4 संबंधों: दायभाग, संस्कृत भाषा, जीमूतवाहन, उत्तराधिकार।
दायभाग
दायभाग जीमूतवाहनकृत एक प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथ है जिसके मत का प्रचार बंगाल में है। 'दायभाग' शाब्दिक अर्थ है, पैतृक धन का विभाग अर्थात् बाप दादे या संबंधी की संपत्ति के पुत्रों, पौत्रों या संबंधियों में बाँटे जाने की व्यवस्था। बपौती या वरासत की मिलाकियत को वारिसों या हकदारों में बाँटने का कायदा कानून। .
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संस्कृत भाषा
संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .
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जीमूतवाहन
जीमूतवाहन (12वीं शती) के भारत के विधि एवं धर्म के पण्डित थे। स्मृतियों पर लिखने वाले वे बंगाल के सबसे पहले व्यक्तियों में से हैं। वे पारिभद्रकुल के ब्राह्मण थे। इन्होने दायभाग नामक ग्रंथ की रचना की। .
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उत्तराधिकार
संपत्ति के स्वामी की मृत्यु के उपरांत, उसके द्वारा किसी दानपत्र (हिब्बा) या वसीयतनामा न संपादित करने की स्थिति में, उसकी संतान या संबंधी द्वारा स्वामित्व अधिकार प्राप्त कर स्थानापन्न होना ही उत्तराधिकार है। आंग्ल भाषा में इसे "सेक्सेशन" (Succession) कहते हैं जिसके समकक्ष अंग्रेजी शब्द "इन्हेरिटेन्स' (Inheritance) (जन्म ग्रहण करने के साथ-साथ पैतृक संपत्ति पर उत्तराधिकार प्राप्त करना) इसी उत्तराधिकार शब्द का पर्यायवाची शब्द है। .
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