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तार्किक सत्य

सूची तार्किक सत्य

तार्किक सत्य (Logical truth) तर्कशास्त्र की सबसे आधारभूत अवधारणाओं में से एक है। यह एक ऐसी प्रतिज्ञप्ति या कथन होता है जो सत्य हो और किसी भी तार्किक निर्वचन में सत्य ही रहे। इसका अर्थ यह है कि प्रतिज्ञप्ति में किसी भी स्थान पर पर्यायवाची डालने पर भी प्रतिज्ञप्ति सत्य ही रहती है। उदाहरण के लिए "किसी भी कुवाँरे का विवाह नहीं हुआ होता" एक सत्य है और यदी कुवाँरे के पर्यायवाची शब्द प्रयोग हों तो कहा जा सकता है कि "किसी भी अविवाहित व्यक्ति का विवाह नहीं हुआ होता" - और यह भी सत्य ही रहेगा। .

5 संबंधों: तर्कशास्त्र, निर्वचन (तर्क), प्रतिज्ञप्ति, सत्य, अवधारणा

तर्कशास्त्र

तर्कशास्त्र शब्द अंग्रेजी 'लॉजिक' का अनुवाद है। प्राचीन भारतीय दर्शन में इस प्रकार के नामवाला कोई शास्त्र प्रसिद्ध नहीं है। भारतीय दर्शन में तर्कशास्त्र का जन्म स्वतंत्र शास्त्र के रूप में नहीं हुआ। अक्षपाद! गौतम या गौतम (३०० ई०) का न्यायसूत्र पहला ग्रंथ है, जिसमें तथाकथित तर्कशास्त्र की समस्याओं पर व्यवस्थित ढंग से विचार किया गया है। उक्त सूत्रों का एक बड़ा भाग इन समस्याओं पर विचार करता है, फिर भी उक्त ग्रंथ में यह विषय दर्शनपद्धति के अंग के रूप में निरूपित हुआ है। न्यायदर्शन में सोलह परीक्षणीय पदार्थों का उल्लेख है। इनमें सर्वप्रथम प्रमाण नाम का विषय या पदार्थ है। वस्तुतः भारतीय दर्शन में आज के तर्कशास्त्र का स्थानापन्न 'प्रमाणशास्त्र' कहा जा सकता है। किंतु प्रमाणशास्त्र की विषयवस्तु तर्कशास्त्र की अपेक्षा अधिक विस्तृत है। .

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निर्वचन (तर्क)

तर्कशास्त्र, गणित व कम्प्यूटर विज्ञान में निर्वचन (interpretation) किसी औपचारिक भाषा के चिन्हों के साथ अर्थ जोड़ने की प्रक्रिया को कहते हैं। अधिकांश औपचारिक भाषाएँ केवल वाक्यविन्यास (सिन्टैक्स) द्व्रारा ही परिभाषित होती हैं और उनमें कोई निहित अर्थ नहीं होता। अर्थ समझने के लिये चिन्हों के साथ अर्थ जोड़ना आवश्यक होता है। .

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प्रतिज्ञप्ति

दर्शनशास्त्र व तर्कशास्त्र में प्रतिज्ञप्ति (proposition) ऐसा वाक्य या कथन होता है जो या तो सत्य हो या फिर असत्य हो। यह आवश्यक नहीं है कि हमें यह ज्ञात हो कि प्रतिज्ञप्ति सत्य है या असत्य। उदाहरण के लिए "पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर भी जीवन है।" यह प्रतिज्ञप्ति या तो पूर्ण रूप से सत्य है या फिर असत्य है, हालांकि हम नहीं जानते कि सत्य-असत्य के इन दो विकल्पों में से वास्तविकता कौन-सी है। "भारत को स्वतंत्रता सन् 1948 में मिली थी" भी एक प्रतिज्ञप्ति जो या तो सत्य हो सकती है या असत्य। इतिहास के अध्ययन से हमें ज्ञात है कि भारत को स्वतंत्रता वास्तव में सन् 1947 में मिली थी, इसलिए हम इस प्रतिज्ञप्ति को असत्य ठहरा सकते हैं। .

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सत्य

सत्य (truth) के अलग-अलग सन्दर्भों में एवं अलग-अलग सिद्धान्तों में सर्वथा भिन्न-भिन्न अर्थ हैं। .

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अवधारणा

अवधारणा या संकल्पना भाषा दर्शन का शब्द है जो संज्ञात्मक विज्ञान, तत्त्वमीमांसा एवं मस्तिष्क के दर्शन से सम्बन्धित है। इसे 'अर्थ' की संज्ञात्मक ईकाई; एक अमूर्त विचार या मानसिक प्रतीक के तौर पर समझा जाता है। अवधारणा के अंतर्गत यथार्थ की वस्तुओं तथा परिघटनाओं का संवेदनात्मक सामान्यीकृत बिंब, जो वस्तुओं तथा परिघटनाओं की ज्ञानेंद्रियों पर प्रत्यक्ष संक्रिया के बिना चेतना में बना रहता है तथा पुनर्सृजित होता है। यद्यपि अवधारणा व्यष्टिगत संवेदनात्मक परावर्तन का एक रूप है फिर भी मनुष्य में सामाजिक रूप से निर्मित मूल्यों से उसका अविच्छेद्य संबंध रहता है। अवधारणा भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त होती है, उसका सामाजिक महत्व होता है और उसका सदैव बोध किया जाता है। अवधारणा चेतना का आवश्यक तत्व है, क्योंकि वह संकल्पनाओं के वस्तु-अर्थ तथा अर्थ को वस्तुओं के बिम्बों के साथ जोड़ती है और हमारी चेतना को वस्तुओं के संवेदनात्मक बिम्बों को स्वतंत्र रूप से परिचालित करने की संभावना प्रदान करती है। .

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