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त्रिऋषि सरोवर

सूची त्रिऋषि सरोवर

'नैनीताल' के सम्बन्ध में एक और पौराणिक कथा प्रचलित है। 'स्कन्द पुराण' के मानस खण्ड में एक समय अत्रि, पुस्त्य और पुलह नाम के ॠषि गर्गाचल की ओर जा रहे थे। मार्ग में उन्हे#े#ं यह स्थान मिला। इस स्थान की रमणीयता मे वे मुग्ध हो गये परन्तु पानी के अभाव से उनका वहाँ टिकना (रुकना) और करना कठिन हो गया। परन्तु तीनों ॠषियों ने अपने - अपने त्रिशुलों से मानसरोवर का स्मरण कर धरती को खोदा। उनके इस प्रयास से तीन स्थानों पर जल धरती से फूट पड़ और यहाँ पर 'ताल' का निर्माण हो गया। इसलिए कुछ विद्वान इस ताल को 'त्रिॠषि सरोवर' के नाम से पुकारा जाना श्रेयस्कर समझते हैं। कुछ लोगों का मानना हे कि इन तीन ॠषियों ने तीन स्थानों पर अलग - अलग तोलों का निर्माण किया था। नैनीताल, खुरपाताल और चाफी का मालवा ताल ही वे तीन ताल थे जिन्हें 'त्रिॠषि सरोवर' होने का गौरव प्राप्त है। नैनीताल के ताल की कहानी चाहे जो भी हो, इस अंचल के लोग सदैव यहाँ नैना (नन्दा) देवी की पूजा - अर्चना के लिए आते रहते थे। कुमाऊँ की ऐतिहासिक घटनाएँ ऐसा रूप लेती रहीं कि सैकड़ों क्या हजारों वर्षों तक इस ताल की जानकारी बाहर के लोगों को न हो सकी। इसी बीच यह क्षेत्र घने जंगल के रूप में बढ़ता रहा। किसी का भी ध्यान ताल की सुन्दरता पर न जाकर राजनीतिक गतिविधियों से उलढा रहा। यह अंचल छोटे छोटे थोकदारों के अधीन होता रहा। नैनीताल के इस इलाके में भी थोकदार थे, जिनकी इस इलाके में काफी जमीनें और गाँव थे। सन् १७९० से १८१५ तक का समय गढ़वाल और कुमाऊँ के लिए अत्यन्त कष्टकारी रहा है। इस समय इस अंचल में गोरखाओं का शासन था। गोरखों ने गढ़वाली तथा कुमाऊँनी लोगों पर काफी अत्याचार किए। उसी समय ब्रिटिश साम्राज्य निरन्तर बढ़ रहा था। सन् १८१५ में ब्रिटिश सेना ने बरेली और पीलीभीत की ओर से गोरखा सेना पर आक्रमण किया। गोरखा सेना पराजित हुई। ब्रिटिश शासन सन् १८१५ ई. के बाद इस अंचल में स्थापित हो गया। २७ अप्रैल १८१५ के अल्मोड़ा (लालमण्डी किले) पर ब्रिटिश झण्डा फहराया गया। अंग्रेज पर्वत - प्रेमी थे। पहाड़ों की ठण्डी जलवायु उनके लिए स्वास्थयवर्धक थी। इसलिए उन्होंने गढ़वाल - कुमाऊँ पर्वतीय अँचलों में सुन्दर - सुन्दर नगर बसाने शुरु किये। अल्मोड़ा, रानीखेत, मसूरी और लैन्सडाउन आदि नगर अंग्रेजों की ही इच्छा पर बनाए हुए नगर हैं। सन् १८१५ ई. के बाद अंग्रेजों ने पहाड़ों पर अपना कब्जा करना शुरु कर दिया था। थोकदारों की सहायता से ही वे अपना साम्राज्य पहाड़ों पर सुदृढ़ कर रहे थे। नैनीताल इलाके के थोकदार सन् १८३९ ई. में ठाकुर नूरसिंह (नरसिंह) थे। इनकी जमींदारी इस सारे इलाके में फैली हुई थी। अल्मोड़ा उस समय अंग्रेजों की प्रिय सैरगाह थी। फिर भी अंग्रेज नये - नये स्थानों की खोज में इधर - उधर घूम रहे थे। श्रेणी:नैनीताल श्रेणी:चित्र जोड़ें.

2 संबंधों: नैनीताल, पृथ्वी

नैनीताल

नैनीताल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पर्यटन नगर है। यह नैनीताल जिले का मुख्यालय भी है। कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल जिले का विशेष महत्व है। देश के प्रमुख क्षेत्रों में नैनीताल की गणना होती है। यह 'छखाता' परगने में आता है। 'छखाता' नाम 'षष्टिखात' से बना है। 'षष्टिखात' का तात्पर्य साठ तालों से है। इस अंचल में पहले साठ मनोरम ताल थे। इसीलिए इस क्षेत्र को 'षष्टिखात' कहा जाता था। आज इस अंचल को 'छखाता' नाम से अधिक जाना जाता है। आज भी नैनीताल जिले में सबसे अधिक ताल हैं। इसे भारत का लेक डिस्ट्रिक्ट कहा जाता है, क्योंकि यह पूरी जगह झीलों से घिरी हुई है। 'नैनी' शब्द का अर्थ है आँखें और 'ताल' का अर्थ है झील। झीलों का शहर नैनीताल उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटन स्‍थल है। बर्फ़ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्‍थान झीलों से घिरा हुआ है। इनमें से सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है। इसलिए इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है। नैनीताल को जिधर से देखा जाए, यह बेहद ख़ूबसूरत है। .

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पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

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