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सेन्ट्रोसोम

सूची सेन्ट्रोसोम

तंत्रिका कोशिका को छोड़कर प्रायः सभी प्रकार के प्राणिकोशिका में केन्द्रक के समीप साइटोप्लाज्म में एक तारानुमा रचना दिखाई देती है जिसे तारककाय कहते हैं। तारककाय के दो प्रमुख भाग होते हैं, एक को सेन्ट्रिओल और दूसरे को सेन्ट्रोस्फीयर कहते हैं। तारककाय के मध्य में सेन्ट्रिओल दो स्वच्छ, घनीभूत कणिकाओं के रूप में दिखाई देते हैं। सेन्ट्रिओल को घेरकर जो गाढ़ा कोशिकाद्रव्य रहता है, उसे सेन्ट्रोस्फीयर कहा जाता है। यह कोशिका विभाजन में मदद करता है, सीलिया तथा कशाभिका का निर्माण कराता है तथा शुक्राणुओं की पूँछ का निर्माण कराता है। .

11 संबंधों: न्यूरॉन, रसधानी, राइबोसोम, लाइसोसोम, शुक्राणु, गॉल्जीकाय, आशय, आंतरद्रव्यजालिका, कोशिका विभाजन, कोशिका केन्द्रक, कोशिकाद्रव्य

न्यूरॉन

तंत्रिका कोशिकाओं तंत्रिकोशिका या तंत्रिका कोशिका (अंग्रेज़ी:न्यूरॉन) तंत्रिका तंत्र में स्थित एक उत्तेजनीय कोशिका है। इस कोशिका का कार्य मस्तिष्क से सूचना का आदान प्रदान और विश्लेषण करना है।। हिन्दुस्तान लाइव। १ फ़रवरी २०१० यह कार्य एक विद्युत-रासायनिक संकेत के द्वारा होता है। तंत्रिका कोशिका तंत्रिका तंत्र के प्रमुख भाग होते हैं जिसमें मस्तिष्क, मेरु रज्जु और पेरीफेरल गैंगिला होते हैं। कई तरह के विशिष्ट तंत्रिका कोशिका होते हैं जिसमें सेंसरी तंत्रिका कोशिका, अंतरतंत्रिका कोशिका और गतिजनक तंत्रिका कोशिका होते हैं। किसी चीज के स्पर्श छूने, ध्वनि या प्रकाश के होने पर ये तंत्रिका कोशिका ही प्रतिक्रिया करते हैं और यह अपने संकेत मेरु रज्जु और मस्तिष्क को भेजते हैं। मोटर तंत्रिका कोशिका मस्तिष्क और मेरु रज्जु से संकेत ग्रहण करते हैं। मांसपेशियों की सिकुड़न और ग्रंथियां इससे प्रभावित होती है। एक सामान्य और साधारण तंत्रिका कोशिका में एक कोशिका यानि सोमा, डेंड्राइट और कार्रवाई होते हैं। तंत्रिका कोशिका का मुख्य हिस्सा सोमा होता है। तंत्रिका कोशिका को उसकी संरचना के आधार पर भी विभाजित किया जाता है। यह एकध्रुवी, द्विध्रुवी और बहुध्रुवी (क्रमशः एकध्रुवीय, द्विध्रुवीय और बहुध्रुवीय) होते हैं। तंत्रिका कोशिका में कोशिकीय विभाजन नहीं होता है जिससे इसके नष्ट होने पर दुबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता। किन्तु इसे स्टेम कोशिका के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। ऐसा भी देखा गया है कि अस्थिकणिका को तंत्रिका कोशिका में बदला जा सकता है। तंत्रिका कोशिका शब्द का पहली बार प्रयोग जर्मन शरीर विज्ञानशास्त्री हेनरिक विलहेल्म वॉल्डेयर ने किया था। २०वीं शताब्दी में पहली बार तंत्रिका कोशिका प्रकाश में आई जब सेंटिगयो रेमन केजल ने बताया कि यह तंत्रिका तंत्र की प्राथमिक प्रकार्य इकाई होती है। केजल ने प्रस्ताव दिया था कि तंत्रिका कोशिका अलग कोशिकाएं होती हैं जो कि विशिष्ट जंक्शन के द्वारा एक दूसरे से संचार करती है। तंत्रिका कोशिका की संरचना का अध्ययन करने के लिए केजल ने कैमिलो गोल्गी द्वारा बनाए गए सिल्वर स्टेनिंग तरीके का प्रयोग किया। मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिका की संख्या प्रजातियों के आधार पर अलग होती है। एक आकलन के मुताबिक मानव मस्तिष्क में १०० अरब तंत्रिका कोशिका होते हैं। टोरंटो विश्वविद्यालय में हुए अनुसंधान में एक ऐसे प्रोभूजिन की पहचान हुई है जिसकी मस्तिष्क में तंत्रिकाओं के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इस प्रोभूजिन की सहायता से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को और समझना भी सरल होगा व अल्जामरर्स जैसे रोगों के कारण भी खोजे जा सकेंगे। एसआर-१०० नामक यह प्रोभूजिन केशरूकीय क्षेत्र में पाया जाता है साथ ही यह तंत्रिका तंत्र का निर्माण करने वाले जीन को नियंत्रित करता है। एक अमरीकी जरनल सैल (कोशिका) में प्रकाशित बयान के अनुसार स्तनधारियों के मस्तिष्क में विभिन्न जीनों द्वारा तैयार किए गए आनुवांशिक संदेशों के वाहन को नियंत्रित करता है। इस अध्ययन का उद्देश्य ऐसे जीन की खोज करना था जो मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिका के निर्माण को नियंत्रित करते हैं। ऎसे में तंत्रिका कोशिका के निर्माण में इस प्रोभूजिन की महत्त्वपूर्ण भूमिका की खोज तंत्रिका कोशिका के विकास में होने वाली कई अपसामान्यताओं से बचा सकती है। वैज्ञानिकों के अनुसार मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिका निर्माण के समय कुछ गलत संदेशों वाहन से तंत्रिका कोशिका का निर्माण प्रभावित होता है। तंत्रिका कोशिका का विकृत होना अल्जाइमर्स जैसी बीमारियों के कारण भी होता है। इस प्रोभूजिन की खोज के बाद इस दिशा में निदान की संभावनाएं उत्पन्न हो गई हैं। .

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रसधानी

रसधानी जन्तु और पादप कोशिकाओं के कोशिका द्रव में पायी जाने वाली रचना है। कोशिका द्रव्य रहित वे निर्जीव कोशिकीय रचनाएँ जो जलनुमा तरल पदार्थों से भरी होती हैं तथा टोनोप्लास्ट नामक आवरण से घिरी होती है, रसधानी कहलाती हैं। इनमें भोज्य पदार्थ संचित रहते हैं। जलीय पौधों की रसधानियाँ गैसयुक्त होकर पौधों को तैरने में मदद करती हैं। श्रेणी:कोशिका श्रेणी:कोशिका शारीरिकी.

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राइबोसोम

लयनकाय (13) तारककाय थेर्मस थर्मोफाइलस की एक ३०एस उपैकाई का परमाणु ढांचा। प्रोटीन-नीले में एवं एकल सूत्र आर.एन.ए नारंगी रंग में दिखाए गये हैं राइबोसोम सजीव कोशिका के कोशिका द्रव में स्थित बहुत ही सूक्ष्म कण हैं, जिनकी प्रोटीनों के संश्लेषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ये आनुवांशिक पदार्थों (डीएनए या आरएनए) के संकेतों को प्रोटीन शृंखला में परिवर्तित करते हैं। ये एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम के ऊपरी सतह पर पाये जाते हैं, इसके अलावा ये माइटोकाण्ड्रिया तथा क्लोरोप्लास्ट में भी पाये जाते हैं। राइबोसोम एक संदेशधारक राईबोस न्यूक्लिक अम्ल (एमआरएनए) के साथ जुड़े रहता है जिसमें किसी विशेष प्रोटीन के निर्माण के लिए आवश्यक अमीनो अम्ल को सही क्रमानुसार लगाने का संदेश रहता है। अमीनो अम्ल संदेशवाहक आरएनए अणुओं के साथ संलग्न रहते हैं। इस प्रकार राइबोसोम प्रोटीन के संश्लेषण में तो सहायता करता ही है लिपिड के उपापचयी क्रियाओं में भी सहायता करता है। राइबोसोम की खोज १९५० के दशक में रोमानिया के जीववैज्ञानिक जॉर्ज पेलेड ने की थी। उन्होंने इस खोज के लिए इलैक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग किया था जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। राइबोसोम नाम १९५८ में वैज्ञानिक रिचर्ड बी.

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लाइसोसोम

लयनकाय (13) तारक केन्द्र (centriole) जन्तु कोशिका के कोशिका द्रव में पाए जाने वाले आवरणयुक्त गोल-गोल थैलीनुमा अंगाणुओं को लयनकाय (लाइसोसोम) कहते हैं। यह अन्तः कोशिकाय पाचन में मदद करता है। लाइसोसोम.

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शुक्राणु

नर शुक्राणु का मादा के अंडाणुओं से मिलन शुक्राणु(स्पर्म) शब्द यूनानी शब्द (σπέρμα) स्पर्मा से व्युत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है 'बीज' जिसका अर्थ पुरुष की प्रजनन कोशिकाओं से है। विभिन्न प्रकार के यौन प्रजननो जैसे एनिसोगैमी (anisogamy) और ऊगैमी (oogamy) में एक चिह्नित अंतर है, जिसमें छोटे आकार के युग्मकों (gametes) को 'नर' या शुक्राणु कोशिका कहा जाता है। पुरुष शुक्राणु अगुणित होते है इसलिए पुरुष के २३ गुण सूत्र (chromosome) मादा के अंडाणुओं के २३ गुणसूत्रों के साथ मिलकर द्विगुणित बना सकते है। एक मानव शुक्राणु सेल के आरेख अवधि शुक्राणु यूनानी (σπέρμα) शब्द sperma से ली गई है (जिसका अर्थ है "बीज") और पुरुष प्रजनन कोशिकाओं को संदर्भित करता है। यौन प्रजनन anisogamy और oogamy के रूप में जाना जाता है के प्रकार में, वहाँ छोटे "पुरुष" या शुक्राणु सेल कहा जा रहा है एक के साथ gametes के आकार में एक स्पष्ट अंतर है। एक uniflagellar शुक्राणु सेल चलता - फिरता है, एक शुक्राणु के रूप में जाना जाता है, जबकि एक गैर motile शुक्राणु सेल एक spermatium रूप में करने के लिए भेजा है। शुक्राणु कोशिकाओं के विभाजन और एक सीमित जीवन काल है, कर सकते हैं लेकिन अंडे की कोशिकाओं के साथ निषेचन के दौरान विलय के बाद, एक नया जीव के विकास, एक totipotent युग्मनज के रूप में शुरू शुरू होता है मानव शुक्राणु सेल अगुणित है, ताकि अपने 23 क्रोमोसोम में शामिल कर सकते हैं। मादा अंडे के 23 गुणसूत्रों एक द्विगुणित सेल बनाने के लिए। स्तनधारियों में, शुक्राणु अंडकोष में विकसित और है लिंग से जारी है। .

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गॉल्जीकाय

मानव ल्यूकोसाइट माइक्रोग्राफ में गॉल्जी उपकरण: चित्र के निचले हिस्से में अर्धवृत्ताकार छल्लों के ढेर (stack) जैसी संरचना ही गॉल्जी उपकरण है। कोशिका के कोशिकाद्रव्य में केन्द्रक के समीप कुछ थैलीनुमा कोशिकांग (organelle) पाए जाते हैं, इन्हें गॉल्जी काय या गॉल्जी बॉडी (Golgi bodies) या गॉल्जी उपकरण (Golgi apparatus) कहते हैं। कामिल्लो गॉल्जी इटली का एक तंत्रिकावैज्ञानिक था, जिसने श्वेत उलूक (Barn Owl) की तंत्रकोशिकाओं में इसका पता लगाया, जो उसके नाम से ही विख्यात है। इसकी आकृति चपटी होती है तथा ये एक के बाद एक समानान्तर रूप में स्थिर रहे हैं। गॉल्जीबाडी का निर्माण कुछ थैलीनुमा सिस्टर्नी, कुछ छोटे-छोटे वेसिकल एवं कुछ बड़े-बड़े वैकुओल से मिलकर होता है। यह कोशिका के अन्दर स्रावित पदार्थ के संग्रह एवं परिवहन में सहायता करता है। .

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आशय

आशय मन की वह इच्छा है जो व्यक्ति को कोई कार्य करने को प्रेरित करती है। आशय का आपराधिक विधि में बहुत महत्त्व है बिना आशय के कोई बात अपराध नहीं हो सकती है। .

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आंतरद्रव्यजालिका

अन्तर्द्रविक जालिका सुकेन्द्रिक कोशिकाओं में एक झिल्लीदार कोशिकांग है। इस की झिल्ली केन्द्रक की झिल्ली से निकलती है। अंग्रेज़ी में अन्तर्दविक जालिका को एॆन्डोप्लाज़मिक रॆटिकुलम कहा जाता है। कोशिका में इस के दो प्रकार होतें हैं। एक प्रकार (रफ़) पर राइबोसोम जुड़े होतें हैं जहां प्रोटीन संश्लेषण होता है और दूसरा प्रकार (स्मूद) राइबोसोम रहित होता है। अन्तर्द्रविक जालिका पर संश्लेषित किए प्रोटीन कोशिका के बाहर भेजने के लिए होते हैं। .

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कोशिका विभाजन

तीन तरह के कोशिका विभाजन: द्वि-खंडन (binary fission), समसूत्रण (mitosis) तथा अर्धसूत्रण (meiosis) समसूत्री कोशिका विभाजन का योजनात्मक चित्रण जिस जैविक प्रकिया (Biological Process) द्वारा एक कोशिका विभाजित होकर दो या दो से अधिक कोशिकाएँ उत्पन्न करती हैं उसे कोशिका विभाजन (Cell division) कहते हैं। कोशिका-विभाजन वस्तुतः कोशिका चक्र (cell cycle) का एक चरण है। विभाजित होने वाली कोशिका मातृकोशिका एवं विभाजन के फलस्वरूप बनने वाली कोशिकाएँ पुत्री कोशिका कहलाती हैं। कोशिका विभाजन द्वारा ही जीवों के शरीर की वृद्धि और विकास होता है। इस क्रिया के फलस्वरूप ही घाव भरते हैं। प्रजनन एवं क्रम विकास के लिए भी कोशिका-विभाजन की क्रिया आवश्यक है। लैंगिक प्रजनन करनेवाला प्रत्येक प्राणी अपना जीवन कोशिका अवस्था से ही आरंभ करता है। कोशिका अंडा होती है और इसके निरंतर विभाजन से बहुत सी कोशिकाएँ उत्पन्न हो जाती हैं। कोशिका विभाजन की क्रिया उस समय तक होती रहती है जब तक प्राणी भली भाँति विकसित नहीं हो जाता। कोशिका विभाजन की प्रक्रिया में कोशिका का जिनोम (genome) अपरिवर्तित रहता है। इसलिये विभाजन होने के पूर्व गुणसूत्रों (chromosomes) पर स्थित 'सूचना' प्रतिकृत (replicate) हो जानी चाहिये और तत्पश्चात इन जीनोमों को कोशिकाओं के बीच 'सफाई से' बांटना चाहिये। कोशिका विभाजन की प्रक्रिया कई प्रकार की होती है। प्रोकैरिओटिक कोशिकाओं का विभाजन यूकैरिओटिक कोशिकाओं से भिन्न होता है। .

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कोशिका केन्द्रक

केन्द्रक का चित्र कोशिका विज्ञान में केन्द्रक (लातीनी व अंग्रेज़ी: nucleus, न्यूक्लियस) वनस्पतियों, प्राणियों और सुकेन्द्रिक जीवों की अधिकांश कोशिकाओं में एक झिल्ली द्वारा बंद एक भाग (या कोशिकांग) होता है। सुकेन्द्रिक जीवों की हर कोशिका में अधिकतर एक केन्द्रक होता है, लेकिन स्तनधारियों की लाल रक्त कोशिकाओं में कोई केन्द्रक नहीं होता और ओस्टियोक्लास्ट कोशिकाओं में कई केन्द्रक होते हैं। प्राणियों के केन्द्रकों का व्यास लगभग ६ माइक्रोमीटर होता है और यह उनकी कोशिकाओं का सबसे बड़ा कोशिकांग होता है। कोशिका केन्द्रकों में कोशिकाओं की अधिकांश आनुवंशिक सामग्री होती है, जो कई लम्बे डी॰ ऍन॰ ए॰ अणुओं में सम्मिलित होती है, जिनके रेशों कई प्रोटीनों के प्रयोग से गुण सूत्रों (क्रोमोज़ोमों) में संगठित होते हैं। इन गुण सूत्रों में उपस्थित जीन कोशिका का जीनोम होते हैं और कोशिका की प्रक्रियाओं को संचालित करते हैं। केन्द्रक इन जीनों को सुरक्षित रखता है और जीन व्यवहार संचालित करता है, यानि केन्द्रक कोशिका का नियंत्रणकक्ष होता है। पूरा केन्द्रक एक लिपिड द्विपरत की बनी झिल्ली द्वारा घिरा होता है जो केन्द्रक झिल्ली (nuclear membrane) कहलाती है और जो केन्द्रक के अन्दर की सामग्री को कोशिकाद्रव्य से पृथक रखता है। केन्द्रक के भीतर केन्द्रक आव्यूह (nuclear matrix) कहलाने वाला रेशों का ढांचा होता है जो केन्द्रक को आकार बनाए रखने के लिए यांत्रिक सहारा देता है, ठीक उसी तरह जैसे कोशिका कंकाल पूरी कोशिका को यांत्रिक सहारा देता है। .

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कोशिकाद्रव्य

कोशिका के कोशिका झिल्ली के अंदर केन्द्रक को छोड़कर सम्पूर्ण पदार्थों को कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) कहते हैं। यह सभी कोशिकाओं में पाया जाता है तथा कोशिका झिल्ली के अंदर तथा केन्द्रक झिल्ली के बाहर रहता है। यह रवेदार, जेलीनुमा, अर्धतरल पदार्थ है। यह पारदर्शी एवं चिपचिपा होता है। यह कोशिका के 70% भाग की रचना करता है। इसकी रचना जल एवं कार्बनिक तथा अकार्बनिक ठोस पदार्थों से हुई है। इसमें अनेक रचनाएँ होती हैं। प्रकाश सूक्ष्मदर्शी में सभी कोशिकांगों को स्पष्ट नहीं देखा जा सकता है। इन रचनाओं को स्पष्ट देखने के लिए इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी या किसी अन्य अधिक विभेदन क्षमता वाले सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता पड़ती है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

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