2 संबंधों: समन्वित सार्वत्रिक समय, खगोल शास्त्र।
समन्वित सार्वत्रिक समय
सार्वत्रिय समय समन्वित सार्वत्रिक समय (ससस) (Coordinated Universal Time) विश्व के समय का प्राथमिक मानक है जिसके द्वारा विश्वभर में घड़ियाँ एवं समय नियंत्रित किये जाते हैं। यह ग्रीनविच माध्य समय (GMT) के बहुत सारे अनुवतियों (successors) में से एक है। साधारण कार्यों की दृष्टि से समन्वित सार्वत्रिक समय और ग्रीनविच माध्य समय एक ही हैं, किन्तु ग्रीनविच माध्य समय अब वैज्ञानिक समुदाय द्वारा परिशुद्धता पूर्वक (precisely) परिभाषित नहीं किया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय परमाण्विक समय(TAI) अनियमित अंतरालों पर जोड़े गये लोन सैकिण्ड सहित है। यह लोन सैकिण्ड पॄथ्वी की धीमी होती गति के कारण जोड़े जाते हैं। इनसे UTC की UT1 से समीपता बनी रहती है। UT1 औसत सौर समय है, जो कि ग्रीनविच की साही वेधशाला में देखा जाता है। UTC और UT1 के बीच का अन्तर 0.9 s से अधिक नहीं हो पाता, अतएव यदि उच्च परिशुद्धता आवश्यक ना हो, तो एक सामान्य टर्म विश्वव्यापी समय या युनिवर्सल टाइम, प्रयोग की जा सकती है। नैमित्तिक प्रयोगों हेतु, ग्रीनविच मानक समय (GMT) भी UTC और UT1 समान ही होता है। संशय मिटाने हेतु सामायतः सविस (UTC) ही प्रयोग होता है, GMT के प्रयोग से बचा जाता है। .
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खगोल शास्त्र
चन्द्र संबंधी खगोल शास्त्र: यह बडा क्रेटर है डेडलस। १९६९ में चन्द्रमा की प्रदक्षिणा करते समय अपोलो ११ के चालक-दल (क्रू) ने यह चित्र लिया था। यह क्रेटर पृथ्वी के चन्द्रमा के मध्य के नज़दीक है और इसका व्यास (diameter) लगभग ९३ किलोमीटर या ५८ मील है। खगोल शास्त्र, एक ऐसा शास्त्र है जिसके अंतर्गत पृथ्वी और उसके वायुमण्डल के बाहर होने वाली घटनाओं का अवलोकन, विश्लेषण तथा उसकी व्याख्या (explanation) की जाती है। यह वह अनुशासन है जो आकाश में अवलोकित की जा सकने वाली तथा उनका समावेश करने वाली क्रियाओं के आरंभ, बदलाव और भौतिक तथा रासायनिक गुणों का अध्ययन करता है। बीसवीं शताब्दी के दौरान, व्यावसायिक खगोल शास्त्र को अवलोकिक खगोल शास्त्र तथा काल्पनिक खगोल तथा भौतिक शास्त्र में बाँटने की कोशिश की गई है। बहुत कम ऐसे खगोल शास्त्री है जो दोनो करते है क्योंकि दोनो क्षेत्रों में अलग अलग प्रवीणताओं की आवश्यकता होती है, पर ज़्यादातर व्यावसायिक खगोलशास्त्री अपने आप को दोनो में से एक पक्ष में पाते है। खगोल शास्त्र ज्योतिष शास्त्र से अलग है। ज्योतिष शास्त्र एक छद्म-विज्ञान (Pseudoscience) है जो किसी का भविष्य ग्रहों के चाल से जोड़कर बताने कि कोशिश करता है। हालाँकि दोनों शास्त्रों का आरंभ बिंदु एक है फिर भी वे काफ़ी अलग है। खगोल शास्त्री जहाँ वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करते हैं जबकि ज्योतिषी केवल अनुमान आधारित गणनाओं का सहारा लेते हैं। .
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