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टोटम प्रथा

सूची टोटम प्रथा

कनाडा में टोटम खम्बे गणचिह्नवाद या टोटम प्रथा (totemism) किसी समाज के उस विश्वास को कहतें हैं जिसमें मनुष्यों का किसी जानवर, वृक्ष, पौधे या अन्य आत्मा से सम्बन्ध माना जाए। 'टोटम' शब्द ओजिब्वे (Ojibwe) नामक मूल अमेरिकी आदिवासी क़बीले की भाषा के 'ओतोतेमन' (ototeman) से लिया गया है, जिसका मतलब 'अपना भाई/बहन रिश्तेदार' है। इसका मूल शब्द 'ओते' (ote) है जिसका अर्थ एक ही माँ के जन्में भाई-बहन हैं जिनमें ख़ून का रिश्ता है और जो एक-दूसरे से विवाह नहीं कर सकते। अक्सर टोटम वाले जानवर या वृक्ष का उसे मानने वाले क़बीले के साथ विशेष सम्बन्ध माना जाता है और उसे मारना या हानि पहुँचाना वर्जित होता है, या फिर उसे किसी विशेष अवसर पर या विशेष विधि से ही मारा जा सकता है। कबीले के लोग अक्सर उसे क़बीले की चिह्नों में भी शामिल कर लेते हैं, मसलन मूल अमेरिकी आदिवासी अक्सर टोटम खम्बों में इन्हें प्रदर्शित करते थे।, Rajendra K. Sharma, Atlantic Publishers & Dist, 2004, ISBN 978-81-7156-665-5,...

26 संबंधों: पतंगा, पादप, प्राणी, पीपल, बाँस, बंगाल, भील, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मालवा, मुण्डा, मोर, राजस्थान, शेर, सतपुड़ा, साँप, सांथाल जनजाति, विवाह, वृक्ष, ऑस्ट्रेलिया, ओझा, इंडियन (अमेरिका के आदिवासी), अफ़्रीका, उत्तर अमेरिका, उराँव, छोटा नागपुर पठार

पतंगा

सम्राट गम पतंगा (Opodiphthera eucalypti) केरल में पाया जाने वाला एक पत्तेनुमा पतंगा शलभ, पतंगा या तितली जैसा एक कीट होता है। जीवविज्ञान श्रेणीकरण के हिसाब से तितलियाँ और पतंगे दोनों 'लेपीडोप्टेरा' वर्ग के प्राणी होते हैं। पतंगों की १.६ लाख से ज़्यादा क़िस्में (स्पीशीयाँ) ज्ञात हैं, जो तितलियों की क़िस्मों से लगभग १० गुना हैं। वैज्ञानिकों ने पतंगों और तितलियों को अलग बतलाने के लिए ठोस अंतर समझने का प्रयत्न किया है लेकिन यह सम्भव नहीं हो पाया है। अंत में यह बात स्पष्ट हुई है कि तितलियाँ वास्तव में रंग-बिरंगे पतंगों का एक वर्ग है जो भिन्न नज़र आने की वजह से एक अलग श्रेणी समझी जाने लगी हैं। अधिकतर पतंगे निशाचरता दिखलाते हैं (यानी रात को सक्रीय होते हैं), हालाँकि दिन में सक्रीय पतंगों की भी कई जातियाँ हैं।, David Carter, Roger Phillips, British Museum (Natural History), Heinemann, published in association with the British Museum (Natural History), 1982,...

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पादप

पादप या उद्भिद (plant) जीवजगत का एक बड़ी श्रेणी है जिसके अधिकांश सदस्य प्रकाश संश्लेषण द्वारा शर्कराजातीय खाद्य बनाने में समर्थ होते हैं। ये गमनागम (locomotion) नहीं कर सकते। वृक्ष, फर्न (Fern), मॉस (mosses) आदि पादप हैं। हरा शैवाल (green algae) भी पादप है जबकि लाल/भूरे सीवीड (seaweeds), कवक (fungi) और जीवाणु (bacteria) पादप के अन्तर्गत नहीं आते। पादपों के सभी प्रजातियों की कुल संख्या की गणना करना कठिन है किन्तु प्रायः माना जाता है कि सन् २०१० में ३ लाख से अधिक प्रजाति के पादप ज्ञात हैं जिनमें से 2.7 लाख से अधिक बीज वाले पादप हैं। पादप जगत में विविध प्रकार के रंग बिरंगे पौधे हैं। कुछ एक को छोड़कर प्रायः सभी पौधे अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। इनके भोजन बनाने की क्रिया को प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं। पादपों में सुकेन्द्रिक प्रकार की कोशिका पाई जाती है। पादप जगत इतना विविध है कि इसमें एक कोशिकीय शैवाल से लेकर विशाल बरगद के वृक्ष शामिल हैं। ध्यातव्य है कि जो जीव अपना भोजन खुद बनाते हैं वे पौधे होते हैं, यह जरूरी नहीं है कि उनकी जड़ें हों ही। इसी कारण कुछ बैक्टीरिया भी, जो कि अपना भोजन खुद बनाते हैं, पौधे की श्रेणी में आते हैं। पौधों को स्वपोषित या प्राथमिक उत्पादक भी कहा जाता है। 'पादपों में भी प्राण है' यह सबसे पहले जगदीश चन्द्र बसु ने कहा था। पादपों का वैज्ञानिक अध्ययन वनस्पति विज्ञान कहलाता है। .

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प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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पीपल

''पीपल की कोपलें'' पीपल (अंग्रेज़ी: सैकरेड फिग, संस्कृत:अश्वत्थ) भारत, नेपाल, श्री लंका, चीन और इंडोनेशिया में पाया जाने वाला बरगद, या गूलर की जाति का एक विशालकाय वृक्ष है जिसे भारतीय संस्कृति में महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है तथा अनेक पर्वों पर इसकी पूजा की जाती है। बरगद और गूलर वृक्ष की भाँति इसके पुष्प भी गुप्त रहते हैं अतः इसे 'गुह्यपुष्पक' भी कहा जाता है। अन्य क्षीरी (दूध वाले) वृक्षों की तरह पीपल भी दीर्घायु होता है। इसके फल बरगद-गूलर की भांति बीजों से भरे तथा आकार में मूँगफली के छोटे दानों जैसे होते हैं। बीज राई के दाने के आधे आकार में होते हैं। परन्तु इनसे उत्पन्न वृक्ष विशालतम रूप धारण करके सैकड़ों वर्षो तक खड़ा रहता है। पीपल की छाया बरगद से कम होती है, फिर भी इसके पत्ते अधिक सुन्दर, कोमल और चंचल होते हैं। वसंत ऋतु में इस पर धानी रंग की नयी कोंपलें आने लगती है। बाद में, वह हरी और फिर गहरी हरी हो जाती हैं। पीपल के पत्ते जानवरों को चारे के रूप में खिलाये जाते हैं, विशेष रूप से हाथियों के लिए इन्हें उत्तम चारा माना जाता है। पीपल की लकड़ी ईंधन के काम आती है किंतु यह किसी इमारती काम या फर्नीचर के लिए अनुकूल नहीं होती। स्वास्थ्य के लिए पीपल को अति उपयोगी माना गया है। पीलिया, रतौंधी, मलेरिया, खाँसी और दमा तथा सर्दी और सिर दर्द में पीपल की टहनी, लकड़ी, पत्तियों, कोपलों और सीकों का प्रयोग का उल्लेख मिलता है। .

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बाँस

बाँस, ग्रामिनीई (Gramineae) कुल की एक अत्यंत उपयोगी घास है, जो भारत के प्रत्येक क्षेत्र में पाई जाती है। बाँस एक सामूहिक शब्द है, जिसमें अनेक जातियाँ सम्मिलित हैं। मुख्य जातियाँ, बैंब्यूसा (Bambusa), डेंड्रोकेलैमस (नर बाँस) (Dendrocalamus) आदि हैं। बैंब्यूसा शब्द मराठी बैंबू का लैटिन नाम है। इसके लगभग २४ वंश भारत में पाए जाते हैं। बाँस एक सपुष्पक, आवृतबीजी, एक बीजपत्री पोएसी कुल का पादप है। इसके परिवार के अन्य महत्वपूर्ण सदस्य दूब, गेहूँ, मक्का, जौ और धान हैं। यह पृथ्वी पर सबसे तेज बढ़ने वाला काष्ठीय पौधा है। इसकी कुछ प्रजातियाँ एक दिन (२४ घंटे) में १२१ सेंटीमीटर (४७.६ इंच) तक बढ़ जाती हैं। थोड़े समय के लिए ही सही पर कभी-कभी तो इसके बढ़ने की रफ्तार १ मीटर (३९ मीटर) प्रति घंटा तक पहुँच जाती है। इसका तना, लम्बा, पर्वसन्धि युक्त, प्रायः खोखला एवं शाखान्वित होता है। तने को निचले गांठों से अपस्थानिक जड़े निकलती है। तने पर स्पष्ट पर्व एवं पर्वसन्धियाँ रहती हैं। पर्वसन्धियाँ ठोस एवं खोखली होती हैं। इस प्रकार के तने को सन्धि-स्तम्भ कहते हैं। इसकी जड़े अस्थानिक एवं रेशेदार होती है। इसकी पत्तियाँ सरल होती हैं, इनके शीर्ष भाग भाले के समान नुकीले होते हैं। पत्तियाँ वृन्त युक्त होती हैं तथा इनमें सामानान्तर विन्यास होता है। यह पौधा अपने जीवन में एक बार ही फल धारण करता है। फूल सफेद आता है। पश्चिमी एशिया एवं दक्षिण-पश्चिमी एशिया में बाँस एक महत्वपूर्ण पौधा है। इसका आर्थिक एवं सांस्कृतिक महत्व है। इससे घर तो बनाए ही जाते हैं, यह भोजन का भी स्रोत है। सौ ग्राम बाँस के बीज में ६०.३६ ग्राम कार्बोहाइड्रेट और २६५.६ किलो कैलोरी ऊर्जा रहती है। इतने अधिक कार्बोहाइड्रेट और इतनी अधिक ऊर्जा वाला कोई भी पदार्थ स्वास्थ्यवर्धक अवश्य होगा। ७० से अधिक वंशो वाले बाँस की १००० से अधिक प्रजातियाँ है। ठंडे पहाड़ी प्रदेशों से लेकर उष्ण कटिबंधों तक, संपूर्ण पूर्वी एशिया में, ५०० उत्तरी अक्षांश से लेकर उत्तरी आस्ट्रेलिया तथा पश्चिम में, भारत तथा हिमालय में, अफ्रीका के उपसहारा क्षेत्रों तथा अमेरिका में दक्षिण-पूर्व अमेरिका से लेकर अर्जेन्टीना एवं चिली में (४७० दक्षिण अक्षांश) तक बाँस के वन पाए जाते हैं। बाँस की खेती कर कोई भी व्यक्ति लखपति बन सकता है। एक बार बाँस खेत में लगा दिया जायें तो ५ साल बाद वह उपज देने लगता है। अन्य फसलों पर सूखे एवं कीट बीमारियो का प्रकोप हो सकता है। जिसके कारण किसान को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। लेकिन बाँस एक ऐसी फसल है जिस पर सूखे एवं वर्षा का अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। बाँस का पेड़ अन्य पेड़ों की अपेक्षा ३० प्रतिशत अधिक ऑक्सीजन छोड़ता और कार्बन डाईऑक्साइड खींचता है साथ ही यह पीपल के पेड़ की तरह दिन में कार्बन डाईऑक्साइड खींचता है और रात में आक्सीजन छोड़ता है। .

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बंगाल

बंगाल (बांग्ला: বঙ্গ बॉंगो, বাংলা बांला, বঙ্গদেশ बॉंगोदेश या বাংলাদেশ बांलादेश, संस्कृत: अंग, वंग) उत्तरपूर्वी दक्षिण एशिया में एक क्षेत्र है। आज बंगाल एक स्वाधीन राष्ट्र, बांग्लादेश (पूर्वी बंगाल) और भारतीय संघीय प्रजातन्त्र का अंगभूत राज्य पश्चिम बंगाल के बीच में सहभाजी है, यद्यपि पहले बंगाली राज्य (स्थानीय राज्य का ढंग और ब्रिटिश के समय में) के कुछ क्षेत्र अब पड़ोसी भारतीय राज्य बिहार, त्रिपुरा और उड़ीसा में है। बंगाल में बहुमत में बंगाली लोग रहते हैं। इनकी मातृभाषा बांग्ला है। .

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भील

भील मध्य भारत की एक जनजाति है। भील जनजाति के लोग भील भाषा बोलते है। भील, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और राजस्थान में एक अनुसूचित जनजाति है, अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिम भी भील पूर्वजों के वंशज हैं। भील त्रिपुरा और पाकिस्तान के सिन्ध के थारपरकअर जिले में भी बसे हुये हैं। .

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मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है, इसकी राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश १ नवंबर, २००० तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इस दिन एवं मध्यप्रदेश के कई नगर उस से हटा कर छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी। मध्य प्रदेश की सीमाऐं पांच राज्यों की सीमाओं से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है। हाल के वर्षों में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर राष्ट्रीय औसत से ऊपर हो गया है। खनिज संसाधनों से समृद्ध, मध्य प्रदेश हीरे और तांबे का सबसे बड़ा भंडार है। अपने क्षेत्र की 30% से अधिक वन क्षेत्र के अधीन है। इसके पर्यटन उद्योग में काफी वृद्धि हुई है। राज्य में वर्ष 2010-11 राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार जीत लिया। .

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महाराष्ट्र

महाराष्ट्र भारत का एक राज्य है जो भारत के दक्षिण मध्य में स्थित है। इसकी गिनती भारत के सबसे धनी राज्यों में की जाती है। इसकी राजधानी मुंबई है जो भारत का सबसे बड़ा शहर और देश की आर्थिक राजधानी के रूप में भी जानी जाती है। और यहाँ का पुणे शहर भी भारत के बड़े महानगरों में गिना जाता है। यहाँ का पुणे शहर भारत का छठवाँ सबसे बड़ा शहर है। महाराष्ट्र की जनसंख्या सन २०११ में ११,२३,७२,९७२ थी, विश्व में सिर्फ़ ग्यारह ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या महाराष्ट्र से ज़्यादा है। इस राज्य का निर्माण १ मई, १९६० को मराठी भाषी लोगों की माँग पर की गयी थी। यहां मराठी ज्यादा बोली जाती है। मुबई अहमदनगर पुणे, औरंगाबाद, कोल्हापूर, नाशिक नागपुर ठाणे शिर्डी-अहमदनगर आैर महाराष्ट्र के अन्य मुख्य शहर हैं। .

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मालवा

1823 में बने एक एक ऐतिहासिक मानचित्र में मालवा को दिखाया गया है। विंध्याचल का दृश्य, यह मालवा की दक्षिणी सीमा को निर्धारित करता है। इससे इस क्षेत्र की कई नदियां निकली हैं। मालवा, ज्वालामुखी के उद्गार से बना पश्चिमी भारत का एक अंचल है। मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग तथा राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भाग से गठित यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही एक स्वतंत्र राजनीतिक इकाई रहा है। मालवा का अधिकांश भाग चंबल नदी तथा इसकी शाखाओं द्वारा संचित है, पश्चिमी भाग माही नदी द्वारा संचित है। यद्यपि इसकी राजनीतिक सीमायें समय समय पर थोड़ी परिवर्तित होती रही तथापि इस छेत्र में अपनी विशिष्ट सभ्यता, संस्कृति एंव भाषा का विकास हुआ है। मालवा के अधिकांश भाग का गठन जिस पठार द्वारा हुआ है उसका नाम भी इसी अंचल के नाम से मालवा का पठार है। इसे प्राचीनकाल में 'मालवा' या 'मालव' के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी.

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मुण्डा

मुंडा एक भारतीय आदिवासी समुदाय है, जो मुख्य रूप से झारखण्ड के छोटा नागपुर क्षेत्र में निवास करता है| झारखण्ड के अलावा ये बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िसा आदि भारतीय राज्यों में भी रहते हैं| इनकी भाषा मुंडारी आस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार की एक प्रमुख भाषा है| उनका भोजन मुख्य रूप से धान, मड़ूआ, मक्का, जंगल के फल-फूल और कंध-मूल हैं | वे सूत्ती वस्त्र पहनते हैं | महिलाओं के लिए विशेष प्रकार की साड़ी होती है, जिसे बारह हथिया (बारकी लिजा) कहते हैं | पुरुष साधारण-सा धोती का प्रयोग करते हैं, जिसे तोलोंग कहते हैं | मुण्डा, भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं | २० वीं सदी के अनुसार उनकी संख्या लगभग ९,०००,००० थी |Munda http://global.britannica.com/EBchecked/topic/397427/Munda .

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मोर

मोर अथवा मयूर एक पक्षी है जिसका मूलस्थान दक्षिणी और दक्षिणपूर्वी एशिया में है। ये ज़्यादातर खुले वनों में वन्यपक्षी की तरह रहते हैं। नीला मोर भारत और श्रीलंका का राष्ट्रीय पक्षी है। नर की एक ख़ूबसूरत और रंग-बिरंगी फरों से बनी पूँछ होती है, जिसे वो खोलकर प्रणय निवेदन के लिए नाचता है, विशेष रूप से बसन्त और बारिश के मौसम में। मोर की मादा मोरनी कहलाती है। जावाई मोर हरे रंग का होता है। .

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राजस्थान

राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं। जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। .

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शेर

शेर के कई अर्थ हो सकते हैं.

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सतपुड़ा

सतपुड़ा भारत के मध्य भाग में स्थित एक पर्वतमाला है।सतपुड़ा पर्वतश्रेणी नर्मदा एवं ताप्ती की दरार घाटियों के बीच राजपीपला पहाड़ी, महादेव पहाड़ी एवं मैकाल श्रेणी के रूप में पश्चिम से पूर्व की ओर विस्तृत है। पूर्व में इसका विस्तार छोटा नागपुर पठार तक है। यह पर्वत श्रेणी एक ब्लाक पर्वत है, जो मुख्यत: ग्रेनाइट एवं बेसाल्ट चट्टानों से निर्मित है। इस पर्वत श्रेणी की सर्वोच्च चोटी धूपगढ़ 1350 मीटर है, जो महादेव पर्वत पर स्थित है। श्रेणी:भारत के पर्वत श्रेणी:मध्य प्रदेश का भूगोल श्रेणी:महाराष्ट्र का भूगोल R.s.Rajawat dist Ujjain mp.

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साँप

साँप साँप या सर्प, पृष्ठवंशी सरीसृप वर्ग का प्राणी है। यह जल तथा थल दोनों जगह पाया जाता है। इसका शरीर लम्बी रस्सी के समान होता है जो पूरा का पूरा स्केल्स से ढँका रहता है। साँप के पैर नहीं होते हैं। यह निचले भाग में उपस्थित घड़ारियों की सहायता से चलता फिरता है। इसकी आँखों में पलकें नहीं होती, ये हमेशा खुली रहती हैं। साँप विषैले तथा विषहीन दोनों प्रकार के होते हैं। इसके ऊपरी और निचले जबड़े की हड्डियाँ इस प्रकार की सन्धि बनाती है जिसके कारण इसका मुँह बड़े आकार में खुलता है। इसके मुँह में विष की थैली होती है जिससे जुडे़ दाँत तेज तथा खोखले होते हैं अतः इसके काटते ही विष शरीर में प्रवेश कर जाता है। दुनिया में साँपों की कोई २५००-३००० प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इसकी कुछ प्रजातियों का आकार १० सेण्टीमीटर होता है जबकि अजगर नामक साँप २५ फिट तक लम्बा होता है। साँप मेढक, छिपकली, पक्षी, चूहे तथा दूसरे साँपों को खाता है। यह कभी-कभी बड़े जन्तुओं को भी निगल जाता है। सरीसृप वर्ग के अन्य सभी सदस्यों की तरह ही सर्प शीतरक्त का प्राणी है अर्थात् यह अपने शरीर का तापमान स्वंय नियंत्रित नहीं कर सकता है। इसके शरीर का तापमान वातावरण के ताप के अनुसार घटता या बढ़ता रहता है। यह अपने शरीर के तापमान को बढ़ाने के लिए भोजन पर निर्भर नहीं है इसलिए अत्यन्त कम भोजन मिलने पर भी यह जीवीत रहता है। कुछ साँपों को महीनों बाद-बाद भोजन मिलता है तथा कुछ सर्प वर्ष में मात्र एक बार या दो बार ढेड़ सारा खाना खाकर जीवीत रहते हैं। खाते समय साँप भोजन को चबाकर नहीं खाता है बल्कि पूरा का पूरा निकल जाता है। अधिकांश सर्पों के जबड़े इनके सिर से भी बड़े शिकार को निगल सकने के लिए अनुकुलित होते हैं। अफ्रीका का अजगर तो छोटी गाय आदि को भी नगल जाता है। विश्व का सबसे छोटा साँप थ्रेड स्नेक होता है। जो कैरेबियन सागर के सेट लुसिया माटिनिक तथा वारवडोस आदि द्वीपों में पाया जाता है वह केवल १०-१२ सेंटीमीटर लंबा होता है। विश्व का सबसे लंबा साँप रैटिकुलेटेड पेथोन (जालीदार अजगर) है, जो प्राय: १० मीटर से भी अधिक लंबा तथा १२० किलोग्राम वजन तक का पाया जाता है। यह दक्षिण -पूर्वी एशिया तथा फिलीपींस में मिलता है। .

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सांथाल जनजाति

संथाल जनजाति झारखंड के ज्यादातर हिस्सों तथा पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम के कुछ जिलों में रहने वाली भारत की प्राचीनतम जनजातियों में से एक है। ये भारत के प्रमुख आदिवासी समूह है। इनका निवास स्थान मुख्यतः झारखंड प्रदेश है। झारखंड से बाहर ये बंगाल, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, असम, में रहते है। संथाल प्रायः नाटे कद के होता है। इनकी नाक चौड़ी तथा चिपटी होती है। इनका संबंध प्रोटो आस्ट्रेलायड से है। संथालों के समाज में मुख्य व्यक्ति इनका मांझी होता है। मदिरापान तथा नृत्य इनके दैनिक जीवन का अंग है। अन्य आदिवासी समुहों की तरह इनमें भी जादू टोना प्रचलित है। संथालो की अन्य विषेशता इनके सुन्दर ढंग के मकान हैं जिनमें खिडकीयां नहीं होती हैं। संथाल मारांग बुरु की उपासना करतें हैं साथ ही ये सरना धर्म का पालन करते हैं। इनकी भाषा संथाली और लिपि ओल चिकी है। इनके बारह मूल गोत्र हैं; मरांडी, सोरेन, हासंदा, किस्कू, टुडू, मुर्मू, हेम्ब्रम, बेसरा, बास्की, चौड़े, बेदिया, एवं पौरिया। संताल समुदाय मुख्यतः बाहा, सोहराय, माग, ऐरोक, माक मोंड़े, जानथाड़, हरियाड़ सीम, आराक सीम, जातरा, पाता, बुरु मेरोम, गाडा पारोम तथा सकरात नामक पर्व / त्योहार मनाते हैं। इनके विवाह को 'बापला' कहा जता है। संताल समुदाय में कुल 23 प्रकार की विवाह प्रथायें है, जो निम्न प्रकार है - उनकी अद्वितीय विरासत की परंपरा और आश्चर्यजनक परिष्कृत जीवन शैली है। सबसे उल्लेखनीय हैं उनके लोकसंगीत, गीत और नृत्य हैं। संथाली भाषा व्यापक रूप से बोली जाती है। दान करने की संरचना प्रचुर मात्रा में है। उनकी स्वयं की मान्यता प्राप्त लिपि 'ओल-चिकी' है, जो संताल समुदाय के लिये अद्वितीय है। संथाल के सांस्कृतिक शोध दैनिक कार्य में परिलक्षित होते है- जैसे डिजाइन, निर्माण, रंग संयोजन और अपने घर की सफाई व्यवस्था में है। दीवारों पर आरेखण, चित्र और अपने आंगन की स्वच्छता कई आधुनिक शहरी घर के लिए शर्म की बात होगी। संथाल के सहज परिष्कार भी स्पष्ट रूप से उनके परिवार के पैटर्न -- पितृसत्तात्मक, पति पत्नी के साथ मजबूत संबंधों को दर्शाता है। विवाह अनुष्ठानों में पूरा समुदाय आनन्द के साथ भाग लेते हैं। लड़का और लड़की का जन्म आनंद का अवसर हैं। संथाल मृत्यु के शोक अन्त्येष्टि संस्कार को अति गंभीरता से मनाया जाता है। संताल समुदाय का धार्मिक विश्वासों और अभ्यास किसी भी अन्य समुदाय या धर्म से मेल नहीं खाता है। इनमें प्रमुख देवता हैं- 'सिंग बोंगा', 'मारांग बुरु' और 'जाहेर एरा, गोसांय एरा, मांझी बाबा - गोगो, आदि। पूजा अनुष्ठान में बलिदानों का इस्तेमाल किया जाता है। .

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विवाह

हिन्दू विवाह का सांकेतिक चित्रण विवाह, जिसे शादी भी कहा जाता है, दो लोगों के बीच एक सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन है जो उन लोगों के बीच, साथ ही उनके और किसी भी परिणामी जैविक या दत्तक बच्चों तथा समधियों के बीच अधिकारों और दायित्वों को स्थापित करता है। विवाह की परिभाषा न केवल संस्कृतियों और धर्मों के बीच, बल्कि किसी भी संस्कृति और धर्म के इतिहास में भी दुनिया भर में बदलती है। आमतौर पर, यह मुख्य रूप से एक संस्थान है जिसमें पारस्परिक संबंध, आमतौर पर यौन, स्वीकार किए जाते हैं या संस्वीकृत होते हैं। एक विवाह के समारोह को विवाह उत्सव (वेडिंग) कहते है। विवाह मानव-समाज की अत्यंत महत्वपूर्ण प्रथा या समाजशास्त्रीय संस्था है। यह समाज का निर्माण करने वाली सबसे छोटी इकाई- परिवार-का मूल है। यह मानव प्रजाति के सातत्य को बनाए रखने का प्रधान जीवशास्त्री माध्यम भी है। .

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वृक्ष

fdgfdf c/xdfffffgfg/ffggg एक वृक्ष वृक्ष का सामान्य अर्थ ऐसे पौधे से होता है जिसमें शाखाएँ निकली हों, जो कम से कम दो-वर्ष तक जीवित रहे, जिससे लकड़ी प्राप्त हो। वृक्ष की एक जड़ होती है जो प्रायः ज़मीन के अन्दर में होती है, तथा जड़ से निकलकर तना तथा पत्तियां हवा में रहते हैं। यह प्रदूषण कम करने में कारगर सिद्ध हुआ है। पर लकड़ियो तथा ज़मीन की आवश्यकताओं के कारण लोग इसे काटते जा रहे हैं। .

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ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया, सरकारी तौर पर ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रमंडल दक्षिणी गोलार्द्ध के महाद्वीप के अर्न्तगत एक देश है जो दुनिया का सबसे छोटा महाद्वीप भी है और दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप भी, जिसमे तस्मानिया और कई अन्य द्वीप हिंद और प्रशांत महासागर में है। ऑस्ट्रेलिया एकमात्र ऐसी जगह है जिसे एक ही साथ महाद्वीप, एक राष्ट्र और एक द्वीप माना जाता है। पड़ोसी देश उत्तर में इंडोनेशिया, पूर्वी तिमोर और पापुआ न्यू गिनी, उत्तर पूर्व में सोलोमन द्वीप, वानुअतु और न्यू कैलेडोनिया और दक्षिणपूर्व में न्यूजीलैंड है। 18वी सदी के आदिकाल में जब यूरोपियन अवस्थापन प्रारंभ हुआ था उसके भी लगभग 40 हज़ार वर्ष पहले, ऑस्ट्रेलियाई महाद्वीप और तस्मानिया की खोज अलग-अलग देशो के करीब 250 स्वदेशी ऑस्ट्रेलियाईयो ने की थी। तत्कालिक उत्तर से मछुआरो के छिटपुट भ्रमण और होलैंडवासियो (Dutch) द्वारा 1606, में यूरोप की खोज के बाद,1770 में ऑस्ट्रेलिया के अर्द्वपूर्वी भाग पर अंग्रेजों (British) का कब्ज़ा हो गया और 26 जनवरी 1788 में इसका निपटारा "देश निकला" दण्डस्वरुप बने न्यू साउथ वेल्स नगर के रूप में हुआ। इन वर्षों में जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हुई और महाद्वीप का पता चला,19वी सदी के दौरान दूसरे पांच बड़े स्वयं-शासित शीर्ष नगर की स्थापना की गई। 1 जनवरी 1901 को, छ: नगर महासंघ हो गए और ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रमंडल का गठन हुआ। महासंघ के समय से लेकर ऑस्ट्रेलिया ने एक स्थायी उदार प्रजातांत्रिक राजनैतिक व्यवस्था का निर्वहन किया और प्रभुता संपन्न राष्ट्र बना रहा। जनसंख्या 21.7मिलियन (दस लाख) से थोडा ही ऊपर है, साथ ही लगभग 60% जनसंख्या मुख्य राज्यों सिडनी,मेलबर्न,ब्रिस्बेन,पर्थ और एडिलेड में केन्द्रित है। राष्ट्र की राजधानी केनबर्रा है जो ऑस्ट्रेलियाई प्रधान प्रदेश (ACT) में अवस्थित है। प्रौद्योगिक रूप से उन्नत और औद्योगिक ऑस्ट्रेलिया एक समृद्ध बहुसांस्कृतिक राष्ट्र है और इसका कई राष्ट्रों की तुलना में इन क्षत्रों में प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है जैसे स्वास्थ्य, आयु संभाव्यता, जीवन-स्तर, मानव विकास, जन शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता और मूलभूत अधिकारों की रक्षा और राजनैतिक अधिकार.

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ओझा

ख़कास जाति की एक स्त्री ओझा की सन् १९०८ में ली गई तस्वीर ओझा (अंग्रेज़ी: shaman, शेमन या शामन) पारम्परिक समाजों में ऐसे व्यक्ति को कहा जाता है जिनके बारे में यह विश्वास हो कि उनमें प्रत्यक्ष दुनिया से बाहर किसी रूहानी दुनिया, आत्माओं, देवी-देवताओं या ऐसे अन्य ग़ैर-सांसारिक तत्वों से सम्पर्क रखने या उनकी शक्तियों से लाभ उठाने की क्षमता है। ओझाओं के बारे में यह धारणा होती है कि वे अच्छी और बुरी आत्माओं तक पहुँचकर उनपर प्रभाव डाल सकते हैं और अक्सर ऐसा करते हुए वे किसी विशेष चेतना की अवस्था में होते हैं। ऐसी अवस्था को अक्सर किसी देवी-देवता या आत्मा का 'चढ़ना' या 'हावी हो जाना' कहतें हैं। पारम्परिक समाजों में अक्सर चिकित्सा के उपचार भी ओझा ही जाना करते थे। अक्सर जनजातियों या पारम्परिक क़बीलों में ओझाओं का प्रभाव ज़्यादा होता है और उन्हें धर्म और चिकित्सा दोनों का स्रोत माना जाता है।, Michael Harner, Michael J. Harner, HarperCollins, 1990, ISBN 978-0-06-250373-2,...

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इंडियन (अमेरिका के आदिवासी)

उत्तर अमरीकी इंडियन, उत्तर और दक्षिण अमरीका के प्राचीनतम निवासी हैं। वे मंगोलायड प्रजाति की एक शाखा माने जाते हैं। नृशास्त्रियों का अनुमान हैं कि वे इस भूखंड पर प्राय: 20,000 से 15,000 वर्ष पूर्व आए थे। .

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अफ़्रीका

अफ़्रीका वा कालद्वीप, एशिया के बाद विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह 37°14' उत्तरी अक्षांश से 34°50' दक्षिणी अक्षांश एवं 17°33' पश्चिमी देशान्तर से 51°23' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। अफ्रीका के उत्तर में भूमध्यसागर एवं यूरोप महाद्वीप, पश्चिम में अंध महासागर, दक्षिण में दक्षिण महासागर तथा पूर्व में अरब सागर एवं हिन्द महासागर हैं। पूर्व में स्वेज भूडमरूमध्य इसे एशिया से जोड़ता है तथा स्वेज नहर इसे एशिया से अलग करती है। जिब्राल्टर जलडमरूमध्य इसे उत्तर में यूरोप महाद्वीप से अलग करता है। इस महाद्वीप में विशाल मरुस्थल, अत्यन्त घने वन, विस्तृत घास के मैदान, बड़ी-बड़ी नदियाँ व झीलें तथा विचित्र जंगली जानवर हैं। मुख्य मध्याह्न रेखा (0°) अफ्रीका महाद्वीप के घाना देश की राजधानी अक्रा शहर से होकर गुजरती है। यहाँ सेरेनगेती और क्रुजर राष्‍ट्रीय उद्यान है तो जलप्रपात और वर्षावन भी हैं। एक ओर सहारा मरुस्‍थल है तो दूसरी ओर किलिमंजारो पर्वत भी है और सुषुप्‍त ज्वालामुखी भी है। युगांडा, तंजानिया और केन्या की सीमा पर स्थित विक्टोरिया झील अफ्रीका की सबसे बड़ी तथा सम्पूर्ण पृथ्वी पर मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झीलहै। यह झील दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील के पानी का स्रोत भी है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी महाद्वीप में सबसे पहले मानव का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्‍यता की जन्‍मभूमि माना जाता है। यहाँ विश्व की दो प्राचीन सभ्यताओं (मिस्र एवं कार्थेज) का भी विकास हुआ था। अफ्रीका के बहुत से देश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए हैं एवं सभी अपने आर्थिक विकास में लगे हुए हैं। अफ़्रीका अपनी बहुरंगी संस्कृति और जमीन से जुड़े साहित्य के कारण भी विश्व में जाना जाता है। .

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उत्तर अमेरिका

उत्तर अमेरिका (अंग्रेजी: North America; स्पेनी: América del Norte; फ़्रान्सीसी: Amérique du Nord) महाअमेरिका (उत्तर और दक्षिण अमेरिका संयुक रूप से) का उत्तरी महाद्वीप है, जो पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में स्थित है और पूर्णतः पश्चिमी गोलार्ध में आता है। उत्तर में यह आर्कटिक महासागर, पूर्व में उत्तरी अन्ध महासागर, दक्षिणपूर्व में कैरिबियाई सागर और पश्चिम में उत्तरी प्रशान्त महासागर से घिरा हुआ है। उत्तर अमेरिका का मुख्य भाग ४० उत्तरी अक्षांश से ८३० उत्तरी अक्षांश तथआ ५३० पश्चिमी देशान्तर से १६८० पश्चिमी देशान्तर के बीच स्थित है। इसका आकार त्रिभुज के समान है जिसका शीर्ष दक्षिण की ओर और आधार उत्तर की ओर है। उत्तर अमेरिका का कुल भूभाग २,४७,०९,००० वर्ग किलोमीटर है, पृथ्वी की कुल सतह का ४.८% या कुल भूभाग का १६.५%। जुलाई, २००८ तक, इसकी अनुमानित जनसंख्या ५२.९ करोड़ थी। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह एशिया और अफ़्रीका के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा और जनसंख्या की दृष्टि से यह एशिया, अफ़्रीका और यूरोप के बाद चौथा सबसे बड़ा महाद्वीप है। .

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उराँव

ओराँव या 'कुड़ुख' भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं। ये भारत के केन्द्रीय एवं पूर्वी राज्यों में तथा बंगलादेश के निवासी हैं। इनकी भाषा का नाम भी 'उराँव' या 'कुड़ुख' है। .

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छोटा नागपुर पठार

राँची स्थित हुँडरु जलप्रपात छोटा नागपुर पठार पूर्वी भारत में स्थित एक पठार है। झारखंड राज्य का अधिकतर हिस्सा एवं उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, बिहार व छत्तीसगढ़ के कुछ भाग इस पठार में आते हैं। इसके पूर्व में सिन्धु-गंगा का मैदान और दक्षिण में महानदी हैं। इसका कुल क्षेत्रफल 65,000 वर्ग किमी है।, mapsofindia, Accessed 2010-05-02 .

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