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जौनपुरी (बहुविकल्पी)

सूची जौनपुरी (बहुविकल्पी)

जौनपुरी का अर्थ जौनपुर से जुड़े विषय या वहाँ का कोई निवासी होता है। इसके अतिरिक्त अन्य प्रयोग इस प्रकार हैं.

6 संबंधों: मुहम्मद जौनपुरी, राही मासूम रज़ा, हिम्मत जौनपुरी, जौनपुर, जौनपुरी, जौनपुरी गाँव, पुनपुन (पटना)

मुहम्मद जौनपुरी

सय्यद मुहम्मद जौनपुरी (سید محمد جونپورى) (सितम्बर 9, 1443 – अप्रेल 23, 1505 ई) ने मक्का में हिजरी वर्ष 901 में स्वयं को इमाम महदी घोषित किया। इसके कारण महदविया में उन्हे आदरपूर्वक देखा जाता है। उनका जन्म जौनपुर, उत्तरप्रदेश, भारत हुआ था तथा उन्होंने पूरे भारत, अरबी प्रायद्वीप और प्राचीन ख़ुरासान का भ्रमण किया था, जहाँ 63 वर्ष की आयु में फ़राह, अफ़ग़ानिस्तान में उनका निधन हो गया। .

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राही मासूम रज़ा

राही मासूम रज़ा (१ सितंबर, १९२५-१५ मार्च १९९२) का जन्म गाजीपुर जिले के गंगौली गांव में हुआ था और प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा गंगा किनारे गाजीपुर शहर के एक मुहल्ले में हुई थी। बचपन में पैर में पोलियो हो जाने के कारण उनकी पढ़ाई कुछ सालों के लिए छूट गयी, लेकिन इंटरमीडियट करने के बाद वह अलीगढ़ आ गये और यहीं से एमए करने के बाद उर्दू में `तिलिस्म-ए-होशरुबा' पर पीएच.डी.

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हिम्मत जौनपुरी

हिम्मत जौनपुरी राही मासूम रजा का दूसरा उपन्यास था जो मार्च १९६९ में प्रकाशित हुआ। आधा गांव की तुलना में यह जीवन चरितात्मक उपन्यास बहुत ही छोटा है। हिम्मत जौनपुरी लेखक का बचपन का साथी था और लेखक का विचार है कि दोनों का जन्म एक ही दिन पहली अगस्त सन सत्तईस को हुआ था। हिम्मत जौनपुरी एक ऐसे निहत्थे की कहानी है जो जीवन भर जीने का हक माँगता रहा, सपने बुनता रहा परन्तु आत्मा की तलाश और सपनों के संघर्ष में उलझ कर रह गया। यह बंबई के उस फिल्मी माहौल की कहानी भी है जिसकी भूल-भुलैया और चमक-दमक आदमी को भटका देती है और वह कहीं का नहीं रह जाता। राही मासूम रज़ा की चिर-परिचित शैली का ही कमाल है कि इसमें केवल सपने या भूल-भूलैया का तिलिस्मी यथार्थ नहीं बल्कि उस समाज की भी कहानी है, जिसमें जमुना जैसी पात्र चाहकर भी अपनी असली जिंदगी बसर नहीं कर सकती। एक तरफ इसमें व्यंगात्मक शैली में सामाजिक खोखलेपन को उजागर करता यथार्थ है तो दूसरी तरफ भावनाओं की उत्ताल लहरें। राही मासूम रज़ा साहब ने हिम्मत जौनपुरी को माध्यम बनाकर सामान्य व्यक्ति के अरमान के टूटने और बिखरने को जिस नये अंदाज और तेवर के साथ लिखा है वह उनके अन्य उपन्यासों से बिल्कुल अलग है।.

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जौनपुर

जौनपुर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख ऐतिहासिक शहर है। मध्यकालीन भारत में शर्की शासकों की राजधानी रहा जौनपुर वाराणसी से 58 किलोमीटर और इलाहाबाद से 100 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में गोमती नदी के तट पर बसा है। मध्यकालीन भारत में जौनपुर सल्तनत (1394 और 1479 के बीच) उत्तरी भारत का एक स्वतंत्र राज्य था I वर्तमान राज्य उत्तर प्रदेश जौनपुर सल्तनत के अंतर्गत आता था, जिसपर शर्की शासक जौनपुर से शासन करते थे I .

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जौनपुरी

जौनपुरी राग को आसावरी ठाट से उपजा हुआ राग माना गया है। इस राग में ग, ध, नी स्वर कोमल लगते हैं । आरोह में ग (गंधार) वर्ज्य है अर्थात गाते बजाते समय आरोह में ग स्वर को छोड़ देते हैं। अवरोह में सातों स्वर प्रयोग किये जाते हैं। अतः इस राग की जाती षाडव-संपूर्ण है। जौनपुरी राग का वादी स्वर ध (धैवत)और संवादी स्वर ग (गंधार) है। इसमें म प, ध म प ग - रे म प कि संगती बार बार दिखाई जाती है । जौनपुरी राग पर आधारित कुछ फ़िल्मी गाने: १. परदेसियों से ना अँखियाँ मिलाना २. मेरी याद में तू ना आँसू बहाना ३. जाएँ तो जाएँ कहाँ .

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जौनपुरी गाँव, पुनपुन (पटना)

जौनपुरी पुनपुन, पटना, बिहार स्थित एक गाँव है। .

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