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दृढ़ पिण्ड गतिकी

सूची दृढ़ पिण्ड गतिकी

दृढ़ पिण्ड गतिकी बाह्य बलों की उपस्थिति में परस्पर पिण्डो के मध्य गति का अध्ययन है। यहाँ यह माना जाता है कि किसी भी बल के प्रभाव में पिण्ड में किसी प्रकार की विकृति उत्पन्न नहीं होगी। अतः इसका अध्ययन इस आधार पर सरल हो जाता है कि गति के दौरान पिण्ड के विन्यास का ज्ञान होना आवश्यक नहीं है। पिण्ड में किसी भी तरह की स्थानांतरण अथवा घूर्णन गति, पिण्ड में समाहित सभी कणों में समान होगी। दृढ़ पिण्ड गतिकी को गति के समीकरणों में परिभाषित किया जाता है जिन्हें न्यूटन के गति नियमों तथा लाग्रांजीय यांत्रिकी की सहायता से व्युत्पित किया जाता है। इन गति की समीकरणों के हल की सहायता से दृढ़ पिण्ड निकाय के विन्यास का समय के फलन के रूप में परिवर्तन को समझा जाता है। दृढ़ पिण्ड गतिकी का हल एवं सूत्रीकरण, यांत्रिक निकायों के संगणक अनुकरण में महत्वपूर्ण उपकरण है। .

4 संबंधों: न्यूटन के गति नियम, यंत्र, लाग्रांजीय यांत्रिकी, गति के समीकरण

न्यूटन के गति नियम

न्यूटन के गति के प्रथम एवं द्वितीय नियम, सन १६८७ में लैटिन भाषा में लिखित न्यूटन के '''प्रिन्सिपिया मैथेमेटिका''' से न्यूटन के गति नियम तीन भौतिक नियम हैं जो चिरसम्मत यांत्रिकी के आधार हैं। ये नियम किसी वस्तु पर लगने वाले बल और उससे उत्पन्न उस वस्तु की गति के बीच सम्बन्ध बताते हैं। इन्हें तीन सदियों में अनेक प्रकार से व्यक्त किया गया है। न्यूटन के गति के तीनों नियम, पारम्परिक रूप से, संक्षेप में निम्नलिखित हैं-.

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यंत्र

जेम्स अल्बर्ट बोनसैक द्वारा सन् १८८० में विकसित मशीन; यह मशीन प्रति घण्टे लगभग २०० सिगरेट बनाती थी। कोई भी युक्ति जो उर्जा लेकर कुछ कार्यकलाप करती है उसे यंत्र या मशीन (machine) कहते हैं। सरल मशीन वह युक्ति है जो लगाये जाने वाले बल का परिमाण या दिशा को बदल दे किन्तु स्वयं कोई उर्जा खपत न करे। .

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लाग्रांजीय यांत्रिकी

लाग्रांजीय यांत्रिकी अथवा लाग्रांजियन यांत्रिकी स्थिर प्रक्रिया द्वारा हेमिल्टन विधि द्वारा चिरसम्मत यांत्रिकी का एक पुनःसूत्रिकरण है। .

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गति के समीकरण

गति के समीकरण, ऐसे समीकरणों को कहते हैं जो किसी पिण्ड के स्थिति, विस्थापन, वेग आदि का समय के साथ सम्बन्ध बताते हैं। गति के समीकरणों का स्वरूप भिन्न-भिन्न हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि गति में स्थानान्तरण हो रहा है या केवल घूर्णन है या दोनो हैं; एक ही बल काम कर रहा है या कई; बल (त्वरण) नियत है या परिवर्तनशील; पिण्ड का द्रव्यमान स्थिर है या बदल रहा है (जैसे रॉकेट में) आदि। परम्परागत भौतिकी (क्लासिकल फिजिक्स) में गति का समीकरण इस प्रकार है: m \cdot \frac .

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