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त्रिपाठी

सूची त्रिपाठी

त्रिपाठी एक भारतीय उपनाम है। यह उपनाम ब्राह्मण वर्ण द्वारा सरनाम के रूप में प्रयोग किया जाता हैं। .

11 संबंधों: ब्राह्मण, रामनरेश त्रिपाठी, रामनाथ त्रिपाठी, सदाशिव त्रिपाठी, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला', वसिष्ठ नारायण त्रिपाठी, विश्वनाथ त्रिपाठी, विक्रम मणि त्रिपाठी, गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी, आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी, कमलापति त्रिपाठी

ब्राह्मण

ब्राह्मण का शब्द दो शब्दों से बना है। ब्रह्म+रमण। इसके दो अर्थ होते हैं, ब्रह्मा देश अर्थात वर्तमान वर्मा देशवासी,द्वितीय ब्रह्म में रमण करने वाला।यदि ऋग्वेद के अनुसार ब्रह्म अर्थात ईश्वर को रमण करने वाला ब्राहमण होता है। । स्कन्दपुराण में षोडशोपचार पूजन के अंतर्गत अष्टम उपचार में ब्रह्मा द्वारा नारद को द्विज की उत्त्पत्ति बताई गई है जन्मना जायते शूद्रः संस्कारात् द्विज उच्यते। शापानुग्रहसामर्थ्यं तथा क्रोधः प्रसन्नता। ब्राह्मण (आचार्य, विप्र, द्विज, द्विजोत्तम) यह वर्ण व्‍यवस्‍था का वर्ण है। एेतिहासिक रूप हिन्दु वर्ण व्‍यवस्‍था में चार वर्ण होते हैं। ब्राह्मण (ज्ञानी ओर आध्यात्मिकता के लिए उत्तरदायी), क्षत्रिय (धर्म रक्षक), वैश्य (व्यापारी) तथा शूद्र (सेवक, श्रमिक समाज)। यस्क मुनि की निरुक्त के अनुसार - ब्रह्म जानाति ब्राह्मण: -- ब्राह्मण वह है जो ब्रह्म (अंतिम सत्य, ईश्वर या परम ज्ञान) को जानता है। अतः ब्राह्मण का अर्थ है - "ईश्वर का ज्ञाता"। सन:' शब्द के भी तप, वेद विद्या अदि अर्थ है | निरंतारार्थक अनन्य में भी 'सना' शब्द का पाठ है | 'आढ्य' का अर्थ होता है धनी | फलतः जो तप, वेद, और विद्या के द्वारा निरंतर पूर्ण है, उसे ही "सनाढ्य" कहते है - 'सनेन तपसा वेदेन च सना निरंतरमाढ्य: पूर्ण सनाढ्य:' उपर्युक्त रीति से 'सनाढ्य' शब्द में ब्राह्मणत्व के सभी प्रकार अनुगत होने पर जो सनाढ्य है वे ब्राह्मण है और जो ब्राह्मण है वे सनाढ्य है | यह निर्विवाद सिद्ध है | अर्थात ऐसा कौन ब्राह्मण होगा, जो 'सनाढ्य' नहीं होना चाहेगा | भारतीय संस्कृति की महान धाराओं के निर्माण में सनाढ्यो का अप्रतिभ योगदान रहा है | वे अपने सुखो की उपेक्षा कर दीपबत्ती की तरह तिलतिल कर जल कर समाज के लिए मिटते रहे है | .

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रामनरेश त्रिपाठी

रामनरेश त्रिपाठी (4 मार्च, 1889 - 16 जनवरी, 1962) हिन्दी भाषा के 'पूर्व छायावाद युग' के कवि थे। कविता, कहानी, उपन्यास, जीवनी, संस्मरण, बाल साहित्य सभी पर उन्होंने कलम चलाई। अपने 72 वर्ष के जीवन काल में उन्होंने लगभग सौ पुस्तकें लिखीं। ग्राम गीतों का संकलन करने वाले वह हिंदी के प्रथम कवि थे जिसे 'कविता कौमुदी' के नाम से जाना जाता है। इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए उन्होंने गांव-गांव जाकर, रात-रात भर घरों के पिछवाड़े बैठकर सोहर और विवाह गीतों को सुना और चुना। वह गांधी के जीवन और कार्यो से अत्यंत प्रभावित थे। उनका कहना था कि मेरे साथ गांधी जी का प्रेम 'लरिकाई को प्रेम' है और मेरी पूरी मनोभूमिका को सत्याग्रह युग ने निर्मित किया है। 'बा और बापू' उनके द्वारा लिखा गया हिंदी का पहला एकांकी नाटक है। ‘स्वप्न’ पर इन्हें हिंदुस्तान अकादमी का पुरस्कार मिला। .

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रामनाथ त्रिपाठी

डॉ॰ रमानाथ त्रिपाठी हिन्दी साहित्यकार हैं। उत्तर प्रदेश के इटावा नगर में 1926 में जन्मे, दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के भूतपूर्व प्रोफ़ेसर रमानाथ त्रिपाठी ने अपना समस्त जीवन रामायण के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करते हुए बिताया है। उनकी पीएच.डी.

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सदाशिव त्रिपाठी

सदाशिव त्रिपाठी (२१ अप्रैल १९१० – ९ सितम्बर १९८०) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ थे। वो २१ फ़रवरी १९६५ से ८ मार्च १९६७ तक ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे। .

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सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'

सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (२१ फरवरी, १८९९ - १५ अक्टूबर, १९६१) हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। वे जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा के साथ हिन्दी साहित्य में छायावाद के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उन्होंने कहानियाँ, उपन्यास और निबंध भी लिखे हैं किन्तु उनकी ख्याति विशेषरुप से कविता के कारण ही है। .

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वसिष्ठ नारायण त्रिपाठी

डा वसिष्ठ नारायण त्रिपाठी ("वशिष्ठ" के रूप में भी उद्धृत) जन्म- मई 1965, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के एक कृषक परिवार में, नौ भाई-बहनों में आठवीं संतान। गाँव की आरंभिक शिक्षा के पश्चात भोलाराम मसकरा कालेज, सहजनवा से इंटर मीडिएट, तत्पश्चात गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीए, एलएल बी करने के उपरान्त उत्तर प्रदेश बार काउन्सिल में 1986 में अधिवक्ता के रूप में पंजीयन कराया और हाईकोर्ट में वकालत करने लगे। पुन: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से एलएल एम् एवं क़ानून में पीएच डी की उपाधियाँ प्राप्त किया। वाराणसी जिला न्यायलय में भी कुछ दिन वकालत किया। इलाहबाद विश्वविद्यालय में कुछ वर्षों तक असिस्टेंट प्रोफ़ेसर रहे और विद्यार्थियों में सर्वाधिक लोकप्रिय शिक्षक रहे। जिस किसी विषय के शिक्षक अनुपस्थित रहते या विद्यार्थियों/शिक्षकों को जिस किसी विषय में कठिनाई महसूस होती, डा त्रिपाठी त्वरित समाधान के लिए सुलभ रहते। डा त्रिपाठी क़ानून की अनेक पुस्तकों के लेखक भी हैं। इन्होने कभी किसी नौकरी, धन, पद इत्यादि को महत्त्व नहीं दिया। डा त्रिपाठी इलाहबाद उच्च न्यायलय में मध्यस्थ भी रहे। अधिवक्ता समुदाय इनकी सहजता, विद्वत्ता, सच्चरित्रता इत्यादि गुणों की प्रशंसा करता है। इलाहाबाद से सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने गये किन्तु वैराज्ञ भाव प्रभावी था, शीघ्र ही विरक्त होकर दण्ड सन्यास ले लिए और अब ज्योतिष्पीठ बदरिकाश्रम के संन्यासी हैं और "स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती" के नाम से जाने जाते हैं।.

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विश्वनाथ त्रिपाठी

डॉ विश्वनाथ त्रिपाठी (16 फरवरी 1931) हिन्दी के वरिष्ठ आलोचक, कवि और गद्यकार हैं। .

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विक्रम मणि त्रिपाठी

एक नेपाली और अवधी साहित्यकार। .

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गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी

गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी (1855-1907 ई.) का व्यक्तित्व आधुनिक गुजराती साहित्य में कथाकार, कवि, चिंतक, विवेचक, चरित्रलेखक तथा इतिहासकार इत्यादि अनेक रूपों में मान्य है; किंतु उनको सर्वाधिक प्रतिष्ठा द्वितीय उत्थान के सर्वश्रेष्ठ कथाकार के रूप में ही प्राप्त हुई है। जिस प्रकार आधुनिक गुजराती साहित्य की पुरानी पीढ़ी के अग्रणी नर्मद माने जाते हैं उसी प्रकार उनके बाद की पीढ़ी का नेतृत्व गोवर्धनराम के द्वारा हुआ। संस्कृत साहित्य के गंभीर अनुशीलन तथा रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद आदि विभूतियों के विचारों के प्रभाव से उनके हृदय में प्राचीन भारतीय आर्य संस्कृति के पुनरुत्थान की तीव्र भावना जाग्रत हुई। उनका अधिकांश रचनात्मक साहित्य मूलत: इसी भावना से संबद्ध एवं उद्भूत है। .

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आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी

आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी और आचार्य राममूर्ति अलग-अलग व्यक्ति हैं; भ्रमित न हों। ---- आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी (जन्म-स्थान: नीवी कलाँ, वाराणसी (उ.प्र.) जन्म - ४ जनवरी १९२९ निधन- ३० मार्च २००९) शिक्षा: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम.ए., पी-एच.डी.; साहित्याचार्य, साहित्यरत्न। काव्यशास्त्र एवं दर्शन के प्रकांड पंडित। हिन्दी एवं संस्कृत के विद्वान एवं समालोचक थे। वे सागर विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे; विक्रम विश्वविद्यालय में हिन्दी के विभागाध्यक्ष रहे तथा कई विश्वविद्यालयों के अतिथि शिक्षक (विजिटिंग फैकल्टी) भी रहे। वे शब्द शक्ति एवं रस विचार के अप्रतिम व्याख्याकार थे। .

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कमलापति त्रिपाठी

कमलापति त्रिपाठी एक भारतीय राजनेता थे एवं वरिष्ट कांगेसी नेता थे। वे संविधान सभा के सदस्य रहे,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे (1971-73) तथा भारत के रेल मंत्री रहे। .

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