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ताप्ती नदी

सूची ताप्ती नदी

ताप्ती (संस्कृत: तापी, मराठी: तापी; गुजराती: તાપ્તી) पश्चिमी भारत की प्रसिद्ध नदी है। यह मध्य प्रदेश राज्य के बैतूल जिले के मुलताई से निकलकर सतपुड़ा पर्वतप्रक्षेपों के मध्य से पश्चिम की ओर बहती हुई महाराष्ट्र के खानदेश के पठार एवं सूरत के मैदान को पार करती और अरब सागर में गिरती है। नदी का उद्गगम् स्थल मुल्ताई है। यह भारत की उन मुख्य नदियों में है जो पूर्व से पश्चिम की तरफ बहती हैं, अन्य दो हैं - नर्मदा नदी और माही नदी। यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर लगभग 740 किलोमीटर की दूरी तक बहती है और खम्बात की खाड़ी में जाकर मिलती है। सूरत बन्दरगाह इसी नदी के मुहाने पर स्थित है। इसकी प्रधान उपनदी का नाम पूर्णा है। इस नदी को सूर्यपुत्री भी कहा जाता है।   समुद्र के समीप इसकी ३२ मील की लंबाई में ज्वार आता है, किंतु छोटे जहाज इसमें चल सकते हैं। पुर्तगालियों एवं अंग्रेजों के इतिहास में इसके मुहाने पर स्थित स्वाली बंदरगाह का बड़ा महत्व है। गाद जमने के कारण अब यह बंदरगाह उजाड़ हो गया है। .

56 संबंधों: ताप्ती नदी, थाईलैण्ड, धुले जिला, नदी, नर्मदा नदी, नारद मुनि, नाशिक जिला, नंदुरबार जिला, नंदूरबार, पठार, पूर्णा नदी, बन्दरगाह, बुरहानपुर, बुल्ढाना, बैतूल, बैतूल ज़िला, भारत, भारत की नदी प्रणालियाँ, भविष्य पुराण, भुसावल, मध्य प्रदेश, मध्य रेलवे, भारत, मराठी भाषा, महाभारत, महाराष्ट्र, माही नदी, मुल्ताई, यमराज, राष्ट्रीय राजमार्ग ३, राष्ट्रीय राजमार्ग ८, रज्जु कर्षण सेतु, शनि (ज्योतिष), शिरपुर स्वर्ण शोधनी, शिव, शिवलिंग, सतपुड़ा, संस्कृत भाषा, स्कन्द पुराण, सूरत, सूरत जिला, सूर्य देवता, सोनगढ़, हिन्दू मान्यता, जलगाँव जिला, ज्वार-भाटा, खानदेश, खंडवा ज़िला, खंभात की खाड़ी, गुजरात, गुजराती भाषा, ..., किन्नर, अमरावती जिला, अरब सागर, असीरगढ़, अकोला जिला, छाया सूचकांक विस्तार (6 अधिक) »

ताप्ती नदी

ताप्ती (संस्कृत: तापी, मराठी: तापी; गुजराती: તાપ્તી) पश्चिमी भारत की प्रसिद्ध नदी है। यह मध्य प्रदेश राज्य के बैतूल जिले के मुलताई से निकलकर सतपुड़ा पर्वतप्रक्षेपों के मध्य से पश्चिम की ओर बहती हुई महाराष्ट्र के खानदेश के पठार एवं सूरत के मैदान को पार करती और अरब सागर में गिरती है। नदी का उद्गगम् स्थल मुल्ताई है। यह भारत की उन मुख्य नदियों में है जो पूर्व से पश्चिम की तरफ बहती हैं, अन्य दो हैं - नर्मदा नदी और माही नदी। यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर लगभग 740 किलोमीटर की दूरी तक बहती है और खम्बात की खाड़ी में जाकर मिलती है। सूरत बन्दरगाह इसी नदी के मुहाने पर स्थित है। इसकी प्रधान उपनदी का नाम पूर्णा है। इस नदी को सूर्यपुत्री भी कहा जाता है।   समुद्र के समीप इसकी ३२ मील की लंबाई में ज्वार आता है, किंतु छोटे जहाज इसमें चल सकते हैं। पुर्तगालियों एवं अंग्रेजों के इतिहास में इसके मुहाने पर स्थित स्वाली बंदरगाह का बड़ा महत्व है। गाद जमने के कारण अब यह बंदरगाह उजाड़ हो गया है। .

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थाईलैण्ड

श्यामदेश (थाईलैण्ड) जिसका प्राचीन भारतीय नाम श्यामदेश है दक्षिण पूर्वी एशिया में एक देश है। इसकी पूर्वी सीमा पर लाओस और कम्बोडिया, दक्षिणी सीमा पर मलेशिया और पश्चिमी सीमा पर म्यानमार है। थाईलैण्ड को सियाम के नाम से भी जाना जाता है जो ११ मई, १९४९ तक थाईलैण्ड का अधिकृत नाम था। थाई शब्द का अर्थ थाई भाषा में आज़ाद होता है। यह शब्द थाई नागरिको के सन्दर्भ में भी इस्तेमाल किया जाता है। इस वजह से कुछ लोग विशेष रूप से यहाँ बसने वाले चीनी लोग, थाईलैंड को आज भी सियाम नाम से पुकारना पसन्द करते हैं। थाईलैण्ड की राजधानी बैंकाक है। .

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धुले जिला

धुले भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। धुले शहर पश्चिमोत्तर महाराष्ट्र राज्य, पश्चिमी भारत, प्रमुख रेल एवं सड़क मार्गों पर स्थित है। धुले को पहले धुलिया कहा जाता था। प्रारंभिक मुस्लिम काल में यह फारुक़ियों के नियंत्रण में था, लेकिन बाद में 1601 में यह मुग़ल साम्राज्य का हिस्सा बन गया। 18वीं सदी में मराठों ने इसे जीता और 1818 में यह अंग्रेज़ो को सत्तांतरित होकर बंबई (वर्तमान मुंबई) प्रेज़िडेंसी में शामिल हुआ। जिले का मुख्यालय है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.

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नदी

भागीरथी नदी, गंगोत्री में नदी भूतल पर प्रवाहित एक जलधारा है जिसका स्रोत प्रायः कोई झील, हिमनद, झरना या बारिश का पानी होता है तथा किसी सागर अथवा झील में गिरती है। नदी शब्द संस्कृत के नद्यः से आया है। संस्कृत में ही इसे सरिता भी कहते हैं। नदी दो प्रकार की होती है- सदानीरा या बरसाती। सदानीरा नदियों का स्रोत झील, झरना अथवा हिमनद होता है और वर्ष भर जलपूर्ण रहती हैं, जबकि बरसाती नदियाँ बरसात के पानी पर निर्भर करती हैं। गंगा, यमुना, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, अमेज़न, नील आदि सदानीरा नदियाँ हैं। नदी के साथ मनुष्य का गहरा सम्बंध है। नदियों से केवल फसल ही नहीं उपजाई जाती है बल्कि वे सभ्यता को जन्म देती हैं अपितु उसका लालन-पालन भी करती हैं। इसलिए मनुष्य हमेशा नदी को देवी के रूप में देखता आया है। .

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नर्मदा नदी

'''नर्मदा''' और भारत की अन्य नदियाँ नर्मदा नदी का प्रवाह क्षेत्र नर्मदा, जिसे रेवा के नाम से भी जाना जाता है, मध्य भारत की एक नदी और भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है। यह गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है। मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे "मध्य प्रदेश की जीवन रेखा" भी कहा जाता है। यह उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक पारंपरिक सीमा की तरह कार्य करती है। यह अपने उद्गम से पश्चिम की ओर 1,221 किमी (815.2 मील) चल कर खंभात की खाड़ी, अरब सागर में जा मिलती है। नर्मदा मध्य भारत के मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। महाकाल पर्वत के अमरकण्टक शिखर से नर्मदा नदी की उत्पत्ति हुई है। इसकी लम्बाई प्रायः 1310 किलोमीटर है। यह नदी पश्चिम की तरफ जाकर खम्बात की खाड़ी में गिरती है। इस नदी के किनारे बसा शहर जबलपुर उल्लेखनीय है। इस नदी के मुहाने पर डेल्टा नहीं है। जबलपुर के निकट भेड़ाघाट का नर्मदा जलप्रपात काफी प्रसिद्ध है। इस नदी के किनारे अमरकंटक, नेमावर, गुरुकृपा आश्रम झीकोली, शुक्लतीर्थ आदि प्रसिद्ध तीर्थस्थान हैं जहाँ काफी दूर-दूर से यात्री आते रहते हैं। नर्मदा नदी को ही उत्तरी और दक्षिणी भारत की सीमारेखा माना जाता है। .

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नारद मुनि

नारद मुनि, (तमिल:தேவர்ஷி நாரத) हिन्दु शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक है। उन्होने कठिन तपस्या से ब्रह्मर्षि पद प्राप्त किया । वे भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक माने जाते है। देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक-कल्याण हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। शास्त्रों में इन्हें भगवान का मन कहा गया है। इसी कारण सभी युगों में, सभी लोकों में, समस्त विद्याओं में, समाज के सभी वर्गो में नारद जी का सदा से एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। मात्र देवताओं ने ही नहीं, वरन् दानवों ने भी उन्हें सदैव आदर किया है। समय-समय पर सभी ने उनसे परामर्श लिया है। श्रीमद्भगवद्गीता के दशम अध्याय के २६वें श्लोक में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इनकी महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा है - देवर्षीणाम् च नारद:। देवर्षियों में मैं नारद हूं। श्रीमद्भागवत महापुराणका कथन है, सृष्टि में भगवान ने देवर्षि नारद के रूप में तीसरा अवतार ग्रहण किया और सात्वततंत्र (जिसे नारद-पांचरात्र भी कहते हैं) का उपदेश दिया जिसमें सत्कर्मो के द्वारा भव-बंधन से मुक्ति का मार्ग दिखाया गया है। नारद जी मुनियों के देवता थे। वायुपुराण में देवर्षि के पद और लक्षण का वर्णन है- देवलोक में प्रतिष्ठा प्राप्त करने वाले ऋषिगण देवर्षि नाम से जाने जाते हैं। भूत, वर्तमान एवं भविष्य-तीनों कालों के ज्ञाता, सत्यभाषी, स्वयं का साक्षात्कार करके स्वयं में सम्बद्ध, कठोर तपस्या से लोकविख्यात, गर्भावस्था में ही अज्ञान रूपी अंधकार के नष्ट हो जाने से जिनमें ज्ञान का प्रकाश हो चुका है, ऐसे मंत्रवेत्ता तथा अपने ऐश्वर्य (सिद्धियों) के बल से सब लोकों में सर्वत्र पहुँचने में सक्षम, मंत्रणा हेतु मनीषियों से घिरे हुए देवता, द्विज और नृपदेवर्षि कहे जाते हैं। इसी पुराण में आगे लिखा है कि धर्म, पुलस्त्य, क्रतु, पुलह, प्रत्यूष, प्रभास और कश्यप - इनके पुत्रों को देवर्षि का पद प्राप्त हुआ। धर्म के पुत्र नर एवं नारायण, क्रतु के पुत्र बालखिल्यगण, पुलह के पुत्र कर्दम, पुलस्त्य के पुत्र कुबेर, प्रत्यूष के पुत्र अचल, कश्यप के पुत्र नारद और पर्वत देवर्षि माने गए, किंतु जनसाधारण देवर्षि के रूप में केवल नारद जी को ही जानता है। उनकी जैसी प्रसिद्धि किसी और को नहीं मिली। वायुपुराण में बताए गए देवर्षि के सारे लक्षण नारदजी में पूर्णत:घटित होते हैं। महाभारत के सभापर्व के पांचवें अध्याय में नारद जी के व्यक्तित्व का परिचय इस प्रकार दिया गया है - देवर्षि नारद वेद और उपनिषदों के मर्मज्ञ, देवताओं के पूज्य, इतिहास-पुराणों के विशेषज्ञ, पूर्व कल्पों (अतीत) की बातों को जानने वाले, न्याय एवं धर्म के तत्त्‍‌वज्ञ, शिक्षा, व्याकरण, आयुर्वेद, ज्योतिष के प्रकाण्ड विद्वान, संगीत-विशारद, प्रभावशाली वक्ता, मेधावी, नीतिज्ञ, कवि, महापण्डित, बृहस्पति जैसे महाविद्वानोंकी शंकाओं का समाधान करने वाले, धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष के यथार्थ के ज्ञाता, योगबल से समस्त लोकों के समाचार जान सकने में समर्थ, सांख्य एवं योग के सम्पूर्ण रहस्य को जानने वाले, देवताओं-दैत्यों को वैराग्य के उपदेशक, क‌र्त्तव्य-अक‌र्त्तव्य में भेद करने में दक्ष, समस्त शास्त्रों में प्रवीण, सद्गुणों के भण्डार, सदाचार के आधार, आनंद के सागर, परम तेजस्वी, सभी विद्याओं में निपुण, सबके हितकारी और सर्वत्र गति वाले हैं। अट्ठारह महापुराणों में एक नारदोक्त पुराण; बृहन्नारदीय पुराण के नाम से प्रख्यात है। मत्स्यपुराण में वर्णित है कि श्री नारद जी ने बृहत्कल्प-प्रसंग में जिन अनेक धर्म-आख्यायिकाओं को कहा है, २५,००० श्लोकों का वह महाग्रन्थ ही नारद महापुराण है। वर्तमान समय में उपलब्ध नारदपुराण २२,००० श्लोकों वाला है। ३,००० श्लोकों की न्यूनता प्राचीन पाण्डुलिपि का कुछ भाग नष्ट हो जाने के कारण हुई है। नारदपुराण में लगभग ७५० श्लोक ज्योतिषशास्त्र पर हैं। इनमें ज्योतिष के तीनों स्कन्ध-सिद्धांत, होरा और संहिता की सर्वांगीण विवेचना की गई है। नारदसंहिता के नाम से उपलब्ध इनके एक अन्य ग्रन्थ में भी ज्योतिषशास्त्र के सभी विषयों का सुविस्तृत वर्णन मिलता है। इससे यह सिद्ध हो जाता है कि देवर्षिनारद भक्ति के साथ-साथ ज्योतिष के भी प्रधान आचार्य हैं। आजकल धार्मिक चलचित्रों और धारावाहिकों में नारद जी का जैसा चरित्र-चित्रण हो रहा है, वह देवर्षि की महानता के सामने एकदम बौना है। नारद जी के पात्र को जिस प्रकार से प्रस्तुत किया जा रहा है, उससे आम आदमी में उनकी छवि लडा़ई-झगडा़ करवाने वाले व्यक्ति अथवा विदूषक की बन गई है। यह उनके प्रकाण्ड पांडित्य एवं विराट व्यक्तित्व के प्रति सरासर अन्याय है। नारद जी का उपहास उडाने वाले श्रीहरि के इन अंशावतार की अवमानना के दोषी है। भगवान की अधिकांश लीलाओं में नारद जी उनके अनन्य सहयोगी बने हैं। वे भगवान के पार्षद होने के साथ देवताओं के प्रवक्ता भी हैं। नारद जी वस्तुत: सही मायनों में देवर्षि हैं। .

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नाशिक जिला

नाशिक भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय नाशिक है। क्षेत्रफल - 15,535 वर्ग कि.मी.

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नंदुरबार जिला

नंदुरबार भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय नंदुरबार है। आदिवासी पावरा नृत्‍य के लिए प्रसिद्ध नंदुरबार महाराष्ट्र का एक नवगठित जिला है। इस जिले को धूले जिले से पृथक कर 1 जुलाई 1998 में गठित किया गया था। 5055 वर्ग किलोमीटर में फैला यह जिला नंदुरबार, नवापुर, अक्कलकुवा, तलोदा और शहादा ताल्लुकों में बंटा हुआ है। यहां का तोरणमल हिल स्टेशन पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। साथ ही तोरणमाळ सिटी टेंपल, प्रकाश, दत्तात्रेय मंदिर, हिडिंबा का जंगल, मछिन्द्रनाथ गुफा, पुष्पदंतेश्वर मंदिर, चीनी मिल, वाल्हेरी तळोदा, सतपुड़ा की पहाड़ियां और अक्राणी यहां के अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं, जिन्हें देखने के लिए लोग नियमित रूप से आते रहते हैं। ईस,जिले में प्रमुख आदिवासी,मावची गावीत,कोकणी,भिल,वसावे,पावरा आदी रहते है। नंदुरबार जिले से होकर दो प्रमुख नदीयां बहती हे.

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नंदूरबार

नंदूरबार महाराष्ट्र का एक शहर है। यह नंदुरबार जिला मुख्यालय भी है। यह आदिवासी पावड़ा नृत्‍य के लिए प्रसिद्ध है। इस जिले को धूले जिले से पृथक कर 1 जुलाई 1998 में गठित किया गया था। 5055 वर्ग किलोमीटर में फैला यह जिला नंदुरबार, नवापुर, अक्कलकुवा, तलोदा और शहादा ताल्लुकों में बंटा हुआ है। यहां का तोरणमल हिल स्टेशन पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। साथ ही तोरणमल सिटी टेंपल, प्रकाश, दत्तात्रेय मंदिर, हिडिंबा का जंगल, मछिन्द्रनाथ गुफा, पुष्पदंतेश्वर मंदिर, चीनी मिल, वालहेरी तलोडा, सतपुड़ा की पहाड़ियां और अक्का रानी यहां के अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं, जिन्हें देखने के लिए लोग नियमित रूप से आते रहते हैं। .

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पठार

भूमि पर मिलने वाले द्वितीय श्रेणी के स्थल रुपों में पठार अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं और सम्पूर्ण धरातल के ३३% भाग पर इनका विस्तार पाया जाता हैं।अथवा धरातल का विशिष्ट स्थल रूप जो अपने आस पास की जमींन से प्रयाप्त ऊँचा होता है,और जिसका ऊपरी भाग चौड़ा और सपाट हो पठार कहलाता है। सागर तल से इनकी ऊचाई ३०० मीटर तक होती हैं लेकिन केवल ऊचाई के आधार पर ही पठार का वर्गिकरण नही किया जाता हैं। .

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पूर्णा नदी

पूर्णा नदी पश्चिमी भारत में बहने वाली नदी है। यह ताप्ती नदी की सहायक नदी है और जलगाँव के चांगदेव में ताप्ती में मिल जाती है। श्रेणी:भारत की नदियाँ.

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बन्दरगाह

जापान का कोबे बन्दरगाह भारत के विशाखापत्तनम का बन्दरगाह एक प्राकृतिक बन्दरगाह है। बन्दरगाह (हार्बर) समुद्री जहाजों के ठहरने की जगह हैं। विश्व में कई विशाल व छोटे बंदरगाह हैं। .

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बुरहानपुर

बुरहानपुर भारत के मध्य प्रदेश का एक प्रमुख शहर है। बुरहानपुर मध्य प्रदेश में ताप्ती नदी के किनारे पर स्थित एक नगर है। यह ख़ानदेश की राजधानी था। इसको चौदहवीं शताब्दी में ख़ानदेश के फ़ारूक़ी वंश के सुल्तान मलिक अहमद के पुत्र नसीर द्वारा बसाया गया। .

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बुल्ढाना

बुल्ढाना महाराष्ट्र प्रान्त का एक शहर है। श्रेणी:महाराष्ट्र श्रेणी:महाराष्ट्र के शहर.

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बैतूल

बैतूल, मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में बाड़नूर से ५ किमी दूर इटारसी-नागपुर रेलमार्ग पर स्थित नगर है। यहाँ बरतन बनाना, चाँदी का काम, लाख की चूड़ियों का छोटे पैमाने पर काम होता है। .

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बैतूल ज़िला

बैतूल जिला मध्य प्रदेश के दक्षिण में स्थित है। बैतूल जिले के मुलताई तहसील पर पुण्य सलिला मां ताप्ती जी का उद्गम स्थल है। बैतूल के मुलताई तहसील पवित्र नगरी के रूप में भी पूजी जाती है यह सतपुड़ा पर्वत के पठार पर स्थित है। यह सतपुड़ा श्रेणी की संपूर्ण चौड़ाई को घेरे हुए है जो नर्मदा घाटी और उसके दक्षिण के मैदान तक फैला है। यह भोपाल संभाग को दक्षिणी छोर से छूता है। इस जिले का नाम छोटे से कस्बे बैतूल बाजार के नाम से जाना जाता है और जिला मुख्यालय से लगभग 5 किलो मीटर की दूरी पर है। मराठा शासन और अंग्रेजों के शासन के प्रारंभ में भी बैतूल बाजार जिला मुख्यालय था। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत की नदी प्रणालियाँ

भारत की नदियों का देश के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में प्राचीनकाल से ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सिन्धु तथा गंगा नदियों की घाटियों में ही विश्व की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यताओं - सिन्धु घाटी तथा आर्य सभ्यता का आर्विभाव हुआ। आज भी देश की सर्वाधिक जनसंख्या एवं कृषि का संकेन्द्रण नदी घाटी क्षेत्रों में पाया जाता है। प्राचीन काल में व्यापारिक एवं यातायात की सुविधा के कारण देश के अधिकांश नगर नदियों के किनारे ही विकसित हुए थे तथा आज भी देश के लगभग सभी धार्मिक स्थल किसी न किसी नदी से सम्बद्ध है। नदियों के देश कहे जाने वाले भारत में मुख्यतः चार नदी प्रणालियाँ है (अपवाह तंत्र) हैं। उत्तरी भारत में सिंधु, मध्य भारत में गंगा, उत्तर-पूर्व भारत में ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली है। प्रायद्वीपीय भारत में नर्मदा कावेरी महानदी आदी नदियाँ विस्तृत नदी प्रणाली का निर्माण करती हैं। भारत की नदियों को चार समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है जैसे:-.

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भविष्य पुराण

भविष्य पुराण १८ प्रमुख पुराणों में से एक है। इसकी विषय-वस्तु एवं वर्णन-शैलीकी दृष्टि से अत्यन्त उच्च कोटि का है। इसमें धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेकों आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष एवं आयुर्वेद के विषयों का अद्भुत संग्रह है। वेताल-विक्रम-संवाद के रूप में कथा-प्रबन्ध इसमें अत्यन्त रमणीय है। इसके अतिरिक्त इसमें नित्यकर्म, संस्कार, सामुद्रिक लक्षण, शान्ति तथा पौष्टिक कर्म आराधना और अनेक व्रतोंका भी विस्तृत वर्णन है। भविष्य पुराण में भविष्य में होने वाली घटनाओं का वर्णन है। इससे पता चलता है ईसा और मुहम्मद साहब के जन्म से बहुत पहले ही भविष्य पुराण में महर्षि वेद व्यास ने पुराण ग्रंथ लिखते समय मुस्लिम धर्म के उद्भव और विकास तथा ईसा मसीह तथा उनके द्वारा प्रारंभ किए गए ईसाई धर्म के विषय में लिख दिया था। यह पुराण भारतवर्ष के वर्तमान समस्त आधुनिक इतिहास का आधार है। इसके प्रतिसर्गपर्व के तृतीय तथा चतुर्थ खण्ड में इतिहासकी महत्त्वपूर्ण सामग्री विद्यमान है। इतिहास लेखकों ने प्रायः इसी का आधार लिया है। इसमें मध्यकालीन हर्षवर्धन आदि हिन्दू राजाओं और अलाउद्दीन, मुहम्मद तुगलक, तैमूरलंग, बाबर तथा अकबर आदि का प्रामाणिक इतिहास निरूपित है। इसके मध्यमपर्व में समस्त कर्मकाण्ड का निरूपण है। इसमें वर्णित व्रत और दान से सम्बद्ध विषय भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। इतने विस्तार से व्रतों का वर्णन न किसी पुराण, धर्मशास्त्र में मिलता है और न किसी स्वतन्त्र व्रत-संग्रह के ग्रन्थ में। हेमाद्रि, व्रतकल्पद्रुम, व्रतरत्नाकर, व्रतराज आदि परवर्ती व्रत-साहित्य में मुख्यरूप से भविष्यपुराण का ही आश्रय लिया गया है। भविष्य पुराण के अनुसार, इसके श्लोकों की संख्या पचास हजार के लगभग होनी चाहिए, परन्तु वर्तमान में कुल १४,००० श्लोक ही उपलब्ध हैं। विषय-वस्तु, वर्णनशैली तथा काव्य-रचना की द्रष्टि से भविष्यपुराण उच्चकोटि का ग्रन्थ है। इसकी कथाएँ रोचक तथा प्रभावोत्कपादक हैं। भविष्य पुराण में भगवान सूर्य नारायण की महिमा, उनके स्वरूप, पूजा उपासना विधि का विस्तार से उल्लेख किया गया है। इसीलिए इसे ‘सौर-पुराण’ या ‘सौर ग्रन्थ’ भी कहा गया है। .

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भुसावल

भुसावल भारत के महाराष्ट्र प्रांत का एक प्रमुख नगर है। भुसावल शहर जलगांव ज़िला, उत्तरी महाराष्ट्र राज्य, पश्चिमी भारत में है। यह सतपुड़ा पर्वतश्रेणी और दक्कन पठार की अजंता पहाड़ियों के मध्य ताप्ती नदी के तट पर स्थित है। मुंबई (भूतपूर्व बंबई)-कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता) और मुंबई-दिल्ली मार्गों पर स्थित यह शहर एक प्रमुख रेलवे जंक्शन है। एक विशाल रेल-इंजन कार्यशाला वाला भुसावल मूलत: एक रेलवे नगर है। .

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मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है, इसकी राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश १ नवंबर, २००० तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इस दिन एवं मध्यप्रदेश के कई नगर उस से हटा कर छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी। मध्य प्रदेश की सीमाऐं पांच राज्यों की सीमाओं से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है। हाल के वर्षों में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर राष्ट्रीय औसत से ऊपर हो गया है। खनिज संसाधनों से समृद्ध, मध्य प्रदेश हीरे और तांबे का सबसे बड़ा भंडार है। अपने क्षेत्र की 30% से अधिक वन क्षेत्र के अधीन है। इसके पर्यटन उद्योग में काफी वृद्धि हुई है। राज्य में वर्ष 2010-11 राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार जीत लिया। .

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मध्य रेलवे, भारत

यह भारतीय रेल का मध्य मण्डल है। इसका मुख्यालय है छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, मुंबई। श्रेणी:भारतीय रेल.

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मराठी भाषा

मराठी भारत के महाराष्ट्र प्रांत में बोली जानेवाली सबसे मुख्य भाषा है। भाषाई परिवार के स्तर पर यह एक आर्य भाषा है जिसका विकास संस्कृत से अपभ्रंश तक का सफर पूरा होने के बाद आरंभ हुआ। मराठी भारत की प्रमुख भाषओं में से एक है। यह महाराष्ट्र और गोवा में राजभाषा है तथा पश्चिम भारत की सह-राजभाषा हैं। मातृभाषियों कि संख्या के आधार पर मराठी विश्व में पंद्रहवें और भारत में चौथे स्थान पर है। इसे बोलने वालों की कुल संख्या लगभग ९ करोड़ है। यह भाषा 900 ईसवी से प्रचलन में है और यह भी हिन्दी के समान संस्कृत आधारित भाषा है। .

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महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

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महाराष्ट्र

महाराष्ट्र भारत का एक राज्य है जो भारत के दक्षिण मध्य में स्थित है। इसकी गिनती भारत के सबसे धनी राज्यों में की जाती है। इसकी राजधानी मुंबई है जो भारत का सबसे बड़ा शहर और देश की आर्थिक राजधानी के रूप में भी जानी जाती है। और यहाँ का पुणे शहर भी भारत के बड़े महानगरों में गिना जाता है। यहाँ का पुणे शहर भारत का छठवाँ सबसे बड़ा शहर है। महाराष्ट्र की जनसंख्या सन २०११ में ११,२३,७२,९७२ थी, विश्व में सिर्फ़ ग्यारह ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या महाराष्ट्र से ज़्यादा है। इस राज्य का निर्माण १ मई, १९६० को मराठी भाषी लोगों की माँग पर की गयी थी। यहां मराठी ज्यादा बोली जाती है। मुबई अहमदनगर पुणे, औरंगाबाद, कोल्हापूर, नाशिक नागपुर ठाणे शिर्डी-अहमदनगर आैर महाराष्ट्र के अन्य मुख्य शहर हैं। .

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माही नदी

माही नदी पश्चिमी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। माही का उद्गम मध्यप्रदेश के धार जिला के समीप मिन्डा ग्राम की विंध्याचल पर्वत श्रेणी से हुआ है। यह दक्षिणी अरावली में जयसमन्द झील से प्रारम्भ होती है। यह मध्य प्रदेश के धार, झाबुआ और रतलाम जिलों तथा गुजरात राजस्थान राज्य से होती हुई खंभात की खाड़ी द्वारा अरब सागर में गिरती है। इसकी दक्षिणी-पूर्वी शाखा बांसवाड़ा जिले से विपरीत दिशा में आकर मिलती है। इस पर माही बजाज सागर एवं कडाणा बाँध बनाये गए हैं। यह खम्भात की खाड़ी में गिरती है। इसकी कुल लम्बाई लगभग 472 किलोमीटर है। यह भारत की एकमात्र ऐसी नदी है जो कर्क रेखा को दो बार काटती है। यह भारत की पवीत्र नदियो मे से एक हे। .

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मुल्ताई

मुलताई भारत के मध्य प्रदेश राज्य में बैतूल जिले का एक शहर है मुल्ताई पुण्य सलिला मां ताप्ती नदी का उद्गम स्थल है इसके निकट प्रभात पट्टन और बेतुल प्रमुख शहर है। यह मुल्ताई मध्य-प्रदेश.

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यमराज

यमराज हिन्दू धर्म के अनुसार मृत्यु के देवता हैं। इनका उल्लेख वेद में भी आता है। इनकी जुड़वां बहन यमुना (यमी) है। यमराज, महिषवाहन (भैंसे पर सवार) दण्डधर हैं। वे जीवों के शुभाशुभ कर्मों के निर्णायक हैं। वे परम भागवत, बारह भागवताचार्यों में हैं। यमराज दक्षिण दिशा के दिक् पाल कहे जाते हैं और आजकल मृत्यु के देवता माने जाते हैं। दक्षिण दिशा के इन लोकपाल की संयमनीपुरी समस्त प्राणियों के लिये, जो अशुभकर्मा हैं, बड़ी भयप्रद है। यम, धर्मराज, मृत्यु, अन्तक, वैवस्वत, काल, सर्वभूतक्षय, औदुभ्बर, दघ्न, नील, परमेष्ठी, वृकोदर, चित्र और चित्रगुप्त - इन चौदह नामों से यमराज की आराधना होती है। इन्हीं नामों से इनका तर्पण किया जाता है। विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा से भगवान सूर्य के पुत्र यमराज, श्राद्धदेव मनु और यमुना उत्पन्न हुईं। .

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राष्ट्रीय राजमार्ग ३

1161 किलोमीटर लंबा यह राजकीय राजमार्ग उत्तर प्रदेश के आगरा शहर से महाराष्ट्र की राजधानी मुम्बई तक जाता है। इसका रूट आगरा - ग्वालियर- शिवपुरी - इंदौर - धुले - नासिक - थाने - मुम्बई है। श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग.

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राष्ट्रीय राजमार्ग ८

१४२८ किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग दिल्ली को मुंबई से जोड़ता है। इसका रूट दिल्ली - जयपुर – अजमेर – उदयपुर – अहमदाबाद – वडोदरा - मुंबई है। दिल्ली-मुंबई को जोड़ने वाले नेशनल हाइवे-8 के आसपास तो अनेक जगह हैं। दिल्ली से 48 कि॰मी॰ दूर सुल्तानपुर बर्ड सेंक्चुरी में प्रवासी पक्षियों को निहारने के साथ आधुनिक सुविधाओं से युक्त हेरिटेज विलेज मानेसर में ठहर कर सुकून की सांस ले सकते हैं। यहां ठहरने के लिए विश्व की सबसे बड़ी होटल श्रृंखला बेस्ट वैस्टर्न का रिजॉर्ट भी है। इसके अलावा गुड़गांव से एक अलग मार्ग पकड़कर 60 कि॰मी॰ दूर पटौदी जा सकते हैं, जहां प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी नवाब मंसूर अली खान पटौदी का पुश्तैनी आवास हेरिटेज होटल के रूप में स्वागत को तैयार है। गुड़गांव से ही एक हाईवे अलवर के लिए निकलता है। इस मार्ग पर दमदमा झील और सोहना जैसी मिनी सैरगाहें भी हैं। राजमार्ग-8 पर ही आगे बहरोड़ से पहले एक मार्ग नीमराना की ओर जाता है, जहां सैलानी ऐतिहासिक इमारत में ठहरने का लुत्फ उठा सकते हैं। वहां का नीमराना फोर्ट विश्वप्रसिद्ध हेरिटेज होटल है। श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग.

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रज्जु कर्षण सेतु

रज्जु कर्षण सेतु, सेतुओं का एक प्रकार होता है। इसमें एक या अधिक स्तंभ होते हैं, (जिन्हें टावर या पायलॉन भी कहते हैं), जो स्तंभ इस्पात रज्जुओं (केबल) द्वारा सेतु की सतह का भार संभालते हैं। इसके तीन मुख्य उप-भेद होते हैं:-;हार्प आकार इसमें सभी केबल समानांतर होते हैं, व स्तंभ में विभिन्न दूरियों पर जुड़े होते हैं। इतनी ही दूरियों पर ये केबल सड़क पर जुड़े होते हैं।;पंखा आकार इसमें सभी केबल स्तंभ पर सबसे ऊपर एक ही स्थान से जुड़े होते हैं। इसमें केबल की वांछित लंबाई हार्प आकार से कहीं अधिक होती है।;सस्पेंशन आकार इसमें सभी केबल ऊर्ध्वाधर होते हैं। ये नीचे सड़क से जुड़े होते हैं, व ऊपर एक स्तंभ से दूसरे स्तंभ को जोड़े हुए एक अन्य मोटे केबल से जुड़े होते हैं। Image:Bridge-suspension.svg|सस्पेंशन आकार Image:Bridge-fan-cable-stayed.svg|पंखा आकार Image:Bridge-harp-cable-stayed.svg|हार्प आकार .

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शनि (ज्योतिष)

बण्णंजी, उडुपी में शनि महाराज की २३ फ़ीट ऊंची प्रतिमा शनि ग्रह के प्रति अनेक आखयान पुराणों में प्राप्त होते हैं।शनिदेव को सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है। लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी.शनि ग्रह के सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियां और इस लिये उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। पाश्चात्य ज्योतिषी भी उसे दुख देने वाला मानते हैं। लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नही है, जितना उसे माना जाता है। इसलिये वह शत्रु नही मित्र है।मोक्ष को देने वाला एक मात्र शनि ग्रह ही है। सत्य तो यह ही है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है, और हर प्राणी के साथ उचित न्याय करता है। जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्ही को दण्डिंत (प्रताडित) करते हैं। वैदूर्य कांति रमल:, प्रजानां वाणातसी कुसुम वर्ण विभश्च शरत:। अन्यापि वर्ण भुव गच्छति तत्सवर्णाभि सूर्यात्मज: अव्यतीति मुनि प्रवाद:॥ भावार्थ:-शनि ग्रह वैदूर्यरत्न अथवा बाणफ़ूल या अलसी के फ़ूल जैसे निर्मल रंग से जब प्रकाशित होता है, तो उस समय प्रजा के लिये शुभ फ़ल देता है यह अन्य वर्णों को प्रकाश देता है, तो उच्च वर्णों को समाप्त करता है, ऐसा ऋषि महात्मा कहते हैं। .

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शिरपुर स्वर्ण शोधनी

शिरपुर स्वर्ण शोधनी (Shirpur Gold Refinery) भारत की प्रथम एवं एशिया की सबसे बड़ी स्वर्ण शोधनी (रिफाइनरी) है। इसका मुख्यालय मुंबई में है। इसकी क्षमता २१७ मेट्रिक टन सोना प्रतिवर्ष शोधन करने की है। .

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शिव

शिव या महादेव हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ,गंगाधार के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है। भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। राम, रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। .

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शिवलिंग

त्रिपुण्ड्र लगाया हुआ शिवलिंग शिवलिंग का अर्थ है 'शिव का प्रतीक' जो मन्दिरों एवं छोटे पूजस्थलों में पूजा जाता है। इसे केवल ' शिव लिंगम' भी कहते हैं। भारतीय समाज में शिवलिंगम को शिव की ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। लिंग को प्रायः 'योनि' (शाब्दिक अर्थ.

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सतपुड़ा

सतपुड़ा भारत के मध्य भाग में स्थित एक पर्वतमाला है।सतपुड़ा पर्वतश्रेणी नर्मदा एवं ताप्ती की दरार घाटियों के बीच राजपीपला पहाड़ी, महादेव पहाड़ी एवं मैकाल श्रेणी के रूप में पश्चिम से पूर्व की ओर विस्तृत है। पूर्व में इसका विस्तार छोटा नागपुर पठार तक है। यह पर्वत श्रेणी एक ब्लाक पर्वत है, जो मुख्यत: ग्रेनाइट एवं बेसाल्ट चट्टानों से निर्मित है। इस पर्वत श्रेणी की सर्वोच्च चोटी धूपगढ़ 1350 मीटर है, जो महादेव पर्वत पर स्थित है। श्रेणी:भारत के पर्वत श्रेणी:मध्य प्रदेश का भूगोल श्रेणी:महाराष्ट्र का भूगोल R.s.Rajawat dist Ujjain mp.

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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स्कन्द पुराण

विभिन्न विषयों के विस्तृत विवेचन की दृष्टि से स्कन्दपुराण सबसे बड़ा पुराण है। भगवान स्कन्द के द्वारा कथित होने के कारण इसका नाम 'स्कन्दपुराण' है। इसमें बद्रिकाश्रम, अयोध्या, जगन्नाथपुरी, रामेश्वर, कन्याकुमारी, प्रभास, द्वारका, काशी, कांची आदि तीर्थों की महिमा; गंगा, नर्मदा, यमुना, सरस्वती आदि नदियों के उद्गम की मनोरथ कथाएँ; रामायण, भागवतादि ग्रन्थों का माहात्म्य, विभिन्न महीनों के व्रत-पर्व का माहात्म्य तथा शिवरात्रि, सत्यनारायण आदि व्रत-कथाएँ अत्यन्त रोचक शैली में प्रस्तुत की गयी हैं। विचित्र कथाओं के माध्यम से भौगोलिक ज्ञान तथा प्राचीन इतिहास की ललित प्रस्तुति इस पुराण की अपनी विशेषता है। आज भी इसमें वर्णित विभिन्न व्रत-त्योहारों के दर्शन भारत के घर-घर में किये जा सकते हैं। इसमें लौकिक और पारलौकिक ज्ञानके अनन्त उपदेश भरे हैं। इसमें धर्म, सदाचार, योग, ज्ञान तथा भक्ति के सुन्दर विवेचनके साथ अनेकों साधु-महात्माओं के सुन्दर चरित्र पिरोये गये हैं। आज भी इसमें वर्णित आचारों, पद्धतियोंके दर्शन हिन्दू समाज के घर-घरमें किये जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें भगवान शिव की महिमा, सती-चरित्र, शिव-पार्वती-विवाह, कार्तिकेय-जन्म, तारकासुर-वध आदि का मनोहर वर्णन है। इस पुराण के माहेश्वरखण्ड के कौमारिकाखण्ड के अध्याय २३ में एक कन्या को दस पुत्रों के बराबर कहा गया है- यह खण्डात्मक और संहितात्मक दो स्वरूपों में उपलब्ध है। दोनों स्वरूपों में ८१-८१ हजार श्लोक परंपरागत रूप से माने गये हैं। खण्डात्मक स्कन्द पुराण में क्रमशः माहेश्वर, वैष्णव, ब्राह्म, काशी, अवन्ती (ताप्ती और रेवाखण्ड) नागर तथा प्रभास -- ये सात खण्ड हैं। संहितात्मक स्कन्दपुराण में सनत्कुमार, शंकर, ब्राह्म, सौर, वैष्णव और सूत -- छः संहिताएँ हैं। .

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सूरत

सूरत गुजरात प्रान्त का एक प्रमुख शहर है। यह शहर सूरत जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। तापी नदी सूरत शहर के मध्य से होकर गुजरती है। सूरत मुख्यत: कपड़ा उद्योग और डायमंड कटिंग और पोलिशिंग के लिए प्रसिद्ध है, इसलिए इस शहर को सिल्क सिटी और डायमंड सिटी के नाम से भी जाना जाता है। .

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सूरत जिला

सूरत भारतीय राज्य गुजरात का एक जिला है। जिले का मुख्यालय सूरत है। क्षेत्रफल - वर्ग कि॰मी॰ जनसंख्या -4993910 (2011 जनगणना) साक्षरता - एस॰टी॰डी॰ कोड - 0261 जिलाधिकारी - (सितम्बर 2006 में) समुद्र तल से उचाई -20 मीटर अक्षांश - उत्तर देशांतर - पूर्व औसत वर्षा - मि॰मी॰ .

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सूर्य देवता

कोई विवरण नहीं।

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सोनगढ़

सोनगढ़ भारत के गुजरात राज्य में तापी जिले स्थित एक तालुका है। .

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हिन्दू मान्यता

हिन्दू धर्म की प्रमुख मान्यता मोक्ष प्राप्त करना है। श्रेणी:हिन्दू धर्म.

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जलगाँव जिला

जलगाँव जिला (मराठी:जळगाव जिल्हा), भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है, जिसे पहले पूर्वी खानदेश जिला के नाम से जाना जाता था। इस जिले का मुख्यालय जलगाँव शहर है। यह जिला नासिक मंडल के अंतर्गत आता है। जिले का कुल क्षेत्रफल 11,765 किमी² और जनसंख्या 3,682,690 है (2001 जलगणना) जिसमें से 71.4% आबादी ग्रामीण है। जिले के उत्तर में मध्य प्रदेश, पूर्व में बुलढाणा जिला, दक्षिणपूर्व में जालना जिला, दक्षिण में औरंगाबाद जिला, दक्षिणपश्चिम में नासिक जिला और पश्चिम में धुले जिला स्थित है। .

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ज्वार-भाटा

धरती पर स्थित सागरों के जल-स्तर का सामान्य-स्तर से ऊपर उठना ज्वार तथा नीचे गिरना भाटा कहलाता है। ज्वार-भाटा की घटना केवल सागर पर ही लागू नहीं होती बल्कि उन सभी चीजों पर लागू होतीं हैं जिन पर समय एवं स्थान के साथ परिवर्तनशील गुरुत्व बल लगता है। (जैसे ठोस जमीन पर भी) पृथ्वी, चन्द्रमा और सूर्य की पारस्परिक गुरुत्वाकर्षण शक्ति की क्रियाशीलता ही ज्वार-भाटा की उत्पत्ति का प्रमुख कारण हैं। .

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खानदेश

खानदेश खानदेश महाराष्ट्र के दक्षिणी पठार के उत्तरी-पश्चिमी कोने पर स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक क्षेत्र, जो मुंबई से लगभग ३००किमी उत्तरपश्चिम है। १८ वीं शताब्दी में यह भाग मराठा शासन में था तथा यहाँ अनेक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएँ हुई थीं। उसके पूर्व यह अहमद नगर के सुल्तानों के अधिकार में था। १६०१ ई. में अकबर ने इसे अपने साम्राज्य में सम्मिलित किया। पूरे क्षेत्र का क्षेत्रफल ९,९१८ वर्गमील है। १९०६ ई. में इस क्षेत्र को दो जिलों में विभाजित कर दिया गया: .

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खंडवा ज़िला

खंडवा भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय खंडवा है। समुद्र तल से 900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मध्य प्रदेश के खंडवा जिले को दक्षिण भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। यह जिला नर्मदा और ताप्‍ती नदी घाटी के मध्य बसा है। 6200 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले खंडवा की सीमाएं बेतूल, होशंगाबाद, बुरहानपुर, खरगोन और देवास से मिलती हैं। ओमकारेश्‍वर एवं सिगांजी(मून्दी) यहां का लोकप्रिय और पवित्र दर्शनीय स्‍थल है। ओंकारेश्वर भारत के 12 ज्योतिर्लिगों में शुमार किया जाता है। इसके अलावा घंटाघर, दादा धुनीवाले दरबार, हरसुद,मून्दी, सिद्धनाथ मंदिर और वीरखाला रूक यहां के अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं। .

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खंभात की खाड़ी

खंभात की खाड़ी (पूर्व नाम: कैंबे की खाड़ी) अरब सागर स्थित एक तिकोनी आकृति की खाड़ी है। यह दक्षिणी ओर से अरब सागर में खुलती है। यह भारतीय राज्य गुजरात के सागर तट, पश्चिमी भारत के शहर मुंबई और काठियावाड़ प्रायद्वीप के मध्य स्थित है और उसे पूर्व और पश्चिमी, दो भागों में बांटती है। केन्द्र शासित प्रदेश दमन और दीव के निकट इसका मुहाना लगभग १९० किलोमीटर चौड़ा है, जो तीव्रता सहित २४ किमी तक संकरा हो जाता है। इस खाड़ी में साबरमती, माही, नर्मदा और ताप्ती सहित कई नदियों का विलय होता है। दक्षिण दिशा से दक्षिण पश्चिमी मानसून के सापेक्ष इसकी आकृति और इसकी अवस्थिति, इसकी लगभग १०-१५ मीटर ऊँची उठती और प्रवेश करती लहरों की ६-७ नॉट्स की द्रुत गति के कारण है। इसे शैवाल और रेतीले तट नौपरिवहन के लिए दुर्गम बनाते हैं साथ ही खाड़ी में स्थित सभी बंदरगाहों को लहरों व नदियों में बाढ़ द्वारा लाई गई गाद का बाहुल्य मिलता है। गुजरात से ४ बड़ी, ५ मध्यम, २५ छोटी एवं ५ मरुस्थलीय नदियां खाड़ी में गिरती हैं एवं खाड़ी में प्रतिवर्ष ७१,००० घन मि.मी जल विसर्जित करती हैं। खाड़ी की पूर्व में भरुच नामक भारत का एक प्राचीनतम बंदरगाह शहर एवं सूरत हैं, जो भारत और यूरोप के बीच का आरंभिक वाणिज्यिक संपर्क स्थल के रूप में प्रसिद्ध रहे हैं। ये शहर इसके मुहाने पर स्थित हैं। हालांकि इस खाड़ी में स्थित बंदरगाहों का महत्त्व स्थानीय लोगों हेतु ही है, फिर भी यहाँ पर खनिज तेल के लिये किये गए खोज प्रयासों ने, विशेषकर भरुच के निकट, खाड़ी के मुहाने और बॉम्बे हाई के अपतटीय क्षेत्रों में वाणिज्यिक पुनरुत्थान हुआ है। वर्ष २००० में भारत के तत्कालीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, डॉ॰ मुरली मनोहर जोशी ने जल के नीचे बड़े स्तर पर मानव-निर्मित ढांचों के मिलने की घोषणा की थी। यद्यपि खाड़ी पर स्थित बंदरगाहों का महत्त्व स्थानीय मात्र ही है, लेकिन यहाँ पर तेल के मिलने और खोज प्रयासों ने, विशेषकर भरुच के निकट, खाड़ी के मुहाने और बॉम्बे हाई के अपतटीय क्षेत्रों में वाणिज्यिक पुनरुत्थान हुआ है। खंभात की खाड़ी में तृतीय कल्प (Tertiary) के निक्षेप मिलते हैं। भूगर्भिक क्रियाओं का प्रभाव इस क्षेत्र पर रहा है, अत: यहाँ अनेक भ्रंश (Faults) पाए जाते हैं। बाद के युग में यह क्षेत्र ऊपर की ओर उठ गया। तटीय क्षेत्र में नदियों की पुरानी घाटियाँ तथा झीलें आज भी दृष्टिगत होती हैं। नर्मदा, ताप्ती, माही, साबरमती तथा काठियावाड की अन्य नदियों के वेगवान निक्षेपण के कारण विस्तृत तटीय क्षेत्र दलदल से परिपूर्ण हो गए हैं और खाड़ी के बीच कुछ द्वीप बन गए हैं। .

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गुजरात

गुजरात (गुजराती:ગુજરાત)() पश्चिमी भारत में स्थित एक राज्य है। इसकी उत्तरी-पश्चिमी सीमा जो अन्तर्राष्ट्रीय सीमा भी है, पाकिस्तान से लगी है। राजस्थान और मध्य प्रदेश इसके क्रमशः उत्तर एवं उत्तर-पूर्व में स्थित राज्य हैं। महाराष्ट्र इसके दक्षिण में है। अरब सागर इसकी पश्चिमी-दक्षिणी सीमा बनाता है। इसकी दक्षिणी सीमा पर दादर एवं नगर-हवेली हैं। इस राज्य की राजधानी गांधीनगर है। गांधीनगर, राज्य के प्रमुख व्यवसायिक केन्द्र अहमदाबाद के समीप स्थित है। गुजरात का क्षेत्रफल १,९६,०७७ किलोमीटर है। गुजरात, भारत का अत्यंत महत्वपूर्ण राज्य है। कच्छ, सौराष्ट्र, काठियावाड, हालार, पांचाल, गोहिलवाड, झालावाड और गुजरात उसके प्रादेशिक सांस्कृतिक अंग हैं। इनकी लोक संस्कृति और साहित्य का अनुबन्ध राजस्थान, सिंध और पंजाब, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के साथ है। विशाल सागर तट वाले इस राज्य में इतिहास युग के आरम्भ होने से पूर्व ही अनेक विदेशी जातियाँ थल और समुद्र मार्ग से आकर स्थायी रूप से बसी हुई हैं। इसके उपरांत गुजरात में अट्ठाइस आदिवासी जातियां हैं। जन-समाज के ऐसे वैविध्य के कारण इस प्रदेश को भाँति-भाँति की लोक संस्कृतियों का लाभ मिला है। .

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गुजराती भाषा

गुजराती भारत की एक भाषा है जो गुजरात राज्य, दीव और मुंबई में बोली जाती है। गुजराती साहित्य भारतीय भाषाओं के सबसे अधिक समृद्ध साहित्य में से है। भारत की दूसरी भाषाओं की तरह गुजराती भाषा का जन्म संस्कृत भाषा से हुआ है। वहीं इसके कई शब्द ब्रजभाषा के हैं ऐसा भी माना जाता है की इसका जन्म ब्रजभाषा में से भी हुआ अर्थात संस्कृत और ब्रजभाषा के मिले जुले शब्दों से गुजरातीे भाषा का जन्म हुआ। दूसरे राज्य एवं विदेशों में भी गुजराती बोलने वाले लोग निवास करते हैं। जिन में पाकिस्तान, अमेरिका, यु.के., केन्या, सिंगापुर, अफ्रिका, ऑस्ट्रेलीया मुख्य है। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की मातृभाषा गुजराती थी। गुजराती बोलने वाले भारत के दूसरे महानुभावों में पाकिस्तान के राष्ट्रपिता मुहम्मद अली जिन्ना, महर्षि दयानंद सरस्वती, मोरारजी देसाई, नरेन्द्र मोदी, धीरु भाई अंबानी भी सम्मिलित है। .

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किन्नर

किन्नर हिमालय में आधुनिक कन्नोर प्रदेश के पहाड़ी लोग, जिनकी भाषा कन्नौरी, गलचा, लाहौली आदि बोलियों के परिवार की है। किन्नर हिमालय के क्षेत्रों में बसनेवाली एक मनुष्य जाति का नाम है, जिसके प्रधान केंद्र हिमवत्‌ और हेमकूट थे। पुराणों और महाभारत की कथाओं एवं आख्यानों में तो उनकी चर्चाएँ प्राप्त होती ही हैं, कादंबरी जैसे कुछ साहित्यिक ग्रंथों में भी उनके स्वरूप निवासक्षेत्र और क्रियाकलापों के वर्णन मिलते हैं। जैसा उनके नाम ‘किं+नर’ से स्पष्ट है, उनकी योनि और आकृति पूर्णत: मनुष्य की नहीं मानी जाती। संभव है, किन्नरों से तात्पर्य उक्त प्रदेश में रहने वाले मंगोल रक्तप्रधान उन पीतवर्ण लोगों से हो, जिनमें स्त्री-पुरुष-भेद भौगोलिक और रक्तगत विशेषताओं के कारण आसानी से न किया जा सकता हो। किन्नरों की उत्पति के बारे में दो प्रवाद हैं-एक तो यह कि वे ब्रह्मा की छाया अथवा उनके पैर के अँगूठे से उत्पन्न हुए और दूसरा यह कि अरिष्टा और कश्पय उनके आदिजनक थे। हिमालय का पवित्र शिखर कैलाश किन्नरों का प्रधान निवासस्थान था, जहाँ वे शंकर की सेवा किया करते थे। उन्हें देवताओं का गायक और भक्त समझा जाता है और यह विश्वास है कि यक्षों और गंधर्वों की तरह वे नृत्य और गान में प्रवीण होते थे। विराट् पुरुष, इंद्र और हरि उनके पूज्य थे और पुराणों का कथन है कि कृष्ण का दर्शन करने वे द्वारका तक गए थे। सप्तर्षियों से उनके धर्म जानने की की कथाएँ प्राप्त होती हैं। उनके सैकड़ों गण थे और चित्ररथ उनका प्रधान अधिपति था। मानव और पशु अथवा पक्षी संयुक्त भारतीय कला का एक अभिप्राय। इसकी कल्पना अति प्राचीन है। शतपथ ब्राह्मण (7.5.2.32) में अश्वमुखी मानव शरीरवाले किन्नर का उल्लेख है। बौद्ध साहित्य में किन्नर की कल्पना मानवमुखी पक्षी के रूप में की गई है। मानसार में किन्नर के गरुड़मुखी, मानवशरीरी और पशुपदी रूप का वर्णन है। इस अभिप्राय का चित्रण भरहुत के अनेक उच्चित्रणों में हुआ है। .

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अमरावती जिला

अमरावती, भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय अमरावती है। क्षेत्रफल - 12,210 वर्ग कि.मी.

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अरब सागर

अरब सागर जिसका भारतीय नाम सिंधु सागर है, भारतीय उपमहाद्वीप और अरब क्षेत्र के बीच स्थित हिंद महासागर का हिस्सा है। अरब सागर लगभग 38,62,000 किमी2 सतही क्षेत्र घेरते हुए स्थित है तथा इसकी अधिकतम चौड़ाई लगभग 2,400 किमी (1,500 मील) है। सिन्धु नदी सबसे महत्वपूर्ण नदी है जो अरब सागर में गिरती है, इसके आलावा भारत की नर्मदा और ताप्ती नदियाँ अरब सागर में गिरती हैं। यह एक त्रिभुजाकार सागर है जो दक्षिण से उत्तर की ओर क्रमश: संकरा होता जाता है और फ़ारस की खाड़ी से जाकर मिलता है। अरब सागर के तट पर भारत के अलावा जो महत्वपूर्ण देश स्थित हैं उनमें ईरान, ओमान, पाकिस्तान, यमन और संयुक्त अरब अमीरात सबसे प्रमुख हैं। .

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असीरगढ़

असीरगढ़ मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित एक गांव है। असीरगढ का ऐतिहासिक क़िला बहुत प्रसिद्ध है। असीरगढ़ क़िला बुरहानपुर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में सतपुड़ा पहाड़ियों के शिखर पर समुद्र सतह से 250 फ़ुट की ऊँचाई पर स्थित है। यह क़िला आज भी अपने वैभवशाली अतीत की गुणगाथा का गान मुक्त कंठ से कर रहा है। इसकी तत्कालीन अपराजेयता स्वयं सिद्ध होती है। इसकी गणना विश्व विख्यात उन गिने चुने क़िलों में होती है, जो दुर्भेद और अजेय, माने जाते थे। इतिहासकारों ने इसका 'बाब-ए-दक्खन' (दक्षिण द्वार) और 'कलोद-ए-दक्खन' (दक्षिण की कुँजी) के नाम से उल्लेख किया है, क्योंकि इस क़िले पर विजय प्राप्त करने के पश्चात दक्षिण का द्वार खुल जाता था, और विजेता का सम्पूर्ण ख़ानदेश क्षेत्र पर अधिपत्य स्थापित हो जाता था। इस क़िले की स्थापना कब और किसने की यह विश्वास से नहीं कहा जा सकता। इतिहासकार स्पष्ट एवं सही राय रखने में विवश रहे हैं। कुछ इतिहासकार इस क़िले का महाभारत के वीर योद्धा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा की अमरत्व की गाथा से संबंधित करते हुए उनकी पूजा स्थली बताते हैं। बुरहानपुर के 'गुप्तेश्वर  महादेव मंदिर' के समीप से एक सुंदर सुरंग है, जो असीरगढ़ तक लंबी है। ऐसा कहा जाता है कि, पर्वों के दिन अश्वत्थामा ताप्ती नदी में स्नान करने आते हैं, और बाद में 'गुप्तेश्वर' की पूजा कर अपने स्थान पर लौट जाते हैं। .

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अकोला जिला

अकोला भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय अकोला है। क्षेत्रफल - 5,431 वर्ग कि.मी.

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छाया

किसी प्रकाशीय स्रोत के सामने एक अपारदर्शक वस्तु रखने पर प्रकाश की किरणें वस्तु को पार नहीं कर पाती हैं जिससे वस्तु के पीछे एक अन्धकार भाग दिखाई पड़ता है जिसे छाया कहते हैं। श्रेणी:प्रकाश.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

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