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जलसाघर (1958 फ़िल्म)

सूची जलसाघर (1958 फ़िल्म)

सत्यजित राय की एक प्रसिद्ध फ़िल्म। यह 1958 में विमोचित हुई थी। अंग्रेजीभाषी जगत् में कहीं कहीं Jalsaghar: The Music Room के नाम से चली। सत्यजित राय निर्देशित चतुर्थ फिल्म। यह ताराशंकर बंधोपाध्याय कृत इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है, तथा जमींदार (बंगाल का अर्धसामंती भूस्वामी) के अंतिम दिनों के विस्तृत नाटकीय अध्ययन पर आधारित है। रे की फिल्मों की चिरपरिचित सहानुभूति तथा विवरणों से युक्त यह फिल्म अंतर्राष्ट्रीय जगत में प्रभूत प्रशंसित हुई (यथा न्यूयार्क टाइम्स में बोसले क्राउथर, द गार्जियन में डेरेक मैल्कम)। साथ ही यह रोजर एबर्ट के "ग्रेट मूवीज", द्वितीय भाग में वैश्विक सिनेमा में एक अलग पहचान-चिह्न के रूप में वर्णित है। फिल्म में हिंदुस्तानी शास्त्रीय गीत-संगीत तथा वाद्य-संगीत के उत्कृष्ट फुटेज परिलक्षित होते हैं, साथ ही शास्त्रीय नृत्य के भी। संगीत विलायत खान का है। साथ ही अन्य कलाकारों में बेगम अख्तर (गायिका), रोशन कुमारी (कथक नृत्यांगना), उस्ताद बिस्मिल्ला खान व साथी, वहीद खान (सुरबहार वादक), सलामत अली खान (खयाल गायक) भी फिल्म में हैं। .

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ताराशंकर बंधोपाध्याय

ताराशंकर बंधोपाध्याय एक बांग्ला साहित्यकार हैं। इन्हें गणदेवता के लिए १९६६ में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ताराशंकर बंधोपाध्याय को साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९६९ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये पश्चिम बंगाल से हैं। .

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सत्यजित राय

सत्यजित राय (बंगाली: शॉत्तोजित् राय्) (२ मई १९२१–२३ अप्रैल १९९२) एक भारतीय फ़िल्म निर्देशक थे, जिन्हें २०वीं शताब्दी के सर्वोत्तम फ़िल्म निर्देशकों में गिना जाता है। इनका जन्म कला और साहित्य के जगत में जाने-माने कोलकाता (तब कलकत्ता) के एक बंगाली परिवार में हुआ था। इनकी शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज और विश्व-भारती विश्वविद्यालय में हुई। इन्होने अपने कैरियर की शुरुआत पेशेवर चित्रकार की तरह की। फ़्रांसिसी फ़िल्म निर्देशक ज़ाँ रन्वार से मिलने पर और लंदन में इतालवी फ़िल्म लाद्री दी बिसिक्लेत (Ladri di biciclette, बाइसिकल चोर) देखने के बाद फ़िल्म निर्देशन की ओर इनका रुझान हुआ। राय ने अपने जीवन में ३७ फ़िल्मों का निर्देशन किया, जिनमें फ़ीचर फ़िल्में, वृत्त चित्र और लघु फ़िल्में शामिल हैं। इनकी पहली फ़िल्म पथेर पांचाली (পথের পাঁচালী, पथ का गीत) को कान फ़िल्मोत्सव में मिले “सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख” पुरस्कार को मिलाकर कुल ग्यारह अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। यह फ़िल्म अपराजितो (অপরাজিত) और अपुर संसार (অপুর সংসার, अपु का संसार) के साथ इनकी प्रसिद्ध अपु त्रयी में शामिल है। राय फ़िल्म निर्माण से सम्बन्धित कई काम ख़ुद ही करते थे — पटकथा लिखना, अभिनेता ढूंढना, पार्श्व संगीत लिखना, चलचित्रण, कला निर्देशन, संपादन और प्रचार सामग्री की रचना करना। फ़िल्में बनाने के अतिरिक्त वे कहानीकार, प्रकाशक, चित्रकार और फ़िल्म आलोचक भी थे। राय को जीवन में कई पुरस्कार मिले जिनमें अकादमी मानद पुरस्कार और भारत रत्न शामिल हैं। .

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