्रान्जिस्टर के द्वारा किये जाते हैं। .

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प्रवर्धक

एक सामान्य प्रवर्धक बक्सा जिसमें इनपुट और आउटपुट के लिए बाहर पिन दिए होते हैं। प्रवर्धक और रिपीटर जो संकेत की शक्ति को बढ़ाकर उन्हें 'उपयोग के लायक' बनाते हैं। प्रवर्धक या एम्प्लिफायर (amplifier) ऐसी युक्ति है जो किसी विद्युत संकेत का मान (अम्प्लीच्यूड) बदल दे (प्रायः संकेत का मान बड़ा करने की आवश्यकता अधिक पड़ती है।) विद्युत संकेत विभवान्तर (वोल्टेज) या धारा (करेंट) के रूप में हो सकते है। आजकल सामान्य प्रचलन में प्रवर्धक से आशय किसी 'इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्धक' से ही होता है। .

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रिले

relay maximam and minimum volts kitne ka hota ha चार अलग-अलग प्रकार के रिले रिले एक विद्युत स्विच या कुंजी है जो एक दूसरे विद्युत परिपथ के द्वारा खोली या बंद की जाती है जो कि मुख्य परिपथ से असम्बद्ध (आइसोलेटेड) होती है। रिले की एक या एक से अधिक कुंजियाँ एक विद्युत चुम्बक की सहायता से बंद या चालू होती हैं। रिले को भी एक सामान्यीकृत विद्युत प्रवर्धक (अम्प्लिफ़ायर) माना जा सकता है क्योंकि कम शक्ति वाले परिपथ की सहायता से एक अपेक्षाकृत अधिक शक्ति वाले परिपथ को नियंत्रित किया जाता है। कान्टैक्टर भी रिले के सिद्धांत पर ही काम करता है किन्तु प्राय: १५ अम्पीयर से अधिक धारा वाले कान्टेक्ट को बंद/चालू करने के लिए प्रयुक्त होता है। .

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लॉजिक गेट

74 शृंखला के एक NAND गेट आईसी का व्यवस्था आरेख (उपर) तथा वास्तविक फोटो (नीचे) तर्कद्वार या लॉजिक गेट (logic gate) वह युक्ति है जिसका आउटपुट उसके इनपुट पर उपस्थित वर्तमान संकेतों या पूर्व संकेतों का कोई लॉजिकल फलन (Boolean function) हो। यह भौतिक युक्ति हो सकती है या कोई आदर्शीकृत युक्ति। आजकल अधिकतर अर्धचालक लॉजिक गेट प्रयोग किये जाते हैं किन्तु सिद्धान्ततः ये विद्युतचुम्बकीय रिले, तरल लॉजिक, दाब लॉजिक, प्रकाशिक लॉजिक, अणुओं आदि से भी बनाये जा सकते हैं। बूलीय लॉजिक से जिन अल्गोरिथ्म का वर्णन किया जा सकता है उन्हें इन भौतिक गेटों से उन अल्गोरिद्मों को साकार रूप भी दिया जा सकता है (बनाया भी जा सकता है)। जिस प्रकार एक दरवाजा (द्वार) दो अवस्थाओं - 'खुला या बन्द' में हो सकता है, उसी तरह लॉजिक गेट का आउटपुट भी 'हाई या लो' (High/Low) हो सकता है। लॉजिक गेट, ऐण्ड (AND) और ऑर (OR) जैसे सरल भी हो सकते हैं और एक कम्प्युटर जितना जटिल भी। डायोड का उपयोग करके बनाया गया लॉजिक गेट सबसे सरल लॉजिक गेट है। किन्तु इसके केवल AND तथा OR गेट ही बनाये जा सकते हैं, 'इन्वर्टर' नहीं बनाया जा सकता। अतः इसे एक 'अपूर्ण लॉजिक परिवार' कह सकते हैं। इन्वर सहित सभी लॉजिक गेट बनाने में सक्षम होने के लिये किसी प्रकार के प्रवर्धक की जरूरत होगी। इसलिये 'सम्पूर्ण लॉजिक परिवार' बनाने के लिये रिले, निर्वात नलिका या ट्रांजिस्टर का प्रयोग अपरिहार्य है। बाइपोलर ट्रांजिस्टरों का प्रयोग करके बना लॉजिक परिवार रेजिस्टर-ट्रांजिस्टर लॉजिक (RTL) कहलाता है। आरम्भिक एकीकृत परिपथों में इसी का उपयोग किया गया था। इसके बाद विभिन्न दृष्टियों से सुधार करते हुए डायोड-ट्रांजिस्टर लॉजिक (DTL) और ट्रांजिस्टर-ट्रांजिस्टर लॉजिक (TTL) आये। अब लगभग सब जगह ट्रांजिस्टर का स्थान मॉसफेट (MOSFETs) ने ले लिया है जिससे आईसी कम स्थान घेरती है और काम करने के लिये कम उर्जा क्षय होती है। वर्तमान में प्रयुक्त लॉजिक परिवार का नाम कम्प्लिमेन्टरी मेटल-आक्साइड-सेमिकंडक्टर (CMOS) है। .

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स्विच

भांति-भांति के वैद्युत स्विच: उपर से बाएं से दांयें: सर्कित ब्रेकर, mercury switch, wafer switch, DIP switch, surface mount switch, reed switch. Bottom, left to right: wall switch (U.S. style), miniature toggle switch, in-line switch, push-button switch, rocker switch, microswitch. स्विच या कुंजी उस यांत्रिक युक्ति को कहते हैं जो किसी विद्युत परिपथ को इच्छानुसार जोडने (connect) या तोडने (disconnect) के काम आती है। आकार-प्रकार एवं कार्य के आधार पर स्विचें अनेकानेक प्रकार की होती हैं - लघु से लघुतर आकार से लेकर लाखों किलोवाट की शक्ति को नियंत्रित करने वाली औद्योगिक प्लान्ट की स्विचें। .

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स्विच मोड पॉवर सप्लाई

एक '''एस एम पी एस''' के अन्दर का दृष्य स्विच मोड पॉवर सप्लाई (Switch-mode power supply) या एसएमपीएस उन शक्ति-परिवर्तकों (पावर कन्वर्टर्स) को कहते हैं जिनमें पॉवर-कन्वर्शन के लिये किसी स्विच (जैसे आईजीबीटी) को उच्च आवृत्ति पर चालू-बन्द (ON/OFF) किया जाता है। इनकी दक्षता उन कन्वर्टरों से बहुत अधिक होती है जिन्हें रेखीय शक्ति आपूर्ति (लिनियर पॉवर सप्लाईज) कहते हैं जिनमें किसी शक्ति को नियंत्रित करने वाली युक्ति न तो पूरी तरह चालू होती है न पूरी तरह बन्द (अर्थात वह युक्ति ऐक्टिव रीजन में काम करती है)। आजकल उच्च गुणवत्ता वाली स्विचों की उपलब्धता के कारण अधिकांश शक्ति आपूर्तियाँ एसएमपीएस प्रकार की ही निर्मित की जा रही हैं। उच्च दक्षता के अतिरिक्त इनका आकार (साइज) भी समान क्षमता के लिनियर पॉवर सप्लाई से छोटा होता है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

द्विध्रुवी शक्ति ट्रांजिस्टर

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