4 संबंधों: तंत्रिका, तंत्रिकाशोथ, मधुमेह, सायटिका।
तंत्रिका
किसी जीव के शरीर में तंत्रिका ऐसे रेशे को कहते हैं जिसके द्वारा शरीर के एक स्थान से दूसरे स्थान तक संकेत भेजे जाते हैं। तंत्रिका को अंग्रेजी में नर्व कहते हैं। मनुष्य शरीर में तंत्रिकाएँ शरीर के लगभग हर भाग को मस्तिष्क या मेरूरज्जु से जोड़कर उनमें आपसी संपर्क रखतीं हैं। यदि तंत्रिकाओं को क़रीब से देखा जाए तो वह न्यूरॉन नामक कोशिकाओं (सैल) के गुच्छों की बनी होतीं हैं। जब मस्तिष्क को किसी हाथ को हिलने का आदेश देना होता है तो मस्तिष्क से हाथ तक यह संकेत तंत्रिकाओं के ज़रिये ही भेजा जाता है। इसी तरह जब आँख पर कोई छवि पड़ती है तो उसके संकेत दिमाग़ तक तंत्रिकाएं ही ले जातीं हैं। .
नई!!: तंत्रिकार्ति और तंत्रिका · और देखें »
तंत्रिकाशोथ
किसी तंत्रिका के प्रदाह या विघटन को तंत्रिकाशोथ (Neuritis) कहते हैं। तंत्रिकाशोथ एक तंत्रिका की अथवा अनेक तंत्रिकाओं की हा सकती है। एक तंत्रिका को अर्ति के कारणों में (1) चोट, (2) अर्बुद या सूजी हुई गिल्टी का दबाब, (3) सूत्रिकार्ति, जिसमें तंत्रिका आवरण भी शामल होता है, (4) जीवाणुविष, तथा (5) कट जाने पर विघटन इत्यादि होते हैं। ठंढ लगना (बेल्स पाल्सी Bells palse), जिसमें आधे चेहरे को लकवा मार जाता है) प्रवर्तक कारण है। कौन सी तंत्रिका में आर्ति है, इसके आधार पर लक्षण प्रकट होते हैं। इस व्याधि में तंत्रिकापथ पर जलन और छेदन की पीड़ा, दबाने से बढ़नेवाला दर्द आदि होते हैं। बहुतंत्रिकाशोथ - इसके कारण हैं: (1) रासायनिक पदार्थ - शराब, संखिया, सीस, पारा, ईथर, बार्बिटोन आदि, (2) जीवाणु विष- डिपथीरिया, मोतीझरा, फ्लू, सुजाक, उपदंश, मलेरिया, कुष्ट, क्षय। आदि, (3) विटामिनहीनता- बेरी बेरी, (4) रोग- मधुमेह, गठिया, रक्ताल्पता, कैंसर तथा (5) तीव्रतंत्रिकाशोथ - अज्ञात विष या जीवाणु जन्य। यह रोग विशेषकर युवावस्था में होता है और ठंढ लगने से उभरता है। .
नई!!: तंत्रिकार्ति और तंत्रिकाशोथ · और देखें »
मधुमेह
डायबिटीज मेलेटस (डीएम), जिसे सामान्यतः मधुमेह कहा जाता है, चयापचय संबंधी बीमारियों का एक समूह है जिसमें लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा का स्तर होता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है। यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, मधुमेह कई जटिलताओं का कारण बन सकता है। तीव्र जटिलताओं में मधुमेह केटोएसिडोसिस, नॉनकेटोटिक हाइपरोस्मोलर कोमा, या मौत शामिल हो सकती है। गंभीर दीर्घकालिक जटिलताओं में हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रोनिक किडनी की विफलता, पैर अल्सर और आंखों को नुकसान शामिल है। मधुमेह के कारण है या तो अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता या शरीर की कोशिकायें इंसुलिन को ठीक से जवाब नहीं करती। मधुमेह के तीन मुख्य प्रकार हैं.
नई!!: तंत्रिकार्ति और मधुमेह · और देखें »
सायटिका
Left gluteal region, showing surface markings for arteries and sciatic nerve कमर से संबंधित नसों में से अगर किसी एक में भी सूजन आ जाए तो पूरे पैर में असहनीय दर्द होने लगता है, जिसे गृध्रसी या सायटिका (Sciatica) कहा जाता है। यह तंत्रिकाशूल (Neuralgia) का एक प्रकार है, जो बड़ी गृघ्रसी तंत्रिका (sciatic nerve) में सर्दी लगने से या अधिक चलने से अथवा मलावरोध और गर्भ, अर्बुद (Tumour) तथा मेरुदंड (spine) की विकृतियाँ, इनमें से किसी का दबाव तंत्रिका या तंत्रिकामूलों पर पड़ने से उत्पन्न होता है। कभी-कभी यह तंत्रिकाशोथ (Neuritis) से भी होता है। पीड़ा नितंबसंधि (Hip joint) के पीछे प्रारंभ होकर, धीरे धीरे तीव्र होती हुई, तंत्रिकामार्ग से अँगूठे तक फैलती है। घुटने और टखने के पीछे पीड़ा अधिक रहती है। पीड़ा के अतिरिक्त पैर में शून्यता (numbness) भी होती है। तीव्र रोग में असह्य पीड़ा से रोगी बिस्तरे पर पड़ा रहता है। पुराने (chronic) रोग में पैर में क्षीणता और सिकुड़न उत्पन्न होती है। रोग प्राय: एक ओर तथा दुश्चिकित्स्य होता है। उपचार के लिए सर्वप्रथम रोग के कारण का निश्चय करना आवश्यक है। नियतकालिक (periodic) रोग में आवेग के २-३ घंटे पूर्व क्विनीन देने से लाभ होता है। लगाने के लिए ए. बी.
नई!!: तंत्रिकार्ति और सायटिका · और देखें »