लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

चेटक

सूची चेटक

चेटक, जिन्हें राजा चेटक या राष्ट्रपति चेटक भी कहा जाता है, वैशाली (भारत) के रिपब्लिकन राष्ट्रपति थे। उन्हें वज्जयान संघ के गणराज्यों को व्यवस्थित करने का श्रेय दिया जाता है। इस संघ में 9 मल्लाकी, 18 काशी/कोशल के गण राजाओं और 9 लिच्छवि गणराज्य शामिल है।  .

10 संबंधों: त्रिशला, परिसंघ (प्रशासन), बिम्बिसार, भारत, भारतीय ज्ञानपीठ, राजा सिद्धार्थ, शलाकापुरुष, वैशाली, गण, उत्तरपुराण

त्रिशला

त्रिशला जिन्हें पिर्यकारिणी भी कहा जाता है 24वें तीर्थंकर वर्धमान महावीर की माता थी। .

नई!!: चेटक और त्रिशला · और देखें »

परिसंघ (प्रशासन)

२००३ में सर्बिया और मोण्टेनेग्रो का परिसंघ बना लेकिन २००६ में मोण्टेनेग्रो (नीला रंग) के निकल जाने पर परिसंघ बिखर गया परिसंघ ऐसी राजनैतिक व्यवस्था को कहा जाता है जिसमें दो या उस से अधिक लगभग पूर्णतः स्वतन्त्र राष्ट्र समझौता कर लें के बाक़ी विश्व के साथ वे एक ही राष्ट्र की तरह सम्बन्ध रखेंगे। संघों की तुलना में परिसंघों के सदस्यों को अधिक स्वतंत्रता होती है। परिसंघों में कभी-कभी केवल नाम मात्र की केन्द्रीय सरकार होती है जिसके पास कोई असली शक्तियां नहीं होती। .

नई!!: चेटक और परिसंघ (प्रशासन) · और देखें »

बिम्बिसार

बिम्बिसार (558 ईसापूर्व – 491 ईसापूर्व) मगध साम्राज्य का सम्राट था (542 ईपू से 492 ईपू तक)। वह हर्यक वंश का था। उसने अंग राज्य को जीतकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया। यही विस्तार आगे चलकर मौर्य साम्राज्य के विस्तार का भी आधार बना। .

नई!!: चेटक और बिम्बिसार · और देखें »

भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

नई!!: चेटक और भारत · और देखें »

भारतीय ज्ञानपीठ

भारतीय ज्ञानपीठ भारत में साहित्य संबंधी गतिविधियों के संवर्धन और संरक्षण के लिए कार्यरत सबसे प्रमुख और प्रतिष्ठित संस्थान है। श्रीमती रमा जैन और श्री साहूशान्ति प्रसाद जैन द्वारा संस्थापित यह संस्थान साहित्यिक पुस्तकें प्रकाशित करता है तथा ज्ञानपीठ पुरस्कार और मूर्तिदेवी पुरस्कार नामक दो पुरस्कार प्रदान करता है, जो साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कारों में से हैं। इसकी स्थापना 1944 में हुई। .

नई!!: चेटक और भारतीय ज्ञानपीठ · और देखें »

राजा सिद्धार्थ

राजा सिद्धार्थ, जैन धर्म के २४वें तीर्थंकर महावीर स्वामी के पिता थे। वह इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय थे और वैशाली के कुण्डग्राम गणराज्य के राजा थे। .

नई!!: चेटक और राजा सिद्धार्थ · और देखें »

शलाकापुरुष

जैन धर्म में ६३ शलाकापुरुष हुए है। यह है – चौबीस तीर्थंकर, बारह चक्रवर्ती, नौ बलभद्र, नौ वासुदेव और नौ प्रति वासुदेव। इन ६३ महापुरुष जिन्हें त्रिषष्टिशलाकापुरुष भी कहते हैं के जीवन चरित्र दूसरों के लिए प्रेरणादायी होते है। .

नई!!: चेटक और शलाकापुरुष · और देखें »

वैशाली

वैशाली बिहार प्रान्त के वैशाली जिला में स्थित एक गाँव है। ऐतिहासिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध यह गाँव मुजफ्फरपुर से अलग होकर १२ अक्टुबर १९७२ को वैशाली के जिला बनने पर इसका मुख्यालय हाजीपुर बनाया गया। वज्जिका यहाँ की मुख्य भाषा है। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानि "रिपब्लिक" कायम किया गया था। भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलम्बियों के लिए वैशाली एक पवित्र स्थल है। भगवान बुद्ध का इस धरती पर तीन बार आगमन हुआ, यह उनकी कर्म भूमि भी थी। महात्मा बुद्ध के समय सोलह महाजनपदों में वैशाली का स्थान मगध के समान महत्त्वपूर्ण था। अतिमहत्त्वपूर्ण बौद्ध एवं जैन स्थल होने के अलावा यह जगह पौराणिक हिन्दू तीर्थ एवं पाटलीपुत्र जैसे ऐतिहासिक स्थल के निकट है। मशहूर राजनर्तकी और नगरवधू आम्रपाली भी यहीं की थी| आज वैशाली पर्यटकों के लिए भी बहुत ही लोकप्रिय स्थान है। वैशाली में आज दूसरे देशों के कई मंदिर भी बने हुए हैं। .

नई!!: चेटक और वैशाली · और देखें »

गण

गण यह मूल में वैदिक शब्द था। वहाँ 'गणपति' और 'गणनांगणपति' ये प्रयोग आए हैं। इस शब्द का सीधा अर्थ समूह था। देवगण, ऋषिगण पितृगण-इन समस्त पदों में यही अर्थ अभिप्रेषित है। वैदिक मान्यता के अनुसार सृष्टि मूल में अव्यक्त स्रोत से प्रवृत्त हुई है। वह एक था, उस एक का बहुधा भाव या गण रूप में आना ही विश्व है। सृष्टिरचना के लिए गणतत्व की अनिवार्य आवश्यकता है। नानात्व से ही जगत् बनता है। बहुधा, नाना, गण इन सबका लक्ष्य अर्थ एक ही था। वैदिक सृष्टिविद्या के अनुसार मूलभूत एक प्राण सर्वप्रथम था, वह गणपति कहा गया। उसी से प्राणों के अनेक रूप प्रवृत्त हुए जो ऋषि, पितर, देव कहे गए। ये ही कई प्रकार के गण है। जो मूलभूत गणपति था वही पुराण की भाषा में गणेश कहा जाता है। शुद्ध विज्ञान की परिभाषा में उसे ही समष्टि (युनिवर्सल) कहेंगे। उससे जिन अनेक व्यष्टि भावों का जन्म होता है, उसकी संज्ञा गण है। गणपति या गणेश को महत्ततत्व भी कहते हैं। जो निष्कलरूप से सर्वव्यापक हो वही गणपति है। उसका खंड भाव में आना या पृथक् पृथक् रूप ग्रहण करना गणभाव की सृष्टि है। समष्टि और व्यष्टि दोनों एक दूसरे से अविनाभूत या मिले हुए रहते है। यही संतति संबंध गणेश के सूँड से इंगित होता है। हाथी का मस्तक महत् या महान का प्रतीक है और आंखु या चूहा पार्थित व्यष्टि पदार्थों या केंद्रों का प्रतीक है। वही पुराण की भाषा में गणपति का पशु है। वस्तुत: गणपति तत्व मूलभूत रुद्र का ही रूप है। जिसे महान कहा जाता है उसकी संज्ञा समुद्र भी थी। उसे ही पुराणों ने एकार्णव कहा है। वह सोम का समुद्र था और उसी तत्व के गणभावों का जन्म होता है। सोम का ही वैदिक प्रतीक मधु या अपूप था, उसी का पौराणिक या लोकगत प्रतीक मोदक है जो गणपति को प्रिय कहा जाता है। यही गण और गणपति की मूल कल्पना थी। गणों के स्वामी गणेश हैं और उनके प्रधान वीरभद्र जो सप्तमातृका मूर्तियों की पंक्ति के अंत में दंड धारण कर खड़े होते हैं। शिव के अनंत गण हैं जिनके वामन तथा विचित्र स्वरूपों का गुप्तकालीन कला में पर्याप्त आकलन हुआ है। खोह (म. प्र.) से प्राप्त और इलाहाबाद के संग्रहालय में सुरक्षित स्थूल वामन गणों की अपरिमित संख्या है। विकृत रूपधारीगण पट्टिकाओं पर उत्खचित हैं। परंपराया शिव की बारात में इन अप्राकृतिक रूपधारी गणों का विशेष महत्व माना जाता है। .

नई!!: चेटक और गण · और देखें »

उत्तरपुराण

महापुराण का उत्तरार्ध 'उत्तरपुराण कहलाता है। यह जिनसेन के पट्टशिष्य गुणभद्राचार्य की प्रौढ़ रचना है। इसमें लगभग 9,500 श्लोक हैं जिनमें 24 में से 23 तीर्थकरों तथा अन्य शलाकापुरुषों के चरित्र काव्यरीति में वर्णित हैं। महापुराण के पूर्वाद्ध, आदिपुराण की अपेक्षा विस्तार में यह नि:सदेह बहुत ही न्यून है, परंतु कला की दृष्टि से यह पुराण आदिपुराण का एक उपयुक्त पूरक माना जा सकता है। उत्तरपुराण की समाप्तितिथि का पूरा परिचय नहीं मिलता, परंतु इसकी समाप्ति शक सं.

नई!!: चेटक और उत्तरपुराण · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

चेतक (राजा)

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »