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तालोक़ान

सूची तालोक़ान

अलाउद्दीन मुहम्मद इब्न तेकेश (राजकाल: १२००-१२२०) द्वारा तालोक़ान में ज़र्ब सिक्का - इस राजा से चंगेज़ ख़ान ने आक्रमण करके राज छीन लिया था तालोक़ान (दरी फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Taloqan) उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान के तख़ार प्रान्त की राजधानी है। यह शहर २,८७४ फ़ुट (८७६ मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है। .

11 संबंधों: ताजिक लोग, तख़ार प्रान्त, दरी फ़ारसी, पठान, मार्को पोलो, क़, किरगिज़ लोग, अफ़ग़ानिस्तान, अंग्रेज़ी भाषा, उज़बेक लोग, उज़्बेक भाषा

ताजिक लोग

अफ़्ग़ान सांसद नीलोफ़र इब्राहिमी एक ताजिक हैं ताजिकिस्तान का एक परिवार ईद-उल-फ़ित्र की ख़ुशियाँ मनाते हुए ताजिक (ताजिक: Тоҷик, फ़ारसी:, तॉजिक) मध्य एशिया (विशेषकर ताजिकिस्तान, अफ़्ग़ानिस्तान, उज़बेकिस्तान और पश्चिमी चीन) में रहने वाले फ़ारसी-भाषियों के समुदायों को कहा जाता है। बहुत से अफ़्ग़ानिस्तान से आये ताजिक शरणार्थी ईरान और पाकिस्तान में भी रहते हैं। अपनी संस्कृति और भाषा के मामले में ताजिक लोगों का ईरान के लोगों से गहरा सम्बन्ध रहा है।, Olivier Roy, I.B.Tauris, 2000, ISBN 978-1-86064-278-4 चीन के ताजिक लोग अन्य ताजिक लोगों से ज़रा भिन्न होते हैं क्योंकि वे पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलते हैं जबकि अन्य ताजिक फ़ारसी बोलते हैं।, New World Press, 1989, ISBN 978-7-80005-078-7,...

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तख़ार प्रान्त

अफ़्ग़ानिस्तान का तख़ार प्रान्त (लाल रंग में) तख़ार (फ़ारसी:, अंग्रेजी: Takhar) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल १२,३३३ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००९ में लगभग ८.९ लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी तालोक़ान शहर है। यहाँ के अधिकतर लोग फ़ारसी बोलने वाले ताजिक और उज़बेक भाषा बोलने वाले उज़बेक लोग हैं। यह प्रान्त अपने नमक के क़ानों (खानों) के लिए मशहूर है जहाँ से खोदकर हज़ारों सालों से नमक निकाला जा रहा है।, Fariba Nawa, HarperCollins, 2011, ISBN 978-0-06-210061-0,...

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दरी फ़ारसी

अंग्रेज़ी और दरी भाषाओँ में बामियान शहर का स्वागत चिह्न - सबसे ऊपर लिखा है 'बा शहर-ए-बास्तानी बामियान ख़ुश आमदीद' (बामियान के प्राचीन शहर में स्वागत) दरी या दरी फ़ारसी अफ़ग़ानिस्तान में प्रचलित आधुनिक फ़ारसी का एक रूप है। पश्तो के साथ-साथ यह अफ़ग़ानिस्तान की दो संवैधानिक राजभाषाओं में से एक है। यह अफ़ग़ानिस्तान के लगभग ५०% लोगों की मातृभाषा है और देश की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। अफ़ग़ानिस्तान में अलग-अलग भाषाएँ बोलने वाले समुदायों के बीच में भी इसका सम्पर्क भाषा के रूप में इस्तेमाल होता है। ईरानी फ़ारसी और दरी फ़ारसी बोलने वाले एक दुसरे को आसानी से समझ पाते हैं और इनमें सिर्फ़ लहजे और कुछ शब्दों का अंतर है। बहुत से भाषावैज्ञानिकों के अनुसार दरी में पुरानी फ़ारसी के बहुत से ऐसे तत्व सुरक्षित हैं जो आधुनिक ईरानी फ़ारसी में खो गये हैं।, Shaista Wahab, Hippocrene Books, 2004, ISBN 978-0-7818-1012-8 .

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पठान

अफ़्ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के नक़्शे में पश्तून क्षेत्र (नारंगी रंग में) ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान एक पश्तून थे अफ़्ग़ानिस्तान के ख़ोस्त प्रान्त में पश्तून बच्चे अमीर शेर अली ख़ान अपने पुत्र राजकुमार अब्दुल्लाह जान और सरदारों के साथ (सन् १८६९ ई में खींची गई) पश्तून, पख़्तून (पश्तो:, पश्ताना) या पठान (उर्दू) दक्षिण एशिया में बसने वाली एक लोक-जाति है। वे मुख्य रूप में अफ़्ग़ानिस्तान में हिन्दु कुश पर्वतों और पाकिस्तान में सिन्धु नदी के दरमियानी क्षेत्र में रहते हैं हालांकि पश्तून समुदाय अफ़्ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के अन्य क्षेत्रों में भी रहते हैं। पश्तूनों की पहचान में पश्तो भाषा, पश्तूनवाली मर्यादा का पालन और किसी ज्ञात पश्तून क़बीले की सदस्यता शामिल हैं।, James William Spain, Mouton,...

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मार्को पोलो

मार्को पोलो (वेनिस १५ सितंबर, १२५४ - वेनिस, २९ जनवरी, १३२४) एक इतालवी व्यापारी, खोजकर्ता और राजदूत था। उसका जन्म वेनिस गणराज्य में मध्य युग के अंत में हुआ था। अपने पिता, निकोलस पोलो (Niccolò) और अपने चाचा, मातेयो (Matteo), के साथ वह रेशम मार्ग की यात्रा करने वाले सर्वप्रथम यूरोपियनों में से एक था। उसने अपनी यात्रा १२७२ में लाइआसुस बंदरगाह (आर्मेनिया) से प्रारंभ की थी। उनकी चीन समेत, पूर्व की यात्रा का विस्तृत प्रतिवेदन ही लंबे समय तक पश्चिम में एशिया के बारे में जानकारी देने वाला स्रोत रहा है।मार्कोपोलो (1292-93ईं) वेनिस निवासी इतालवी यात्री था जिस ’ मध्यकालीन यात्रियों का राजकुमार' की उपाधि दी गई । इसका वृतांत ’द बुक ऑफ सर-मार्कोपोलो’ के नाम से हैं, जो तत्कालीन भारत के अर्थिक इतिहास की द्ष्टि से महत्वपूर्ण हैं। उनका यात्रा मार्ग इस प्रकार था: आर्मेनिया से होते हुए वे तुर्की के उत्तर में गए। .

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क़

क़ की ध्वनि सुनिए क़ देवनागरी लिपि का एक वर्ण है। हिंदी-उर्दू के कईं शब्दों में इसका प्रयोग होता है, जैसे कि क़िला, क़यामत, क़त्ल, क़ुरबानी और क़ानून। अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में इसके उच्चारण को q के चिन्ह से लिखा जाता है और उर्दू में इसे लिखा जाता है, जिस अक्षर का नाम "क़ाफ़" है। .

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किरगिज़ लोग

काराकोल में एक मनासची कथाकार पारम्परिक किरगिज़ वेशभूषा में एक किरगिज़ परिवार किरगिज़ मध्य एशिया में बसने वाली एक तुर्की-भाषी जाति का नाम है। किरगिज़ लोग मुख्य रूप से किर्गिज़स्तान में रहते हैं हालाँकि कुछ किरगिज़ समुदाय इसके पड़ौसी देशों में भी मिलते हैं, जैसे कि उज़्बेकिस्तान, चीन, ताजिकिस्तान, अफ़्ग़ानिस्तान और रूस। .

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अफ़ग़ानिस्तान

अफ़ग़ानिस्तान इस्लामी गणराज्य दक्षिणी मध्य एशिया में अवस्थित देश है, जो चारो ओर से जमीन से घिरा हुआ है। प्रायः इसकी गिनती मध्य एशिया के देशों में होती है पर देश में लगातार चल रहे संघर्षों ने इसे कभी मध्य पूर्व तो कभी दक्षिण एशिया से जोड़ दिया है। इसके पूर्व में पाकिस्तान, उत्तर पूर्व में भारत तथा चीन, उत्तर में ताजिकिस्तान, कज़ाकस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान तथा पश्चिम में ईरान है। अफ़ग़ानिस्तान रेशम मार्ग और मानव प्रवास का8 एक प्राचीन केन्द्र बिन्दु रहा है। पुरातत्वविदों को मध्य पाषाण काल ​​के मानव बस्ती के साक्ष्य मिले हैं। इस क्षेत्र में नगरीय सभ्यता की शुरुआत 3000 से 2,000 ई.पू.

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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उज़बेक लोग

दो उज़बेक बच्चे उज़बेक मध्य एशिया में बसने वाली एक तुर्की-भाषी जाति का नाम है। उज़बेकिस्तान की अधिकाँश आबादी इसी नसल की है, हालाँकि उज़बेक समुदाय बहुत से अन्य देशों में भी मिलते हैं, जैसे कि अफ़्ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिज़स्तान, तुर्कमेनिस्तान, काज़ाख़स्तान, रूस, पाकिस्तान, मंगोलिया और चीन के शिनजियांग प्रान्त में। विश्व भर में लगभग २.३ करोड़ उज़बेक लोग हैं और यह पूरे विश्व की मनुष्य आबादी का लगभग ०.३% हैं। भारत में मुग़ल सलतनत की स्थापना करने वाला बाबर भी नसल से उज़बेक जाति का ही था।, Suryakant Nijanand Bal, Lancer Publishers, 2004, ISBN 978-81-7062-273-4,...

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उज़्बेक भाषा

लहजा साफ़ दिखता है - 'नादिरा' को 'नोदिरा' (НОДИРА) और 'उज़बेकिस्तान' को 'उज़बेकिस्तोन' (Ўзбекистон) लिखा जाता है उज़बेक भाषा (उज़बेक: Ўзбек тили, उज़बेक तिलि; अरबी-फ़ारसी) मध्य एशिया में और विशेषकर उज़बेकिस्तान में, उज़बेक लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक तुर्की भाषा है। सन् १९९५ में इसे मातृभाषा के रूप में बोलने वालों की संख्या लगभग २ करोड़ अनुमानित की गई थी। हालाँकि यह एक तुर्की भाषा है, फिर भी इसमें फ़ारसी, अरबी और रूसी भाषा का प्रभाव मिलता है। उज़बेक और उइग़ुर भाषा में बहुत समानताएँ हैं, लेकिन उइग़ुर की तुलना में उज़बेक पर फ़ारसी का प्रभाव ज़्यादा गहरा है। सन् १९२७ तक उज़बेक को लिखने के लिए अरबी-फ़ारसी वर्णमाला का प्रयोग किया जाता था, लेकिन उसके बाद उज़बेकिस्तान का सोवियत संघ में विलय होने से वहाँ सिरिलिक लिपि इस्तेमाल करने पर ज़ोर दिया गया। चीन के उज़बेक समुदाय अभी भी अरबी-फ़ारसी लिपि में उज़बेक लिखते हैं। सोवियत संघ का अंत होने के बाद उज़बेकिस्तान में कुछ लोग सन् १९९२ के उपरान्त लैटिन वर्णमाला का भी प्रयोग करने लगे।, Reinhard F. Hahn, Ablahat Ibrahim, University of Washington Press, 2006, ISBN 978-0-295-98651-7 .

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