9 संबंधों: ध्वनि (पाठ से वाक), फैस्टिवल (पाठ से वाक), भाषा, लिनक्स, श्रुतलेखन सॉफ्टवेयर, हिन्दीवाणी, होमो सेपियन्स, वाचक (पाठ से वाक), वॉजमी।
ध्वनि (पाठ से वाक)
ध्वनि भारतीय भाषाओं हेतु एक पाठ से वाक प्रोग्राम है। यह एक स्क्रीनरीडर की तरह कार्य कर सकता है। इसे फॉस्स इण्डिया २००८ पुरुस्कार मिला है। इसका नवीनतम संस्करण ०.९४ है। यह विकास के चरण में है, वर्तमान में यह केवल लिनक्स प्लेटफॉर्म पर कार्य करता है। वर्तमान में ध्वनि निम्न भारतीय भाषाओं हेतु कार्य करता है।.
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फैस्टिवल (पाठ से वाक)
फेस्टिवल (Festival) एक बहुभाषी वाक संश्लेषण सोफ़्टवेयर प्रोग्राम है। इसका विकास मूलतः अलन डब्ल्यू ब्लैक (Alan W. Black) ने एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के 'सेन्टर फार स्पीच टेक्नालोजी रिसर्च' में की थी। इसके अलावा कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय ने भी इसमें काफी योगदान दिया है। यह बीएसडी लाइसेंस (BSD License) से मिलता-जुलता मुक्त साफ्टवेयर लाइसेंस द्वारा उपलब्ध है।.
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भाषा
भाषा वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को व्यक्त करते है और इसके लिये हम वाचिक ध्वनियों का उपयोग करते हैं। भाषा मुख से उच्चारित होनेवाले शब्दों और वाक्यों आदि का वह समूह है जिनके द्वारा मन की बात बतलाई जाती है। किसी भाषा की सभी ध्वनियों के प्रतिनिधि स्वन एक व्यवस्था में मिलकर एक सम्पूर्ण भाषा की अवधारणा बनाते हैं। व्यक्त नाद की वह समष्टि जिसकी सहायता से किसी एक समाज या देश के लोग अपने मनोगत भाव तथा विचार एक दूसरे पर प्रकट करते हैं। मुख से उच्चारित होनेवाले शब्दों और वाक्यों आदि का वह समूह जिनके द्वारा मन की बात बतलाई जाती है। बोली। जबान। वाणी। विशेष— इस समय सारे संसार में प्रायः हजारों प्रकार की भाषाएँ बोली जाती हैं जो साधारणतः अपने भाषियों को छोड़ और लोगों की समझ में नहीं आतीं। अपने समाज या देश की भाषा तो लोग बचपन से ही अभ्यस्त होने के कारण अच्छी तरह जानते हैं, पर दूसरे देशों या समाजों की भाषा बिना अच्छी़ तरह नहीं आती। भाषाविज्ञान के ज्ञाताओं ने भाषाओं के आर्य, सेमेटिक, हेमेटिक आदि कई वर्ग स्थापित करके उनमें से प्रत्येक की अलग अलग शाखाएँ स्थापित की हैं और उन शाखाकों के भी अनेक वर्ग उपवर्ग बनाकर उनमें बड़ी बड़ी भाषाओं और उनके प्रांतीय भेदों, उपभाषाओं अथाव बोलियों को रखा है। जैसे हमारी हिंदी भाषा भाषाविज्ञान की दृष्टि से भाषाओं के आर्य वर्ग की भारतीय आर्य शाखा की एक भाषा है; और ब्रजभाषा, अवधी, बुंदेलखंडी आदि इसकी उपभाषाएँ या बोलियाँ हैं। पास पास बोली जानेवाली अनेक उपभाषाओं या बोलियों में बहुत कुछ साम्य होता है; और उसी साम्य के आधार पर उनके वर्ग या कुल स्थापित किए जाते हैं। यही बात बड़ी बड़ी भाषाओं में भी है जिनका पारस्परिक साम्य उतना अधिक तो नहीं, पर फिर भी बहुत कुछ होता है। संसार की सभी बातों की भाँति भाषा का भी मनुष्य की आदिम अवस्था के अव्यक्त नाद से अब तक बराबर विकास होता आया है; और इसी विकास के कारण भाषाओं में सदा परिवर्तन होता रहता है। भारतीय आर्यों की वैदिक भाषा से संस्कुत और प्राकृतों का, प्राकृतों से अपभ्रंशों का और अपभ्रंशों से आधुनिक भारतीय भाषाओं का विकास हुआ है। सामान्यतः भाषा को वैचारिक आदान-प्रदान का माध्यम कहा जा सकता है। भाषा आभ्यंतर अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है। यही नहीं वह हमारे आभ्यंतर के निर्माण, विकास, हमारी अस्मिता, सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान का भी साधन है। भाषा के बिना मनुष्य सर्वथा अपूर्ण है और अपने इतिहास तथा परम्परा से विच्छिन्न है। इस समय सारे संसार में प्रायः हजारों प्रकार की भाषाएँ बोली जाती हैं जो साधारणतः अपने भाषियों को छोड़ और लोगों की समझ में नहीं आतीं। अपने समाज या देश की भाषा तो लोग बचपन से ही अभ्यस्त होने के कारण अच्छी तरह जानते हैं, पर दूसरे देशों या समाजों की भाषा बिना अच्छी़ तरह सीखे नहीं आती। भाषाविज्ञान के ज्ञाताओं ने भाषाओं के आर्य, सेमेटिक, हेमेटिक आदि कई वर्ग स्थापित करके उनमें से प्रत्येक की अलग अलग शाखाएँ स्थापित की हैं और उन शाखाओं के भी अनेक वर्ग-उपवर्ग बनाकर उनमें बड़ी बड़ी भाषाओं और उनके प्रांतीय भेदों, उपभाषाओं अथाव बोलियों को रखा है। जैसे हिंदी भाषा भाषाविज्ञान की दृष्टि से भाषाओं के आर्य वर्ग की भारतीय आर्य शाखा की एक भाषा है; और ब्रजभाषा, अवधी, बुंदेलखंडी आदि इसकी उपभाषाएँ या बोलियाँ हैं। पास पास बोली जानेवाली अनेक उपभाषाओं या बोलियों में बहुत कुछ साम्य होता है; और उसी साम्य के आधार पर उनके वर्ग या कुल स्थापित किए जाते हैं। यही बात बड़ी बड़ी भाषाओं में भी है जिनका पारस्परिक साम्य उतना अधिक तो नहीं, पर फिर भी बहुत कुछ होता है। संसार की सभी बातों की भाँति भाषा का भी मनुष्य की आदिम अवस्था के अव्यक्त नाद से अब तक बराबर विकास होता आया है; और इसी विकास के कारण भाषाओं में सदा परिवर्तन होता रहता है। भारतीय आर्यों की वैदिक भाषा से संस्कृत और प्राकृतों का, प्राकृतों से अपभ्रंशों का और अपभ्रंशों से आधुनिक भारतीय भाषाओं का विकास हुआ है। प्रायः भाषा को लिखित रूप में व्यक्त करने के लिये लिपियों की सहायता लेनी पड़ती है। भाषा और लिपि, भाव व्यक्तीकरण के दो अभिन्न पहलू हैं। एक भाषा कई लिपियों में लिखी जा सकती है और दो या अधिक भाषाओं की एक ही लिपि हो सकती है। उदाहरणार्थ पंजाबी, गुरूमुखी तथा शाहमुखी दोनो में लिखी जाती है जबकि हिन्दी, मराठी, संस्कृत, नेपाली इत्यादि सभी देवनागरी में लिखी जाती है। .
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लिनक्स
लिनक्स यूनिक्स जैसा एक ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर अथवा मुक्त स्रोत सॉफ्टवेयर का सबसे कामयाब तथा सबसे लोकप्रिय सॉफ्टवेयर है। यह जीपीएल v 2 लाइसेंस के अन्तर्गत सर्व साधारण के उपयोग हेतु उपलब्ध है और इसका कुछ भाग यूनिक्स से प्रेरित है।मूलतः यह मिनिक्स का विकास कर बनाया गया है। यूनिक्स का विकास, 1960 के दशक में ऐ.टी.&टी. की बेल प्रयोगशाला के द्वारा किया गया। उस समय ऐ.टी.&टी.
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श्रुतलेखन सॉफ्टवेयर
श्रुतलेखन सॉफ्टवेयर एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो कि श्रुतलेखन द्वारा वाक को पाठ में बदलता है अर्थात कम्प्यूटर पर माइक में बोले गई ध्वनि को टैक्स्ट रूप में बदलता है। इसे स्पीट टू टैक्स्ट सॉफ्टवेयर भी कहते हैं। यह स्पीच रिकॉग्नीशन तकनीक पर कार्य करता है। .
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हिन्दीवाणी
हिन्दीवाणी हिन्दी के लिये एक टैक्स्ट टू स्पीच इंजन है। यह सॅण्ट्रल इलॅक्ट्रॉनिक्स इंजनियरिंग रिसर्च इंस्टीच्यूट नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है। यह डॉस प्रचालन तन्त्र पर कार्य करता है। एक हिन्दी सम्पादित्र में पाठ लिखा जाता है यह एक वर्णों के उच्चारणों के डेटाबेस के आधार पर कार्य करता है। .
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होमो सेपियन्स
होमो सेपियन्स/आधुनिक मानव स्तनपायी सर्वाहारी प्रधान जंतुओं की एक जाति, जो बात करने, अमूर्त्त सोचने, ऊर्ध्व चलने तथा परिश्रम के साधन बनाने योग्य है। मनुष्य की तात्विक प्रवीणताएँ हैं: तापीय संसाधन के द्वारा खाना बनाना और कपडों का उपयोग। मनुष्य प्राणी जगत का सर्वाधिक विकसित जीव है। जैव विवर्तन के फलस्वरूप मनुष्य ने जीव के सर्वोत्तम गुणों को पाया है। मनुष्य अपने साथ-साथ प्राकृतिक परिवेश को भी अपने अनुकूल बनाने की क्षमता रखता है। अपने इसी गुण के कारण हम मनुष्यों नें प्रकृति के साथ काफी खिलवाड़ किया है। आधुनिक मानव अफ़्रीका में 2 लाख साल पहले, सबके पूर्वज अफ़्रीकी थे। होमो इरेक्टस के बाद विकास दो शाखाओं में विभक्त हो गया। पहली शाखा का निएंडरथल मानव में अंत हो गया और दूसरी शाखा क्रोमैग्नॉन मानव अवस्था से गुजरकर वर्तमान मनुष्य तक पहुंच पाई है। संपूर्ण मानव विकास मस्तिष्क की वृद्धि पर ही केंद्रित है। यद्यपि मस्तिष्क की वृद्धि स्तनी वर्ग के अन्य बहुत से जंतुसमूहों में भी हुई, तथापि कुछ अज्ञात कारणों से यह वृद्धि प्राइमेटों में सबसे अधिक हुई। संभवत: उनका वृक्षीय जीवन मस्तिष्क की वृद्धि के अन्य कारणों में से एक हो सकता है। .
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वाचक (पाठ से वाक)
वाचक माइक्रोसॉफ्ट वर्ड हेतु एक पाठ से वाक प्लगइन है। यह किसी वर्ड डॉक्यूमेण्ट में लिखे पाठ को पढ़कर माइक द्वारा सुनाता है। यह यूनिकोड टैक्स्ट के अतिरिक्त कई नॉन-यूनिकोड फॉण्टों के पाठ को भी पढ़ सकता है। .
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वॉजमी
वॉजमी हिन्दी हेतु एक पाठ से वाक ब्राउजर प्लगइन है। इसके उपयोग से किसी टैक्स्ट को पढ़ कर सुनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त इसके बुकमार्कलेट के द्वारा किसी वेबपन्ने पर उपस्थित टैक्स्ट को पढ़ कर सुनाया जा सकता है। यह फैस्टिवल नामक पाठ से वाक प्रोग्राम का ऑनलाइन संस्करण है। .
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यहां पुनर्निर्देश करता है:
पाठ से वाक, पाठ से वाक्, वाक से पाठ, टैक्स्ट टू स्पीच, टेक्स्ट टू स्पीच।