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जादू-टोना

सूची जादू-टोना

जादू-टोना विश्वास है कि जादू असली है और इसमें कौशल पाएँ अपनी क्षमताओं से इसका उपयोग कर सकते हैं। यह एक प्रकार का अंधविश्वास है और इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। .

4 संबंधों: चुड़ैल, डायन, जादू, अंधविश्वास

चुड़ैल

चुड़ैल भारतीय उपमहाद्वीप और कुछ दक्षिण-पूर्वी एशिया के हिस्सों में लोककथा में एक प्रकार की दानव या राक्षसनी है। इनकी पहचान के लिये कहा जाता है कि ये उन महिलायों से बनती है जो प्रसव के समय मर जाती हैं। इनका रूप घिनौना और भयंकर बताया जाता है। लेकिन वो सुंदर स्त्री का रूप भी धारण कर सकती है। उन्हें सिर्फ उनके उल्टे पैरों की वजह से पहचाना जा सकता है। इस मामले में इसकी डायन से कई समानताएँ हैं। हाल फिलहाल में महिलाओं को चुड़ैल बताकर उनपर जादू-टोना का आरोप लगाकर मारने के मामलें सामने आते हैं। .

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डायन

डायन भारतीय परिप्रेक्ष्य में विशेषकर आदिवासी लोककथा में ऐसी स्त्री को कहते हैं जो जादू-टोना कर के दूसरों में बीमारी, मौत, अकाल लाना या कई और अनैतिक कार्य करती है। यह एक प्रकार का अंधविश्वास है। इस प्रकार से ये चुड़ैल से समानता रखता है। भारत में जहाँ आदिवासी अधिक पाए जाते हैं वहाँ महिलाओं को ओझा द्वारा डायन घोषित कर के हत्या तक कर दी जाती है। राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ में ऐसे कई मामले सामने आए हैं और इसके विरुद्ध कानून बनाए गए हैं। ऐसे आरोप अधिकतर बूढ़ी विधवा ओरतों पर लगाए जाते हैं जिनका मकसद अक्सर जमीन, धन या अन्य तरह की संपत्ति पर कब्जा करना होता है। .

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जादू

जादू का मतलब है मन्त्र, पराविद्या या कर्मकाण्ड के प्रयोग से दुनिया के सामान्य प्राकृतिक और वैज्ञानिक नियमों को असामान्य रूप से बदलना या उनपर नियंत्रण करना, अथवा ऐसा करने की कोशिश या ढ़ोंग करना। ज्यादातर लोग जादू को काल्पनिक और झूठ मानते हैं, क्योंकि उनके मुताबिक विज्ञान के नियम-कानूनों को बदलना नामुमकिन है। कुछ लोग, जो जादू को सच मानते भी हैं, इसे अधर्म और पाप मानते हैं। अधिकांश लोग धार्मिक कर्मकांड और मन्त्रों को जादू नहीं मानते, बल्कि उनको "प्रार्थना और ईश्वर की शक्ति" मानते हैं। जादू जानने और करने वाले को जादूगर कहते हैं। चमत्कार, इन्द्रजाल, अभिचार, टोना या तन्त्र-मन्त्र जैसे शब्द भी जादू कि श्रेणी में आते हैं। श्रेणी:मिथक श्रेणी:जादू.

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अंधविश्वास

आदिम मनुष्य अनेक क्रियाओं और घटनाओं के कारणों को नहीं जान पाता था। वह अज्ञानवश समझता था कि इनके पीछे कोई अदृश्य शक्ति है। वर्षा, बिजली, रोग, भूकंप, वृक्षपात, विपत्ति आदि अज्ञात तथा अज्ञेय देव, भूत, प्रेत और पिशाचों के प्रकोप के परिणाम माने जाते थे। ज्ञान का प्रकाश हो जाने पर भी ऐसे विचार विलीन नहीं हुए, प्रत्युत ये अंधविश्वास माने जाने लगे। आदिकाल में मनुष्य का क्रिया क्षेत्र संकुचित था इसलिए अंधविश्वासों की संख्या भी अल्प थी। ज्यों ज्यों मनुष्य की क्रियाओं का विस्तार हुआ त्यों-त्यों अंधविश्वासों का जाल भी फैलता गया और इनके अनेक भेद-प्रभेद हो गए। अंधविश्वास सार्वदेशिक और सार्वकालिक हैं। विज्ञान के प्रकाश में भी ये छिपे रहते हैं। अभी तक इनका सर्वथा उच्द्वेद नहीं हुआ है। भारत में अंध विश्वास की जड़े बहुत गहरी हो चुकी हैं, ब्राह्मण साहित्य का इसमें प्रमुख योगदान है ll .

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