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तुलसी पूजा

सूची तुलसी पूजा

तुलसी पूजा या तुलसी विवाह को हिन्दू धर्म में शुभ दिन माना जाता है। हिन्दू पुराणों में तुलसी जी को 'विष्णु प्रिय' कहा जाता है। तुलसी विवाह हिन्दू भगवान विष्णु को तुलसी के पौधे का औपचारिक विवाह है। तुलसी विवाह वर्षा ऋतु के अंत और हिन्दू धर्म में विवाह के मौसम के आरम्भ का प्रतीक है। यह त्यौहार प्रबोधिनी एकादशी और कार्तिक पूर्णिमा के बीच में मनाया जाता है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, वृंदा नाम की एक महिला थी, जिसका विवाह राजा जाल्ंधर के साथ हुआ था। राजा जाल्ंधर, भगवान विष्णु के धर्म और भक्ति के कारण अजेय बन गए थे। यहां तक कि भगवान शिव भी जाल्ंधर को हरा नही सके, इसलिए उन्होंने विष्णु से निवेदन किया कि वे इस समस्या का समाधान ढूंढे। भगवान विष्णु ने खुद को जाल्ंधर के रूप में प्र्च्छन्न किया और वृंदा को धोखा दिया और उसकी शुद्धता नष्ट हो गयी। राजा जाल्ंधर ने अपनी सारी शक्तियों को खो दिया था जिसके बाद भगवान शिव ने उनको मार डाला था। अपने पति की मृत्यु के बाद, वृंदा ने भगवान विष्णु को शाप दिया कि वह कभी- भी अपनी पत्नी, लक्ष्मी के साथ नही रेह पायेंगे और उन्हे काले रंग के रूप का भी शाप दिया। कुछ समय बाद यह शाप पूरा हुआ था जब उन्हे काला शलिग्राम पत्थर में बदल दिया, और उनके राम अवतार में,जब उनका विवाह सीता के साथ हुआ था तो वे उनसे भी अलग हो गये थे जब राज रावाण ने उनका अपहरण कर दिया था। वृंदा ने अपनी आप को महासागर में डूबो दिया, फिर भगवान विष्णु ने अपनी आत्मा को एक पौधे में स्थानांतारित कर दिया, जिसे तुलसी कहा जाता है। भगवान विष्णु के आशीर्वाद के अनुसार अपने अगले जन्म में वृंदा से शादी करने के लिये उन्होनें शालिग्राम के रूप में प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी से शादी कर ली थी। इस घटना को मनाने के लिये, तुलसी विवाह का समारोह किया जाता है। .

5 संबंधों: शुभ, हिन्दू धर्म, विष्णु, कार्तिक पूर्णिमा, कार्तिक शुक्ल एकादशी

शुभ

शुभ का अर्थ होता है अच्छा। .

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हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। .

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विष्णु

वैदिक समय से ही विष्णु सम्पूर्ण विश्व की सर्वोच्च शक्ति तथा नियन्ता के रूप में मान्य रहे हैं। हिन्दू धर्म के आधारभूत ग्रन्थों में बहुमान्य पुराणानुसार विष्णु परमेश्वर के तीन मुख्य रूपों में से एक रूप हैं। पुराणों में त्रिमूर्ति विष्णु को विश्व का पालनहार कहा गया है। त्रिमूर्ति के अन्य दो रूप ब्रह्मा और शिव को माना जाता है। ब्रह्मा को जहाँ विश्व का सृजन करने वाला माना जाता है, वहीं शिव को संहारक माना गया है। मूलतः विष्णु और शिव तथा ब्रह्मा भी एक ही हैं यह मान्यता भी बहुशः स्वीकृत रही है। न्याय को प्रश्रय, अन्याय के विनाश तथा जीव (मानव) को परिस्थिति के अनुसार उचित मार्ग-ग्रहण के निर्देश हेतु विभिन्न रूपों में अवतार ग्रहण करनेवाले के रूप में विष्णु मान्य रहे हैं। पुराणानुसार विष्णु की पत्नी लक्ष्मी हैं। कामदेव विष्णु जी का पुत्र था। विष्णु का निवास क्षीर सागर है। उनका शयन शेषनाग के ऊपर है। उनकी नाभि से कमल उत्पन्न होता है जिसमें ब्रह्मा जी स्थित हैं। वह अपने नीचे वाले बाएँ हाथ में पद्म (कमल), अपने नीचे वाले दाहिने हाथ में गदा (कौमोदकी),ऊपर वाले बाएँ हाथ में शंख (पाञ्चजन्य) और अपने ऊपर वाले दाहिने हाथ में चक्र(सुदर्शन) धारण करते हैं। शेष शय्या पर आसीन विष्णु, लक्ष्मी व ब्रह्मा के साथ, छंब पहाड़ी शैली के एक लघुचित्र में। .

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कार्तिक पूर्णिमा

हिंदू धर्म में पूर्णिमा का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष 12 पूर्णिमाएं होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर १3 हो जाती है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। इस पुर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का फाल मिलता है। .

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कार्तिक शुक्ल एकादशी

कार्तिक शुक्ल एकादशी भारतीय पंचांग के अनुसार आठवें माह की ग्यारहवी तिथि है, वर्षान्त में अभी १३९ तिथियाँ अवशिष्ट हैं। .

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