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स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध

सूची स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध

स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध (तथा), वैरोचन बुद्ध की एक सबसे विशालकाय बुद्ध प्रतिमा है, जो कि हेनान के जाओकुन कस्बे (लुशान काउन्टी) में, चीन में स्थित है। यह फ़ोदुशान सीनिक एरिया में, नेश्नल फ़्रीवे नम्बर ३११ में स्थित है। यह बुद्ध मूर्ती १२८ मीटर (४२० फुट) ऊँची है जिसमें कि २० मीटर (६६ फुट) ऊँचा कमल-सिंहासन भी शामिल है, तथा यह संसार की सबसे ऊँची प्रतिमा है। यदि इसके २५ मीटर (८२ फुट) ऊँचे आधार/भवन को भी गिन लिया जाये तो इसकी कुल ऊँचाई १५३ मीटर (५५२ फुट) हो जाती है। अक्टूबर २००८ की स्थिति के अनुसार इसके आधार को नई शक्ल दी जा चूँकी है और अब इसकी ऊँचाई २०८ मीटर (६८२ फुट) हो गई है। इस प्रतिमा के नीचे बौद्ध मठ - विहार है। स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध के निर्माण की योजना की घोषणा अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान द्वारा बामियान के बुद्ध प्रतिमाओं के ध्वंस के तुरंत बाद की गयी थी। चीन ने अफ़ग़ानिस्तान में बौद्ध धरोहर के योजनाबद्ध विनाश की भर्त्सना की थी। .

15 संबंधों: चीन, तालिबान आन्दोलन, थाईलैंड के महान बुद्ध, बामयान, बोरोबुदुर, मठ, मूर्ति, लेशान के विशाल बुद्ध, हेनान, विहार, गौतम बुद्ध, कमल, अफ़ग़ानिस्तान, अक्टूबर, २००८

चीन

---- right चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पू‍र्व में स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं:- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशों में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं। अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में ३,००,००० से ५,००,००० वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये - (१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है। (२) चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों में से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव २२ लाख से २५ लाख वर्ष पहले आये थे। .

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तालिबान आन्दोलन

तालिबान आंदोलन (طالبان) जिसे तालिबान या तालेबान के नाम से भी जाना जाता है, एक सुन्नी इस्लामिक आधारवादी आन्दोलन है जिसकी शुरूआत 1994 में दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान में हुई थी। तालिबान पश्तो भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है ज्ञानार्थी (छात्र)। ऐसे छात्र, जो इस्लामिक कट्टरपंथ की विचारधारा पर यकीन करते हैं। तालिबान इस्लामिक कट्टपंथी राजनीतिक आंदोलन हैं। इसकी सदस्यता पाकिस्तान तथा अफ़ग़ानिस्तान के मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को मिलती है। 1996 से लेकर 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के दौरान मुल्ला उमर देश का सर्वोच्च धार्मिक नेता था। उसने खुद को हेड ऑफ सुप्रीम काउंसिल घोषित कर रखा था। तालेबान आन्दोलन को सिर्फ पाकिस्तान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने ही मान्यता दे रखी थी। अफगानिस्तान को पाषाणयुग में पहुँचाने के लिए तालिबान को जिम्मेदार माना जाता है। .

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थाईलैंड के महान बुद्ध

थाईलैंड के महान बुद्ध या थाईलैंड के विशाल बुद्ध थाईलैंड में सबसे ऊंची एवं दुनिया में नौवी सबसे ऊंची प्रतिमा है। यह प्रतिमा महामींह शाक्यमूनि विसेजचाईचन्र के नाम से भी जानी जाती है। यह बुद्ध प्रतिमा थाईलैंड के आंग थोंग प्रान्त में वाट मंग बौद्ध विहार में स्थित है, यह मूर्ति 92 मीटर (300 फुट) ऊंची और 63 मीटर (210 फुट) चौड़ी है। इस प्रतिमा का निर्माण 1990 में शुरू किया गया था और 2008 में वह पूरा हो गया है। इस प्रतिमा पर सोने के पेंट का आवरण है और यह कंक्रीट से बनी है। .

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बामयान

ध्वस्त बौद्ध प्रतिमाएँ बामयान अफ़्ग़ानिस्तान के मध्य भाग में स्थित एक प्रसिद्ध शहर है। जिस प्रान्त में यह है उसका नाम भी बामयान प्रान्त ही है। बामियाँ घाटी में 2001 में तालिबान ने दो विशालकाय बौद्ध प्रतिमाओं को गैर-इस्लामी कहकर डायनामाइट से उड़ा दिया था। हाल ही में हमयन स्थित ऑयल-पेंटिंग्स को दुनिया की सबसे पुरानी तेल-चकला का नमूना करार दिया गया। काबुल से उत्तर-पश्चिम में प्राचीन तक्षशिला-बैक्ट्रिया मार्ग पर बामियाँ के भग्नावशेष आज भी अपने गौरव के प्रतीक है। ह्वेन त्सांग ने फ़न-येन-न (बामियाँ) राज्य का उल्लेख किया है। उसके अनुसार इसका क्षेत्र पश्चिम से पूर्व 2000 ली (लगभग 334 मील) और उत्तर से दक्षिण 300 ली (50 मील.) था। इसकी राजधानी छह-सात ली अथवा एक मील के घेरे में थी। यहाँ के निवासियों की रहन सहन तुषार देशवासियों जैसी थी। उनकी रुचि मुख्यतया बौद्ध धर्म में थी। यहाँ पर कोई 10 विहार थे जिनमें 100 भिक्षु रहते थे जो लोकोत्तरवादी संप्रदाय से संबंधित थे। नगर के उत्तर-पूर्व में पहाड़ी की ढाल पर कोई 140-150 फी.

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बोरोबुदुर

बोरोबुदुर विहार अथवा बरबुदुर इंडोनेशिया के मध्य जावा प्रान्त के मगेलांग नगर में स्थित 750-850 ईसवी के मध्य का महायान बौद्ध विहार है। यह आज भी संसार में सबसे बड़ा बौद्ध विहार है। छः वर्गाकार चबूतरों पर बना हुआ है जिसमें से तीन का उपरी भाग वृत्ताकार है। यह २,६७२ उच्चावचो और ५०४ बुद्ध प्रतिमाओं से सुसज्जित है। इसके केन्द्र में स्थित प्रमुख गुंबद के चारों और स्तूप वाली ७२ बुद्ध प्रतिमायें हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा और विश्व के महानतम बौद्ध मन्दिरों में से एक है। इसका निर्माण ९वीं सदी में शैलेन्द्र राजवंश के कार्यकाल में हुआ। विहार की बनावट जावाई बुद्ध स्थापत्यकला के अनुरूप है जो इंडोनेशियाई स्थानीय पंथ की पूर्वज पूजा और बौद्ध अवधारणा निर्वाण का मिश्रित रूप है। विहार में गुप्त कला का प्रभाव भी दिखाई देता है जो इसमें भारत के क्षेत्रिय प्रभाव को दर्शाता है मगर विहार में स्थानीय कला के दृश्य और तत्व पर्याप्त मात्रा में सम्मिलित हैं जो बोरोबुदुर को अद्वितीय रूप से इंडोनेशियाई निगमित करते हैं। स्मारक गौतम बुद्ध का एक पूजास्थल और बौद्ध तीर्थस्थल है। तीर्थस्थल की यात्रा इस स्मारक के नीचे से आरम्भ होती है और स्मारक के चारों ओर बौद्ध ब्रह्माडिकी के तीन प्रतीकात्मक स्तरों कामधातु (इच्छा की दुनिया), रूपध्यान (रूपों की दुनिया) और अरूपध्यान (निराकार दुनिया) से होते हुये शीर्ष पर पहुँचता है। स्मारक में सीढ़ियों की विस्तृत व्यवस्था और गलियारों के साथ १४६० कथा उच्चावचों और स्तम्भवेष्टनों से तीर्थयात्रियों का मार्गदर्शन होता है। बोरोबुदुर विश्व में बौद्ध कला का सबसे विशाल और पूर्ण स्थापत्य कलाओं में से एक है। साक्ष्यों के अनुसार बोरोबुदुर का निर्माण कार्य ९वीं सदी में आरम्भ हुआ और १४वीं सदी में जावा में हिन्दू राजवंश के पतन और जावाई लोगों द्वारा इस्लाम अपनाने के बाद इसका निर्माण कार्य बन्द हुआ। इसके अस्तित्व का विश्वस्तर पर ज्ञान १८१४ में सर थॉमस स्टैमफोर्ड रैफल्स द्वारा लाया गया और इसके इसके बाद जावा के ब्रितानी शासक ने इस कार्य को आगे बढ़ाया। बोरोबुदुर को उसके बाद कई बार मरम्मत करके संरक्षित रखा गया। इसकी सबसे अधिक मरम्मत, यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्द करने के बाद १९७५ से १९८२ के मध्य इंडोनेशिया सरकार और यूनेस्को द्वारा की गई। बोरोबुदुर अभी भी तिर्थयात्रियों के लिए खुला है और वर्ष में एक बार वैशाख पूर्णिमा के दिन इंडोनेशिया में बौद्ध धर्मावलम्बी स्मारक में उत्सव मनाते हैं। बोरोबुदुर इंडोनेशिया का सबसे अधिक दौरा किया जाने वाला पर्यटन स्थल है। .

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मठ

मठ मठ का अर्थ ऐसे संस्थानो से है जहां इसके गुरू अपने शिष्यों को शिक्षा, उपदेश इत्यादि प्रदान करता है। ये गुरू प्रायः धर्म गुरु होते है ऐर दी गई शिक्षा मुख्यतः आध्यात्मिक होती है पर ऐसा हमेशा नही होता। एक मठ में इन कार्यो के अतिरिक्त सामाजिक सेवा, साहित्य इत्यादि से सम्बन्धित कार्य भी होते हैं। मठ एक ऐसा शब्द है जिसके बहुधार्मिक अर्थ हैं।बौद्ध मठों को विहार कहते है। ईसाई धर्म में इन्हें मॉनेट्री, प्रायरी, चार्टरहाउस, एब्बे इत्यादि नामों से जाना जाता है। .

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मूर्ति

भारतीय कला और संस्कृति के सन्दर्भ में किसी भी प्रकार के रूप, प्रतिमा (idol) या ठोस वस्तु को मूर्ति कहते हैं, उदाहरण के लिए देवताओं और मनुष्यों की मूर्ति। जब किसी देवता की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा हो जाती है तब वह उस देवता के तुल्य बन जाती है। .

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लेशान के विशाल बुद्ध

लेशान के विशाल बुद्ध (सरलीकृत चीनी: 乐山 大佛, पारंपरिक चीनी: 乐山 大佛) तांग वंश (618-907) के शासन के दौरान बनाई गयी गौतम बुद्ध की ऊँची विशाल प्रतिमा है। इस प्रतिमा को लाल बलुआ पत्थर की चट्टान एमी पर्वत को तराश कर बनाया गया है। यह चीन के दक्षिण में स्थित सिचुआन प्रांत के शहर लेशान में मिनजियांग, दादु और किंग्यी नदी के संगम पर स्थित है। यह दुनिया में सबसे ऊँची पत्थर की प्रतिमा है और इसके निर्माण के समय तो यह दुनिया में बुद्ध की सबसे ऊँची मूर्ति थी। लेशान की विशाल बुद्ध प्रतिमा सन 1996 के बाद से यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध है। सन 2008 में सिचुआन में आये भूकंप से यह क्षतिग्रस्त नहीं हुई है। .

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हेनान

हेनान (河南, Henan) जनवादी गणराज्य चीन के केन्द्रीय भाग में स्थित एक प्रांत है। हान राजवंश के ज़माने में इस क्षेत्र में एक युझोऊ (豫州, Yuzhou) नामक राज्य हुआ करता था इसलिए चीनी भावचित्रों में हेनान प्रांत को संक्षिप्त रूप में '豫' (उच्चारण: यु) लिखते हैं। 'हेनान' नाम दो शब्दों को जोड़कर बना है: 'हे' यानि 'नदी' और 'नान' यानि 'दक्षिण'। हेनान पीली नदी (ह्वांग हे) के दक्षिण में है, इसलिए इसका नाम यह पड़ा। हेनान को चीनी सभ्यता की जन्मभूमि माना जाता है क्योंकि चीन का एक अति-प्राचीन राजवंश, शांग राजवंश, यहीं केन्द्रित था।, Long River Press, 2008, ISBN 978-1-59265-060-6,...

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विहार

बौद्ध अनुयायीओं के प्रार्थना स्थल या उपासनास्थल मठों को विहार कहते हैं। विहारों में बुद्ध प्रतिमा होती है। विहार में बौद्ध भिक्षु निवास करते है। उच्च शिक्षा में धार्मिक विषयों के अलावा अन्य विषय भी शामिल थे, और इसका केन्द्र बौद्ध विहार ही था। इनमें से सबसे प्रसिद्ध, बिहार का नालन्दा विश्वविद्यालय था। अन्य शिक्षा के प्रमुख केन्द्र विक्रमशिला और उद्दंडपुर थे। ये भी बिहार में ही थे। इन केन्द्रों में दूर-दूर से, यहाँ तक की तिब्बत से भी, विद्यार्थी आते थे। यहाँ शिक्षा नि:शुल्क प्रदान की जाती थी। इन विश्वविद्यालयों का खर्च शासकों द्वारा दी गई मुद्रा और भूमि के दान से चलता था। नालन्दा को दो सौ ग्रामों का अनुदान प्राप्त था। बौद्ध धर्म में बौद्ध भिक्षुओं के ठहरने के स्थान को विहार कहते हैं। यही विहार जो तुर्कों द्वारा दिया गया है। वह बाद में बिहार हो गया। बिहार शब्द विहार का अपभ्रंश रूप है। यह शब्द बौद्ध (मठों) विहारों कि क्षेत्रीय बहुलता के कारण (बिहार) तुर्कों द्वारा दिया हुआ नाम है। बौद्ध विहार एकनाल में वनवाया गया था। .

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गौतम बुद्ध

गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। उनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थी जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश एवं सत्य दिव्य ज्ञान खोज में रात में राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से बुद्ध बन गए। .

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कमल

'''कमल''' - यही भारत का राष्ट्रीय पुष्प भी है। कमल (वानस्पतिक नाम:नीलंबियन न्यूसिफ़ेरा (Nelumbian nucifera)) वनस्पति जगत का एक पौधा है जिसमें बड़े और सुन्दर फूल खिलते हैं। यह भारत का राष्ट्रीय पुष्प है। संस्कृत में इसके नाम हैं - कमल, पद्म, पंकज, पंकरुह, सरसिज, सरोज, सरोरुह, सरसीरुह, जलज, जलजात, नीरज, वारिज, अंभोरुह, अंबुज, अंभोज, अब्ज, अरविंद, नलिन, उत्पल, पुंडरीक, तामरस, इंदीवर, कुवलय, वनज आदि आदि। फारसी में कमल को 'नीलोफ़र' कहते हैं और अंग्रेजी में इंडियन लोटस या सैक्रेड लोटस, चाइनीज़ वाटर-लिली, ईजिप्शियन या पाइथागोरियन बीन। कमल का पौधा (कमलिनी, नलिनी, पद्मिनी) पानी में ही उत्पन्न होता है और भारत के सभी उष्ण भागों में तथा ईरान से लेकर आस्ट्रेलिया तक पाया जाता है। कमल का फूल सफेद या गुलाबी रंग का होता है और पत्ते लगभग गोल, ढाल जैसे, होते हैं। पत्तों की लंबी डंडियों और नसों से एक तरह का रेशा निकाला जाता है जिससे मंदिरों के दीपों की बत्तियाँ बनाई जाती हैं। कहते हैं, इस रेशे से तैयार किया हुआ कपड़ा पहनने से अनेक रोग दूर हो जाते हैं। कमल के तने लंबे, सीधे और खोखले होते हैं तथा पानी के नीचे कीचड़ में चारों ओर फैलते हैं। तनों की गाँठों पर से जड़ें निकलती हैं। .

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अफ़ग़ानिस्तान

अफ़ग़ानिस्तान इस्लामी गणराज्य दक्षिणी मध्य एशिया में अवस्थित देश है, जो चारो ओर से जमीन से घिरा हुआ है। प्रायः इसकी गिनती मध्य एशिया के देशों में होती है पर देश में लगातार चल रहे संघर्षों ने इसे कभी मध्य पूर्व तो कभी दक्षिण एशिया से जोड़ दिया है। इसके पूर्व में पाकिस्तान, उत्तर पूर्व में भारत तथा चीन, उत्तर में ताजिकिस्तान, कज़ाकस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान तथा पश्चिम में ईरान है। अफ़ग़ानिस्तान रेशम मार्ग और मानव प्रवास का8 एक प्राचीन केन्द्र बिन्दु रहा है। पुरातत्वविदों को मध्य पाषाण काल ​​के मानव बस्ती के साक्ष्य मिले हैं। इस क्षेत्र में नगरीय सभ्यता की शुरुआत 3000 से 2,000 ई.पू.

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अक्टूबर

अक्टूबर ग्रेगोरी कैलंडर और जूलियन कैलेंडर का दसवाँ महीना है। और यह उन सात महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या ३१ होती है। श्रेणी:चित्र जोड़ें .

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२००८

२००८ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

झोंगयुआन बुद्ध, लुशान बुद्ध

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