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दाँत

सूची दाँत

दाँत (tooth) मुख की श्लेष्मिक कला के रूपांतरित अंकुर या उभार हैं, जो चूने के लवण से संसिक्त होते हैं। दाँत का काम है पकड़ना, काटना, फाड़ना और चबाना। कुछ जानवरों में ये कुतरने (चूहे), खोदने (शूकर), सँवारने (लीमर) और लड़ने (कुत्ते) के काम में भी आते हैं। दांत, आहार को काट-पीसकर गले से उतरने योग्य बनाते हैं। दाँत की दो पंक्तियाँ होती हैं,.

20 संबंधों: चूना, चूहा, दंतुरण, पक्षी, मानव दाँत, मगरमच्छ, लीमर, श्लेष्मिक कला, सरीसृप, साँप, सूअर, हाँगर, हाथी, जबड़ा, वालरस, खोपड़ी, कछुआ, कुत्ता, अस्थि, छिपकली

चूना

चूना पत्थर की खादान चूना (Lime) कैल्सियमयुक्त एक अकार्बनिक पदार्थ है जिसमें कार्बोनेट, आक्साइड, और हाइड्राक्साइड प्रमुख हैं। किन्तु सही तौर पर (Strictly speaking) कैल्सियम आक्साइड या कैल्सियम हाइड्राक्साइड को ही चूना मानते हैं। चूना एक खनिज भी है। गृहनिर्माण में जोड़ाई के लिये प्रयुक्त होनेवली वस्तुओं में चूना, सबसे प्राचीन पदार्थ है, किंतु अब इसका स्थान पोर्टलैंड सीमेंट ने लिया है। चूने का निम्नलिखित दो प्रमुख भागों में विभक्त किया गया है.

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चूहा

चूहा एक स्तनधारी प्राणी है। यह साधारणतः सभी देशों में विशेषकर उष्ण देशों में पाया जाता है। यह कपड़ा, सूटकेश आदि को काटकर बहुत हानि पहुँचाता है। शरीर बालों से आवृत एवं सिर, गर्दन, धड़ तथा पूँछ में विभक्त होता है। ऊपरी एवं निचली ओठ से घिरा रहता है। सिर में एक जोड़ा नेत्र, दो बाह्यकर्ण, धड़ में दो जोड़े पैर तथा स्तन होते हैं। नेत्र के ऊपर तथा किनारे में लंबे और कड़े बाल, जिन्हें मूँछ कहते हैं, ये स्पर्शेन्द्रिय का काम करते हैं। .

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दंतुरण

मानव के ऊपरी जबड़े का दन्तविन्यास प्राणियों के दांतों के विकास एवं दांतों का मुखगुहा में विन्यास का अध्ययन दंतुरण (Dentition) के अन्तर्गत किया जाता है। .

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पक्षी

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मानव दाँत

दांत मुंह (या जबड़ों) में स्थित छोटे, सफेद रंग की संरचनाएं हैं जो बहुत से कशेरुक प्राणियों में पाया जाती है। दांत, भोजन को चीरने, चबाने आदि के काम आते हैं। कुछ पशु (विशेषत: मांसभक्षी) शिकार करने एवं रक्षा करने के लिये भी दांतों का उपयोग करते हैं। दांतों की जड़ें मसूड़ों से ढ़की होतीं हैं। दांत, अस्थियों (हड्डी) के नहीं बने होते बल्कि ये अलग-अलग घनत्व व कठोरता के ऊतकों से बने होते हैं। मानव मुखड़े की सुंदरता बहुत कुछ दंत या दाँत पंक्ति पर निर्भर रहती है। मुँह खोलते ही 'वरदंत की पंगति कुंद कली' सी खिल जाती है, मानो 'दामिनि दमक गई हो' या 'मोतिन माल अमोलन' की बिखर गई हो। दाड़िम सी दंतपक्तियाँ सौंदर्य का साधन मात्र नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिये भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। .

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मगरमच्छ

मगरमच्छ Distrubition of crocodiles मगरमच्छ रेप्टीलिया वर्ग के सबसे बङे जंतुओं में एक है। यह 4 से 25 मीटर तक लंबा हो सकता है। श्रेणी:मगरमच्छ श्रेणी:उभयचर श्रेणी:सरीसृप.

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लीमर

लीमर मैडागास्कर में पाये जाने वाले छोटे वानर कुल के प्राणी हैं। यह स्ट्रॅपसराइनी उपकुल के वानर हैं जो मैडागास्कर के मूल निवासी हैं। काले और सफेद रंग के इस जंतु की पूंछ काफी लंबी व धारीदार होती है, जबकि आंखें बड़ी होती हैं। बंदरों से मिलता-जुलता लीमर अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। लीमर की 101 प्रजातियों में से 90 प्रतिशत विलुप्ति के कगार पर हैं। सबसे अधिक संकट ग्रेटर बैंबू लीमर प्रजाति पर है। पूरे विश्व में केवल 500 ग्रेटर बैंबू लीमर बचे हैं। अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना में काफी संख्या में लीमर हैं, जबकि मेडागास्कर में इनकी संख्या गिनतियों में बची है। .

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श्लेष्मिक कला

मुख विवर के दाहिने की श्लेष्मिक झिल्ली (Right buccal mucosa) श्लेष्मिक कला या श्लेष्मल झिल्ली (mucous membrane या mucosa) वह झिल्ली है जो शरीर के आन्तरिक अंगों को घेरे रहती है और सभी गुहाओं (cavities) की सबसे ऊपरी परत होती है। श्लेष्मिक कला, उपकला कोशिकाओं के एक या अधिक परतों से बनी होती है। श्रेणी:शरीर रचना.

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सरीसृप

सरीसृप (Reptiles) प्राणी-जगत का एक समूह है जो कि पृथ्वी पर सरक कर चलते हैं। इसके अन्तर्गत साँप, छिपकली,मेंढक, मगरमच्छ आदि आते हैं। .

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साँप

साँप साँप या सर्प, पृष्ठवंशी सरीसृप वर्ग का प्राणी है। यह जल तथा थल दोनों जगह पाया जाता है। इसका शरीर लम्बी रस्सी के समान होता है जो पूरा का पूरा स्केल्स से ढँका रहता है। साँप के पैर नहीं होते हैं। यह निचले भाग में उपस्थित घड़ारियों की सहायता से चलता फिरता है। इसकी आँखों में पलकें नहीं होती, ये हमेशा खुली रहती हैं। साँप विषैले तथा विषहीन दोनों प्रकार के होते हैं। इसके ऊपरी और निचले जबड़े की हड्डियाँ इस प्रकार की सन्धि बनाती है जिसके कारण इसका मुँह बड़े आकार में खुलता है। इसके मुँह में विष की थैली होती है जिससे जुडे़ दाँत तेज तथा खोखले होते हैं अतः इसके काटते ही विष शरीर में प्रवेश कर जाता है। दुनिया में साँपों की कोई २५००-३००० प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इसकी कुछ प्रजातियों का आकार १० सेण्टीमीटर होता है जबकि अजगर नामक साँप २५ फिट तक लम्बा होता है। साँप मेढक, छिपकली, पक्षी, चूहे तथा दूसरे साँपों को खाता है। यह कभी-कभी बड़े जन्तुओं को भी निगल जाता है। सरीसृप वर्ग के अन्य सभी सदस्यों की तरह ही सर्प शीतरक्त का प्राणी है अर्थात् यह अपने शरीर का तापमान स्वंय नियंत्रित नहीं कर सकता है। इसके शरीर का तापमान वातावरण के ताप के अनुसार घटता या बढ़ता रहता है। यह अपने शरीर के तापमान को बढ़ाने के लिए भोजन पर निर्भर नहीं है इसलिए अत्यन्त कम भोजन मिलने पर भी यह जीवीत रहता है। कुछ साँपों को महीनों बाद-बाद भोजन मिलता है तथा कुछ सर्प वर्ष में मात्र एक बार या दो बार ढेड़ सारा खाना खाकर जीवीत रहते हैं। खाते समय साँप भोजन को चबाकर नहीं खाता है बल्कि पूरा का पूरा निकल जाता है। अधिकांश सर्पों के जबड़े इनके सिर से भी बड़े शिकार को निगल सकने के लिए अनुकुलित होते हैं। अफ्रीका का अजगर तो छोटी गाय आदि को भी नगल जाता है। विश्व का सबसे छोटा साँप थ्रेड स्नेक होता है। जो कैरेबियन सागर के सेट लुसिया माटिनिक तथा वारवडोस आदि द्वीपों में पाया जाता है वह केवल १०-१२ सेंटीमीटर लंबा होता है। विश्व का सबसे लंबा साँप रैटिकुलेटेड पेथोन (जालीदार अजगर) है, जो प्राय: १० मीटर से भी अधिक लंबा तथा १२० किलोग्राम वजन तक का पाया जाता है। यह दक्षिण -पूर्वी एशिया तथा फिलीपींस में मिलता है। .

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सूअर

सूकरी और उसका एक बच्चा सूअर (Pig) आर्टियोडेक्टिला गण (Order Artiodactyla) के सुइडी कुल (family Suidae) के जीव, जिनमें संसार के सभी जंगली और पालतू सूअर सम्मिलित हैं, इसके अंतर्गत आते हैं। इन खुर वाले प्राणियों की खाल बहुत मोटी होती है और इनके शरीर जो थोड़े बहुत बाल रहते हैं वे बहुत कड़े होते हैं। इनका थूथन आगे की ओऱ चपटा रहता है जिसके भीतर मुलायम हड्डी का एक चक्र सा रहता है जो थूथन को कड़ा बनाए रखता है। इसी थूथन के सहारे ये जमीन खोद डालते हैं और भारी-भारी पत्थरों को आसानी से उलट देते हैं। .

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हाँगर

हाँगर या शार्क एक पृष्ठवंशी समुद्री जल में रहने वाला प्राणी है। इसका शरीर बहुत लम्बा होता है जो शल्कों से ढका रहता है। इन शल्कों को प्लेक्वायड कहते हैं। त्वचा चिकनी होती है। त्वचा के नीचे वसा (चर्बी) की मोटी परत होती है। इसके शरीर में हड्डी की जगह उपास्थि (कार्टिलेज) पाई जाती है। शरीर नौकाकार होता है। इसका निचला जबड़ा ऊपरी जबड़े से छोटा होता है। अतः इसका मुँह सामने न होकर नीचे की ओर होता है जिसमें तेज दाँत होते हैं। यह एक माँसाहारी प्राणी है। शार्क के शरीर में देखने के लिए एक जोड़ी आँखें, तैरने के लिए पाँच जोड़े पखने और श्वांस लेने के लिए पाँच जोड़े क्लोम होते हैं। श्रेणी:जलचर श्रेणी:विद्युतभानी प्राणी.

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हाथी

अफ़्रीकी हाथी का कंकाल हाथी जमीन पर रहने वाला एक विशाल आकार का प्राणी है। यह जमीन पर रहने वाला सबसे विशाल स्तनपायी है। यह एलिफैन्टिडी कुल और प्रोबोसीडिया गण का प्राणी है। आज एलिफैन्टिडी कुल में केवल दो प्रजातियाँ जीवित हैं: ऍलिफ़स तथा लॉक्सोडॉण्टा। तीसरी प्रजाति मैमथ विलुप्त हो चुकी है।जीवित दो प्रजातियों की तीन जातियाँ पहचानी जाती हैं:- ''लॉक्सोडॉण्टा'' प्रजाति की दो जातियाँ - अफ़्रीकी खुले मैदानों का हाथी (अन्य नाम: बुश या सवाना हाथी) तथा (अफ़्रीकी जंगलों का हाथी) - और ऍलिफ़स जाति का भारतीय या एशियाई हाथी।हालाँकि कुछ शोधकर्ता दोनों अफ़्रीकी जातियों को एक ही मानते हैं,अन्य मानते हैं कि पश्चिमी अफ़्रीका का हाथी चौथी जाति है।ऍलिफ़ॅन्टिडी की बाकी सारी जातियाँ और प्रजातियाँ विलुप्त हो गई हैं। अधिकतम तो पिछले हिमयुग में ही विलुप्त हो गई थीं, हालाँकि मैमथ का बौना स्वरूप सन् २००० ई.पू.

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जबड़ा

मानव जबड़े का निचला हिस्सा जबड़ा या हनु (अंग्रेजी: jaw, जॉ) किसी प्राणी के मुँह के प्रवेश-क्षेत्र पर स्थित उस ढाँचे को बोलते हैं जो मुंह को खोलता और बंद करता है और जिसके प्रयोग से खाने को मुख द्वारा पकड़ा जाता है तथा (कुछ जानवरों में) चबाया जाता है। मानव समेत बहुत से अन्य जानवरों में जबड़े के दो हिस्से होते हैं जो एक दूसरे से चूल (हिन्ज) के ज़रिये जुड़े होते हैं जिसके प्रयोग से जबड़ा ऊपर-नीचे होकर मुख खोलता है या बंद करता है। ऐसे प्राणियों में खाद्य सामग्री चबाने या चीरने के लिए जबड़ों में अक्सर दांत लगे होते हैं। इसके विपरीत बहुत से कीटों के जबड़े मुख के दाई-बाई तरफ़ लगे दो छोटे शाखनुमा अंग होते हैं जो चिमटे की तरह खाना पकड़कर उनके मुख तक ले जाते हैं। .

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वालरस

वालरस (Odobenus rosmarus), एक विशाल मीनपक्षी समुद्री स्तनपायी है जो आर्कटिक महासागर और उत्तरी गोलार्ध के उप आर्कटिक समुद्रों में असंतत परिध्रुवी वितरण के साथ पाया जाता है। वालरस ओडोबेनाइडी (Odobenidae) कुल और ओडोबेनस (Odobenus) वंश की एक मात्र जीवित प्रजाति है। इसका विभाजन तीन उपप्रजातियों; अन्ध महासागर में पायी जाने वाली अन्ध महासागरीय वालरस (O. rosmarus rosmarus); प्रशांत महासागर में पायी जाने वाली प्रशांत वालरस (O. rosmarus divergens) और लाप्टेव सागर में रहने वाली लाप्टेव वालरस (O. rosmarus laptevi) में किया जाता है। वालरस की विशेषताओं में इसके खाँग, मूंछे और विशाल शरीर है। एक वयस्क नर प्रशांत वालरस का भार 2000 किलोग्राम (£ 4400) से ऊपर हो सकता है और युक्तांगुलित जीवों में इनसे बड़ा आकार गज सीलों की सिर्फ दो प्रजातियों का है। यह मुख्य रूप से उथले उपतटी समुद्री हिस्सों में निवास करते हैं और अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग बर्फ़ीले समुद्र में भोजन की तलाश में गुजारते हैं। अपेक्षाकृत दीर्घ जीवी वालरस एक सामाजिक प्राणी है और आर्कटिक समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की यह सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। वालरस आर्कटिक के मूल निवासियों के जीवन का आधार है और यह लोग इसका शिकार मुख्यत: इसके मांस, वसा, त्वचा, दाँत और हड्डी के लिए करते हैं। 19 वीं और 20 वीं शताब्दियों में, वालरस का शिकार इसके खाँग और तिमिवसा (चर्बी) के लिए बड़े पैमाने पर किया गया जिसके कारण इनकी संख्या में अभूतपूर्व कमी दर्ज की गयी, हालाँकि अब इसकी संख्या में वृद्धि दर्ज की गयी है पर अन्ध महासागर और लाप्टेव सागर की वालरसों की संख्या अभी भी इनकी ऐतिहासिक संख्या से काफी कम है। .

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खोपड़ी

मानव की खोपड़ी खोपड़ी कई जन्तुओं के सिर में पाए जानी वाली रचना है। इसके द्वारा मस्तिष्क की सुरक्षा होती है। श्रेणी:अंग श्रेणी:चपटी हड्डियाँ.

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कछुआ

कछुए (Turtles) या कर्म टेस्टूडनीज़ नामक सरीसृपों के जीववैज्ञानिक गण के सदस्य होते हैं जो उनके शरीरों के मुख्य भाग को उनकी पसलियों से विकसित हुए ढाल-जैसे कवच से पहचाने जाते हैं। विश्व में स्थलीय कछुओं और जलीय कछुओं दोनों की कई जातियाँ हैं। कछुओं की सबसे पहली जातियाँ आज से १५.७ करोड़ वर्ष पहले उत्पन्न हुई थीं, जो की सर्वप्रथम सर्पों व मगरमच्छों से भी पहले था। इसलिये वैज्ञानिक उन्हें प्राचीनतम सरीसृपों में से एक मानते हैं। कछुओं की कई जातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं लेकिन ३२७ आज भी अस्तित्व में हैं। इनमें से कई जातियाँ ख़तरे में हैं और उनका संरक्षण करना एक चिंता का विषय है। इसकी उम्र 300 साल से अधिक होती है .

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कुत्ता

कुत्ता या श्वान भेड़िया कुल की एक प्रजाति है। यह मनुष्य के पालतू पशुओं में से एक महत्त्वपूर्ण प्राणी है। इनके द्वारा तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली एक भयंकर बीमारी रेबीज होती है। इसकी मादा को कुतिया और शावक को पिल्ला कहते हैं। इसका औसत जीवनकाल लगभग 40 वर्ष होता है। .

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अस्थि

अस्थियाँ या हड्डियाँ रीढ़धारी जीवों का वह कठोर अंग है जो अन्तःकंकाल का निर्माण करती हैं। यह शरीर को चलाने (स्थानांतरित करने), सहारा देने और शरीर के विभिन्न अंगों की रक्षा करने मे सहायता करती हैं साथ ही यह लाल और सफेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण करने और खनिज लवणों का भंडारण का कार्य भी करती हैं। अस्थियाँ विभिन्न आकार और आकृति की होने के साथ वजन मे हल्की पर मजबूत होती हैं। इनकी आंतरिक और बाहरी संरचना जटिल होती है। अस्थि निर्माण का कार्य करने वाले प्रमुख ऊतकों मे से एक उतक को खनिजीय अस्थि ऊतक, या सिर्फ अस्थि ऊतक भी कहते हैं और यह अस्थि को कठोरता और मधुकोशीय त्रिआयामी आंतरिक संरचना प्रदान करते हैं। अन्य प्रकार के अस्थि ऊतकों मे मज्जा, अन्तर्स्थिकला और पेरिओस्टियम, तंत्रिकायें, रक्त वाहिकायें और उपास्थि शामिल हैं। वयस्क मानव के शरीर में 206 हड्डियों होती हैं वहीं एक शिशु का शरीर २७० अस्थियों से मिल कर बनता है। .

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छिपकली

Clockwise from top left: veiled chameleon(''Chamaeleo calyptratus''), rock monitor (''Varanus albigularis''), common blue-tongued skink (''Tiliqua scincoides''), Italian wall lizard (''Podarcis sicula''), giant leaf-tailed gecko (''Uroplatus fimbriatus''), and legless lizard (''Anelytropsis papillosus'') छिपकली स्क्वमाटा जीववैज्ञानिक गण के सरीसृप प्राणियों का एक उपगण है, जिसमें अंटार्कटिका के अलावा लगभग विश्व भर के हर बड़े भू-भाग में मिलने वाली लगभग ६००० ज्ञात जातियाँ शामिल हैं। ध्यान दें कि सर्प भी स्क्वमाटा गण के सदस्य होते हैं और छिपकली व सर्प दोनों एक ही पूर्वज के वंशज हैं लेकिन परिभाषिक रूप से सर्पों को छिपकली नहीं समझा जाता। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

दन्त, दाँतो, दांत, दांतों, दंत

निवर्तमानआने वाली
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