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जापानी संसद

सूची जापानी संसद

जापान की वहाँ की द्विसदनीय विधानपालिका है। इसकी निचली सदन को प्रतिनिधि सभा और ऊपरी सदन को पार्षद सभा कहते हैं। दोनों सदनों का चुनाव समांतर मतदान के होता है। कानून बनाने के साथ-साथ, प्रधानमंत्री का चुनाव करना भी संसद की ज़िम्मेदारी है। संसद को सबसे पहले १८८९ में मेइजी संविधान के तहत शाही संसद के रूप में बुलाया गया था। संसद को वर्तमान रूप १९४७ में युद्धोत्तर संविधान के अपनाने के बाद दिया गया। संविधान के अनुसार संसद देश की शक्ति का सर्वोच्च अंग है। राष्ट्रीय संसद भवन नागाता-चो, चियोदा, टोक्यो में स्थित है। .

8 संबंधों: द्विसदनीयता, प्रतिनिधि सभा, संसदीय प्रणाली, जापान, जापान का संविधान, जापान का इतिहास, जापान की सरकार, कोरम

द्विसदनीयता

सरकारी व्यवथाओं में द्विसदनीयता (bicameralism) उस विधि को कहते हैं जिसमें विधायिका (legislature) में दो सदन हों। उदाहरण के लिये भारतीय संसद में दो सदन हैं: लोक सभा और राज्य सभा। इसके विपरीत फ़िलिपीन्स जैसे कुछ देशों में एकसदनीय (unicameral) संसदें हैं। .

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प्रतिनिधि सभा

प्रतिनिधि सभा नेपाल के द्विसदनीय संघीय संसद का निचला सदन या लोक सभा है, ऊपरी सदन को राष्ट्रीय सभा कहा जाता है। सदन की रचना और शक्ति नेपाल के संविधान के भाग ८ और भाग ९ में उल्लेखित है। इस सदन में कुल २७५ सदस्यों प्रावधान है; १६५ एकल-सदस्य निर्वाचन द्वारा फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट वोटिंग प्रणाली द्वारा चुने जाते हैं और ११० अनुपातिक चुनाव प्रक्रिया के तहत चुने जाते हैं। जहां मतदाता पूरे देश को एकल चुनाव निर्वाचन क्षेत्र समझ कर राजनीतिक दलों के लिए मतदान करते हैं। जब तक कि सभा भंग नहीं कर दिया जाता, प्रतिनिधि सभा के सदस्यों का कार्यकाल ५ वर्षों का होता है। प्रधानमंत्री को कार्यालय में नियुक्त होने के लिए प्रतिनिधि सभा के सदस्यों के द्वारा बहुमत का समर्थन हासिल करना होता है। .

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संसदीय प्रणाली

संसदीय प्रणाली (parliamentary system) लोकतांत्रिक शासन की वह प्रणाली है जिसमें कार्यपालिका अपनी लोकतांत्रिक वैधता विधायिकता (संसद) से प्राप्त करती है तथा विधायिकता के प्रति उत्तरदायी होती है। इस प्रकार संसदीय प्रणाली में कार्यपालिका और विधायिका परस्पर सम्बन्धित (जुड़े हुए) होते हैं। इस प्रणाली में राज्य का मुखिया तथा सरकार का मुखिया अलग-अलग व्यक्ति होते हैं। भारत में संसदीय शासन प्रणाली है। इसके विपरीत अध्यक्षीय प्रणाली (presidential system) में प्रायः राज्य का अध्यक्ष सरकार (कार्यपालिका) का भी अध्यक्ष होता है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि अध्यक्षीय प्रणाली में कार्यपालिका अपनी लोकतांत्रिक वैधता विधायिका से नहीं प्राप्त करती। शासन प्रणालियाँ लाल: अध्यक्षीय प्रणाली नारंगी: संसदीय प्रणाली हरा: संसदीय गणतंत्र जहाँ अध्यक्ष का चुनाव संसद करती है। श्रेणी:राजनीति विज्ञान.

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जापान

जापान, एशिया महाद्वीप में स्थित देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप एशिया के पूर्व समुद्रतट, यानि प्रशांत महासागर में स्थित हैं। इसके निकटतम पड़ोसी चीन, कोरिया तथा रूस हैं। जापान में वहाँ का मूल निवासियों की जनसंख्या ९८.५% है। बाकी 0.5% कोरियाई, 0.4 % चाइनीज़ तथा 0.6% अन्य लोग है। जापानी अपने देश को निप्पॉन कहते हैं, जिसका मतलब सूर्योदय है। जापान की राजधानी टोक्यो है और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका और क्योटो हैं। बौद्ध धर्म देश का प्रमुख धर्म है और जापान की जनसंख्या में 96% बौद्ध अनुयायी है। .

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जापान का संविधान

जापान का संविधान (Shinjitai: 日本国憲法 Kyūjitai: 日本國憲法, Nihon-Koku Kenpō?) जापान की मूल विधि (कानून) है। इसे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ३ मई १९४७ को लागू किया गया था। जापान में इसे 'संविधान दिवस' के रूप में मनाया जाता है। यह संविधान 'शांति संविधान' भी कहलाता है। .

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जापान का इतिहास

जापान के प्राचीन इतिहास के संबंध में कोई निश्चयात्मक जानकारी नहीं प्राप्त है। जापानी लोककथाओं के अनुसार विश्व के निर्माता ने सूर्य देवी तथा चन्द्र देवी को भी रचा। फिर उसका पोता क्यूशू द्वीप पर आया और बाद में उनकी संतान होंशू द्वीप पर फैल गए। हँलांकि यह लोककथा है पर इसमें कुछ सच्चाई भी नजर आती है। पौराणिक मतानुसार जिम्मू नामक एक सम्राट् ९६० ई. पू.

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जापान की सरकार

जापान की सरकार एक संवैधानिक राजशाही है, जिसमें सम्राट की शक्तियाँ सीमित होती है, और उनका कार्य मुख्य रूप से औपचारिक कर्तव्यों हेतु होता है। अन्य कई देशों की तरह, सरकार को तीन शाखाओं में बांटा गया है: कार्यकारी शाखा, विधान शाखा और न्यायिक शाखा। सरकार 1947 में अपनाये गये जापान के संविधान द्वारा स्थापित ढांचे के तहत चलती है। यह एक एकात्मक राज्य है, जोकि सैतालिस प्रशासनिक प्रभागों में बटा हुआ है, और सम्राट राज्य प्रमुख के रूप में होता हैं। हालांकि उनकी भूमिका औपचारिक है और उनके पास सरकार से संबंधित कोई शक्ति नहीं होती है। राज्य मंत्री और प्रधानमंत्री से बना मंत्रिमंडल के पास सारी शक्तियाँ केन्द्रित होती है, जो सरकार को निर्देश और नियंत्रण करती है। मंत्रिमंडल कार्यकारी शाखा की शक्ति का केन्द्र है, और प्रधानमंत्री द्वारा बनाई जाती है, जो सरकार का मुखिया होता है। उसे नेशनल डाइट (जापान की द्विसदनीय विधानमण्डल) द्वारा नामित किया जाता है और सम्राट द्वारा नियुक्त किया जाता है। नेशनल डाइट विधायिका होती है, विधान शाखा का अंग। यह द्विसदनीय होती है, जिसमें दो सदन शामिल होते हैं, हाउस ऑफ काउंसिलर्स का ऊपरी सदन है, और हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव्स का निम्न सदन हैं। इसके सदस्य सीधे लोगों द्वारा निर्वाचित होते हैं, जो संप्रभुता का स्रोत हैं। उच्चतम न्यायालय और अन्य न्यायालय, न्यायिक शाखा बनाते हैं, और वे कार्यकारी और विधायी शाखाओं से स्वतंत्र होते हैं। .

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कोरम

कोरम (Quorum) किसी सभा, संसद, सीमित या कार्यकारिणी की बैठक में लिये आगत न्यूनतम आवश्यक सदस्यों की संख्या को कोरम कहते हैं। इस न्यूनतम आवश्यक संख्या की उपस्थिति के बिना सभा या समिति या विधायिनी के कार्य को वैधानिकता प्राप्त नहीं हो सकती। अत: इस न्यूनतमक संख्या में सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य है। ग्रेट ब्रिटेन में हाउस ऑफ कॉमन्स के लिये न्यूनतम सदस्यों की उपस्थिति ४० की मानी गई तथा हाउस ऑव्‌ लार्ड्‌ स के लिये ३ सदस्यों की उपस्थिति पर्याप्त है। भारतीय गणतंत्र के संविधान की वर्तमान व्यवस्था के अनुसार दशांश सदस्यों का कोरम राज्यपरिषद के लिये तथा दशांश सदस्यों का कोरम लोकसभा के लिये निश्चित किया गया है। यदि किसी समय कोरम न हो तो सभापति या अध्यक्ष के रूप में कार्य करने वाले व्यक्ति का यह कर्तव्य हो जाता है कि वह सदन को स्थगित कर दे या उसे तब तक निलंबित रखे जब तक कोरम पूरा न हो जाए। यह शब्द मूलत: लातीनी भाषा का है जो अंग्रेजी में भी व्यवहृत होता है और भारतीय भाषाओं में भी इस शब्द को ले लिया गया है। रोम के नगरों में शांति और सुव्यवस्था बनाए रखने के लिए कुछ लोगों की नियुक्ति की जाती थी जिन्हें कोरम के न्यायाधीश के नाम से संबोधित किया जाता था। ये एक दूसरे की उपस्थिति के बिना कोई कार्य करने के अधिकारी नहीं थे। सभी कार्यों के लिये कोरम के न्यायाधीश सामूहिक और वैयक्तिक रूप से उत्तरदायी होते थे। धीरे-धीरे यह शब्द सभी न्यायाधीशों के लिये व्यवहृत होने लगा। कालांतर में इस शब्द में और अर्थातहर हुआ जिससे अब कोरम उपर्युक्त अर्थ में प्रयुक्त होता है। .

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