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झिल्ली प्रोटीन

सूची झिल्ली प्रोटीन

झिल्ली प्रोटीन (membrane proteins) ऐसे प्रोटीन होते हैं जिनसें या तो जैवझिल्लियाँ (biological membranes) निर्मित होती हैं या जो इन जैवझिल्लियों से जुड़ने, प्रवेश करने या आरपार जाने में सक्षम होते हैं। इनमें स्थाई और अस्थाई रूप से जैवझिल्लियों की लिपिड द्विपरत से जुड़ने वाले प्रोटीन शामिल हैं। लगभग ५०% आधुनिक दवाएँ इन्हीं झिल्ली प्रोटीनों पर प्रभाव डालने के लिए बनती हैं और अनुमान लगाया गया है कि अधिकतर जीनोमों के लगभग ३०% जीन झिल्ली प्रोटीनों के निर्माण की विधियों का निर्देश होती हैं। झिल्ली प्रोटीन प्रोटीनों की तीन मुख्य श्रेणियों में से एक है और बाक़ी दो रेशेदार प्रोटीन तथा गोलाकार प्रोटीन होते हैं। .

8 संबंधों: प्रोटीन, लिपिड द्विपरत, स्क्लीरोप्रोटीन, हीमोग्लोबिन, जैवझिल्ली, जीन, जीनोम, गोलाकार प्रोटीन

प्रोटीन

रुधिरवर्णिका(हीमोग्लोबिन) की संरचना- प्रोटीन की दोनो उपइकाईयों को लाल एंव नीले रंग से तथा लौह भाग को हरे रंग से दिखाया गया है। प्रोटीन या प्रोभूजिन एक जटिल भूयाति युक्त कार्बनिक पदार्थ है जिसका गठन कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन एवं नाइट्रोजन तत्वों के अणुओं से मिलकर होता है। कुछ प्रोटीन में इन तत्वों के अतिरिक्त आंशिक रूप से गंधक, जस्ता, ताँबा तथा फास्फोरस भी उपस्थित होता है। ये जीवद्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) के मुख्य अवयव हैं एवं शारीरिक वृद्धि तथा विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए आवश्यक हैं। रासायनिक गठन के अनुसार प्रोटीन को सरल प्रोटीन, संयुक्त प्रोटीन तथा व्युत्पन्न प्रोटीन नामक तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सरल प्रोटीन का गठन केवल अमीनो अम्ल द्वारा होता है एवं संयुक्त प्रोटीन के गठन में अमीनो अम्ल के साथ कुछ अन्य पदार्थों के अणु भी संयुक्त रहते हैं। व्युत्पन्न प्रोटीन वे प्रोटीन हैं जो सरल या संयुक्त प्रोटीन के विघटन से प्राप्त होते हैं। अमीनो अम्ल के पॉलीमराईजेशन से बनने वाले इस पदार्थ की अणु मात्रा १०,००० से अधिक होती है। प्राथमिक स्वरूप, द्वितीयक स्वरूप, तृतीयक स्वरूप और चतुष्क स्वरूप प्रोटीन के चार प्रमुख स्वरुप है। प्रोटीन त्वचा, रक्त, मांसपेशियों तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। जन्तुओं के शरीर के लिए कुछ आवश्यक प्रोटीन एन्जाइम, हार्मोन, ढोने वाला प्रोटीन, सिकुड़ने वाला प्रोटीन, संरचनात्मक प्रोटीन एवं सुरक्षात्मक प्रोटीन हैं। प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर की आधारभूत संरचना की स्थापना एवं इन्जाइम के रूप में शरीर की जैवरसायनिक क्रियाओं का संचालन करना है। आवश्यकतानुसार इससे ऊर्जा भी मिलती है। एक ग्राम प्रोटीन के प्रजारण से शरीर को ४.१ कैलीरी ऊष्मा प्राप्त होती है। प्रोटीन द्वारा ही प्रतिजैविक (एन्टीबॉडीज़) का निर्माण होता है जिससे शरीर प्रतिरक्षा होती है। जे.

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लिपिड द्विपरत

लिपिड द्विपरत (lipid bilayer) या फ़ॉस्फ़ोलिपिड द्विपरत (phospholipid bilayer) लिपिड अणुओं की दो परतों की बनी एक झिल्ली होती है। यह लगभग सभी जीवों की कोशिकाओं को चादर की तरह लपेटे रहती है। इसका काम हानिकारक रासायनों को बाहर रखना और लाभदायक रासायनों को भीतर लाना होता है। इस द्वीपरत के छिद्र केवल कुछ नैनोमीटर चौड़े ही होते हैं। यह ध्रुवीय होती है यानि को बाहर रखने और कणों को उनके विद्युतीय लक्षणों के आधार पर अंदर-बाहर जाने की अनुमति देती है। कोशिका के अलावा कोशिका के अन्दर के कई अंशों को भी उनकी अपनी लिपिड द्विपरत ने ढका हुआ होता है। लिपिड यौगिक अक्सर उभयसंवेदी (amphiphilic) होते हैं, यानि उनका एक भाग जलस्नेही और एक भाग जलविरोधी होता है। जब उन्हें किसी जलीय वातावरण में डाला जाए तो वह दो परत की चादरों में व्यवस्थित हो जाते हैं, जिसमें। जलस्नेही सिर बाहर की तरफ़ और जलविरोधी दुमें अन्दर की ओर होती हैं। यह द्वीपरत शरीर में कई स्थानों पर प्रयोग होती है, मसलन कोशिकाओं का बाहरी खोल इसी से बनी झिल्ली का निर्मित होता है। .

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स्क्लीरोप्रोटीन

स्क्लीरोप्रोटीन (scleroprotein) या रेशेदार प्रोटीन (fibrous proteins) प्रोटीन के तीन मुख्य प्रकारों में से एक है। अन्य दो गोलाकार प्रोटीन और झिल्ली प्रोटीन हैं। स्क्लीरोप्रोटीन लम्बे प्रोटीन रेशे बनाते हैं जो डंडों या रेशों के आकार में होते हैं। शरीर की कई संरचनाएँ (यानि ढांचे) इन स्क्लीरोप्रोटीनों की बनी होती हैं क्योंकि यह पानी में नहीं घुलते और रसायनिक दृष्टि से काफ़ी निष्क्रिय होने के कारण स्थाई रहते हैं। बालों और नखूनों का निर्माणकर्ता केराटिन स्क्लीरोप्रोटीन का एक उदाहरण है। कोलेजन, इलास्टिन और फ़ाइब्रोइन के महापरिवार भी स्क्लीरोप्रोटीन हैं। .

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हीमोग्लोबिन

मानव के रुधिरवर्णिका की संरचना- प्रोटीन की दोनो उपइकाईयों को लाल एंव नीले रंग से तथा लौह भाग को हरे रंग से दिखाया गया है। रुधिरवर्णिका या हीमोग्लोबिन (वर्तनी में हेमोग्लोबिन और संक्षिप्त में एचबी या एचजीबी) पृष्ठवंशियों की लाल रक्त कोशिकाओं और कुछ अपृष्ठवंशियों के ऊतकों में पाया जाने वाला लौह-युक्त आक्सीजन का परिवहन करने वाला धातुप्रोटीन है.

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जैवझिल्ली

जैवझिल्ली (biomembrane, biological membrane) किसी जीव के शरीर में किसी अंश को ढकने वाली या दो अंशों को अलग करने वाली अर्धपारगम्य झिल्ली होती है। जैवझिल्लियाँ अक्सर लिपिड द्विपरत (lipid bilayer) की बनी होती हैं जिसमें कुछ प्रोटीन स्थाई या अस्थाई रूप से जुड़े या धंसे हुए होते हैं और जिनका प्रयोग झिल्ली के पार संचार और रसायनों व आयनों की आवाजाही के लिए किया जाता है। .

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जीन

गुणसूत्रों पर स्थित डी.एन.ए. (D.N.A.) की बनी वो अति सूक्ष्म रचनाएं जो अनुवांशिक लक्षणों का धारण एवं उनका एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरण करती हैं, जीन (gene) वंशाणु या पित्रैक कहलाती हैं। जीन, डी एन ए के न्यूक्लियोटाइडओं का ऐसा अनुक्रम है, जिसमें सन्निहित कूटबद्ध सूचनाओं से अंततः प्रोटीन के संश्लेषण का कार्य संपन्न होता है। यह अनुवांशिकता के बुनियादी और कार्यक्षम घटक होते हैं। यह यूनानी भाषा के शब्द जीनस से बना है। जीन आनुवांशिकता की मूलभूत शारीरिक इकाई है। यानि इसी में हमारी आनुवांशिक विशेषताओं की जानकारी होती है जैसे हमारे बालों का रंग कैसा होगा, आंखों का रंग क्या होगा या हमें कौन सी बीमारियां हो सकती हैं। और यह जानकारी, कोशिकाओं के केन्द्र में मौजूद जिस तत्व में रहती है उसे डी एन ए कहते हैं। जब किसी जीन के डीएनए में कोई स्थाई परिवर्तन होता है तो उसे म्यूटेशन याउत्परिवर्तन कहा जाता है। यह कोशिकाओं के विभाजन के समय किसी दोष के कारण पैदा हो सकता है या फिर पराबैंगनी विकिरण की वजह से या रासायनिक तत्व या वायरस से भी हो सकता है। .

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जीनोम

किसी भी जीव के डी एन ए में विद्यमान समस्त जीनों का अनुक्रम संजीन या जीनोम (Genome) कहलाता है। मानव जीनोम में अनुमानतः 80,000-1,00,000 तक जीन होते हैं। .

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गोलाकार प्रोटीन

गोलाकार प्रोटीन (globular proteins) या स्फ़ेरोप्रोटीन (spheroproteins) ऐसे प्रोटीन होते हैं जो गोले का आकार रखते हैं। इसमें प्रोटीन के अणु (मोलिक्यूल) अपने ही ऊपर मुड़कर गोले के आकार में होते हैं। यह प्रोटीनों की तीन मुख्य श्रेणियों में से एक है और बाक़ी दो रेशेदार प्रोटीन तथा झिल्ली प्रोटीन होते हैं। गोलाकार प्रोटीन पानी में कुछ हद तक मिलने में सक्षम होते हैं और कोलॉइड बना लेते हैं, जबकि रेशेदार व झिल्ली प्रोटीन पानी में लगभग बिलकुल ही नहीं घुलते। गोले का आकार प्रोटीनों में कई व्यवस्थाओं और ढांचों द्वारा बनता है, और इनमें से एक विशेष ढांचे को "ग्लोबिन मोड़" (globin fold) कहते हैं। रक्त में बहने वाला हीमोग्लोबिन एक गोलाकार प्रोटीन है जिसमें ग्लोबिन मोड़ देखा जाता है। .

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