इन पंक्तियों में कवि की संवेदना स्पष्ट रूप से उस मिट्टी की बनी वस्तु के प्रति है जिसका वहिस्कार आज का समाज कर चुका है या कर देना चाहता है। कंक्रीट- सा हृदय आज के मानवीय समाज का कब और कैसे हो गया? इन कारणों के तरफ देखने और विचार करने की बहुत - सी संभावनाओं के तरफ संकेत भी कवि करता है।.
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यहां पुनर्निर्देश करता है:
डॉ. एम. एस. मानव।