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तन्त्र अभियान्त्रिकी

सूची तन्त्र अभियान्त्रिकी

जटिल परियोजनाओं के संचालन में तंत्रीय प्रौद्योगिकी की जरूरत पड़ती है: स्पेसक्राफ्ट से लेकर चिप तक; रोबोटिक्स से लेकर विशाल साफ्टवेयरों के निर्माण में यह अपने कुछ उपकरणों (माडेलिंग, सिमुलेशन, आवश्यकता विश्लेषण, समय-निर्धारण आदि) का प्रयोग करके कार्य को सुचारु रूप से आगे बढने मे मदद करती है। तन्त्रीय अभियान्त्रिकी या तंत्रीय प्रौद्योगिकी या सिस्टम्स इंजिनीयरिंग (Systems engineering) प्रौद्योगिकी का एक ऐसा क्षेत्र है जो ज्ञान की अलग-अलग विधाओं को परस्पर जोड़ता है। जटिल कृत्रिम तंत्रों के विकास एवं समन्वय के लिये इसकी आवश्यकता होती है। .

2 संबंधों: तन्त्र, नियंत्रण प्रौद्योगिकी

तन्त्र

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित तंत्र या प्रणाली या सिस्टम के बारे में तंत्र (सिस्टम) देखें। ---- तन्त्र कलाएं (ऊपर से, दक्षिणावर्त): हिन्दू तांत्रिक देवता, बौद्ध तान्त्रिक देवता, जैन तान्त्रिक चित्र, कुण्डलिनी चक्र, एक यंत्र एवं ११वीं शताब्दी का सैछो (तेन्दाई तंत्र परम्परा का संस्थापक तन्त्र, परम्परा से जुड़े हुए आगम ग्रन्थ हैं। तन्त्र शब्द के अर्थ बहुत विस्तृत है। तन्त्र-परम्परा एक हिन्दू एवं बौद्ध परम्परा तो है ही, जैन धर्म, सिख धर्म, तिब्बत की बोन परम्परा, दाओ-परम्परा तथा जापान की शिन्तो परम्परा में पायी जाती है। भारतीय परम्परा में किसी भी व्यवस्थित ग्रन्थ, सिद्धान्त, विधि, उपकरण, तकनीक या कार्यप्रणाली को भी तन्त्र कहते हैं। हिन्दू परम्परा में तन्त्र मुख्यतः शाक्त सम्प्रदाय से जुड़ा हुआ है, उसके बाद शैव सम्प्रदाय से, और कुछ सीमा तक वैष्णव परम्परा से भी। शैव परम्परा में तन्त्र ग्रन्थों के वक्ता साधारणतयः शिवजी होते हैं। बौद्ध धर्म का वज्रयान सम्प्रदाय अपने तन्त्र-सम्बन्धी विचारों, कर्मकाण्डों और साहित्य के लिये प्रसिद्ध है। तन्त्र का शाब्दिक उद्भव इस प्रकार माना जाता है - “तनोति त्रायति तन्त्र”। जिससे अभिप्राय है – तनना, विस्तार, फैलाव इस प्रकार इससे त्राण होना तन्त्र है। हिन्दू, बौद्ध तथा जैन दर्शनों में तन्त्र परम्परायें मिलती हैं। यहाँ पर तन्त्र साधना से अभिप्राय "गुह्य या गूढ़ साधनाओं" से किया जाता रहा है। तन्त्रों को वेदों के काल के बाद की रचना माना जाता है जिसका विकास प्रथम सहस्राब्दी के मध्य के आसपास हुआ। साहित्यक रूप में जिस प्रकार पुराण ग्रन्थ मध्ययुग की दार्शनिक-धार्मिक रचनायें माने जाते हैं उसी प्रकार तन्त्रों में प्राचीन-अख्यान, कथानक आदि का समावेश होता है। अपनी विषयवस्तु की दृष्टि से ये धर्म, दर्शन, सृष्टिरचना शास्त्र, प्राचीन विज्ञान आदि के इनसाक्लोपीडिया भी कहे जा सकते हैं। यूरोपीय विद्वानों ने अपने उपनिवीशवादी लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए तन्त्र को 'गूढ़ साधना' (esoteric practice) या 'साम्प्रदायिक कर्मकाण्ड' बताकर भटकाने की कोशिश की है। वैसे तो तन्त्र ग्रन्थों की संख्या हजारों में है, किन्तु मुख्य-मुख्य तन्त्र 64 कहे गये हैं। तन्त्र का प्रभाव विश्व स्तर पर है। इसका प्रमाण हिन्दू, बौद्ध, जैन, तिब्बती आदि धर्मों की तन्त्र-साधना के ग्रन्थ हैं। भारत में प्राचीन काल से ही बंगाल, बिहार और राजस्थान तन्त्र के गढ़ रहे हैं। .

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नियंत्रण प्रौद्योगिकी

अंतरिक्ष उडानों में नियंत्रण प्रणाली का बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। नियंत्रण प्रौद्योगिकी (Control engineering), इंजीनियरी की वह विधा (discipline) है जो विविध प्रकार के तंत्रों को मॉडल करने, उनके गतिक व्यवहार का विश्लेषण करने तथा नियंत्रण सिद्धान्त का उपयोग करते हुए समुचित नियंत्रक प्रणाली (कन्ट्रोल सिस्टम) की रचना करने से सम्बन्धित है। नियंत्रक (कन्ट्रोलर) या कम्पन्सेटर की डिजाइन, कन्ट्रोल प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। .

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तन्त्र इंजीनियरी, तन्त्रीय अभियान्त्रिकी, तंत्रीय प्रौद्योगिकी

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