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ज्वाला परीक्षण

सूची ज्वाला परीक्षण

ज्वाला परीक्षण (flame test) रसायन विज्ञान में प्रयुक्त एक प्रक्रम है जो कुछ तत्त्वों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिये की जाती है। प्रायः धातु आयनों को उनके विशिष्ट उत्सर्जन स्पेक्ट्रम के आधार पर पहचाना जा सकता है। .

9 संबंधों: एल्युमिनियम, थैलियम, बिस्मथ, बेरियम, बोरॉन, रुबिडियम, जस्ता, आर्सेनिक, कैल्सियम

एल्युमिनियम

एलुमिनियम एक रासायनिक तत्व है जो धातुरूप में पाया जाता है। यह भूपर्पटी में सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली धातु है। एलुमिनियम का एक प्रमुख अयस्क है - बॉक्साईट। यह मुख्य रूप से अलुमिनियम ऑक्साईड, आयरन आक्साईड तथा कुछ अन्य अशुद्धियों से मिलकर बना होता है। बेयर प्रक्रम द्वारा इन अशुद्धियों को दूर कर दिया जाता है जिससे सिर्फ़ अलुमिना (Al2O3) बच जाता है। एलुमिना से विद्युत अपघटन द्वारा शुद्ध एलुमिनियम प्राप्त होता है। एलुमिनियम धातु विद्युत तथा ऊष्मा का चालक तथा काफ़ी हल्की होती है। इसके कारण इसका उपयोग हवाई जहाज के पुर्जों को बनाने में किया जाता है। भारत में जम्मू कश्मीर, मुंबई, कोल्हापुर, जबलपुर, रांची, सोनभद्र, बालाघाट तथा कटनी में बॉक्साईट के विशाल भंडार पाए जाते है। उड़ीसा स्थित नाल्को (NALCO) दुनिया की सबसे सस्ती अलुमिनियम बनाने वाली कम्पनी है। .

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थैलियम

थैलियम (Thallium) एक रासायनिक तत्त्व है। यह आवर्त सारणी के तृतीय मुख्य समूह का अंतिम तत्व है। इसके दो स्थिर समस्थानिक प्राप्त हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ २०३ एवं २०५ हैं। इसके अतिरिक्त इसके नौ अस्थिर समस्थानिक ज्ञात हैं। इनकी द्रव्यमान संख्याएँ १९९, २००, २०२, २०४, २०६, २०७, २०८, २०९ और २१० हैं। इनमें कुछ रेडियधर्मी अयस्कों में मिलते हैं और कुछ कृत्रिम साधनों द्वारा उपलब्ध हैं। इस तत्व की खोज अंग्रेज वैज्ञानिक विलियम क्रुक्स ने १८६१ ईo में एक विशेष सेलेनियम युक्त पायराइट (seleniferous pyrite) में वर्णक्रममापी (spectroscopic) उपकरण द्वारा की। उन्होंने भूर्जित (roasted) अयस्क की धूल के वर्णक्रममापी निरीक्षण में एक हल्के हरे रंग की रेखा देखी, जिसके कारण इस तत्व का नाम थैलियम रखा। इस तत्व को लैमी (Lamy) ने सर्वप्रथम पृथक् कर इसके गुणधर्म का निरीक्षण किया। अनेक पायराइट अयस्कों में थैलियम न्यून मात्रा में वर्तमान रहता है। केवल क्रुसाइट (Crookesite) नामक अयस्क में यह १७% मात्रा में उपस्थित रहता है। सामान्यत: यह कुछ अयस्कों की चिमनी (flue) धूल, या सल्फ्यूरिक अम्ल बनते समय प्रकोष्ठ कीच (chamber mud), से निकाला जाता है। कीच को उबलते जल से उपचारित करने पर थैलियम सल्फेट का विलयन बन जाता है, जिसे छानकर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल द्वारा क्लोराइड में परिवर्तित करते हैं। क्लोराइड को फिर सल्फ्यूरिक अम्ल की क्रिया द्वारा सल्फेट में परिणत करने से अन्य अपद्रव्य दूर हो जाते हैं। उबलते जल की क्रिया से केवल थैलियम सल्फेट ही घुलता है। विलयन के विद्युद्विश्लेषण अथवा यशद धातु की प्रक्रिया द्वारा थैलियम धातु मिलती है। .

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बिस्मथ

बिस्मथ एक रासायनिक तत्व है। अपने समूह में सबसे बड़ा तत्व तथा परमाणु आकार बड़ा होने के कारण इस इसकी नाभिक से दूरी बढ़ जाती है जिसके कारण नाभिक और बाह इलेक्ट्रानों के लिये आकर्षण बल कम हो जाता है 15 में वर्ग में यह एक ऐसा तत्व है जो अपररूपता प्रदर्शित नहीं करता है तथा यह उन तत्वों की अपेक्षा अशुद्धि चमकदार होता है .

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बेरियम

बेरियम (Barium) कैल्सियम समूह का तत्व है। खनिज बेराइट इसका पहला खनिज था, जिसकी ओर सन् 1602 में बोलोन के एक चर्मकार बी.

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बोरॉन

बोरॉन (Boron) एक रासायनिक तत्व है। प्रकृति में इस तत्व का निर्माण ब्रह्माण्ड किरणों (कोस्मिक किरणों) द्वारा किसी वस्तु पर हुए प्रहारों से होता है, न की तारों में तारकीय नाभिकीय संश्लेषण की प्रक्रिया में। इसलिये हमारे सौर मंडल में इसकी तादाद अन्य तत्वों की तुलना में कम है। दुनिया में यह अपने जल में घुलने वाले बोरेट (borate) खनिजों के रूप में अधिक मिलता है, जिसमें सुहागा (बोरैक्स) सबसे ज़्यादा जाना-माना है। पृथ्वी पर बोरॉन केवल अन्य तत्वों के साथ बने रासायनिक यौगिकों के रूप में ही मिलता है। शुद्ध रूप में बोरॉन तत्व पृथ्वी पर केवल उल्का गिरने से ही पहुँचता है और इस रूप में यह एक उपधातु है। .

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रुबिडियम

रूबिडियम (Rubidium) एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्त सारणी के प्रथम मुख्य समूह का चौथा तत्व है। इसमें धातुगुण वर्तमान हैं। इसके तीन स्थिर समस्थानिक प्राप्त हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ क्रमश: ८५, ८६, ८७ हैं। इस तत्व की खोज बुंसन तथा किर्खहॉफ़ ने १८६० ई. में स्पेक्ट्रमदर्शी (spectroscope) द्वारा की थी। स्पेक्ट्रमदर्शी द्वारा प्रयोगों में दो नई लाल रेखाएँ मिलीं, जिनके कारण इसका नाम 'रूबिडियम' रखा गया। लेपिडोलाइट अयस्क में रूबिडियम की मात्रा लगभग १ प्रतिशत रहती है। इसके अतिरिक्त अभ्रक तथा कार्टेलाइड में भी यह न्यून मात्रा में मिलता है। पोटैशियम तथा रूबिडियम के प्लैटिनिक क्लोराइडों की विलेयता भिन्न भिन्न है, जिसके कारण इन दोनों को पृथक् किया जा सकता है। .

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जस्ता

जस्ता या ज़िन्क एक रासायनिक तत्व है जो संक्रमण धातु समूह का एक सदस्य है। रासायनिक दृष्टि से इसके गुण मैगनीसियम से मिलते-जुलते हैं। मनुष्य जस्ते का प्रयोग प्राचीनकाल से करते आये हैं। कांसा, जो ताम्बे व जस्ते की मिश्र धातु है, १०वीं सदी ईसापूर्व से इस्तेमाल होने के चिन्ह छोड़ गया है। ९वीं शताब्दी ईपू से राजस्थान में शुद्ध जस्ता बनाये जाने के चिन्ह मिलते हैं और ६ठीं शताब्दी ईपू की एक जस्ते की खान भी राजस्थान में मिली है। लोहे पर जस्ता चढ़ाने से लोहा ज़ंग खाने से बचा रहता है और जस्ते का प्रयोग बैट्रियों में भी बहुत होता है। .

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आर्सेनिक

आर्सेनिक, आवर्त सारणी के पंचम मुख्य समूह का एक रासायनिक तत्व है। इसकी स्थिति फास्फोरस के नीचे तथा एंटीमनी के ऊपर है। आर्सेनिक में अधातु के गुण अधिक और धातु के गुण कम विद्यमान हैं। इस धातु को उपधातु (मेटालॉयड) की श्रेणी में रखा जाता है। आर्सेनिक से नीचे एंटीमनी में धातुगुण अधिक हैं तथा उससे नीचे बिस्मथ पूर्णरूपेण धातु है। पंचम मुख्य समूह में नीचे उतरने पर धातुगुण में वृद्धि होती है। आर्सैनिक की कुछ विशेषताएं निम्नांकित हैं: .

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कैल्सियम

कैल्सियम (Calcium) एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्तसारणी के द्वितीय मुख्य समूह का धातु तत्व है। यह क्षारीय मृदा धातु है और शुद्ध अवस्था में यह अनुपलब्ध है। किन्तु इसके अनेक यौगिक प्रचुर मात्रा में भूमि में मिलते है। भूमि में उपस्थित तत्वों में मात्रा के अनुसार इसका पाँचवाँ स्थान है। यह जीवित प्राणियों के लिए अत्यावश्यक होता है। भोजन में इसकी समुचित मात्र होनी चाहिए। खाने योग्य कैल्शियम दूध सहित कई खाद्य पदार्थो में मिलती है। खान-पान के साथ-साथ कैल्शियम के कई औद्योगिक इस्तेमाल भी हैं जहां इसका शुद्ध रूप और इसके कई यौगिकों का इस्तेमाल किया जाता है। आवर्त सारणी में कैल्शियम का अणु क्रमांक 20 है और इसे अंग्रेजी शब्दों ‘Ca’ से इंगित किया गया है। 1808 में सर हम्फ्री डैवी ने इसे खोजा था। उन्होंने इसे कैल्सियम क्लोराइड से अलग किया था। चूना पत्थर, कैल्सियम का महत्वपूर्ण खनिज स्रोत है। पौधों में भी कैल्शियम पाया जाता है। अपने शुद्ध रूप में कैल्शियम चमकीले रंग का होता है। यह अपने अन्य साथी तत्वों के बजाय कम क्रियाशील होता है। जलाने पर इसमें से पीला और लाल धुआं उठता है। इसे आज भी कैल्शियम क्लोराइड से उसी प्रक्रिया से अलग किया जाता है जो सर हम्फ्री डैवी ने 1808 में इस्तेमाल की थी। कैल्शियम से जुड़े ही एक अन्य यौगिक, कैल्सियम कार्बोनेट को कंक्रीट, सीमेंट, चूना इत्यादि बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अन्य कैल्शियम कंपाउंड अयस्कों, कीटनाशक, दुर्गन्धहर, खाद, कपड़ा उत्पादन, कॉस्मेटिक्स, लाइटिंग इत्यादि में इस्तेमाल किया जाता है। जीवित प्राणियों में कैल्शियम हड्डियों, दांतों और शरीर के अन्य हिस्सों में पाया जाता है। यह रक्त में भी होता है और शरीर की अंदरूनी देखभाल में इसकी विशेष भूमिका होती है। कैल्सियम अत्यंत सक्रिय तत्व है। इस कारण इसको शुद्ध अवस्था में प्राप्त करना कठिन कार्य है। आजकल कैल्सियम क्लोराइड तथा फ्लोरस्पार के मिश्रण को ग्रेफाइट मूषा में रखकर विद्युतविच्छेदन द्वारा इस तत्व को तैयार करते हैं। शुद्ध अवस्था में यह सफेद चमकदार रहता है। परन्तु सक्रिय होने के कारण वायु के आक्सीजन एवं नाइट्रोजन से अभिक्रिया करता है। इसके क्रिस्टल फलक केंद्रित घनाकार रूप में होते हैं। यह आघातवर्ध्य तथा तन्य तत्व है। इसके कुछ गुणधर्म निम्नांकित हैं- साधारण ताप पर यह वायु के ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से धीरे धीरे अभिक्रिया करता है, परंतु उच्च ताप पर तीव्र अभिक्रिया द्वारा चमक के साथ जलता है और कैलसियम आक्साइड (CaO) बनाता है। जल के साथ अभिक्रिया कर यह हाइड्रोजन उन्मुक्त करता है और लगभग समस्त अधातुओं के साथ अभिक्रिरिया कर यौगिक बनाता है। इसके रासायनिक गुण अन्य क्षारीय मृदा तत्वों (स्ट्रांशियम, बेरियम तथा रेडियम) की भाँति है। यह अभिक्रिया द्वारा द्विसंयोजकीय यौगिक बनाता है। ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होने पर कैलसियम ऑक्साइड का निर्माण होता है, जिसे कली चूना और बिना बुझा चूना (quiklime) भी कहते हैं। पानी में घुलने पर कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड या शमित चूना या बुझा चूना (slaked lime) बनता है। यह क्षारीय पदार्थ है जिसका उपयोग गृह निर्माण कार्य में पुरतान काल से होता आया है। चूने में बालू, जल आदि मिलाने पर प्लास्टर बनता है, जो सूखने पर कठोर हो जाता है और धीरे-धीरे वायुमण्डल के कार्बन डाइऑक्साइड से अभिक्रिया कर कैलसियम कार्बोनेट में परिणत हो जाता है। कैलसियम अनेक तत्वों (जैसे हाइड्रोजन, फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन आयोडीन, नाइट्रोजन सल्फर आदि) के साथ अभिक्रिया कर यौगिक बनता है। कैलसियम क्लोराइड, हाइड्रोक्साइड, तथा हाइपोक्लोराइड का एक मिश्रण और ब्लिचिंग पाउडर कहलाता है जो वस्त्रों आदि के विरंजन में उपयोगी है। कैलसियम कार्बोनेट तथा बाइकार्बोनेट भी उपयोगी है। अपाचयक तत्व होने के कारण कैलसियम अन्य धातुओं के निर्माण में काम आता है। कुछ धातुओं में कैलसियम मिश्रित करने पर उपयोगी मिश्र धातुएँ बनती हैं। कैलसियम के यौगिक के अनेक उपयोग हैं। कुछ यौगिक (नाइट्रेट, फॉसफेट आदि) उर्वरक के रूप में उपयोग में आते है। कैलसियम कार्बाइड का उपयोग नाइट्रोजन स्थिरीकरण उद्योग में होता है और इसके द्वारा एसिटिलीन गैस बनाई जाती है। कैलसियम सल्फेट द्वारा प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाया जाता है। इसके अतिरक्ति कुछ यौगिक चिकित्सा, पोर्स्लोिन उद्योग, काच उद्योग, चर्म उद्योग तथा लेप आदि के निर्माण में उपयोगी है। भारत के प्राचीन निवासी कैलसियम के यौगिक तत्वों से परिचित थे। उनमें चूना (कैलसियम आक्साइड) मुख्य है। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के भग्नावशेषों से ज्ञात होता है तत्कालीन निवासी चूने का उपयोग अनेक कार्यों में करते थे। चूने के साथ कतिपय अन्य पदार्थों के मिश्रण से 'वज्रलेप' तैयार करने का प्राचीन साहित्य में प्राप्त होता है। चरक ने ऐसे क्षारों का वर्णन किया है जिनको विभिन्न समाक्षारों पर चूने की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता था। कुछ समय पूर्व उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में कोपिया नामक एक स्थान से काँच बनाने के एक प्राचीन कारखाने के अवशेष प्राप्त हुए हैं। उसका काल लगभग पाँचवी शती ईसवी पूर्व अनुमान किया जाता है। वहाँ से मिली काँच की वस्तुओं की परीक्षा से ज्ञात हुआ है कि उस काल के काँच बनाने में चूने का उपयोग होता था। .

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