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द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर

सूची द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर

द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर: द मैकिंग एंड अनमैकिंग ऑफ मनमोहन सिंह भारतीय नीति विश्लेषक संजय बारू का एक संस्मरण है। वे 2004 से अगस्त 2008 तक तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार थे। पेंगुइन इंडिया द्वारा प्रकाशित इस किताब में आरोप लगाया गया कि अपने कैबिनेट या यहां तक कि प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक सिंह के नियंत्रण में भी नहीं थे। बजाय उनके कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी के पास अत्याधिक शक्ति थी, सिंह उनके सहायक थे। "सत्ता के दो केंद्र नहीं हो सकते", बारू याद करते है, सिंह ने उन्हें समझाते हुए कहा था, "इससे भ्रम पैदा होता है"। द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर के जारी होने के दिन प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक वक्तव्य जारी कर संस्मरण के दावों को नकार दिया, "पूर्व मीडिया सलाहकार द्वारा लिखी गई किताब एक विशेषाधिकृत पद का दुरुपयोग और विश्वसनीयता प्राप्त उच्च कार्यालय तक पहुंच का जाहिरा तौर पर व्यावसायिक लाभ उठाने का प्रयास है।" बारू का पीएमओ के आरोपों पर जवाब था "मैं खुश हूं।"बारू ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "अधिकांश किताब सकारात्मक है "और उनके लिखने का मुख्या कारण ही सिंह का "उपहास का विषय बन जाना है, प्रशंसा का नहीं। मैं उन्हें एक इंसान के रूप में दिखा रहा हूं, मैं चाहता हूँ कि उसके लिए सहानुभूति हो।" द गार्जियन के मुताबिक, "शिथिलता का इस तरह का अंतरंग चित्रण निश्चित रूप से राजनीतिक असर करेगा" खासकर तब, जब भारत में आम चुनाव होने है.  मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने पुस्तक में लगे आरोपों के के आधार पर सवालों की झड़ी लगा दी...

4 संबंधों: दि न्यू यॉर्क टाइम्स, मनमोहन सिंह, सजिल्द, संस्मरण

दि न्यू यॉर्क टाइम्स

दि न्यू यॉर्क टाइम्स अमेरिका का एक दैनिक समाचार पत्र है। .

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मनमोहन सिंह

मनमोहन सिंह (ਮਨਮੋਹਨ ਸਿੰਘ; जन्म: २६ सितंबर १९३२) भारत गणराज्य के १३वें प्रधानमन्त्री थे। साथ ही साथ वे एक अर्थशास्त्री भी हैं। लोकसभा चुनाव २००९ में मिली जीत के बाद वे जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमन्त्री बन गये हैं, जिनको पाँच वर्षों का कार्यकाल सफलता पूर्वक पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला है। इन्हें २१ जून १९९१ से १६ मई १९९६ तक पी वी नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्व काल में वित्त मन्त्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों के लिए भी श्रेय दिया जाता है। .

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सजिल्द

धूल रोधी आवरण के साथ एक सजिल्द पुस्तक एक सजिल्द पुस्तक वह पुस्तक होती है जिसपर एक सुरक्षात्मक कठोर आवरण चढ़ा होता है। आमतौर पर यह आवरण एक मोटे गत्ते का बना होता है जिसको कपड़े, मोटे कागज, या कभी कभी चमड़े से भी मढ़ा जाता है। जिल्द शब्द उर्दु से आया है जिसका अर्थ, त्वचा होता है। इस जिल्द को लचीले सीवन टाँको से सिला जाता है ताकि जब पुस्तक को पढ़ने के लिए खोला जाये यह आराम से खोली जा सके और खुलने के बाद खुली रहे, हालांकि आजकल जिल्द को सिलने के बजाय चिपकाया जाता है। सजिल्द किताबें अक्सर अम्लमुक्त कागज पर मुद्रित की जाती हैं और यह कागजी जिल्द वाली पुस्तकों से अधिक टिकाऊ होती है। सजिल्द पुस्तकें उत्पादन के समय अपेक्षाकृत थोड़ी और बिक्री के समय काफी महंगी होती हैं। सजिल्द किताबों को धूल से बचाने के लिए अक्सर एक कलात्मक धूल रोधी आवरण इनके साथ आता है। .

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संस्मरण

स्मृति के आधार पर किसी विषय पर अथवा किसी व्यक्ति पर लिखित आलेख संस्मरण कहलाता है। यात्रा साहित्य भी इसके अन्तर्गत आता है। संस्मरण को साहित्यिक निबन्ध की एक प्रवृत्ति भी माना जा सकता है। ऐसी रचनाओं को 'संस्मरणात्मक निबंध' कहा जा सकता है। व्यापक रूप से संस्मरण आत्मचरित के अन्तर्गत लिया जा सकता है। किन्तु संस्मरण और आत्मचरित के दृष्टिकोण में मौलिक अन्तर है। आत्मचरित के लेखक का मुख्य उद्देश्य अपनी जीवनकथा का वर्णन करना होता है। इसमें कथा का प्रमुख पात्र स्वयं लेखक होता है। संस्मरण लेखक का दृष्टिकोण भिन्न रहता है। संस्मरण में लेखक जो कुछ स्वयं देखता है और स्वयं अनुभव करता है उसी का चित्रण करता है। लेखक की स्वयं की अनुभूतियाँ तथा संवेदनायें संस्मरण में अन्तर्निहित रहती हैं। इस दृष्टि से संस्मरण का लेखक निबन्धकार के अधिक निकट है। वह अपने चारों ओर के जीवन का वर्णन करता है। इतिहासकार के समान वह केवल यथातथ्य विवरण प्रस्तुत नहीं करता है। पाश्चात्य साहित्य में साहित्यकारों के अतिरिक्त अनेक राजनेताओं तथा सेनानायकों ने भी अपने संस्मरण लिखे हैं, जिनका साहित्यिक महत्त्व स्वीकारा गया है। .

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