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दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल

सूची दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल

दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल अथवा जे पी सेतु (लोकनायक जय प्रकाश नारायण सेतु), गंगा पर बना पुल है जो पटना और सोनपुर को जोड़ता है। इसकी लम्बाई 4,556 मीटर है। दीघा-गाँधी मैदान सड़क से दीघा सड़क सेतु की दूरी 1.7 किलोमीटर है। दीघा सह सम्पर्क पथ छह लेन का है। दीघा सड़क सेतु के 2.56 कि॰मी॰ लम्बे सोनपुर एप्रोच के लिए जमीन मालिकों की आपसी सहमति से उनकी जमीन का 99 साल के लिए अनवरत लीज/ परपीचुअल लीज (Perpetual lease) रजिस्टर्ड एग्रीमेण्ट कर सरकार ने उन्हें जमीन की कीमत का चौगुनी मुआवजा देकर एग्रीमेण्ट किया है। सोनपुर एप्रोच के 600 मीटर दूरी में एलिवेटेड स्ट्रक्चर है। 2.56 कि॰मी॰ सोनपुर एप्रोच में सारण जिला के गंगाजल, चौसिया, भरपुरा और सुलतानपुर गाँव की जमीन है। जेपी सेतु को नेशनल हाइवे-19 से हाजीपुर-छपरा फोर लेन सड़क से जोड़ा जायेगा। एम्स दीघा एलिवेटेड रोड (12.4 किमी लंबा), गंगा पाथ वे (21.1 किमी) और जेपी सेतु (4.5 किमी)- गांधी सेतु से मिलकर यह एक ऐसा थ्रू वे(threeway) बनाएगा, जिससे सोनपुर की तरफ से आसानी से पश्चिमी पटना, फुलवारीशरीफ और एम्स पटना पहुंच जायेगा। इसके बन जाने से दीदारगंज, पटना सिटी, गुलजारबाग, व गायघाट जैसे सुदुर पूर्वी क्षेत्र के व्यक्ति को दीघा, दानापुर, खगौल, फुलवारीशरीफ, एम्स व जानीपुर जैसे सुदुर पश्चिमी क्षेत्रों में जाने-आने के लिए गांधी मैदान या पटना जंक्शन आने-जाने और शहर की मुख्य ट्रैफिक व्यवस्था पर दबाव बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। .

26 संबंधों: ऍच॰ डी॰ देवगौड़ा, एम्स पटना, दानापुर, दीघा ब्रिज हॉल्ट रेलवे स्टेशन, नरेन्द्र मोदी, नितीश कुमार, पटना, पाटलिपुत्र जंक्शन रेलवे स्टेशन, फुलवारीशरीफ, बान्द्रा-वर्ली समुद्रसेतु, बेगूसराय, भोजपुर (बिहार), महात्मा गाँधी सेतु, राजेन्द्र सेतु, सारन जिला, सेतु, सोनपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन, सोनपुर, बिहार, विक्रमशिला सेतु, वैशाली, खगौल, गंगा नदी, आरा-छपरा सेतु, इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड, कोइलवर पुल, अशोक राजपथ

ऍच॰ डी॰ देवगौड़ा

हरदनहल्ली डोडेगौडा देवगौडा (कन्नड़: ಹರದನಹಳ್ಳಿ ದೊಡ್ಡೇಗೌಡ ದೇವೇಗೌಡ) (जन्म १८ मई १९३३) भारत के बारहवें प्रधानमंत्री थे। उनका कार्यकाल सन् १९९६ से १९९७ तक रहा। इसके पूर्व १९९४ से १९९६ तक वे कर्नाटक राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे। .

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एम्स पटना

ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज पटना (एम्स पटना) (आधिकारिक तौर पर जयप्रकाश नारायण ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) पटना, बिहार, भारत में स्थित एक मेडिकल कॉलेज और मेडिकल रिसर्च पब्लिक यूनिवर्सिटी है। संस्थान स्वायत्तता से स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन काम करेगा और पारिवारिक कल्याण (भारत)। हालांकि 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान-350 करोड़ परियोजना (2004 अनुमान) के लिए आधारशिला रखी गई थी, केंद्र में बिजली बदलाव के कारण परियोजना में देरी हुई थी और इसकी लागत 5 3.35 अरब (51 मिलियन अमरीकी डालर) से बढ़कर billion 8.5 बिलियन (यूएस $ 130 मिलियन) तक बढ़ी। एम्स, पटना, आठ साल से अधिक समय तक निर्माणाधीन है। तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने 3 जनवरी 2004 को इसकी नींव रखी थी। 2004 में, केंद्र सरकार ने ऋषिकेश, भोपाल, पटना, जोधपुर, भुवनेश्वर और रायपुर में नई एम्स स्थापित करने का फैसला किया था। बिहार में संस्थान जैसे दूसरे एम्स की स्थापना 2015 के केंद्रीय बजट में घोषित की गई थी। सहारसा में दूसरा एम्स आने की संभावना है। .

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दानापुर

दानापुर भारत के बिहार प्रांत का एक प्रमुख नगर है जो पटना के निकट स्थित है। यह एक प्रमुख रेल केंद्र, भारतीय थलसेना की दानापुर छावनी भी है। दानापुर "दीनापुर निज़ामत" भी कहलाता है। दानापुर को 1887 में नगरपालिका बनाया गया। .

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दीघा ब्रिज हॉल्ट रेलवे स्टेशन

दीघा ब्रिज हॉल्ट, स्टेशन कोड DGBH, बिहार के पटना के पश्चिम में एक रेलवे स्टेशन है। स्टेशन, जो पूर्वमध्य रेलवे द्वारा संचालित है और दानापुर रेलवे डिवीजन द्वारा प्रबंधित है, पटना-सोनपुर-हाजीपुर खंड पर है। 2.5 करोड़ की लागत से निर्मित इस हॉल्ट के प्लेटफार्म की लंबाई 400 मीटर है। यात्रियों की सुविधा के लिए यहां दो हैंडपंप और 5 शेड लगाए गए हैं। .

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नरेन्द्र मोदी

नरेन्द्र दामोदरदास मोदी (નરેંદ્ર દામોદરદાસ મોદી Narendra Damodardas Modi; जन्म: 17 सितम्बर 1950) भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री हैं। भारत के राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें 26 मई 2014 को भारत के प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलायी। वे स्वतन्त्र भारत के 15वें प्रधानमन्त्री हैं तथा इस पद पर आसीन होने वाले स्वतंत्र भारत में जन्मे प्रथम व्यक्ति हैं। वडनगर के एक गुजराती परिवार में पैदा हुए, मोदी ने अपने बचपन में चाय बेचने में अपने पिता की मदद की, और बाद में अपना खुद का स्टाल चलाया। आठ साल की उम्र में वे आरएसएस से  जुड़े, जिसके साथ एक लंबे समय तक सम्बंधित रहे । स्नातक होने के बाद उन्होंने अपने घर छोड़ दिया। मोदी ने दो साल तक भारत भर में यात्रा की, और कई धार्मिक केंद्रों का दौरा किया। गुजरात लौटने के बाद और 1969 या 1970 में अहमदाबाद चले गए। 1971 में वह आरएसएस के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। 1975  में देश भर में आपातकाल की स्थिति के दौरान उन्हें कुछ समय के लिए छिपना पड़ा। 1985 में वे बीजेपी से जुड़े और 2001 तक पार्टी पदानुक्रम के भीतर कई पदों पर कार्य किया, जहाँ से वे धीरे धीरे वे सचिव के पद पर पहुंचे।   गुजरात भूकंप २००१, (भुज में भूकंप) के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के असफल स्वास्थ्य और ख़राब सार्वजनिक छवि के कारण नरेंद्र मोदी को 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। मोदी जल्द ही विधायी विधानसभा के लिए चुने गए। 2002 के गुजरात दंगों में उनके प्रशासन को कठोर माना गया है, की आलोचना भी हुई।  हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) को अभियोजन पक्ष की कार्यवाही शुरू करने के लिए कोई है। मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी नीतियों को आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए । उनके नेतृत्व में भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा और 282 सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। एक सांसद के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी एवं अपने गृहराज्य गुजरात के वडोदरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दोनों जगह से जीत दर्ज़ की। इससे पूर्व वे गुजरात राज्य के 14वें मुख्यमन्त्री रहे। उन्हें उनके काम के कारण गुजरात की जनता ने लगातार 4 बार (2001 से 2014 तक) मुख्यमन्त्री चुना। गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त नरेन्द्र मोदी विकास पुरुष के नाम से जाने जाते हैं और वर्तमान समय में देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से हैं।। माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर भी वे सबसे ज्यादा फॉलोअर वाले भारतीय नेता हैं। उन्हें 'नमो' नाम से भी जाना जाता है। टाइम पत्रिका ने मोदी को पर्सन ऑफ़ द ईयर 2013 के 42 उम्मीदवारों की सूची में शामिल किया है। अटल बिहारी वाजपेयी की तरह नरेन्द्र मोदी एक राजनेता और कवि हैं। वे गुजराती भाषा के अलावा हिन्दी में भी देशप्रेम से ओतप्रोत कविताएँ लिखते हैं। .

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नितीश कुमार

नीतीश कुमार (जन्म १ मार्च १९५१, बख्तियारपुर, बिहार, भारत) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो बिहार के मुख्य मंत्री हैं, 2017 के बाद से पूर्वी भारत में एक राज्य है। इससे पहले उन्होंने 2005 से 2014 तक बिहार के मुख्यमंत्री और 2015 से 2017; उन्होंने भारत सरकार के एक मंत्री के रूप में भी सेवा की। वह जनता दल यू राजनीतिक दल के प्रमुख नेताओं में से हैं। उन्होंने खुद को बिहारीओं के साथ मिलकर पिछली सरकारों से कम उम्मीदों का सामना किया, जब मुख्यमंत्री के रूप में, उनकी समाजवादी नीतियों ने 100,000 से अधिक स्कूल शिक्षकों को नियुक्त करने में लाभांश दिया, यह सुनिश्चित करना कि डॉक्टर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में काम करते हैं, गांवों के विद्युतीकरण, सड़कों पर, आधे से मादा निरक्षरता को काटने, अपराधियों पर टूटकर और औसत बिहारी की आय को दोगुना करके एक अराजक अवस्था में बदल दिया। उस अवधि के लिए अन्य राज्यों की तुलना में मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान बिहार के जीडीपी का संचयी विकास दर सर्वोच्च है। 17 मई 2014 को उन्होंने भारतीय आम चुनाव, 2014 में अपने पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी संभालने से इस्तीफा दे दिया और वह जीतन राम मांझी के पद पर रहे। हालांकि, वह बिहार में राजनीतिक संकट से फरवरी 2015 में कार्यालय में लौट आया और नवंबर 2015 की बिहार विधान सभा चुनाव,२०१५ जीता। वह 10 अप्रैल 2016 को अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए। 2019 के आगामी चुनाव में सहित कई राजनेताओं लालू यादव, तेजसवी यादव और अन्य ने भारत में प्रधान मंत्री पद के लिए उन्हें प्रस्तावित किया हालांकि उन्होंने ऐसी आकांक्षाओं से इनकार किया है उन्होंने 26 जुलाई, 2017 को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में गठबंधन सहयोगी आरजेडी के बीच मतभेद के साथ फिर से इस्तीफा दे दिया था, सीबीआई द्वारा एफआईआर में उपमुख्यमंत्री और लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव के नामकरण के कारण। कुछ घंटे बाद, वह एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए, जो इस प्रकार अब तक विरोध कर रहे थे, और विधानसभा में बहुमत हासिल कर लेते थे, अगले दिन ही मुख्यमंत्री पद का त्याग कर रहे थे। .

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पटना

पटना (पटनम्) या पाटलिपुत्र भारत के बिहार राज्य की राजधानी एवं सबसे बड़ा नगर है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्राचीन नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है। अपने आप में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है। ईसा पूर्व मेगास्थनीज(350 ईपू-290 ईपू) ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है। पलिबोथ्रा (पाटलिपुत्र) जो गंगा और अरेन्नोवास (सोनभद्र-हिरण्यवाह) के संगम पर बसा था। उस पुस्तक के आकलनों के हिसाब से प्राचीन पटना (पलिबोथा) 9 मील (14.5 कि॰मी॰) लम्बा तथा 1.75 मील (2.8 कि॰मी॰) चौड़ा था। पटना बिहार राज्य की राजधानी है और गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है। जहां पर गंगा घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है। सोलह लाख (2011 की जनगणना के अनुसार 1,683,200) से भी अधिक आबादी वाला यह शहर, लगभग 15 कि॰मी॰ लम्बा और 7 कि॰मी॰ चौड़ा है। प्राचीन बौद्ध और जैन तीर्थस्थल वैशाली, राजगीर या राजगृह, नालन्दा, बोधगया और पावापुरी पटना शहर के आस पास ही अवस्थित हैं। पटना सिक्खों के लिये एक अत्यंत ही पवित्र स्थल है। सिक्खों के १०वें तथा अंतिम गुरु गुरू गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हीं हुआ था। प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं। पटना एवं इसके आसपास के प्राचीन भग्नावशेष/खंडहर नगर के ऐतिहासिक गौरव के मौन गवाह हैं तथा नगर की प्राचीन गरिमा को आज भी प्रदर्शित करते हैं। एतिहासिक और प्रशासनिक महत्व के अतिरिक्त, पटना शिक्षा और चिकित्सा का भी एक प्रमुख केंद्र है। दीवालों से घिरा नगर का पुराना क्षेत्र, जिसे पटना सिटी के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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पाटलिपुत्र जंक्शन रेलवे स्टेशन

पाटलिपुत्र जंक्शन, स्टेशन कोड PPTA, बिहार के पटना के पश्चिम अंत में रुकानपुरा क्षेत्र में एक रेलवे स्टेशन है। स्टेशन, जो पूर्वमध्य रेलवे द्वारा संचालित है और दानापुर रेलवे डिवीजन द्वारा प्रबंधित है, पटना-सोनपुर-हाजीपुर खंड पर है। पटना जंक्शन के 12 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित, मुख्य रूप से शहर के अन्य दो रेलवे स्टेशनों पर दबाव कम करने के लिए विकसित किया गया है, जिसके माध्यम से लगभग 350 ट्रेनें रोजाना गुजरती हैं। यह बेली रोड के निकट स्थित है, पटना में एक महत्वपूर्ण पश्चिमी मार्ग। पटना नई दिल्ली और कोलकाता के बीच स्थित है, जो भारत में सबसे व्यस्त रेल मार्गों में से एक है। शहर एक प्रमुख रेलवे हब है और छह प्रमुख स्टेशन हैं: पाटलिपुत्र जंक्शन, पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन, राजेंद्रनगर टर्मिनल, गुलजारबाग स्टेशन, दानापुर स्टेशन, और पटना साहिब स्टेशन। जनवरी 2016 में, भारत का सबसे लंबा सड़क-सह-रेल पुल का निर्माण, दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल, गंगा के तट पर पूरा हुआ और पटना से भरपुरा पहलेजा घाट (सोनपुर) तक पहुंच गया। यह पुल 4.55 किलोमीटर (2.83 मील) लंबा है और इसलिए, भारत में सबसे लंबा सड़क-सह-रेल पुल और साथ ही दुनिया में सबसे लंबे समय तक एक है। .

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फुलवारीशरीफ

फुलवारी शरीफ़ (پھلواری شریف, Phulwari Sharif) बिहार स्थित पटनाके आसपास का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। यह १३वीं शताब्दी में इस्लाम धर्म के प्रमुख स्थापित केन्द्र हैं जो हजरत मखदूम शाह द्वारा स्थापित खानकाह है। यहाँ मुस्लिमों के पैगम्बर मुहम्मद की स्मृति में शरीफ रवि उल औवेल में मनाया जाता है। .

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बान्द्रा-वर्ली समुद्रसेतु

बांद्रा-वर्ली समुद्रसेतु (आधिकारिक राजीव गांधी सागर सेतु) ८-लेन का, तार-समर्थित कांक्रीट से निर्मित पुल है। यह बांद्रा को मुम्बई के पश्चिमी और दक्षिणी (वर्ली) उपनगरों से जोड़ता है और यह पश्चिमी-द्वीप महामार्ग प्रणाली का प्रथम चरण है। १६ अरब रुपये (४० करोड़ $) की महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम की इस परियोजना के इस चरण को हिन्दुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा पूरा किया गया है। इस पुल का उद्घाटन ३० जून, २००९ को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन प्रमुख श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा किया गया लेकिन जन साधारण के लिए इसे १ जुलाई, २००९ को मध्य-रात्रि से खोला गया। साढ़े पांच किलोमीटर लंबे इस पुल के बनने से बांद्रा और वर्ली के बीच यात्रा में लगने वाला समय ४५ मिनट से घटकर मात्र ६-८ मिनट रह गया है। इस पुल की योजना १९८० के दशक में बनायी गई थी, किंतु यह यथार्थ रूप में अब जाकर पूर्ण हुआ है। यह सेतु मुंबई और भारत में अपने प्रकार का प्रथम पुल है। इस सेतु-परियोजना की कुल लागत १६.५० अरब रु है। इस पुल की केवल प्रकाश-व्यवस्था करने के लिए ही ९ करोड़ रु का व्यय किया गया है। इसके कुल निर्माण में ३८,००० कि.मी इस्पात रस्सियां, ५,७५,००० टन कांक्रीट और ६,००० श्रमिक लगे हैं। इस सेतु में लगने वाले इस्पात के खास तारों को चीन से मंगाया गया था। जंग से बचाने के लिए इन तारों पर खास तरह का पेंट लगाने के साथ प्लास्टिक के आवरण भी चढ़ाए गए हैं। अब तैयार होने पर इस पुल से गुजरने पर यात्रियों को चुंगी (टोल) कर देना तय हुआ है। यह चुंगी किराया प्रति वाहन ४०-५० रु तक होगा। इस पुल की कुल ७ कि.मी (ढान सहित) के यात्रा-समय में लगभग १ घंटे की बचत और कई सौ करोड़ वाहन संचालन व्यय एवं ईंधन की भी कटौती होगी। इस बचत को देखते हुए इसकी चुंगी नगण्य है। प्रतिदिन लगभग सवा लाख वाहन इस पुल पर से गुजरेंगे। File:Bandra_Worli_Sea_Link_at_night.jpg|रात्रि दृश्य File:Sealinkup.JPG|माहिम से दृश्य File:Bandra-Worli_Sea_Link_8.jpg|दूर-दृश्य .

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बेगूसराय

बेगूसराय बिहार प्रान्त का एक जिला है। बेगूसराय मध्य बिहार में स्थित है। १८७० ईस्वी में यह मुंगेर जिले के सब-डिवीजन के रूप में स्थापित हुआ। १९७२ में बेगूसराय स्वतंत्र जिला बना। .

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भोजपुर (बिहार)

भोजपुर भारत प्रांत के बिहार राज्य का एक जिला है। इसका मुख्यालय आरा है। पहले ये जिला शाहाबाद का हिस्सा था। सन् 1972 में इसको बांटकर रोहतास नामक अलग जिला बना दिया गया।http://bhojpur.bih.nic.in/ भोजपुर जिले के निवासियों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। बिहार की राजधानी पटना से चालीस किलोमीटर की दूरी पर बसा भोजपुर जिला ऐतिहासिक महत्व रखता है। मुख्यालय आरा भोजपुर का एक प्राचीन नगर है। यहां कई दर्शनीय मंदिर हैं। आरण्य देवी इस शहर की आराध्य देवी हैं। जैन समाज के भी कई प्रसिद्ध मंदिर यहां है। भोजपुर में ही है जगदीशपुर, जहां के बाबू कुंवर सिंह ने पहले स्वतंत्रता संग्राम 1857 की क्रांति में अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व किया था। भोजपुर जिले में पीरो और जगदीशपुर नामक दो अनुमंडल और तेरह प्रखण्ड है। भोजपुर की सीमा तीन तरफ से नदियों से घिरी है जिसमें मुख्य रूप उत्तर, पूर्व और कुछ भाग दक्षिण का है। जिले के उतर में गंगा नदी, पूर्व में सोन इसकी प्राकृतिक सीमा निर्धारित करते हैं। दक्षिण में रोहतास और पश्चिम में बक्सर जिले की सीमा मिलती है। आरा देश के बाकी हिस्सों से ट्रेन और सड़क मार्ग से भी जुड़ा है। वीर कुंवर सिंह के नाम पर विश्वविद्यालय है। कई उच्चस्तरीय कॉलेज और स्कूल जिले की शैक्षणिक पहचान दिलाते हैं। हर प्रसाद दास जैन कॉलेज, महाराजा कॉलेज, सहजानंद ब्रह्मर्षि कॉलेज, जगजीवन कॉलेज, महंत महादेवानंद महिला कॉलेज प्रमुख कॉलेज हैं। श्रेणी:बिहार के जिले.

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महात्मा गाँधी सेतु

महात्मा गाँधी सेतु। महात्मा गांधी सेतु पटना से हाजीपुर को जोड़ने को लिये गंगा नदी पर उत्तर-दक्षिण की दिशा में बना एक पुल है। यह दुनिया का सबसे लम्बा, एक ही नदी पर बना सड़क पुल है। इसकी लम्बाई 5,750 मीटर है। भारत की प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने इसका उद्घाटन मई 1982 में किया था। इसका निर्माण गैमोन इंडिया लिमिटेड ने किया था। वर्तमान में यह राष्ट्रीय राजमार्ग 19 का हिस्सा है। .

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राजेन्द्र सेतु

राजेन्द्र सेतु/ मोकामा पुल - लगभग दो किलोमीटर लंबा यह पुल गंगा नदी पर बना बिहार का रेल-सह-सड़क पुल है, जो उत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़ता है। पुल का स्थान मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या के काम पर आधारित था, जो उस समय 90 वर्ष से अधिक पुराना था। पटना जिले के हैथिदाह के पास सड़क-सह-रेल पुल का उद्घाटन 1 9 5 9 में भारत के प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और बिहार के पहले मुख्यमंत्री डॉ श्रीकृष्ण सिंह ने किया था। पुल का निर्माण ब्राथवाइट, बर्न एंड जेसॉप कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किया गया था। यह लगभग 2 किलोमीटर (1.2 मील) लंबा है और इसमें दो लेन वाली सड़क और एक लाइन रेलवे ट्रैक है। राजेंद्र सेतु के लिए एक नए समांतर रेलवे पुल का निर्माण 12 मार्च 2016 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। नया 1.9 किमी रेलवे पुल फरवरी 2021 तक परिचालित होने वाला है। नए पुल के निर्माण के लिए अनुबंध आवंटित किया गया था इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (आईआरकॉन)। .

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सारन जिला

सारण भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त में स्थित एक प्रमंडल (कमिशनरी) एवं जिला है। यहाँ का प्रशासनिक मुख्यालय छपरा है। गंगा, गंडक एवं घाघरा नदी से घिरा यह जिला भारत में मानव बसाव के सार्वाधिक प्राचीन केंद्रों में एक है। संपूर्ण जिला एक समतल एवं उपजाऊ प्रदेश है। भोजपुरी भाषी क्षेत्र की पूर्वी सीमा पर स्थित यह जिला सोनपुर मेला, चिरांद पुरातत्व स्थल एवं राजनीतिक चेतना के लिए प्रसिद्ध है। .

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सेतु

thumb सेतु एक प्रकार का ढाँचा जो नदी, पहाड़, घाटी अथवा मानव निर्मित अवरोध को वाहन या पैदल पार करने के लिये बनाया जाता है। .

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सोनपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन

सोनपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन, स्टेशन कोड SEE, भारतीय राज्य बिहार के सारण जिले में स्थित एक रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे के उत्तर पूर्वी संभाग में पड़ता हैं एवं सोनपुर शहर एवं पटना के आस पास रहने वाले लोग इस स्टेशन का ज्यादातर प्रयोग करते हैं। यह शहर घाघरा और गंगा नदी के पास स्थित है। .

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सोनपुर, बिहार

सोनपुर सारण, बिहार का एक शहर है। वर्ष 1991 में सोनपुर को अनुमंडल का दर्जा मिला। वर्ष 2002 में सोनपुर नगर पंचायत गठित हुआ। सोनपुर में डाकबंगला मैदान है। सोनपुर अनुमंडल के अधीन पाँच प्रखंडों- दिघवारा, सोनपुर, परसा, मकेर और दरियापुर- के हजारों गाँवों में रहने वाले लाखों लोगों को आने वाले समय में निर्बाध बिजली का लाभ मिलेगा। पंडित दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत डेरनी, नयागाँव, रमसापुर व अकिलपुर में विद्युत सब स्टेशन बनाये जायेंगे।.

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विक्रमशिला सेतु

विक्रमशिला सेतु भारतीय धर्म बिहार के भागलपुर के पास गंगा में एक पुल है, जिसका नाम विक्रमाशिला के प्राचीन महाविहार के नाम पर रखा गया था, जिसे राजा धर्मपाल (783 से 820 एडी) द्वारा स्थापित किया गया था। विक्रमशिला सेतु भारत में पानी पर 5 वां सबसे लंबा पुल है। 4.7 किमी लंबा दो लेन पुल गंगा के विपरीत किनारे पर चल रहे एनएच 80 और एनएच 31 के बीच एक लिंक के रूप में कार्य करता है। यह गंगा के दक्षिण तट पर भागलपुर की तरफ बरारी घाट से उत्तर बैंक पर नवगछिया तक चलता है। यह भागलपुर को पूर्णिया और कैथीर से भी जोड़ता है। इसने भागलपुर और गंगा में स्थानों के बीच सड़क यात्रा दूरी को काफी कम कर दिया है। जून 2018 में, 4,37 9.01 करोड़ रुपये के व्यय के साथ, विक्रमशिला रेलवे स्टेशन और कटारिया रेलवे स्टेशन (नवगछिया रेलवे स्टेशन के पास) के बीच एक और 24 किमी लंबी विक्रमशिला -कटरिया गंगा ब्रिज (पीरपैती-नवगछिया) को मंजूरी दे दी गई थी। वाई आकार में ब्रिज के दोनों तरफ से रेल लाइन मिलेगी। उत्तर में कटरिया और नवगछिया तथा दक्षिण में विक्रमशिला और शिवनारायणपुर स्टेशन की तरफ लाइन जुड़ेगी। .

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वैशाली

वैशाली बिहार प्रान्त के वैशाली जिला में स्थित एक गाँव है। ऐतिहासिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध यह गाँव मुजफ्फरपुर से अलग होकर १२ अक्टुबर १९७२ को वैशाली के जिला बनने पर इसका मुख्यालय हाजीपुर बनाया गया। वज्जिका यहाँ की मुख्य भाषा है। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानि "रिपब्लिक" कायम किया गया था। भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलम्बियों के लिए वैशाली एक पवित्र स्थल है। भगवान बुद्ध का इस धरती पर तीन बार आगमन हुआ, यह उनकी कर्म भूमि भी थी। महात्मा बुद्ध के समय सोलह महाजनपदों में वैशाली का स्थान मगध के समान महत्त्वपूर्ण था। अतिमहत्त्वपूर्ण बौद्ध एवं जैन स्थल होने के अलावा यह जगह पौराणिक हिन्दू तीर्थ एवं पाटलीपुत्र जैसे ऐतिहासिक स्थल के निकट है। मशहूर राजनर्तकी और नगरवधू आम्रपाली भी यहीं की थी| आज वैशाली पर्यटकों के लिए भी बहुत ही लोकप्रिय स्थान है। वैशाली में आज दूसरे देशों के कई मंदिर भी बने हुए हैं। .

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खगौल

खगौल भारत के बिहार प्रांत का एक शहर है। बिहार राज्य की राजधानी पटना (प्राचीन पाटलिपुत्र) के निकट सुप्रसिद्ध दानापुर रेलवे स्टेशन के उत्तर दक्षिण पूर्व और पश्चिम चारों तरफ का क्षेत्र खगौल के नाम से प्रसिद्ध है | दानापुर रेलवे स्टेशन से सटे दक्षिण चक्रदाहा क्षेत्र में आर्यभट्ट की खगोलीय वेधशाला (एस्ट्रोनोमिकल ऑब्जर्वेटरी) के स्थित होने के कारण ही इस क्षेत्र का नामकरण खगोल हुआ, जो वर्तमान में खगोल शब्द के अपभ्रंश खगौल के नाम से प्रसिद्ध है | यहीं बैठकर आर्यभट ने विश्वप्रसिद्ध ग्रन्थ आर्यभटीय की रचना की थी तथा शून्य के सिद्धांत का आविष्कार किया था | यहीं बैठकर आर्यभट्ट ने बीजगणित (अलजेबरा), रेखागणित (ज्योमेट्री) एवं त्रिकोणमिति (ट्रिगोनोमेट्री) के मूल सिद्धांतों की रचना की थी तथा पांचवीं शताब्दी में सर्वप्रथम पाई का मान निकाला था जो आज भी मान्य है| प्राचीन काल में सुप्रसिद्ध सोन नदी इसी क्षेत्र से होकर बहते हुए दानापुर में जाकर गंगा से मिलती थी | वर्तमान चक्रदाहा से नवरतनपुर के बीच प्राचीन सोन नदी के किनारे मगध साम्राज्य के प्रधानमंत्री सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री चाणक्य की तपस्थली कुटिया थी, जहां चौथी शताब्दी ईसापूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य से प्रारंभिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्राप्त किया था | चाणक्य शिष्य चंद्रगुप्त ने मगध के क्रूर शासक धनानंद को पराजित कर विश्व के सबसे शक्तिशाली, सबसे प्रभुत्वशाली एवं सबसे विकसित विश्वविख्यात मगध साम्राज्य की स्थापना की तथा सिकंदर और उसके सेनापति सेल्युकस को हराकर वर्तमान भारत पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान समेत ईरान तक मगध साम्राज्य का विस्तार किया | चाणक्य का समाधिस्थल चाणक्य चबूतरा आज भी विद्यमान है | दानापुर रेलवे स्टेशन से उत्तर कैन्ट रोड के किनारे मुस्तफापुर में 1901 ई० में स्थापित वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल बीसवीं शताब्दी के प्रथम आधुनिक गुरुकुल के रूप में विश्वप्रसिद्ध रहा है | दानापुर रेल मंडल कार्यालय, इरिगेशन रिसर्च इंस्टीच्युट, वाटर एंड लैंड मैनेजमेंट इंस्टीच्यूट (वाल्मी), ऑल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज (एम्स पटना), एन०सी०घोष इंस्टीच्यूट, जगजीवन स्टेडियम राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हैं | महान शिक्षाविद, चिकित्सक, चिकित्सा वैज्ञानिक, स्वतंत्रता सेनानी, आर्यसमाज के अग्रणी नेता महामंत्री पंडित हरिनारायण शर्मा (1862 - 1962) द्वारा सन 1901 ई० में स्थापित तथा सन 1915 ई० में विस्तारित वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल, मुस्तफापुर, कैन्ट रोड, खगौल, पटना (बिहार) बीसवीं शताब्दी के प्रथम आधुनिक गुरुकुल के रूप में विश्वप्रसिद्ध रहा है | वैदिक अध्ययन, गणित, विज्ञान, खगोलशास्त्र, आयुर्वेद, दर्शनशास्त्र, ज्योतिष, नाड़ीविज्ञान, साहित्य, व्याकरण, धनुर्विद्या तलवारबाजी, निशानेबाजी, खेल प्रशिक्षण, वक्तृत्वकला नेतृत्व प्रशिक्षण आदि की श्रेष्ठ व्यवस्था के कारण देश - विदेश के लोग यहाँ आकर शिक्षा प्राप्त करते थे | अनेकों सुप्रसिद्ध डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफ़ेसर, डायरेक्टर, वक्ता, अधिवक्ता, न्यायाधीश, मंत्री, मुख्यमंत्री के आदर्श व्यक्तित्व का निर्माता यह गुरुकुल अत्याधुनिक शिक्षा चिकित्सा छात्रावास सुविधायुक्त प्राथमिक से स्नातकोत्तर स्तर की संस्कारयुक्त शिक्षा हेतु प्रसिद्ध रहा है | स्वतंत्रता आन्दोलन एवं समाजसुधार आन्दोलन का यह सुप्रसिद्ध केन्द्र रहा है | करीब चार एकड़ क्षेत्र में विस्तृत चौतरफा चहारदीवारीयुक्त इस गुरुकुल के दक्षिणी भाग में छात्रावासभवन, मध्यपूर्व में यज्ञशाला, सुदूर पूर्व में औषधि निर्माणकेन्द्र एवं रसोईघर, मध्यपश्चिम में अवस्थित आयुर्वेदिक चिकित्सालय, उत्तरपश्चिम में प्रशासनिक एवं शैक्षणिक भवन तथा बीच में खेल का मैदान अवस्थित था | प्राथमिक स्तर से स्नातकोत्तर स्तर की उच्च स्तरीय शिक्षा व्यवस्था एवं सम्पूर्ण शिक्षा पद्धति हेतु यह गुरुकुल विश्वविख्यात रहा है | वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल में सम्पूर्ण शिक्षा पद्धति के विषय थे - धर्मविज्ञान, न्यायविधिविज्ञान योगविज्ञान, भाषाविज्ञान प्रकृतिविज्ञान, समाजविज्ञान, गणित, सैन्यविज्ञान, व्यावसायिकशिक्षा, नेतृत्वप्रशिक्षण | सन 1926 ई० में मुस्तफापुर स्थित वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल के उच्च शिक्षा विभाग को देवघर में स्थानांतरित किया गया, जहां वह करीब अस्सी एकड़ भुक्ल्हंद में विस्तृत “गुरुकुल महाविद्यालय बैद्यनाथधाम, देवघर” के नाम से प्रसिद्ध है | पंडित हरि नारायण शर्मा की प्रेरणा और सक्रिय सहयोग से 1902 ई० में उनके परम सहयोगी आर्य समाजी मित्र स्वामी श्रद्धानंद द्वारा हरिद्वार में “गुरुकुल कांगड़ी विश्व विद्यालय” की स्थापना की गयी तथा सन 1916 ई० में पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा “बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय’ की स्थापना की गयी | उन्होंने लाला हंसराज, गुरुदत्त विद्यार्थी, लाला लाजपत राय के साथ मिलकर सन 1886 ई० में लाहौर में प्रथम ‘डी०ए०वी० स्कूल’ एवं डी०ए०वी० कॉलेज की स्थापना में सक्रिय सहयोग दिया | इस गुरुकुल के संस्थापक सचिव पं० हरिनारायण शर्मा के 1962 ई० में स्वर्गवास, उनके शिक्षाविद पुत्र पं०वेद व्रत शर्मा का पृथ्वीराज कपूर के साथ मुंबई प्रवास एवं 1966 ई० में स्वर्गवास तथा पौत्र ब्रज बल्लभ शर्मा के अन्यत्र कार्यरत रहने एवं सरकारी उपेक्षा के कारण यहाँ की उच्चस्तरीय शिक्षा बाधित हुई | इसके दक्षिणी भाग में अभी मध्यविद्यालय कार्यरत है | पं० हरिनारायण शर्मा के प्रपौत्र कृष्ण बल्लभ शर्मा ‘योगीराज’ (अधिवक्ता, पटना उच्च न्यायालय) द्वारा गुरुकुल के जीर्णोद्धार एवं विकास का प्रयास निरंतर जारी है | बिहार सरकार द्वारा संचालित प्रसिद्ध शोध संस्थान के० पी० जायसवाल रीसर्च इंस्टीच्युट, पटना संग्रहालय भवन, बुद्ध मार्ग, पटना द्वारा प्रकाशित “कॉम्प्रिहेंसिव हिस्ट्री ऑफ बिहार” के वोल्यूम – ३, पार्ट – २, पृष्ठ – २९, ३१, ३७ में पंडित हरि नारायण शर्मा की कुछ कीर्ति सहित उपरोक्त वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल का ऐतिहासिक स्वरुप वर्णित है |  महान शिक्षाविद, चिकित्सक, चिकित्सा वैज्ञानिक, स्वतंत्रता सेनानी, आर्यसमाज के अग्रणी नेता महामंत्री पंडित हरिनारायण शर्मा (1862 - 1962) ने लाहौर जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त किये थे | लाला लाजपत राय, नरदेव शास्त्री, मंगलदेव शास्त्री आदि सुप्रसिद्ध महान लोग लाहौर में उनके सहपाठी रहे थे | साइमन कमीशन के विरुद्ध आंदोलन में लाठीचार्ज से घायल अपने परम सहयोगी मित्र लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए उन्होंने चंद्रशेखर आजाद को वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल प्रांगण में रखकर सन १९२८ ई० में अंग्रेज सौन्डर्स को मारने की योजना को सफल बनाया | डॉ०राजेन्द्र प्रसाद, डॉ०दुखन राम, डॉ०बद्री प्रसाद, डॉ०मधुसूदन दास, लखन लाल पॉल, पारस नाथ, रमाकांत पांडे, अनुग्रह नारायण सिंह, श्रीकृष्ण सिंह, कृष्ण बल्लभ सहाय, सतीश चन्द्र मिश्रा, बलभद्र प्रसाद, चंद्रशेखर आजाद, पं०वेद व्रत शर्मा, पं०सत्य व्रत शर्मा, पं०प्रिय व्रत शर्मा, ताराकांत झा आदि महान विभूतियों के आदर्श व्यक्तित्व का निर्माता यह सुप्रसिद्ध ‘वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल’ रहा है | गुरुकुल का आदर्श था- ‘एक सुशिक्षित व्यक्ति 100 सेना के बराबर होता है |’ लालालाजपत राय, बालगंगाधर तिलक, नरदेव शास्त्री, मंगलदेव शास्त्री, डॉ०राजेन्द्र प्रसाद, पं०मदनमोहन मालवीय, जे०बी०कृपलानी, पृथ्वीराज कपूर आदि मानवता के महान विभूतियों का गुरुकुल में आगमन होता रहा है | पं०हरिनारायण शर्मा द्वारा प्रभावशाली व्यक्तित्व नेतृत्व प्रशिक्षण कोर्स हेतु सदाकत आश्रम पटना तथा आर्यसमाज मंदिर पटना- रांची में गुरुकुल की शाखा चलाई जाती थी | पं०हरिनारायण शर्मा एवं उनके सहयोगी मित्र लालालाजपत राय के सक्रिय सहयोग से उनके मित्र स्वामी श्रद्धानंद द्वारा 1902 में गुरुकुल कांगड़ी विव्श्वविद्यालय की स्थापना हुई, तदनंतर सन 1909 ई० में हिन्दू महासभा की स्थापना हुई | सन 1916 ई० में वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल में स्नातकोत्तर स्तर की शिक्षा प्रारम्भ की गयी | यहीं से सन 1916 ई० में पं०हरिनारायण शर्मा द्वारा मासिक पत्रिका ‘दिव्य रश्मि’ एवं ‘शाकद्वीपीय ब्राह्मण बंधू’ तथा सुप्रसिद्ध अखबार “आर्यावर्त” का प्रकाशन प्रारम्भ किया गया और “दिव्य आयुर्वेद” नाम से आयुर्वेदिक औषधि का उत्पादन प्रारम्भ किया गया | सम्पूर्ण बुद्धिजीवी वर्ण की एकता हेतु “ऑल इंडिया ब्राह्मण एसोसियेशन” का गठन किया गया | उनके द्वारा 1916 ई० में पुनपुन में तथा मुस्तफापुर में अपने पैतृक आवास के सामने 6000 वर्गफीट में दोमंजिला पक्का भवन बनाकर उसमें आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं आयुर्वेद शिक्षाकेन्द्र शुरू किया गया | पं०हरिनारायण शर्मा के सक्रिय सहयोग से उनके सहयोगी पं०मदनमोहन मालवीय द्वारा 1916 ई० में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी | 1926 में “गुरुकुल महाविद्यालय बैद्यनाथधाम” की स्थापना कर उसमें ‘वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल’ का उच्चतर शिक्षा विभाग स्थानांतरित कर दिया गया | पं०हरिनारायण शर्मा तथा उनके मित्र लालालाजपत राय, गुरुदत्त विद्यार्थी, स्वामी श्रद्धानंद आदि मिलकर 1886 ई० में लाहौर में प्रथम डी०ए०वी०स्कूल, डी०ए०वी०कॉलेज स्थापित किये | सन 1901 ई० में वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल की स्थापना के बाद देश भर में विभिन्न स्थानों पर डी०ए०वी०स्कूल, डी०ए०वी०कॉलेज तथा अनाथाश्रम, विधवाश्रम एवं गुरुकुल स्थापित करने का सिलसिला प्रारम्भ किया गया | 1915 ई०में पं०हरिनारायण शर्मा द्वारा 4000 मुसलमान एवं ईसाई लोगों को आर्यसमाज में शामिल करके एक नया विश्व इतिहास रच दिया गया | हिन्दू समाज में व्याप्त छुआछूत एवं जातिवाद की गंदी राजनीति का उन्होंने प्रबल विरोध किया तथा विधवा विवाह प्रथा को प्रोत्साहित किया | धर्मांतरण एवं समाज सुधार आंदोलन के विरोध की समाप्ति हेतु वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल में 1916 ई० में विश्वधर्मसभा (वर्ल्ड रेलीजीयस समिट) का आयोजन किया गया | 1938 ई० में उन्होंने हैदराबाद निजाम के विरुद्ध कॉंग्रेस जत्था का नतृत्व किया | सन 1929 ई० साइमन कमीशन के विरुद्ध आंदोलन में अंग्रेज पुलिस पदाधिकारी सौन्डर्स द्वारा लाहौर में किये गए लाठीचार्ज के कारण लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने हेतु चंद्रशेखर आजाद द्वारा वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल में क्रांतिकारियों की बैठक कर सौन्डर्स को मारने का निर्णय लिया गया और सौन्डर्स को मारकर लालालाजपत राय की मौत का बदला लिया गया | पं०हरिनारायण शर्मा के अन्यत्र व्यस्तता के कारण दरभंगा महाराजा सर कामेश्वर सिंह द्वारा 1941 में आर्यावर्त का पुनःप्रकाशन प्रारम्भ किया गया| पं० हरिनारायण शर्मा के पुत्र पं० वेद व्रत शर्मा सुप्रसिद्ध वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल के प्राचार्य, सुप्रसिद्ध शिक्षाविद, इतिहासकार, पत्रकार तथा अनेक शिक्षण संस्थानों के संस्थापक होने के साथ साथ अंगरेजी साहित्य के विश्व प्रसिद्द विद्वान रहे हैं | पं० वेद व्रत शर्मा जी के छोटे भाई पं० सत्य व्रत शर्मा 'सुजन'(पूर्व निदेशक, राजभाषा विभाग, बिहार सरकार) संस्कृत और हिन्दी साहित्य के राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान रहे हैं | पं० वेद व्रत शर्मा जी के सबसे छोटे भाई पं० प्रिय व्रत शर्मा जी पूर्व प्राचार्य, पटना आयुर्वेदिक महाविद्यालय, पटना एवं पूर्व निदेशक, स्नातकोत्तर आयुर्वेद संस्थान, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (Director, Post Graduate Institute of Indian Medicine, Banaras Hindu University, Varanasi) विश्वप्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ एवं ऋषि परम्परा के महान संत थे |आयुर्वेद के विश्वव्यापी प्रचार प्रसार, कालजयी रचना और हिन्दी अंगरेजी संस्कृत भाषा में पं० श्रेष्ठ चंद मिश्र, पं० प्रभुनाथ मिश्र, पं० रामावतार मिश्र उर्फ पं० रामावतार शर्मा, पं० हरिनारायण मिश्र उर्फ पं० हरिनारायण शर्मा जैसे राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त महान आयुर्वेद विशेषज्ञों की वंश परम्परा से अर्जित सम्पूर्ण ज्ञान और अनुभव को आचार्य प्रिय व्रत शर्मा जी ने विश्व पटल पर स्थापित किया | पं० हरिनारायण शर्मा के भतीजा आचार्य प्रिय व्रत शर्मा जी विश्व प्रसिद्द ऐतिहासिक गुरुकुल 'वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल, मुस्तफापुर, खगौल, जिला- पटना' के अत्यंत प्रतिभाशाली छात्र थे और उन्होंने गुरुकुल की उच्च परंपरा और ऊँचे आदर्शों का जीवन पर्यंत निर्वाह किया | वह ऋषि परम्परा के महान संत थे | उनका संप.

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गंगा नदी

गंगा (गङ्गा; গঙ্গা) भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर २,५१० किलोमीटर (कि॰मी॰) की दूरी तय करती हुई उत्तराखण्ड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुन्दरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। २,०७१ कि॰मी॰ तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। १०० फीट (३१ मी॰) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ तथा देवी के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौन्दर्य और महत्त्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किये गये हैं। इस नदी में मछलियों तथा सर्पों की अनेक प्रजातियाँ तो पायी ही जाती हैं, मीठे पानी वाले दुर्लभ डॉलफिन भी पाये जाते हैं। यह कृषि, पर्यटन, साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। इसके ऊपर बने पुल, बांध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से सम्बन्धित ज़रूरतों को पूरा करती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस अनुपम शुद्धीकरण क्षमता तथा सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसको प्रदूषित होने से रोका नहीं जा सका है। फिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफ़ाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में नवम्बर,२००८ में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (१६०० किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है। .

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आरा-छपरा सेतु

आरा-छपरा सेतु अथवा वीर कुँवर सिंह सेतु गंगा पर बना है। यह भोजपुर जिले के बबुरा और सारण जिले के डोरीगंज को जोड़ता है। इस पुल के बन जाने के बाद आरा से छपरा की दूरी 100 किमी कम हो गई। आरा साइड में 16 किलोमीटर व छपरा साइड में एक किलोमीटर एप्रोच रोड है। पुल के निर्माण पर 860 करोड़ खर्च अनुमानित है। वर्ष 2010 में 676 करोड़ का लागत से इस सेतु का निर्माण शुरू किया गया। एनएच 30 से शहर में आने वाली गाड़ियों बिना पटना पहुंचे ही उत्तर बिहार पहुंच जाएंगी। .

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इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड

इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड (इरकॉन) एक केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है जिसकी स्थापना कम्पनी अधिनियम,1956 के अंतगर्त एक सरकारी कंपनी के रूप में की गई है। इरकॉन की स्थापना विश्‍व के विकासशील देशों को अपनी स्वयं की रेल व्यवस्था संस्थापित करने या अनुरक्षण करने में सहयोग देने तथा सहयोग देने तथा निजी क्षेत्र क लिये परियोजनाओं को निष्पादित करने में भारतीय रेल के अनुभव का उपयोग करने के लिये की गई थी। इरकॉन अपनी निर्माण गतिविधियों की संपूर्ण श्रंखला के लिए टीयूवी जर्मनी से आईएसओ-9001:2000 प्रमाणन प्राप्त करने वाली पहली कम्पनी है। यह निर्माण क्षेत्र की सार्वजनिक उद्यम कंपनी है जिसे भारत सरकार द्वारा मिनी रत्‍न की उपाधि प्रदान की गयी है तथा जिसने अनुसूची "क" कंपनी का स्तर प्राप्त किया है। .

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कोइलवर पुल

कोईलवर पुल पटना और आरा के बीच कोइलवर नामक स्थान पर है। कोईलवर रेल-सह-सड़क पुल है। ऊपर रेलगाड़ियाँ और नीचे बस, मोटर और बैलगाड़ियाँ आदि चलती हैं। सोन नदी पर अवस्थित कोईलवर पुल विकास की जीवन रेखा का एक मुख्य बिन्दु है। लोहे के गाटर से बने इस दोहरे एवं दो मंजिला पुल की निर्माण तकनीक व सुन्दरता लोगों को आज भी काफी आकर्षित करती है। 1862 ई. में यह पुल तैयार हो गया था। इस पुल का नाम बिहार के जाने माने स्वतंत्रता सेनानी प्रोफेसर अब्दुल बारी के नाम पर अब्दुलबारी पुल भी है। एक ओर जहाँ यह पुल दानापुर-मुग़लसराय रेल खंड को जोड़ता है तो दूसरी ओर पटना-भोजपुर सड़क याता-यात को जोड़ता है। कोईलवर पुल के ऊपरी मंजिल स्थित अप एवं डाउन रेल लाइन से दर्जन भर सुपर फास्ट ट्रेन समेत दर्जनों यात्री एवं गुड्स ट्रेनें गुजरती हैं। सैकड़ों भारवाहक वाहन समेत बस-कार आदि यात्री वाहन निचले मंजिल के दोहरे सुरंगनुमा सड़क मार्ग से गुजरते हैं। इसके नीचे बहती रहती है सोन नदी की अविरल धारा जिसमें नौकाएं तैरती रहती हैं। सोन नदी से निकला बालू इसी पुल से उत्तर बिहार तक और पश्चिम में उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र तक वाहनों द्वारा पहुंचकर विकास में योगदान देता है। कोइलवर पुल की लंबाई 1440 मीटर तक दक्षिणी रोड लेन 4.12 मीटर और उत्तरी रोड लेन 3.03 मीटर चौड़ी है। .

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अशोक राजपथ

बिहार की राजधानी पटना के पूर्वी हिस्से पटना सिटी को गाँधी मैदान से जोडने वाली सड़क का नामाकरण दूसरी सदी ईसा पूर्व में हुए मगध साम्राज्य के महान शासक सम्राट अशोक के नाम पर किया गया है। गंगा तट के समानान्तर चलने वाली यह सड़क शहर की जीवनरेखा है। पटना विश्वविद्यालय के बीएन कॉलेज, पटना कॉलेज, साईंस कॉलेज, पटना मेडिकल कॉलेज के अतिरिक्त एनआईटी पटना, महेन्द्रू मुहल्ला, सुलतानगंज, गायघाट, पटना सिटी के कई मुहल्ले इस महत्वपूर्ण राजपथ पर स्थित है। .

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जेपी सेतु

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