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जैन मन्दिर

सूची जैन मन्दिर

रणकपुर जैन मंदिर, राजस्थान जैन मंदिर जैन धर्म के अनुयायीयों के लिए भगवान की पूजा और दर्शन का स्थान है । .

7 संबंधों: तमिल जैन, पालीताना, जैन धर्म, जैन धर्म में भगवान, जैन लाल मंदिर, दिल्ली, कुण्डलपुर, मध्य प्रदेश, अजमेर जैन मंदिर

तमिल जैन

तमिल जैन भारत में जैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय का हिस्सा है। वे ज्यादातर पहली शताब्दी ई.पू.

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पालीताना

पालीताना भारत के गुजरात राज्य के भावनगर ज़िले में स्थित नगर हैं, जो जैन धर्म का विशाल तीर्थस्थान भी है। यह भावनगर शहर से ५० कि.मी दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित है। कानूनी रूप से, यह दुनिया का एकमात्र शाकाहारी शहर हैं। पालीताना शत्रुंजय नदी के तट पर शत्रुंजय पर्वत की तलहटी में स्थित जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ है। जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध पलीताना में पर्वत शिखर पर भव्य 863 जैन मंदिर हैं। .

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जैन धर्म

जैन ध्वज जैन धर्म भारत के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। 'जैन धर्म' का अर्थ है - 'जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म'। जो 'जिन' के अनुयायी हों उन्हें 'जैन' कहते हैं। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने - जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया और विशिष्ट ज्ञान को पाकर सर्वज्ञ या पूर्णज्ञान प्राप्त किया उन आप्त पुरुष को जिनेश्वर या 'जिन' कहा जाता है'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म। अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। जैन दर्शन में सृष्टिकर्ता कण कण स्वतंत्र है इस सॄष्टि का या किसी जीव का कोई कर्ता धर्ता नही है।सभी जीव अपने अपने कर्मों का फल भोगते है।जैन धर्म के ईश्वर कर्ता नही भोगता नही वो तो जो है सो है।जैन धर्म मे ईश्वरसृष्टिकर्ता इश्वर को स्थान नहीं दिया गया है। जैन ग्रंथों के अनुसार इस काल के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव आदिनाथ द्वारा जैन धर्म का प्रादुर्भाव हुआ था। जैन धर्म की अत्यंत प्राचीनता करने वाले अनेक उल्लेख अ-जैन साहित्य और विशेषकर वैदिक साहित्य में प्रचुर मात्रा में हैं। .

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जैन धर्म में भगवान

जैन धर्म में भगवान अरिहन्त (केवली) और सिद्ध (मुक्त आत्माएँ) को कहा जाता है। जैन धर्म इस ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति, निर्माण या रखरखाव के लिए जिम्मेदार किसी निर्माता ईश्वर या शक्ति की धारणा को खारिज करता है। जैन दर्शन के अनुसार, यह लोक और इसके छह द्रव्य (जीव, पुद्गल, आकाश, काल, धर्म, और अधर्म) हमेशा से है और इनका अस्तित्व हमेशा रहेगा। यह ब्रह्माण्ड स्वयं संचालित है और सार्वभौमिक प्राकृतिक क़ानूनों पर चलता है। जैन दर्शन के अनुसार भगवान, एक अमूर्तिक वस्तु एक मूर्तिक वस्तु (ब्रह्माण्ड) का निर्माण नहीं कर सकती। जैन ग्रंथों में देवों (स्वर्ग निवासियों) का एक विस्तृत विवरण मिलता है, लेकिन इन प्राणियों को रचनाकारों के रूप में नहीं देखा जाता है; वे भी दुखों के अधीन हैं और अन्य सभी जीवित प्राणियों की तरह, अपनी आयु पूरी कर अंत में मर जाते है। जैन धर्म के अनुसार इस सृष्टि को किसी ने नहीं बनाया। देवी, देवताओं जो स्वर्ग में है वह अपने अच्छे कर्मों के कारण वहाँ है और भगवान नहीं माने जा सकते। यह देवी, देवता एक निशित समय के लिए वहाँ है और यह भी मरण उपरांत मनुष्य बनकर ही मोक्ष जा सकते है। जैन धर्म के अनुसार हर आत्मा का असली स्वभाव भगवंता है और हर आत्मा में अनंत दर्शन, अनंत शक्ति, अनंत ज्ञान और अनंत सुख है। आत्मा और कर्म पुद्गल के बंधन के कारण यह गुण प्रकट नहीं हो पाते। सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान, सम्यक् चरित्र के माध्यम से आत्मा के इस राज्य को प्राप्त किया जा सकता है। इन रतंत्रय के धारक को भगवान कहा जाता है। एक भगवान, इस प्रकार एक मुक्त आत्मा हो जाता है - दुख से मुक्ति, पुनर्जन्म, दुनिया, कर्म और अंत में शरीर से भी मुक्ति। इसे निर्वाण या मोक्ष कहा जाता है। इस प्रकार, जैन धर्म में अनंत भगवान है, सब बराबर, मुक्त, और सभी गुण की अभिव्यक्ति में अनंत हैं।  जैन दर्शन के अनुसार, कर्म प्रकृति के मौलिक कण होते हैं। जिन्होंने कर्मों का हनन कर केवल ज्ञान प्राप्त कर लिया है, उन्हें अरिहन्त कहते है। तीर्थंकर विशेष अरिहन्त होते है जो 'तीर्थ' की रचना करते है, यानी की जो अन्य जीवों को मोक्ष-मार्ग दिखाते है।जैन धर्म किसी भी सर्वोच्च जीव पर निर्भरता नहीं सिखाता। तीर्थंकर आत्मज्ञान के लिए रास्ता दिखाते है, लेकिन ज्ञान के लिए संघर्ष ख़ुद ही करना पड़ता है।  .

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जैन लाल मंदिर, दिल्ली

दिल्ली का सबसे पुराना जैन मंदिर लाल किला और चांदनी चौक के सामने स्थित है। इसका निर्माण 1526 में हुआ था। वर्तमान में इसकी इमारत लाल पत्थरों की बनी है। इसलिए यह लाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां कई मंदिर हैं लेकिन सबसे प्रमुख मंदिर भगवान महावीर का है जो जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। यहां जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा भी स्थापित है। जैन धर्म के अनुयायियों के बीच यह स्थान बहुत लोकप्रिय है। यहां का शांत वातावरण लोगों का अपनी ओर खींचता है। मुगल साम्राज्य में मंदिरों के शिखर बनाने की अनुमति नहीं थी। इसलिए इस मंदिर का कोई औपचारिक शिखर नहीं था। बाद में स्वतंत्रता प्राप्ति उपरांत इस मंदिर का पुनरोद्धार हुआ। .

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कुण्डलपुर, मध्य प्रदेश

कुण्डलपुर में स्थित जैन मंदिर कुण्डलपुर भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक जैनों का एक सिद्ध क्षेत्र है जहाँ से श्रीधर केवली मोक्ष गये है जो दमोह से ३५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक प्रमुख जैन तीर्थ स्थल है। यहाँ तीर्थंकर ऋषभदेव की एक विशाल प्रतिमा विराजमान है। .

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अजमेर जैन मंदिर

अजमेर जैन मंदिर स्‍थापत्‍य कला की दृष्टि से एक भव्य जैन मंदिर है। इसे सोनीजी की णसियन के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण १९वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हुआ। इसके मुख्य कक्ष को 'स्वर्ण नगरी' (भगवान का नगर) कहा जाता है। इस कक्ष में सोने से परिरक्षित लकड़ी की रचनायें हैं। .

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