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डी मायवर का प्रमेय

सूची डी मायवर का प्रमेय

अब्रहम डि मायवर डी मॉयवर का प्रमेय या डी मॉयवर का सूत्र (De Moivre's formula) समिश्र संख्याओं के घात (इन्डेक्स) से सम्बन्धित एक महत्वपूर्ण सूत्र है। इसका प्रतिपादन अब्राहम डी मॉयवर (Abraham de Moivre) ने किया था। इस प्रमेय के अनुसार, जहाँ n कोई पूर्णांक (integer) है तथा x कोई भी समिश्र संख्या है। (अतः x के वास्तविक मान के लिये भी सत्य है) इस सूत्र की महत्ता इस बात में है कि यह समिश्र संख्याओं को त्रिकोणमिति से जोड़ता है।'"cos x + i sin x"' को प्रयः '"cis x"' के संक्षिप्त रूप से भी व्यक्त किया जाता है। .

8 संबंधों: त्रिकोणमिति, पूर्णांक, फलन, मूल, समिश्र संख्या, गणितीय आगमन, ऑयलर का सूत्र, इकाई के मूल

त्रिकोणमिति

किसी दूरस्थ और सीधे मापन में कठिनाई वाले सर्वेक्षण के लिए समरूप त्रिभुज के उपयोग का उदाहरण (1667) त्रिकोणमिति गणित की वह शाखा है जिसमें त्रिभुज और त्रिभुजों से बनने वाले बहुभुजों का अध्ययन होता है। त्रिकोणमिति का शब्दिक अर्थ है 'त्रिभुज का मापन'। त्रिकोणमिति में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है समकोण त्रिभुज का अध्ययन। त्रिभुजों और बहुभुजों की भुजाओं की लम्बाई और दो भुजाओं के बीच के कोणों का अध्ययन करने का मुख्य आधार यह है कि समकोण त्रिभुज की किन्ही दो भुजाओं (आधार, लम्ब व कर्ण) का अनुपात उस त्रिभुज के कोणों के मान पर निर्भर करता है। त्रिकोणमिति का ज्यामिति की प्रसिद्ध बौधायन प्रमेय (पाइथागोरस प्रमेय) से गहरा सम्बन्ध है। .

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पूर्णांक

right पूर्ण संख्या धनात्मक प्राकृतिक संख्या, ऋणात्मक प्राकृतिक संख्या तथा शून्य के समूह को कहते हैं जैसे -2,-1,0,1,2 श्रेणी:गणित पूर्णांक श्रेणी:बीजीय संख्या सिद्धान्त.

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फलन

''X'' के किसी सदस्य का ''Y'' के केवल एक सदस्य से सम्बन्ध हो तो वह फलन है अन्यथा नहीं। ''Y''' के कुछ सदस्यों का '''X''' के किसी भी सदस्य से सम्बन्ध '''न''' होने पर भी फलन परिभाषित है। गणित में जब कोई राशि का मान किसी एक या एकाधिक राशियों के मान पर निर्भर करता है तो इस संकल्पना को व्यक्त करने के लिये फलन (function) शब्द का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये किसी ऋण पर चक्रवृद्धि ब्याज की राशि मूलधन, समय एवं ब्याज की दर पर निर्भर करती है; इसलिये गणित की भाषा में कह सकते हैं कि चक्रवृद्धि ब्याज, मूलधन, ब्याज की दर तथा समय का फलन है। स्पष्ट है कि किसी फलन के साथ दो प्रकार की राशियां सम्बन्धित होती हैं -.

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मूल

मूल के कई अर्थ हो सकते हैं-.

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समिश्र संख्या

किसी समिश्र संख्या का अर्गेन्ड आरेख पर प्रदर्शन गणित में समिश्र संख्याएँ (complex number) वास्तविक संख्याओं का विस्तार है। किसी वास्तविक संख्या में एक काल्पनिक भाग जोड़ देने से समिश्र संख्या बनती है। समिश्र संख्या के काल्पनिक भाग के साथ i जुड़ा होता है जो निम्नलिखित सम्बन्ध को संतुष्ट करती है: किसी भी समिश्र संख्या को a + bi, के रूप में व्यक्त किया जा सकता है जिसमें a और b दोनो ही वास्तविक संख्याएं हैं। a + bi में a को वास्तविक भाग तथा b को काल्पनिक भाग कहते हैं। उदाहरण: 3 + 4i एक समिश्र संख्या है। .

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गणितीय आगमन

गणितीय आगमन (Mathematical induction) गणितीय उपपत्ति (mathematical proof) प्रस्तुत करने की एक विधि है जिसका उपयोग प्रायः। यह दर्शाने के लिये किया जाता है कि कोई कथन (statement) सभी प्राकृतिक संख्याओं के लिये सत्य है। यद्यपि इसके नाम में 'आगमन' (induction) शब्द आया है किन्तु सही बात यह है कि यह विधि एक निगमन विधि (deductive logic) है न कि आगमन विधि (inductive logic)। इस विधि का सबसे पहला उल्लेख सन् १५७५ में फ्रांसेस्को माउरोलिको (Francesco Maurolico) द्वारा हुआ मिलता है। .

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ऑयलर का सूत्र

समिश्र विश्लेषण के गणित में आयलर सूत्र (Euler's formula) त्रिकोणमित्तीय फलनों एवं समिश्र चरघातांकी (exponential function) के परस्पर गहरे सम्बन्धों को व्यक्त करता है। आयलर सूत्र के अनुसार, जहाँ x कोई वास्तविक संख्या है; e एक गणितीय नियतांक है जो प्राकृतिक लघुगणक (natural logarithm) के आधार का काम करता है। x का मान रेडियन में होना चाहिये, डिग्री में नहीं। यह सूत्र तब भी वैध (सत्य) है जब x एक समिश्र संख्या हो। .

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इकाई के मूल

गणित में इकाई का nवाँ मूल (root of unity) वह समिश्र संख्या है जिस पर n घात लगाने से १ प्राप्त होता है। कभीकभी इसे 'डी मायवर संख्या' भी कहते हैं। श्रेणी:समिश्र संख्या.

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