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जयंती स्टेडियम

सूची जयंती स्टेडियम

जयंती स्टेडियम, छत्तीसगढ़ राज्य के भिलाई नगर में, स्थित एक बहु-उपयोगी स्टेडियम है। यह भिलाई के इंद्रा प्लेस में अवस्थित है। इसे घरेलु प्रतियोगिताओं व अन्य कार्यक्रमों के लिए उपयोग किया जाता है। घरेलु क्रिकेट के मैदान होने के लिया उपयुक्त सारे प्रावधान यहाँ मौजूद हैं, तथा यहाँ क्रिकेट क अतिरिक्त, आइस हॉकी व अन्य खेलों से सम्बंधित प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की जाती रहीं हैं। .

3 संबंधों: भिलाई, क्रीडांगन, छत्तीसगढ़

भिलाई

भिलाई शहर करीबन भारत के मध्य में बसा है। 5,53,837 की जनसंख्या के साथ, भिलाई भारत के छत्तीसगढ़ राज्य का दूसरा बड़ा शहर है। मुम्बई-नागपुर-बिलासपुर-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग 6 पर स्थित, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 30 किलोमीटर पश्चिम में भारतीय इस्पात प्राधिकरण के अंतर्गत एकीकृत इस्पात संयंत्र के लिये जगप्रसिद्ध शहर शिक्षा और खेल के क्षेत्र में भी नाम रखता है। भारत-रूस मैत्री के फ़लस्वरूप बना भिलाई इस्पात संयंत्र श्रेष्ठ एकीकृत इस्पात संयंत्र के लिये लगातार ग्यारह बार प्रधानमंत्री ट्रॉफ़ी जीत चुका है। भिलाई नाम की उत्पत्ति भिलाई गांव से हुई है, जो इस नगर के उत्तर में स्थित है। सन् 1956 तक भिलाई गांव एक छोटा सा ग्राम था, जिसकी जनसंख्या 350 थी। सन् 1955 में भारत एवं सोवियत रुस में संपन्न एक समझौते के अंतर्गत इस्पात कारखाना स्थापित किया गया। भिलाई इस्पात संयंत्र कारखाना स्थापित होने से क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों में वृद्वि हुई। संक्षिप्त परिचय - नगर पालिक निगम भिलाई मुम्बई - हावड़ा रेल्वे लाइन तथा राष्ट्रीय राजपथ क्रमांक-6 के किनारे,21013 उत्तर अक्षांश एवं 81026 पूर्व देशांश में, छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित भिलाई, सन् 1955 तक एक छोटा, शांत और धान की खेती पर पोषित गांव मात्र था। 14 मार्च 1955 को भारत शासन और तत्कालीन सोवियत संघ के मध्य, भिलाई में एक मिलीयन टन क्षमता के इस्पात कारखाना लगाने का समझौता हुआ जिसने न केवल भिलाई जिसने न केवल भिलाई की, वरन् इसके आस-पास बसे सैकड़ों गांवों की काया पलट दी। मुंबई-हावड़ा रेल्वे लाइन के उत्तर में भिलाई इस्पात संयंत्र और उसकी टाउनशीप बनाने का निर्णय लिया गया और इसके दक्षिण में श्रमिकों के लिए अस्थायी निवास हेतु भूमि दी गई। अवधारणा यह थी कि कारखाना प्रारंभ होने के बाद, उक्त अस्थायी निवास हट जावेंगे और भूमि खाली हो जावेगी, किन्तु ऐसा हो न सका। बसाहट बढ़ती गई और मूलभूत सुविधा विहीन बस्तियाँ बनती गई। दुर्ग-भिलाई की जनसंख्या सन् 1951-71 के दशक में 86 प्रतिशत तथा 1971-81 के दशक में 113 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सन् 1981-91 के दशक में 89 प्रतिशत एवं सन् 1991-2001 के दशक में 77 प्रतिशत की वृद्धि हुई। चित्र:Gayatri Shakti Peeth, Sec-6.jpg|सेक्टर-6 स्थित गायत्री शक्ति पीठ चित्र:Nehru art gallary.jpg|सिविक सेंटर स्चित नेहरू आर्ट गैलरी चित्र:Bhilai Railway Station.jpg|भिलाई रेलवे स्टेशन श्रेणी:छत्तीसगढ़ के नगर hr:Bilaj hu:Bilaj sl:Bilaj.

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क्रीडांगन

कोलकाता का '''इडेन गार्डेन''' ग्रीस में इलिस (Elis) के मैदान में पहाड़ों एवं नदियों से घिरा हुआ एक मनोरम स्थान है जिसको ओलिंपिया (Olympia) कहते हैं। वहाँ दुनिया का पहला खेल का मैदान बना था। ग्रीक लोग इस बात में विश्वास करते थे कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क हो सकता है। उन्होंने खेल के महत्व को समझा और खेलों को अपनी सभ्यता में ऊँचा स्थान दिया। ग्रीस में लगभग हर बड़े शहर में व्यायामशाला (gymmasium) होती थी जिसमें शहर के नवयुवक जाकर कसरत करते थे। फिर उन्होंने बड़े बड़े खेल संगठित किए जिनमें सारे ग्रीस से नवयुवक आकर भाग लेते थे। इन खेलों में ओलिंपियन, पीथियन, निमियन तथा इस्थमियन (Olympian, Pythian, Nemean and Isthmian) बड़े मशहूर हैं। इन चारों खेलों में सबसे पुराने और सबसे बड़े ओलिंपियन खेल थे। ओलिंपियन खेल चार साल में एक बार होते थे और जिस महीने में ये होते थे उसमें आपस की लड़ाइयाँ और झगड़े बंद हो जाते थे ताकि नौजवान शांतिपूर्वक आकर उनमें भाग ले सकें और असंख्य दर्शक भी आ सकें। ओलिंपिया का मैदान बहुत बड़ा था जिसमें दर्शकों के बैठने की पर्याप्त जगह थी और बीच में दौड़ने का मैदान था। इसमें आदमी दौड़ते थे और रथों की दौड़ होती थी। फाँदने की जगह और कुश्ती के अखाड़े भी होते थे। करीब की पहाड़ी के ऊ पर जियस (Zeus) का मंदिर था जहाँ ओलिंपिक दौड़ में जीतनेवाले खिलाड़ी ले जाए जाते थे। ओलिंपिक एक दौड़ होती थी जो स्टेड (Stade) या 606 फुट की दूरी में होती थी। स्टेड से ही स्टेडियम (Stadium) शब्द बना। ग्रीस में स्थान स्थान पर ऐसे मैदान थे जहाँ पर दौड़नेवाले ओर देखनेवाले इकट्ठा होते थे। ग्रीस के बाद रोम में खेलों की बहुत चर्चा रही और रोमवासियों ने कई प्रकार के खेल के मैदान बनवाए। रोम में खेल सरकारी खर्चे पर होते थे तथा बहुधा त्योहारों के अवसर पर आयोजित किए जाते थे। लड़ाई जीतने की खुशी में, या किसी बड़े आदमी के मर जाने पर भी, रोम में खेल होते थे। रोमवासी खेलों के पीछे पागल थे, परंतु उन्हें ग्रीसवासियों की तरह खेल में स्वयं भाग लेने की चाह नहीं थी, वरन देखने का अधिक शौक था। रोम का सबसे बड़ा खेल का मैदान कोलोसियम (Colosseum) था, जिसके खंडहर अब भी मौजूद हैं। इसमें पचास हजार आदमी बैठ सकते थे। रोम के खेलों के मैदान में रथों और मामूली घोड़ों के अलावा और भी खेल होते थे, उदाहरणत: जंगली जानवरों की लड़ाई या जंगली पशुओं एवं आदमियों की लड़ाई। एक एक खेल में हजारों जानवर और सैकड़ों आदमी मारे जाते थे। कोलोसियम के निर्माण के अवसर पर जो खेल हुए थे उनमें 9,000 जानवर मारे गए थे। फिर इन मैदानों में ग्लैडिएटरों (Gladiators) की लड़ाई भी होती थी। ये लोग मामूली या लड़ाई के कैदी होते थे और आपस में जान की बाजी लगाकर लड़ते थे। जब कोई मारा जाता था तो मैदान दर्शकों के शोर गुल से गूँज उठता था। रोम में खेल के कुछ मैदान ऐसे भी थे जिनमें पानी भर दिया जाता था और एक झील बन जाती थी। इस झील में नियमित रूप से समुद्री लड़ाइयाँ होती थीं और बहुत आदमी मारे जाते थे। मध्य युग में खेल का महत्व समाप्त हो गया। 19वीं सदी तक खेल का कोई मैदान नहीं बना। सिर्फ स्पेन और मेक्सिको में साँड़ों की लड़ाई के कुछ मैदान बने। इन मैदानों में आदमी साँड़ों से लड़ते थे और हजारों आदमी उसका तमाशा देखते थे। ये लड़ाइयाँ स्पेन में अब भी होती थी। 19वीं सदी में यूरोपवालों ने खेल के महत्व को फिर से समझा और ओलिंपिक खेलों को पुनर्जीवित किया। आधुनिक युग में पहला ओलिंपिक खेल 1896 में एथेंस में आयोजित किया गया और उसके लिये संगमरमर का क्रीडांगण बनाया गया जिसमें 66 हजार आदमी बैठ सकते थे। तब से बराबर खेल के मैदान सारी दुनिया में बनते जा रहे हैं। 20वीं सदी में जितने क्रीडांगण बने हैं, उतने इतिहास के किसी काल में नहीं बने। केवल अमेरिका में ही सौ से ऊ पर खेल के मैदान बने हैं, जिनमें बंद एवं खुले दोनों प्रकार के मैदान शामिल हैं। लंदन, न्यूयार्क तथा शिकागो में बहुत बड़े बड़े ढँके हुए क्रीडांगण हैं। इनमें बैडमिंटन, टेनिस, बॉक्सिंग और बर्फ के खेल होते हैं। शिकागो का बंद क्रीडांगण इतना बड़ा है कि उसमें दो लाख आदमी आ सकते हैं। खेल के इन मैदानों का आकार भिन्न-भिन्न प्रकार का होता है। कुछ मैदान गोल होते हैं, कुछ अंडे की शकल के, कुछ चौकोर और कुछ घोड़े की नाल की तरह। बीच में दौड़ने वालों के लिए क्रमश: ऊ ँची होती जानेवाले आसनों की श्रेणियाँ होती है। आजकल के स्टेडियम दर्शनीय होते हैं। इनके सीमेंट के भवन बहुत शानदार और सुंदर होते हैं। ओलिंपिक खेलों का आजकल ढंग यह होता है कि भिन्न-भिन्न देश उनको बारी बारी से अपने यहाँ आयोजित करते हैं। इसलिए जिस देश की बारी होती है उसमें एक बहुत बड़ा स्टेडियम तैयार हो जाता है। बहुत से देशों में आधुनिक स्टेडियम इसी प्रकार बने हैं। श्रेणी:खेल.

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छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ भारत का एक राज्य है। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन १ नवम्बर २००० को हुआ था। यह भारत का २६वां राज्य है। भारत में दो क्षेत्र ऐसे हैं जिनका नाम विशेष कारणों से बदल गया - एक तो 'मगध' जो बौद्ध विहारों की अधिकता के कारण "बिहार" बन गया और दूसरा 'दक्षिण कौशल' जो छत्तीस गढ़ों को अपने में समाहित रखने के कारण "छत्तीसगढ़" बन गया। किन्तु ये दोनों ही क्षेत्र अत्यन्त प्राचीन काल से ही भारत को गौरवान्वित करते रहे हैं। "छत्तीसगढ़" तो वैदिक और पौराणिक काल से ही विभिन्न संस्कृतियों के विकास का केन्द्र रहा है। यहाँ के प्राचीन मन्दिर तथा उनके भग्नावशेष इंगित करते हैं कि यहाँ पर वैष्णव, शैव, शाक्त, बौद्ध संस्कृतियों का विभिन्न कालों में प्रभाव रहा है। .

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