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थाई बाट

सूची थाई बाट

बात (चिह्न: ฿; कोड: THB) थाईलैंड की मुद्रा है। यह 100 सतांग () में विभाजित होता है। मुद्रा जारी करने की ज़िम्मेदारी थाईलैंड के बैंक की है। स्विफ्ट के अनुसार, अक्टूबर 2014 तक, थाई बात दुनिया का दसवाँ सबसे अधिक भुगतान में इस्तेमाल होने वाला मुद्रा है।  .

17 संबंधों: चाँदी, थाई भाषा, थाईलैण्ड, द्वितीय विश्वयुद्ध, पाउण्ड स्टर्लिंग, बहुमूल्य धातु, भारतीय रुपया, मुद्रा चिह्न, रत्न, स्वर्ण मानक, सोना, जापानी येन, ग्राम, आभूषण, आईएसओ ४२१७, अमेरिकी डॉलर, अंग्रेज़ी भाषा

चाँदी

चाँदी एक चमकीली व बहुमूल्य धातु है। इसका परमाणु क्रमांक 47 व परमाणु द्रव्यमान 107.9 है यह एक तन्य धातु है,अतः इसका उपयोग तार व आभूषण बनाने में होता है। इसका परमाण्विक इलेक्ट्रोन विन्यास-1s22s22p63s23p63d104s24p64d105s1 है। चाँदी सर्वाधिक विद्युतचालक व ऊष्माचालक धातु है। इसमे जल व कार्बन डाई ऑक्साइड व सल्फर डाई ऑक्साइड से अभिक्रिया से जंग उत्पन्न होती है, जो काले रंग की होती है। .

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थाई भाषा

थाई भाषा (थाई: ภาษาไทย) थाईलैंड की मातृभाषा और राष्ट्रभाषा है और यहाँ के ९५% लोग यही भाषा बोलते हैं। .

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थाईलैण्ड

श्यामदेश (थाईलैण्ड) जिसका प्राचीन भारतीय नाम श्यामदेश है दक्षिण पूर्वी एशिया में एक देश है। इसकी पूर्वी सीमा पर लाओस और कम्बोडिया, दक्षिणी सीमा पर मलेशिया और पश्चिमी सीमा पर म्यानमार है। थाईलैण्ड को सियाम के नाम से भी जाना जाता है जो ११ मई, १९४९ तक थाईलैण्ड का अधिकृत नाम था। थाई शब्द का अर्थ थाई भाषा में आज़ाद होता है। यह शब्द थाई नागरिको के सन्दर्भ में भी इस्तेमाल किया जाता है। इस वजह से कुछ लोग विशेष रूप से यहाँ बसने वाले चीनी लोग, थाईलैंड को आज भी सियाम नाम से पुकारना पसन्द करते हैं। थाईलैण्ड की राजधानी बैंकाक है। .

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द्वितीय विश्वयुद्ध

द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .

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पाउण्ड स्टर्लिंग

पाउंड स्टर्लिंग (प्रतीक: £, आईएसओ कोड: GBP), सामान्य तौर पर पाउंड, संयुक्त राजशाही (यूनाइटेड किंगडम), उस पर निर्भर किरीटाधीन क्षेत्र (आइल ऑफ मान और चैनल द्वीप समूह) और ब्रिटेन प्रवासी क्षेत्र दक्षिण जॉर्जिया, दक्षिण सैंडविच द्वीप और ब्रिटिश अंटार्कटिक क्षेत्र की मुद्रा है। यह 100 पेंस (एकवचनःपेनी) में समविभाजित की जाती है। जिब्राल्टर पाउंड, फ़ॉकलैंड द्वीप पाउंड और सेंट हेलेना पाउंड अलग मुद्राएं हैं, जो पाउंड स्टर्लिंग से बराबर हैं। अमेरिकी डॉलर और यूरो के बाद स्टर्लिंग दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आरक्षित मुद्रा है। पाउंड स्टर्लिंग विदेशी मुद्रा बाजार में अमेरिकी डॉलर, यूरो और जापानी येन के बाद चौथी सबसे ज्यादा प्रचलित मुद्रा है। .

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बहुमूल्य धातु

क़ीमती धातु (Precious metal) ऐसी रासयनिक धातु तत्व होती है जो प्रकृति में दुर्लभ हो और आर्थिक रूप से बहुमूल्य हो। रासायनिक दृष्टि से क़ीमती धातु अन्य तत्वों से कम अभिक्रिया (रियैक्शन) करते हैं। अन्य धातुओं की तुलना में यह अक्सर अधिक चमकीले होते हैं और अधिक मुलायम होने के कारण इन्हें खींचना या मनचाहा आकार देना भी आसान होता है। इन्हें इतिहास में मुद्रा के रूप में बहुत प्रयोग किया गया है लेकिन आधुनिक काल में इन्हें आभूषण, निवेश और औद्योगिक प्रयोगों में ज़्यादा लगाया जाता है। क़ीमती धातुओं में सोना, चाँदी, प्लैटिनम और पैलेडियम अधिक विख्यात हैं, हालांकि कई अन्य धातुएँ भी इस गुट में आती हैं। .

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भारतीय रुपया

भारतीय रुपया (प्रतीक-चिह्न: 8px; कोड: INR) भारत की राष्ट्रीय मुद्रा है। इसका बाज़ार नियामक और जारीकर्ता भारतीय रिज़र्व बैंक है। नये प्रतीक चिह्न के आने से पहले रुपये को हिन्दी में दर्शाने के लिए 'रु' और अंग्रेजी में Re.

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मुद्रा चिह्न

मुद्रा चिह्न किसी देश की राष्ट्रीय मुद्रा को दर्शाने वाला आधिकारिक चिह्न होता है। अभी की स्थिति तक केवल पाँच मुद्राएँ ऐसी हैं जिनके प्रतीक-चिह्न हैं। ये मुद्राएँ हैं: अमेरिकी डॉलर, जापानी येन, ब्रिटिश पाउण्ड, भारतीय रुपया और यूरोपीय यूरो। इन मुद्राओं के चिह्न इस प्रकार हैं: अन्तर्राष्ट्रीय रूप से मुद्रा-चिह्नों के स्थान पर आईएसओ ४२१७ कोड का उपयोग किया जाता है, हालांकि क्रमशः मुद्रा-चिह्न विभिन्न देशों में अधिक उपयोग में हो सकता है। विश्व की अधिकान्श मुद्राओं का कोई प्रतीक-चिह्न नहीं है। .

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रत्न

रत्न प्रकृति प्रदत्त एक मूल्यवान निधि है। मनुष्य अनादिकाल से ही रत्नों की तरफ आकर्षित रहा है, वर्तमान में भी है तथा भविष्य में भी रहेगा। रत्न सुवासित, चित्ताकर्षक, चिरस्थायीव दुर्लभ होने तथा अपने अद्भुत प्रभाव के कारण भी मनुष्य को अपने मोहपाश में बाँधे हुए हैं। रत्न आभूषणों के रूप में शरीर की शोभा तो बढ़ाते ही हैं, साथ ही अपनी दैवीय शक्ति के प्रभाव के कारण रोगों का निवारण भी करते हैं। रत्नों में चिरस्थायित्व का ऐसा गुण है कि ये ऋतुओं के परिवर्तन के कारण तथा समय-समय पर प्रकृति के भीषण उथल-पुथल से तहस-नहस होने के कारण भी प्रभावित नहीं होते। .

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स्वर्ण मानक

सोने के मानक में पेपर नोट्स प्री-सेट में परिवर्तनीय हैं जिसमें निश्चित मात्रा में सोने होते हैं। सोने का मानक या स्वर्ण मानक एक मौद्रिक प्रणाली है, जिसमें सोने का एक तय वजन मानक आर्थिक मूल्य की इकाई होती है। सोने के मानक के भिन्न प्रकार होते हैं। सबसे पहले, स्वर्ण मुद्रा मानक एक प्रणाली है जिसमें मौद्रिक इकाई सोने के सिक्कों के साथ संबद्ध होती है या फिर किसी कम मूल्यवान धातु से बने पूरक सिक्के के साथ संयोजन में एक ख़ास परिसंचारी स्वर्ण मुद्रा के मामले में मूल्य की इकाई परिभाषित होती है। इसी प्रकार, स्वर्ण विनिमय मानक में आमतौर पर सिर्फ चांदी या अन्य धातुओं से बने सिक्कों का प्रचलन अंतर्भूत होता है, लेकिन जहां सरकारें अन्य देश के साथ एक तय विनिमय दर की गारंटी करती हैं तब वह सोने के मानक पर तय होता है। यह निजत: एक सोने के मानक का निर्माण करता है, उसमें चांदी के अंतर्जात मूल्य से स्वतंत्र सोने के सन्दर्भ में चांदी के सिक्कों के मूल्य के एक तय बाह्य मूल्य होते हैं। अंत में, स्वर्ण बुलियन मानक एक ऐसी प्रणाली है जिसमें सोने के सिक्के प्रचलन में नहीं होते, मगर जिसमें सरकारों ने प्रचलित करेंसी (मुद्रा) के साथ विनिमय की मांग पर एक तय कीमत पर स्वर्ण बुलियन (सोने की ईंटें) बेचने पर सहमति व्यक्त की है। 1882 से लेकर 1933 तक संयुक्त राज्य अमेरिका में पेपर करेंसी के रूप में गोल्ड सर्टिफिकेट्स इस्तेमाल किया जाता है। इन प्रमाणपत्रों को स्वतंत्र रूप से सोने के सिक्कों में परिवर्तनीय है। .

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सोना

सोना या स्वर्ण (Gold) अत्यंत चमकदार मूल्यवान धातु है। यह आवर्त सारणी के प्रथम अंतर्ववर्ती समूह (transition group) में ताम्र तथा रजत के साथ स्थित है। इसका केवल एक स्थिर समस्थानिक (isotope, द्रव्यमान 197) प्राप्त है। कृत्रिम साधनों द्वारा प्राप्त रेडियोधर्मी समस्थानिकों का द्रव्यमान क्रमश: 192, 193, 194, 195, 196, 198 तथा 199 है। .

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जापानी येन

येन (संकेत: ¥ कोड;: JPY) जापान की मुद्रा है। यह अमेरिकी डॉलर और यूरो के बाद विदेशी मुद्रा बाजार में तीसरी सबसे बड़ी कारोबारी मुद्रा है। यह आरक्षित मुद्रा के रूप में भी अमेरिकी डॉलर, यूरो और पाउंड स्टर्लिंग के बाद व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाती है। .

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ग्राम

ग्राम (ब्रिटिश अंग्रेज़ी में इसे gramme भी लिखा जाता है; एस आई इकाई चिह्न: g) (यूनानी/लातिनी मूल grámma) द्रव्यमान की मीट्रिक इकाई प्रणाली की एक इकाई है। .

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आभूषण

Jewellery art using computer aided design. आभूषण के निर्माण में अक्सर रत्न, सिक्के या अन्य कीमती वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाता है और आमतौर पर इनको कीमती धातुओं में स्थापित किया जाता है। आभूषण लोकसंस्कृति के लोकमान्य अंग हैं। सौंदर्य की बाहरी चमक-दमक से लेकर शील की भीतरी गुणवत्ता तक और व्यक्ति की वैयक्तिक रुचि से लेकर समाज की सांस्कृतिक चेतना तक आभूषणों का प्रभाव व्याप्त रहा है। दुनिया के कई हिस्सों में 15 फ़रवरी को ज्वैलरी डे मनाया जाता है हालाँकि इसके पीछे कौन सी विशेष मान्यताएं हैं इसका स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं है। .

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आईएसओ ४२१७

Exchange rates display at a Bureau de change listing currency names in English and their ISO 4217 codes. This list displays the United Kingdom as 'England', one of its constituent countries, in addition to displaying the Republic of China as 'Taiwan' and South Korea as 'Korea'. € आईएसओ ४२१७ (अंग्रेज़ी:ISO 4217) एक अंतर्राष्ट्रीय मानक है, जो तीन-अक्षरीय मुद्रा कूट बताता है। इसको अंतर्राष्ट्रीय मानक संगठन द्वारा मानकीकृत किया गया है। .

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अमेरिकी डॉलर

एक अमेरिकी डॉलर का नोट अमेरिकी डॉलर संयुक्त राज्य अमेरिका की राष्ट्रीय मुद्रा है। एक डॉलर में सौ सेंट होते हैं। पचास सेंट के सिक्के को आधा डॉलर कहा जाता है। पच्चीस सेंट के सिक्के को क्वार्टर कहते हैं। दस सेंट का सिक्का डाइम कहलाता है और पाँच सेंट के सिक्के को निकॅल कहते हैं। एक सेंट को पैनी के नाम से पुकारा जाता है। डॉलर के नोट १,५,१०,२०,५० और १०० डॉलर में मिलते है। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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