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जैक केरुयक

सूची जैक केरुयक

जैक केरुयक जैक केरुयक (12 मार्च 1922 - 21 अक्तुबर 1969) अमरिकी उपन्यासकार एवं कवि हैं। उन्हें विलियम एस बरोज और ऐलन गिंसबर्ग के साथ साहित्यिक आयकनोक्लास्ट कहा जाता है। वे तअमरिका के बीट आंदोलनके मुख्य नायक थे। केरुयक उनके अविराम लेखनप्रणली के लिये जाने जाते हैं। वह एक बार अपने टाइप राइटर पर बैठते थे तो घन्टो टाइप किया करते थे जब तक कि उनका उपन्यास समाप्त नहीं हो जाता। .

3 संबंधों: एलेन गिन्सबर्ग, ग्रेगोरि कोरसो, गैरी स्नाइडर

एलेन गिन्सबर्ग

इर्विन एलेन गिन्सबर्ग (Irwin Allen Ginsberg; 3 जून 1926 – 5 अप्रैल 1997), अमेरिका के बीटनिक आंदोलन के प्रख्यात कवि हैं। इनके द्वारा लिखित लंबी कविता हाउल (१९५६) को बीट आंदोलन की महाकविता कहा जाता है। इस कविता को पूंजीवाद और नियन्त्रणवाद के खिलाफ अमेरिकी की नयी पीढ़ी की आवाज माना जाता है जिस समय अमेरिकी समाज को साम्यवादी भय ने जकड़ लिया था। प्रकाशित होते ही इसकी हजारों प्रतियां बिक गयीं और गिंसबर्ग रातों रात नयी पीढ़ी के मसीहा बन गये, जिस पीढ़ी को आज बीटनिक पीढ़ी कहा जाता है। आज तक इस काव्यग्रन्थ की लाखों प्रतियां बिक चुकी हैं। गिंसबर्ग द्वारा निवेदित हाउल की वीसीडी, सीडी और डीवीडी भी खूब बिकी हैं और आज तक उनकी यह पुस्तक और डीवीडी बिक रही हैं। अपनी इस कविता के लिये उन्होने एक नयी लेखन प्रणाली अपनायी जो सांस लेने और सांस छोड़ने के समय पर आधारित थी। यद्यपि उनके पिता एक गीतकार थे, पर गिंसबर्ग ने अपने पिता द्वारा दिखाये गये मार्ग पर चलना उचित नहीं समझा क्योंकि उन्हें महसूस हुआ कि अमेरिकी समाज बदल चुका है। गिंसबर्ग की माता नायोमी गिंसबर्ग का मानसिक सन्तुलन ठीक नहीं था और इसका प्रभाव किशोर गिंसबर्ग पर भी रहा। हाउल प्रकाशित होने के बाद उन्होने अपनी मां के याद मे कैडिश नाम की एक लंबी कविता हाउल के ही अनुरूप लिखी थी। ख्याति मिलने के बाद उन्हें बहुत सारे देशों में कविता पढ़ने के लिये आमंत्रित किया गया और वह भारत भी आये। भारत आकर वह दो साल तक यहीं रहे। बनारस, पटना, कोलकाता, चाइबासा आदि जगहों पर इन्होने कई दिन बिताये एवं यह स्थानीय कवियों से काफी घुलमिल गये। वह हिन्दु और बौद्ध साधुओं से भी मिले। अमेरिका लौटने के बाद गिंसबर्ग ने बौद्धधर्म अपना लिया। भारत से लौटने के बाद जो कवितायें इन्होने लिखीं उन पर भारतीय प्रभाव साफ झलकता है, यहां तक की उनकी किताबों-दस्तावेजों में दिये गये प्रतीक चिह्न असल में अकबर के मकबरे में अंकित तीन मछलियों का चित्र है। .

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ग्रेगोरि कोरसो

right ग्रेगोरि कोरसो (२६ मार्च १९३० - १७ जनवरी २००१) अमरिकी साहित्य के बीट जनरेशन आंदोलन के सबसे कम उम्र के कवि थे (अन्य प्रधान सदस्य थे ऐलन गिंसबर्ग, जैक केरुयक, गैरी स्नाइडर एवम विलियम एस बरोज।) उनकी माता मिशेलिना कोरसो ९ साल की उम्र में इटली से अमरिका में बसने के लिये चली आयीं थीं। १६ सालके उम्रमें मिशेलिनाने गैबरियल नुन्जो नामके एक इतालविके साथ रहने लगीं एवम एक साल बाद ग्रेगोरि पैदा हुये। ग्रेगोरि की उम्र जब एक साल थी तब उनकी माँ उन्हें कैथलिक चर्च के हवाले कर लापता हो गयीं। ग्रेगोरि को अपनी मां के बारे में तब पता चला जब वे बूढ़े हो गये। पर माँ का दर्द उनको सारी जीवन सताता रहा। तभी उनका कविता बीट आंदोलनकरीयों में बहुत ही दुखमय है। ग्रेगोरिका बचपन बीट साहित्यकारों के जमघट ग्रीनीच विलेजमें बीता। चर्च ने जब उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने के लिए काम सौपे तो ग्रेगोरि ने हेराफेरि का धन्दा शुरु कर दिया, जिस वजह से वे चर्च की देखरेख से बाहर हो गये। उसके बाद वे चोरी या उस तरह केअन्य गैरकानूनी काम करते रहें और जेल जाते रहें। १९५१ में ग्रेगोरिके साथ एक दिन अचानक ऐलन गिंसबर्गका परिचय हुया। गिंसबर्ग यह जान कर आशचर्यचकित हुये कि बार-बार जेल जाने वाला यह युवक कविता लिखा करता है। ग्रेगोरि की कवितायों को गिंसबर्गने लघु पत्रिका सम्पादकों को भेजा और तभी से ग्रेगोरी का कविता लिखने का सिलसिला शुरु हुया। उनकी पहला पुस्तक दि भेसटेल लेडि औन ब्रैटल हार्वर्ड विश्वविद्यालय के आवासिकों ने प्रकाशित किया था जब ग्रेगोरिके कविता से मोहित होकर वे लोग उनको कविता पढने के लिये आह्वान किये थे। .

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गैरी स्नाइडर

गैरी स्नाइडर (८ मई १९३०) अमेरिकी बीट जनरेशन तथा सनफ्रान्सिसको रेनेसाँस के कवि, आलोचक और परिवेशवादी हैं। कविताके लिये उनको पुलित्जर पुरस्कारसे नवाजा गया है। वे प्राचीन चीनि भाषा तथा आधुनिक जापानि कविताके आनुवादक भी हैं। उनका मनन-चिन्तन जेन बौद्ध धर्मसे प्रभावित है। ऐलन गिंसबर्गसे पहले वे भारत आ चुके हैं। भारत भ्रमण पर उनके पुस्तक का नाम है पैसेज थ्रु इनडिया। उनके उस समय के पत्नी जोयाने कयगर ने भी एक स्मृतिलेख लिखे हैं जिसका नाम है स्ट्रेंज बिग मुन: जापान ऐन्ड इनडिया जर्नलस। .

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